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Showing posts from September, 2022

हे महामाई मोर दुर्गा दाई

💐🙏🏻शीर्षक - हे महामाई मोर दुर्गा दाई हे आदि सक्ति,हे जग जननी, मैं तोर सरन म आये हव l मोला तै हर तार देना दाई, ये भव सागर लें उबार लेना l हे...... महामाई... मोर दुर्गा दाई......... हे शैल सुता हे नवदुर्गा दाई, तोर नव रूप के करव पूजा l तोला छोड़ के जगदम्बा दाई, बता मै हर मनावव अब काला l हे..... महामाई...... मोर दुर्गा दाई........ तोला छोड़ अपन सुख - दुखल मै हर अउ  काला सुनावव l कर किरपा हे मोर मात भवानी, तोर दरस के वर दे हे वरदानी l हे..... महामाई...... मोर दुर्गा दाई........ मोर आस ल बिस्वास बना दे, तोर सरन म जघा दे मोला दाई l सुन ले मोर तै बिनती हे माई, सबके कलियान कर कलियानी दाई l हे..... महामाई...... मोर दुर्गा दाई........ चइत अउ कुआँर म तै आथच दाई, जगत के दुख हरके सुख पहुंचाथच l तहीं कालरातरी तही कुसमांडा दाई, हे कात्यायनी,चंद्रघण्टा, चमुण्डा दाई l हे..... महामाई...... मोर दुर्गा दाई........ नई जानव मैं हर  पूजा पाही, मैं निचट, अधम अगियानी हव l भूल चूक क्षमा कर देबे दाई, मै तोरेच बनाये परानी अव l हे..... महामाई...... मोर दुर्गा दाई........ लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीस...

तुमसे प्यार ना होता तो

💐तुमसे प्यार ना होता तो   तुमसे प्यार ना होता तो दिल लगाना ना आता l बिना बात के बात हमको यूँ मुस्काना ना आता l तुम्हारे इंतजार में घंटों गुजारना ना आता  l तेरे प्यार में दिलों जान लूटना ना आता l तुमसे प्यार ना होता तो दर्द छुपाना ना आता  l दिल में दर्द होठों पे मुस्कान सजाना ना आता l बेचैन दिल को यूँ बहलाना हमको ना आता l हमको बैठें - बिठाये यूँ ठंडी आहे भरना ना आता l तुमसे प्यार ना होता तो दिल मेरा फिर पछताता l तुम ना मिलते तो प्रेम का महत्व कौन समझाता? मझधार में फंसी मेरी नैया पार लगाता कौन? तुम ना होते तो मुझ अकिंचन को अपनाता कौन? तुमसे प्यार ना होता तो मेरा जीवन बेकार हों जाता l धार में फंसी जीवन नैया मेरा निराधार हों जाता l अब देर ना कर दो दर्शन जन्म सफल कर दाता l जब से लगी तुझसे लगन मूझे कोई और नहीं भाता l तुमसे प्यार ना होता तो दिल को दिलासा कौन दिलाता? मैं तेरी, तू है मेरा, हम दोनों का है निर्मल नाता l मैं पापी,अपावन कृष्णा तू जगत उद्धार कर्ता l तुमसे प्यार ना करती तो मेरा जीवन व्यर्थ चला जाता l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली ( छत्तीसगढ़ ) 25/09/2022

चाटुकार

🙏🏻शीर्षक - चाटुकार जी हुजूरी करने वालों के आत्मसम्मान मर जाते हैं  l काम बनाते जो जी हुजूरी से,आत्म सम्मान खो देते हैं  l चाटुकारी करने वाले धर्म- कर्म, नीयत से कायर होते हैं l वे मुर्ख अपने हाथों तिरस्कार का स्वयं बीज ही बोते हैं l हां जी, हां जी में सिर हिलाते, हाथ जोड़े रहते हैं l चाहे कुछ भी कह लो इनको बस दांत निपोरे रहते हैं l खोकर अपना आत्मसम्मान,थोक भाव में बिकते हैं l रिश्तों के मोल न समझे, इनके दौलत से ही रिश्ते हैं  l कभी ना बताते वे सच्चाई,सबकी आंखें मूंदते रहते हैं l कहां किसके पास कितना माल, ये सूंघते रहते हैं l काम नहीं कुछ करना,बस पीछे -पीछे घूमते रहते हैं l तलवे चाटते बनाते काम दौलत के पेड़े लूटते रहते हैं  l सच से कोसों दूर रखें,झूठी तारीफें करते रहते हैं  l तलवे चाटना काम इनका,दूसरों के धन पर ऐश करते हैं l लोमड़ी से चालाक, रग- रग में ये मक्कारी  से भरे रहते हैं  l तलवे चाटते लाज ना आए,जमीर बिक चुके रहते हैं  l चाटूकारों से दूर होते ,जो नेक नियत के सच्चे रहते हैं l चाटूकारों को जो ना पहचाने,उसे अक्ल के कच्चे कहते हैं l सच्चाई अप...

नशा मुक्ति

🙏🏻नशा मुक्ती नशा अमुक्त जब हो जाओगे, तब सच में सुखी हो पाओगे  l नशा को जब तुम छोड़ पाओगे, तब तन मन स्वस्थ बनाओगे l नशा करता है स्वास्थ्य का नाश, करता है सुख समृद्धि का हास l नशा सब रोगों का मूल है l समाज को चुभने वाला  शूल है l नशा मुक्ति अभियान चलाना है  l भारत को नशा मुक्त बनाना है  l जो व्यक्ति नशा करता है  l बेवक्त वह बुरी मौत मरता है l नशा का दामन छोड़ो तुम l सुख स्वास्थ्य से नाता जोड़ो तुम  l जो व्यक्ति नशा को अपनाता है l उसका जीवन श्रापित हो जाता है  l नशा खोलता है नर्क का द्वार l नशा से दूर रहने वाले होते समझदार l जो बचा कर रखते नशा से अपने आप को  l सुंदर,स्वच्छ,सभ्य, सँस्कारित बनाते समाज को l नशा से सदा बच कर रहना है  l नशा मुक्त व्यक्ति समाज का गहना है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 26/05/2022

संयुक्त परिवार

शीर्षक - संयुक्त परिवार परिवार होता,समाज की धुरी है l इसके बिना रहना बन रही मजबूरी है l खुशियों से रहता है हरदम युक्त l कहलाता है वह परिवार संयुक्त  l जब भी कोई विपत्ति आती है  l दुम दबाकर के वो भाग जाती है l विपत्ति गम देने से जाती है चूक  l जब परिवार रहते हैं संयुक्त l जहां सब आपस में मिलजुल रहते हैंl सीना तान के वे दुनिया में चलते हैं  l भूले से भी नहीं होती है उनसे कोई भूल l जहां बना रहता है परिवार संयुक्त  l हंसी ठिठोली मौज मस्ती होती रहती है  l तनाव,गम,चिंता यहाँ कोसों दूर रहती है l प्रेम जहां सबको मिलता है भरपूर  l जहां परिवार को बनाकर रखते हैं संयुक्त  l बड़ों का आदर,छोटों को प्यार मिलता है l शिक्षा सभ्यता संस्कार का गुल खिलता है  lछोटे बड़े सभी बनते हैं एक दूजे का सहारा  l ऐसा सुंदर संयुक्त परिवार है हमारा l चाचा चाची दादा-दादी मिलकर रहते हैं l खुशियां रहती,यहां गम आने को तरसते हैंl त्याग,प्रेम,करुणा,दया,संस्कार इसका मूल l जिसे दुनिया कहती है परिवार संयुक्त  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 26/...

नौतपा

🙏🏻नौ तप्पा जब ले लगे हे ये नव तप्पा l आगी बरसात हे सुरुज हा l पसीना पानी कस बोहाय l ठंढाई बर मन ह ललचाय l बरफ, ठंढा पानी ह सुहाय l छन म ठंढा पानी तीप जाय l कुकरा बासत सुरुज आए l दिन बुडत ले ए तपत जाय l भियाँ लागय तीपे तावा l बड़ सुहाय चरर्कहा आमा l केकरी, तरबूज, खरबूज ह l मन ल जी सबके अब्बड़ भावय ल दही, महि,अम्मठहा मिठाय l जब नव तप्पा आगी बरसाय l ठंढा पानी अमरीत लागय l बरफ देखके मन ललचावय l कोनों मन ल तै नई भावच l फेर तै ह बड़ जरूरी हावच l तोर तपे ले पानी बरसय l नदिया , नाला, खेत भरथे l गरमी जतका बरसत जावय l लीम के छइहा सुरता आय l नवतप्पा उतरय पानी बरसय l धरती के कोरा हरियाय l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 26/05/2022

(व्यंग,हास्य रचना ) पंछी बैठा नाक पर

 पंछी बैठा नाक पर  💐पंछी बैठा जो नाक पर, तो आंखें तिरछी हो जाए l मगन हो गए सब देखन में, तो नाक का पंछी कौन उड़ाय? दांत निपोरे सब हंस रहे l नाक बांस सी बढ़ती जाए  l बैठकर जिसमें पंछी मुस्काए l पूछ हिलाएं गाना गाए l नाक से पंछी क्यों उड़ता नहीं? बात समझ में ना आए  l जादू है क्या इस मुई नाक में, कोई तो जरा समझा कर बतलाए l पत्थर से पंछी जो मैंने भगाया  l नाक पर पकौड़ा उग आया l बुरा हो गया फिर उसका हाल  l यह तरकीब चल ना पाया  l पंछी तो भैया कब का उड़ गया l भैया नाक पकड़ के रह गया l रोये चिल्लाए मर गया हाय दैया l मुझे बचाओ ओ मोरी मैया l पंछी नहीं यह  शान है  l नाक नहीं यह  सम्मान है  l इस सम्मान को गवाएं क्यों? पंछी को नाक से उड़ाए क्यों? लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 26/05/2022

निपुण भारत गीत

🙏🏻निपुण भारत गीत हम सबका है एक ही सपना  l निपुण भारत बनाएंगे अपना  l यहाँ का हर बच्चा होगा शिक्षित, मूलभूत भाषा गणित में दीक्षित  l खेल खेल में जहां होगी पढ़ाई, अशिक्षा की कर देंगे पूर्ण विदाई  l हम सब का एक ही सपना l निपुण भारत बनाएंगे अपना l बेटी बेटा सब जाएंगे स्कूल, हर घर में खिलेगा शिक्षा का फूल l जानेंगे अपना गौरवमय इतिहास, शिक्षा के संग देंगे हम संस्कार  l हम सबका है एक ही सपना  l निपुण भारत बनाएंगे अपना  l हर तन मन में शिक्षा की ज्योति जलाएंगे, अशिक्षा का अंधियारा दूर भगाएंगे l देश का हर बच्चा खिलकर मुस्कुराएगा l खुद अपनी पहचान बनाएगा  l हम सबका है एक ही सपना  l निपुण भारत बनाएंगे अपना  l लोकेश्वरी कश्यप शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर विकासखंड मुंगेली जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 27/05/2022

जोड़ी राधे श्याम की

जोड़ी राधे श्याम की जोड़ी राधे श्याम की,जग में है अनुपम l कीर्ति जाके प्रेम की, देखे रहा संसार l बड़े मनुहार प्रेम से, बिंदि देत  भाल l है खुश राधा रानी ,कृष्ण करे सिंगार  l स्वर्ण की सुंदर मुरली, राधा पकड़े हाथ l प्रेम समाता ना मन में , जब दोनों हो साथ l मोर पंख ऐसे सोहे ,चितेरे का कलम l देखे जो प्रेम इनका , मिटे सारी जलन l खोए हैं एक दूजे में, मुखड़े पर मुस्कान  l रोमांचित तन मन है, देखे नित अपलक l श्याम मूरत मोहिनी, गले बैजंती माल l मोर पंख की लेखनी, कमल नाल सा हाथ l रह गए चित्र लिखे से,बैठ जमुना तीर l नैनो से नैना मिले, मन में खिले कमल  l शोभा राधेश्याम की, देख रही लोकेश l मन में प्रेम समाए ना, नयन से बहे धार l लीला यह है श्याम की, देख हुई निहाल  l मंत्रमुग्ध है दोनों ही, अद्भुत है रोमांच l लोकेश्वरी कश्यप,जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

आचरण

🙏🏻आचरण चेहरे पर चेहरा लगाए फिरते हैं लोग यहां l होते हैँ कुछ और दिखाते हैं कुछ और यहां  l खुद रहते हैं धोखे में सबको देते धोखा यहां l जाने छल कपट का अपनाते हैं क्यों आचरण यहाँ l करना नहीं तुम कोई ऐसा काम  यारों  l जिससे हो तेरा नाम कभी बदनाम यारों l चलना सदा ही तुम नेक राहों पर यारों l नम्र, सरल सदा अपनाना आचरण यारों l

बाल कविता 1 फल

🙏🏻फल खाओ रोज ताजे फल,बढ़ाओ खूब अकल lअमरुद,आम केला,लगा है फलों का मेला l खाओ नींबू खीरा, मारो पेट का कीड़ा l अनार,संतरा खाओ, अपना खून बढ़ाओ l नाशपाती जो खाते, बल, बुद्धि बढ़ाते l खाओ ककड़ी तरबूज दिखाओ सूझ-बुझ l सुन्दर रसीला खरबूजा, है बड़ा अजूबा l देखो लगा फलों ढेर,खाओ इनको करो न देरl लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 28/05/2022

कर्ज चुकाना है

🙏🏻शीर्षक - कर्ज चुकाना है आ गया समय,अब कुछ कर दिखाना है l कर्मवीर के चरणों तले, झुकता जमाना है l अनमोल है यह जीवन, व्यर्थ नहीं गवाना हैl मात पिता की सेवा कर, सेवा का कर्ज चुकाना है l ऋण है जो मातृभूमि का,वह कर्ज चुकाना है l आये जो अब तूफान तो,हँस कर टकराना है l रोना छोड़ अब हर हाल में हमें मुस्काना है l जो भी कर्ज है जिनका, वह कर्ज चुकाना है l ज्ञान विज्ञान से अंधविश्वास को दूर भगाना है l आधुनिकता की भेंट चढ़ते संस्कारों को बचाना है l भटक गये है जो अपने,उन्हें सही राह पे लाना है l अधूरे है जो सपने,उनको पूरा कर दिखलाना है l बेसुध है जो नशे में, उन्हें होश में लाना है l टूट रहे है जो रिश्ते,उनको दिल से बचाना है l बिछड़े हुए अपनों को,फिर से गले लगाना है l निरस होती जिंदगी, प्रेम के रंगों से सजाना है l अपने अधिकारों के लिए,आवाज उठाना है l जवाबदेही से अपने सभी कर्तव्यों को निभाना है l समस्याये जो आये तो धैर्य से सुलझाना है l रुकना नहीं हौसलों की उड़ान भरते जाना है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 28/05/2022

दिल का दर्द

🙏🏻गजल दिल का दर्द छुपाये बैठें हैं जाने कब से दिल ही में l दिल का दर्द ही तो है बताएं तो किसे बताएं  l कहने को अपना कोई भी नहीं इस भीड़ में l मोहब्बत ही तो है जताए तो किससे जताएं  l वफ़ा का मोल नहीं,बेवफाई का बाजार गर्म है दुनिया में  l बेवफाई के दौर में वफा निभाए भी तो किससे निभाए l उनके इंतजार में पलके बिछाए बैठे थे सूनी राहों में l सब्र का बांध टूटने को है दिल को कब तक सब्र दिलाए l दिल को किसी और की आरजू नहीं शिवा उनके l वो नहीं किस्मत में तेरी दिल को कैसे समझाएं  l मुद्दतों से घर किए बैठे हैं वो मेरे दिल में l मुमकिन अब कहां के दिल उनको भूल जाए l मोहब्बत के सितम से कोई बचा नहीं आज तक l दिल का दर्द ही तो है भला इससे कौन बच पाए l दो घड़ी के लिए पहलू में आकर जो वे बैठे l पता ही ना चला वक्त कैसे पल में गुजर गए  l चिलमन की ओट से उनकी नजरों से तीर चलते रहे l दिल घायल होता रहा, हम निगाहों से मय पीते गये l उनकी डोली जब उठी है नजरों के सामने से l दिल छलनी होता गया, अश्क दरिया से बहते गए l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 01/06/2022

कारवां बन ही जाएगा

कारवां बन ही जाएगा सफर जारी रहे तो कारवाँ बन ही जायेगा l कौन कितनी दूर साथ चलेगा ये वक्त बताएगा  l जिंदगी के सफर में कई पड़ाव भी आएंगे  l कहीं कांटे तो कहीं राहों में फूल मुस्कुराएगा  l किसने कहा चलना है तुझे बस पलकों की छांव में  l ये जिंदगी का सफर है अनु पैरों में छाला पड़ जाएगा l रुकना नहीं तुझे जिंदगी के सफर में किसी मोड़ पर l बस चलते जाना यह सफर तुझे मंजिल तक पहुंचाएगा l अनु हौसले मजबूत रखना जिंदगी के सफर में l यह सफर वक्त बेवक्त तेरे हौसले आजमाएगा l है कठिन पर पीठ दिखाना नहीं कभी किसी सूरत में l आएगा तूफान तेरे हौसलों से टूट के बिखर जाएगा l सफर बस चलते रहने का ही नाम नहीं है अनु l जरा सा सुस्ता लोगे तो सफर का थकान मिट जायेगा l कई लोग मिलेंगे कई लोग बिछडेंगे जिंदगी के सफर में l किसी मुकाम पे एक प्यारा हमसफर भी मिल जायेगा l तन्हा सफर किसी का कटता नहीं है इस जहां में  l कई दोस्त भी बनेंगे तेरे,कोई दुश्मन भी मिल जाएगा  l चेहरे पर सदा एक प्यारी सी निश्छल मुस्कान सजाये रखना l कर यकीन निश्चित ही खुशनुमा होगा अनु तेरा यह सफ़र l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेल...

दुश्मन

🙏🏻दुश्मन दुश्मन तो कोई नहीं इस जहाँ में अपना l बस कुछ लोगो से मेंरे विचार नहीं मिलते हैं l तोड़ा तो बहुत मेरी उम्मीदों को बेरुखी ने l जिद्दी हैं हर बार एक नई उम्मीद लगा लेते हैं l नाहक क्यों परेशान रहें चार दिन की जिंदगी में l दुश्मनी में क्या रखा, हम दोस्ती का मजा लेते हैं l इस शहर में रस्मो रिवाज,हालात अलग से हैं अनु l अजीब दस्तूर जमाने का मुस्कुराने की सजा देते हैं  l अहम् किस बात का करूं शून्य सा अस्तित्व मेरा l जो भी मिले प्यार से हम उसको गले लगा लेते हैं l गमगीन सी सूरत में क्यों फिरे महफिल में अनु l मुफ्त में मिलती मुस्कुराहट होठों में सजा लेते हैं  l कोई फन हममे कहाँ हम कोई फनकार नहीं l यूं ही बेख्याली में  कुछ गीत गुनगुना लेते हैं l किसी नें कभी अश्क बहाते हमें देखा नहीं l दिल का दर्द अनु मुस्कुरा कर  छुपा लेते हैं l हमसे दुश्मनी रखें कोई, ऐसा हमनें सुना नहीं l हुनर है हममें दुश्मनों को भी दोस्त बना लेते हैं l बे तकल्लुफ से यूं देखा ना करो हमें अनु l हम नैनो के बाण से घायल कर सजा देते हैं  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 02/06/2022

2 जून की रोटी

🙏🏻2 जून की रोटी भूखे पेट की सिसकियाँ आँखों से बरसती हैं l यहाँ 2 जून की रोटी को जिंदगी तरसती है l जेठ की दुपहरी में नंगे पाँव ग़रीबी चलती है l फिर भी दो बूंद जिंदगी की बेमोल मिलती है l महंगाई की मार गरीब की कमर तोड़ती है l घुटती जिंदगी जीने की आस भी छोड़ती है l होठों तक आकर भी मुस्कान लुटती है l बंद बोतलों में साहब यहाँ पानी बिकती है l बंजर प्यासी धरती हरियाली को तरसती हैl ठूँठ की चिड़िया जल बिन मछली सी तड़पती है l प्रदूषण की दवागनी जिंदगीया निगलती है l अनु अब तो हवा भी बंद डिब्बो में बिकती है l छोटी छोटी कोठरियों में जिंदगी सिमटती है l अपनों के प्यार के लिए बूढ़ी आँखें तरसती है l जेठ की दुपहरी में दो निवाले जुटाने जिस्में तपती है l गरीबी से उबरने में तमाम उम्र कटती है l उस दुकान का पता दे जहाँ खुशिया बिकती है l वो फनकार कहाँ है जो फटे अरमान सिलती है l छूटती,घुटती जिन्दगियाँ हर पल सिसकती है l झूलसता बचपन को मासूमियत को तरसती है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 02/06/2022

हरियाली

💐 हरियाली आज जब लेने में सुख मिलने लगा, तब कैसे मिले परमानंद व आनंद l स्वस्थ सुखी समृद्ध होगा जीवन, जब हरियाली से समृद्ध होगी धरा  l शीतल मंद सुगंधित बहेगी चहुँ ओर हवा, स्वास्थ्य शांत सबका तन मन होगा  l पंछी चहकेंगे डाली पर, वृक्ष फल फूल संग मुस्कुायगा l झूला डाले इनकी छाया तले, बच्चों का बचपन खिल खिलाएगा l हरियाली होगी जब भरपूर,   बादल खींचे चले आएंगे  l नहीं रहेगा किसान उदा, खेत खलिहान लहलहाएंगे l जब करेंगे प्रकृति का श्रृंगार, मिले स्वच्छ वातावरण उपहार l पेड़ बचाओ वृक्ष लगाओ, करे धरनी को फिर खुशहाल  l

हरी भरी वसुंधरा का उपहार

💐हरीभरी वसुंधरा का उपहार जब देने से सुख मिलता था,सबको मिलता था परमानंद  l जब लेने में सुख मिलने लगा,तब से खो गया आनंद l देने की शिक्षा पाई जिनसे,आज उन्हें ही भुला दिया l अपने ही हाथों से हमने,अपने ही जड़ को जला दिया l धरती के आभूषण को हमनें,कभी नहीं सम्मान दिया l जिनसे जीवन चलता आया,उनका ही क्यों अपमान किया ? सिलेंडरों में बंद हवा की,छीना झपटी अब क्यों कर रहे? अब स्वास स्वास दुश्वार हुई,हर पल तिल तिल मर रहे  l वृक्ष अगर ना काटे होते,दो-चार ही सही लगाए होते l आज ना यू जीवन बेबस होता,क्रंदन के अश्रु ना गिरते l नहीं हुई देर अभी भी,अब तो संभलो कुछ करो सुधार  l खुशहाल वसुंधरा करें,दे बच्चों को हरी भरी वसुधा का उपहार l स्वस्थ सुखी समृद्ध होगा जीवन,जब हरियाली से समृद्ध होगी धरा  l शीतल मंद सुगंधित बहेगी हवा,स्वस्थ,शांत सबका तन मन होगा  l पंछी चहकेंगे डाली पर,वृक्ष फल फूल संग मुस्कुायगा l झूला डाले इनकी छाया तले,बच्चों का बचपन खिल खिलाएगा l हरियाली होगी जब भरपूर,बादल खींचे चले आएंगे  l नहीं रहेगा किसान उदास,खेत खलिहान लहलहाएंगे l जब करेंगे प्रकृति का श्रृंगार,मिले...

पर्यावरण संरक्षण

💐पर्यावरण संरक्षण अगर जीवन खुशहाल बनाना है l पर्यावरण संरक्षण को अपनाना है l पर्यावरण को करके संरक्षित  l बनाएंगे सबका जीवन सुरक्षित l जब पर्यावरण में हरियाली छाएगी  l तब पूरे समाज में खुशहाली आएगी  l जल,जंगल, जमीन  को सुरक्षित करने का करो जतन l वर्ना निश्चित है पर्यावरण के साथ जीवन का पतन l साफा व सुरक्षित जो रखते हैं  पर्यावरण को  l उनके प्रयास से जीवन मिलता कई लोगों को l जब वृक्षों पर पंछियों के झुंड चहकते हैं l तब पर्यावरण में फूल खिलते व महकते हैं l जीवन को खुशहाल बनाना है l पर्यावरण को निश्चित ही बचाना है  l शुद्ध हवा, पानी को हमें नहीं तरसना है l पर्यावरण संरक्षण के लिए कमर कसना है l जल,जमीन,जंगल वसुंधरा का गहना है l इनकी सुरक्षा हेतु सदा तत्पर रहना है  l जहां साफ सुरक्षित होता है पर्यावरण  l वहाँ सुरक्षित रहता हर प्राणी का जीवन  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 03/06/2022

जल संरक्षण

विषय - जल संरक्षण 1. जब शुद्ध, संरक्षित  होगा जल l तब सुरक्षित होगा आने वाला कल l 2. साफ,सुरक्षित रखो हवा,पानी को l दस साल बढ़ाओ अपनी जवानी को  l 3. साफ बर्तन में सदा पियो साफ पानी l स्वस्थ रहने का ये नुस्खा बताएं नानी  l 4. जल के हर बूंद को करना है संरक्षित  l आने वाला कल हमारा तब होगा सुरक्षित l 5. जल को कभी व्यर्थ नहीं बहाना l वर्ना कल पड़ेगा सबको पछताना  l 6. जल संरक्षण का सब मिलकर करो उपाय l शासन भी इसके लिए कई योजना चलाय l 7. बूंद-बूंद पानी को भी बचाना है l जल संकट को दूर भगाना है l 8. बूंद -बूंद पानी का भी समझो मोल  l जल की हर बूंद होवे है अनमोल l 9. जो बचाएगा जितना जल  l उतना ही सुरक्षित होगा उसका कल  l 10. जल ही जीवन है, इसकी महिमा निराली है l जिस धरा पर जल नहीं वह जीवन से खाली है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 03/06/2022

वन है तो हम हैं

💐वन है तो हम हैं सुन लो बड़ो की बात,उनकी बात में दम है  l करो संरक्षण वनों का, वन है तो हम हैं  l शुद्ध वायु देते, देते हमको अनेकों फल हैं  l इनसे ही आकर्षित होकर आते काले धन हैं l अनेक वन्यजीवों का एकमात्र ये ही घर है l लगातार कटाई से, कम हो रहे सारे वन हैं l वनों से ही लोगों का जीवन सुखमय हैं l जहाँ वन कम है वहाँ जीवन दुखमय है l जंगल, नदी, पहाड़ धरती का आभूषण है l वन धरती स्वच्छ रखते कम करते प्रदूषण हैं l वनो में ही तो औषधियों के भंडार हैं l हरे-भरे वन करते धरती का श्रृंगार हैं l वन्य जीवों का यहां बसता पूरा परिवार है l जंगलों में पल्लवित होता उनका संसार है l सुरक्षित रहे जंगल तो मंगल ही मंगल है l यहां शेर तोते मोर हीरन भालू और बंदर है l वनों की कटाई से संकट में प्राणी का जीवन हैं l भोजन पानी की तलाश में आते गांव में जीव हैं l उजड़ रहे जंगल,हो रहा चहुँ ओर अमंगल है l लालच में अंधा मानव,बुला रहा अपना संकट है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 04/06/2022

खाद्य सुरक्षा

 खाद्य सुरक्षा  जो समझे ना कीमत भोजन की, वो ही करते है भोजन की बर्बादी l उनकी गलती की सजा भुगत रही, बहुत बड़ी मासूम भूखी आबादी  l भोजन को व्यर्थ ना करो यूँ बर्बाद, सोच समझकर  उपयोग करो l जितनी जरूरत बस उतना ही खाओ, भोजन को व्यर्थ  होने से बचाओ l हे माता अन्नपूर्णा सब पर करो इतनी दया इस धरा पर कभी कोई भूखा ना रहे l अन्न का एक दाना भी ना हो कभी बर्बाद, दाने दाने का मोल सभी यहां समझे l तीज- त्योहार या हो कोई उत्सव, हर स्थान पर हो अन्न का सम्मान l किसी का पड़ोसी कभी भूखा ना सोये, सबको मिले भोजन सदा रखें ध्यान l करती हूं मैं सब से करबद्ध निवेदन, अन्न का एक दाना भी ना कभी करना व्यर्थ l हर दाने में छुपा है किसान की कड़ी मेहनत, सम्मान करें उनकी मेहनत का जीवन पर्यंत  l सावधान! अगर करते रहे भोजन को बर्बाद, दाने-दाने मोहताज हों तरसेंगे लोग  l सुनी होगी थाली, पेट होगा खाली, सब भूख से होंगे बेदम निकलेगा ना बोल l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 07/06/2022

रक्तदान

रक्तदान  1. रक्तदान कहलाता है महादान l करता है  जीवन का कल्याण l 2. रक्तदान जो मानव करता है l कई लोगों को नव जीवन देता है l 3. किया करो प्यारे तुम भी हर माह रक्तदान l इससे प्राण बचे लोगो के, ये है महादान l 4. रक्तदान प्रतिमाह  जो करता है l नित अर्जित पुण्य वह करता है l 5. निः संकोच किया करो अपने रक्त का दान l जग में पुण्यो भरा कार्य है ये अति महान l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

अभिलाषा

शीर्षक : अभिलाषा पंछी बन उड़ जाऊ उन्मुक्त नील गगन में, खोल कर बंधे परों को गहरी साँस भरु मैं l अपने हिस्से की खुशियाँ जी भर कर जी लूँ, मन के किसी कोने में दबी ये अभिलाषा है l बेझिझक जी भर खिलखिला कर हस पाऊ, हो कोई ऐसा कोना जहाँ दर्द अपना बहा आऊl बारिश की रिमझिम बरसती बूंदो में मैं नहाऊं, मन के किसी कोने में दबी ये अभिलाषा है l तितली बन बागों में घूमू परों पर इतराऊ, भौंरा बन गुंजार करुं कमलों में छिप जाऊ l मोहन की मुरली की धुन बन सबको रिझाऊ, मन के किसी कोने में दबी ये अभिलाषा है l सागर की गहराई में गहरा गोता लगा आऊ, सूरज की किरणों संग खेलु इंद्रधनुष बन जाऊ l फूलों की खुशबु बनकर चहुँ ओर बिखर जाऊ l मन के किसी कोने में दबी ये अभिलाषा है l बचपन में जाकर मैं सखियों संग मिल आऊ l स्नेहिजनों का साथ न छूटे ऐसा क्या कर जाऊ l भोली सी मुस्कान बन सबके अधरों पर छा जाऊ l मन के किसी कोने में दबी ये अभिलाषा है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली , छत्तीसगढ़

शांति की तलाश

शांति की तलाश* शांति की चाहत तो सब करते हैं जीवन मे.  पर खुद शांत कभी नहीं रहते.  कैसे होगी इस धरा पर शांति,  जब सबके मन मे बसा अशांति ही अशांति. शांति तो मृग का कस्तूरी हो गया.  है सबके अंदर पर पाता कोई नहीं.  सब इसकी तलाश में भटक रहे हैं दर -बदर.  पर यह बाहर कहां यह तो है  अपने भीतर.  दो पल चैन से तो बैठो जरा सा मुस्कुरा कर देखो  देखो तो जरा आपके भीतर   कितनी शांति है.  दो पल बस दो पल उस परमात्मा को याद करो उससे ज्यादा अपने दिल की बात करो  देखो तो कितनी शांति है तुम्हारे भीतर  देखो तो दरवाजे पर कौन आया है  शायद किसी को आपकी मदद की जरूरत हो  उसकी जरा मदद तो करो महसूस करो फिर जी भरकर शांति  कितना सुख है इस देने में जितना देते जाओगे उतना पाते ही जाओगे   जितना दे सकते हो दो फिर देखो कैसे मिलती है शांति  किसी रूठे को मनाओ  किसी दुखिया को हंसाओ  किसी गिरे हुए को उठाओ फिर महसूस करो कितनी सुलभ हैं शांति   तलाश है तुम्हें और किस शांति की हर वो चीज जों तुझे सुकून दे सब कुछ तो ...

पिता

🙏🏻🙏🏻शीर्षक - पिता बच्चों की ख्वाहिशें पूरी न कर पाने पर छुप छुप कर रोता  l हमारे हिस्से का दुख दर्द खुद पर लेने को सदैव तैयार रहता  l ऐसे होते हैं पिता खुद से ज्यादा बच्चों और परिवार के लिए वह है जीता  l खुद के शौक को मन में छुपा कर अरमानों को रहता सीता l ऐसे होते हैं पिता  l दिन-रात परिश्रम कर कमाता फिर भी जेब रहे रीता l अपने हिस्से की खुशियाँ अपने परिवार पर निछावर करता l ऐसे होते हैं पिता l अपने सपनों को भूल कर बच्चों  के सपनों को बुनता l उनके सपनों को अपना बना पूरा करने को जी जान लगाता l ऐसे होते हैं पिता  l अपनी मुस्कुराहट के पीछे अपना हर गम छुपा लेता  l परिवार की भलाई और खुशी के लिए हर पल दुआएं करता  l ऐसे होते हैं पिता  l माँ  घर के भीतर बच्चों को प्यार दुलार लाड संभाल करती l उस घर की मजबूत नींव अपने कंधों पर हँसकर उठाता l ऐसे होते हैं पिता  l थोड़ा रौब जमाते अनुशासन से वे रहना सिखाते l जब सख्ती दिखाते धीरे से मां को कह  बच्चों को संबल दिलाते l ऐसे होते हैं पिता  l माता होती है धरती तो पिता होते हैं आसमान ...

रेल की पटरी

💐शीर्षक - रेल की पटरी तेरा मेरा साथ ऐसा,जैसे हो रेल की पटरी  l जो अलग अलग है फिर भी साथ रहते हैं l एक दूजे के साथ साथ चलते हैं समानांतर l पर कभी मिलकर भी आपस में मिलते नहीं l एक के बिना दूसरे का अस्तित्व मिट जायेगा l हमराही ना मैं कुछ पाऊंगी ना तू  पाएगा  l तेरे बिना मेरी जिंदगी का सफर ठहर जायेगा l बता तू मुझसे जुदा होकर कहां जाएगा l हमारा अस्तित्व एक दूजे के साथ है साजना l तेरे साथ ही जीना मूझे तेरे साथ ही मरना l बालम तेरे बिना मेरा अपना कोई कहीं ना l मैं हूं तेरी राधिका और तू है मेरा कृष्णा l हम दोनों का साथ ऐसा जैसे रेल की पटरीl हमारी कहानी ऐसी जैसी राधा मोहन की  l जुदा होकर भी हम कभी जुदा हुए नहीं  l बता क्या कभी घड़ी आएगी हमारे मिलन की l अब पास रहकर ये दुरी सही नहीं जाती l हरपल तुझसे मिलने बेचैनी बढ़ती जाती l तेरा विरह कृष्णा मुझे हर पल तड़पाती l तेरी प्रीत साजन मेरे रोम-रोम में समाती l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 24/06/2022

तेरा मेरा साथ

🙏🏻शीर्षक : तेरा मेरा साथ आज तुमसे करती हूँ ये वादा ये प्रीतम,मेरे हमसफ़र जब तक तेरा मेरा साथ रहेगा खुशियों का बरसात रहेगा  l एक दूजे से हमारी यूँ प्रीत की डोर बँधी है मेरे साजन l सुख दुख चाहे जो भी हों हालत, हर हाल में हमारा साथ रहेगा l

वो आता होगा

🙏🏻शीर्षक - वो आता होगा जो होगा सच्चा दीवाना प्रेम का वह प्रिय की बाट निहारता होगा l श्याम सलोने की राह देखे राधा गोरी, कि मुरली बजाता आता होगा कान्हा l देखो तो प्रसन्न बदन हो माता गौरी, शिव की पूजा हेतु सुंदर थाल सजाती है  l मन रोमांच से भर जाता है माँ का, कि वह आता होगा मेरा शिव भोला l नदी तीरे नीर भरन को जाती गोपियां, लै गगरी इत - उत देखें वें चहुँ ओर l जल्दी से जल भरकर चलो घर की ओर, कि आता होगा वह नटखट नंद किशोर l हे रे मनवा तुम मत घबराना , माना बहुत घनेरी है रात अभी l रख थोड़ा धीरज और हौसला, वो आता होगा सुनहरा उम्मीदों भरा भोर l जब नाउम्मीदी  हो अपने चरम पर, बंद हो जाए तेरे लिए जब सब दरवाजे  l तब कहीं उम्मीदों भरी एक किरण ढूंढना , रख हौसला वो आता होगा उम्मीदों का किरण l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

तन्हाई और दर्द

तन्हाई और दर्द  जैसे तन्हाई मेरा घर भूलती नहीं, वैसे दर्द मेरा पता ढूंढ ही लेते है l जिस दिन कोई दर्द ही ना हों तो, अनु जिन्दा होने में संदेह होता है l जिंदगी अधूरी सी लगती ये हमें, दर्द की इस कदर आदत हो गई है l जब तक आंखें नम ना हो जाये, अनु खुशी भी अधूरी लगती है l वह भी मेरे बिना कभी रह नहीं पाती, दर्द से जाने कैसा अंजाना रिश्ता है l जिस दिन दर्द ना हों क्या कहुँ अनु, खुशी भी दिल को चोट दें जाती है l एक ही सिक्के के दो पहलू है दोनों, एक के बिना दूसरे की पहचान नहीं l दर्द के बिना सुकून का वजूद ही कहाँ, सुकून का अहसास दर्द के बाद ही है l तेरे बिना कहीं दिल नहीं लगता मेरा, ये तन्हाई तेरी कुछ इस कदर आदत है l जब तक रहेगी जिन्दा इस जहाँ में l याद रखना अनु को तेरी चाहत है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

प्रकृति

💐शीर्षक - प्रकृति जहां सभी जीव हैं आश्रय पाते, यह है सब की भाग्य विधाता l समस्त संपदा की दाता, यह प्रकृति है हम सब की माता  l अनु इसे सदा हरी-भरी रखना, परम कर्तव्य है हमारा  l इसके आंचल में लहराए सदा, हरे भरे खेत बहे निर्मल धारा  l प्रकृति बिना था सब सूना, यह लाई संग अपने जीवन उपहार l धीरज धर कर्तव्य करे चुपचाप, ले अधरों पर मधुर मुस्कान l अनेकों नदी,पहाड़,वन- उपवन,अमूल्य निधि व खनिज भंडार  l दया, धर्म, दान, क्षमा,सहनशीलता का मिलता इससे हमें संस्कार l वन-उपवन में खिले रंग बिरंगे फूल महके गली,आंगन,खेत- खार  l मन में आनंद सबके भरे , जब बहे शीतल मंद सुगंधित बयार l गिरती है जब वर्षा की बूंदे प्रकृति खुश होकर  मुस्काती है l जब पंछी बोले, बहता झरना,तब यह मधुर तराने गाती है l सम्मान सहित रक्षा करो प्रकृति की कर लो इसका तुम मान  l यह रूठेगी तो प्रलय आएगा मत बनो तुम जानकर  अनजान  l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली ( छत्तीसगढ़ ) 26/08/2022

क्या चाहे स्त्री

💐विषय - स्त्री मन शीर्षक - क्या चाहे स्त्री बड़ा कोमल सा होता है स्त्री का मन, निश्चल होता है जैसे हो कोई दर्पण  l करती अपनी हर जिम्मेदारी को पूरी, कर देती है हँसकर सर्वस्व समर्पण l सरल सा सीधा साधा होता है उसका मन, बिल्कुल तुम्हारे हमारे ही मन की तरह  l उसका मन भी बस वही सब कुछ चाहे, जो तुम्हारे लिए चाहे तुम्हारा अपना मन l एक सुंदर,सरल,सुघड़, सुखमय जीवन, बोलो क्या नहीं चाहता है यह तुम्हारा मन l तुम अपने सपनों की खुली उड़ान चाहते, उसका मन भी अपने सपने पूरे करना चाहे l स्त्री का मन खुल कर रोना -हंसना चाहे l अपने अरमानों के परों के लिए उड़ान चाहे l सच्चे प्यार का बस सच्चा एहसास चाहे l घर परिवार में अपना भी अधिकार चाहे l अपना खोया हुआ वह सम्मान चाहे l कलंकित करने वालों हेतु तलवार चाहे  l करे जो सच्चा न्याय वो परवरदिगार चाहे l अपनी क्षमता की गहराई को नापना चाहे l सास-ससुर का स्नेह भरा लाड दुलार चाहे l जो सदा साथ निभाए ऐसा परिवार चाहे l जो दे पूरा सम्मान उसे ऐसा हमसफर चाहे l परिवार के हर लबों पर सजी मुस्कान चाहे  l करे जो उस पर यकीन वो सहारा बनना चाहे l बुझती आंखों का दीप...

सच्चा मित्र

💐🙏🏻शीर्षक -  सच्चा मित्र भले बुरे का जो भान कराए l वक्त पड़े तो वह काम आए l तर्क सहित जो सच्ची बात बताए l सच्चा मित्र बस वही कहलाए l बिगड़ी बात बनाने में लग जाए l बिन कहे पीड़ा हमारी भाप जाए l जिसका साथ हमें सुकून दिलाएं l सच्चा मित्र बस वही कहलाए l संग - संग हमारे जो मुस्कुराए  l हमारे गम में उसकी पलकें भीग जाए l कभी खुद ही माने कभी रूठ जाए  l सच्चा मित्र बस वही कहलाए l जब भी मन करे वह घर आए  l हम जो रूठे तो वह हमें मनाएं  l जब हम रोवे वह हमें हंसाए  l सच्चा मित्र बस वही कहलाए  l हमारी कमियां जो हमें बताए l उन कमियों को जो दूर कराए l मित्रता की जो मर्यादा निभाए  l सच्चा मित्र बस वही कहलाए  l जग में जो हमारा सम्मान कराए l मिलकर मित्रता का धर्म निभाए l अच्छे मार्ग पर जो हमें चलाए l सच्चा मित्र बस वही कहलाए  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 06/04/2022

नन्ही बिटिया

💐विधा - कविता विषय - चोका शीर्षक -  नन्ही बिटिया नन्ही बिटिया जादू की है पुड़िया प्यारी मुस्कान हर पीड़ा हर ले ताली बजाती सबको है रिझाती नन्हें हाथों से डाले गले में बांहे बाजे पैजन ठुमक कर चले धूल लिपटे धरा में लोट जाये माँ को सताये वो नखरे दिखाए जिद्द करती पर मान भी जाये छोटे छोटे दो वह दाँत दिखाए काजल लगे नन्ही प्यारी आँखों में जो उसे देखें हर्षित वो हो जाये प्यारी बिटिया आँखें जब नचाये दिल खुश हो जाय लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 06/04/2022

तुम्हारी यादें

💐शीर्षक - तुम्हारी यादे हर पल मुझे सताता है तु ओ सांवरे l बिन तेरे कुछ नहीं भाता है ओ बावरे l एक जगह क्यों नहीं होता तेरा ठाव रे l कृष्णा हर पल आती है तुम्हारी याद रेl सुनकर तेरी मधुर मुरलिया की धुन रे l मैं तो भूली मोहन अपना सुध - बुध रे l बंधी चली आती बांधे बिन डोर कोई रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l याद आती है पूनम कि वह मधुमास रे  l वह रात रही सब रातों से कुछ खास रे l रचाया था जब गोपियों संग महारास रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l जाकर मथुरा भूल गए तुम क्यों गांव रे  l यमुना के घाट, कदंब की शीतल छांव रे l तुझे पुकारे कान्हा गोकुल के सारे गायें रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l सूख गई गोपियों के असुवन की धार रे l पड़ी कैसी हम पर विधाता,विरह की मार रे l तेरे जाने से लुट गया कान्हा,सुख का संसार रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 08/04/2022

दो नैना

💐💐शीर्षक - दो नैना तेरे दो नैना भोले भाले, जाने क्या जादू डाले  l जो देखे इन दो नैनो में कान्हा हो जाते हैं मतवालेl घने और घुंघराले,तेरे बाल हैं लंबे काले काले l इन बालों के गुच्छो में,भंवरे करें दिन रात गुंजारे l तेरे दो नैना भोले -भाले,जाने क्या जादू डाले l सागर सी गहराई है,इन झील से दो नैनों में रे l जादूगर है तेरे दो नैना, सब पर जादू  डालें l जो भी इन आंखों में झांके,वह डूब ही जायेl तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l तेरे नैनो की जादू से कोई भी बच ना पाये l चितचोर हैं ये, सबका सुध - बुध चुरा ले जाये l तेरी मुस्कान कान्हा,तेरे नैनो में झिलमिलाये l तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l गोपियों की फोड़ गगरी,तु उनको आँख दिखाये l नटखट कान्हा बता,तुझे माखन क्यों इतना भाये l संग ग्वालो के तु कान्हा चुरा - चुरा माखन खाये l तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l जब माँ यशोदा पास तेरी कोई शिकायत लाये l भोले नैनो में तु भरके झूठे असुवन छलकाये l फिर चिढ़ाये गोपियों को इन नैनो को मटकाये l तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l राधा संग गोपियों को, नैनो ...

रामकथा सार

विधा - चोका शीर्षक - राम कथा चैत्र शुक्ल में, तिथि नवमी आयो l शुभ घड़ी में, जन्मे श्री रघुनाथ l घर-घर में, मंगल ध्वनि छाई l तारण हार, श्रीराम अवतरे l हुए हर्षित, मात-पिता समाज l स्थापित किया, धरा पर मर्यादा l गए आश्रम, गुरु से पाया ज्ञान l एकाग्र मन, लगाया वहाँ ध्यान l ताड़का मारी, प्रसन्न ऋषि गण l अहिल्या तारी, कियो पाषाण मुक्त l मिथिला गये, गुरु संग ले भ्राता l धनुष तोड़ा, गुरु आज्ञा पाकर l प्रसन्न भई, जनक सुता सीता l वरा राम को, सबका ले आशीषl विवाह हुआ, चारों भ्राताओ का भी l मंगल छायो, मिथिला अवध में l श्री सीताराम, लखन लिए संग l वे गए वन, चौदह बरस को l सीता हरण, मिला दारुण दुख l मिलन हुआ, भक्त हनुमान से        l राम सुग्रीव, बन गए वे मित्र l एक तीर से, बाली मार गिराया l राज तिलक, सुग्रीव का कराया l सीता खोज में, वानरों को पठाया l हनुमान को, निज पास बुलाया l दीया मुद्रिका, सीता को यह देना l पता लगा के, जो हनुमत आए l वानरों संग, रामेश्वरम आए l की शिव पूजा , भोले स्थापित किया l मर्यादा हेतु, सिंध...

पूनम की रात

💐शीर्षक -पूनम की रात पूनम की रात बढ़ी सुन्दर होती है l जब चांद पूरा होकर जवान होता है l हर तरफ चांदनी बिखर कर मुस्कुराती है l चाँद से इस दिन अमृत बरसता है l आसमा से जमी तक चांदनी छीटकी रहती हैl चांद अपने हुस्न पर खूब इठलाता है l प्रेमियों को पूनम की रात दीवाना बनाता है l वियोगी प्रेमियों को यही रात बड़ा तड़पाता है l पूनम की रात में चांद और चकोर बातें करते हैं  l सुख दुख की बातें आपस में साझा करते हैं l पूनम की रात में चांद बढ़कर जवां हो जाता है l फिर घटते -घटते चांद एक दिन फना हो जाता है  l पूनम का चांद यह सबक सबको सिखाता है  l जिसने घमंड किया एक दिन मिट वो जाता है l एक दिन जीवन में समय वह भी जरूर आता है l सब कुछ छोड़ इंसान मिट्टी में मिल जाता है  l पूनम की रात चांद और चांदनी की रात होती है  l सागर के सीने से ऊंची ऊंची लहरें उठती है l टकराती है जब साहिल से तेज आवाज होती है  l जब ढलती है यह रात तब लहरें भी शांत होती है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 11/04/2022

कन्यादान

🙏🏻शीर्षक - कन्यादान माता-पिता होते हैं जग में महान  l किसी के वंश वृक्ष की रक्षा को करने, अपनी प्यारी, लाडो पली बेटी को, कर देते हैं अपने से दूर, कर देते हैं कन्यादानl दिल पर अपने रख लेते हैं पत्थर  l लुटा देते हैं उस पर अपना सर्वस्व l खुद से जुदा करना होता नहीं आसान l पराये घर सौंप देते हैं उसे करके कन्यादान l मन कर उठता है उनका भी चित्कार l सबको धीरज देते छुपा आंसुओं की धार l बेटी की खुशी हेतु छोड़ देते स्वाभिमान l मन को समझा जिस पल करते कन्यादान l बेटी की खातिर करते हजारों तैयारियां l अपनी हैसियत से बढ़कर जुटाते सामान  l सोचकर बढ़ेगा बेटी का ससुराल में सम्मान  l खुशियों का ध्यान रखते करके भी कन्यादान l बेटी होती है माता-पिता का अभिमान  l स्वर्ग बन जाएगा उस पल से परिवार  l बुजुर्गों,माता-पिता का करने लगे सम्मान l अभिमान समर्पित कर वे करते कन्यादान l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 11/04/2022

शब्दों की जादूगरी भाग 1

💐गोल गोलू गिलगीला गोल गोपू पिलपिला गिलगीला गोलू गोल  पिलपिला गोल गोपू बोल l गज की गजब की है गजनी गजनी है गजब की गज की कमल कली की कमल ककड़ी कमाल की कमाल की है कमल ककड़ी कमल कली की

गर्मी

💐शीर्षक -  गर्मी चली गई सर्दी, बसंत भी देखो चला गया  l सूरज भी अब धीरे-धीरे आंख दिखाने लगा  l सूरज आता अब जल्दी,और देर से जाने लगा l गर्मी अब धीरे-धीरे सबके होश उड़ाने लगा  l सारे गर्म कपड़े अब अलमारियों में बंद हो गये l पंखा कूलर सबके घरों में शान से चलने लगे l फ्रिज में ठंडाई,आइसक्रीम,बर्फ अब जमने लगे l गर्मी के आते ही सब ठंडा पानी अब ढूंढने लगे l जिनके घर फ्रिज उनके घर महफिल सजने लगे l ठंडाई, शरबत,आइसक्रीम के दौर भी चलने लगे l पहाड़ों पर भी जमे बर्फ धीरे-धीरे पिघलने लगे l गर्मी आते ही लोग पानी की कीमत समझने लगे l ककड़ी,खीरा,तरबूज,खरबूज के भाव बढ़ने लगे l पशु-पक्षी भी पानी की खोज में अब भटकने लगे  l शाम होते ही तालाबों नदियों तीर भीड़ जमने लगे l पानी को देखते ही बच्चे खेलने को दौड़ने लगे l लोग पेड़ों पंछियों के लिए दाना पानी रखने लगे l झड़ चुके पेड़ों में अब नए कोमल पत्ते आने लगे l बंदरों के झुंड अब शहरों में घरों तक आने लगे  l गर्मी आते ही घरों में मोगरे के फूल खिलने लगे  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 12/04/2022

तेरी याद आई

🙏🏻शीर्षक  - तेरी याद आई आ जाओ अब तुम भी, की ऋतु बसंत की आई l हे मोहन हे कृष्ण कन्हाई, आ जाओ कि तेरी याद आई l तुझे पुकारे है यमुना का तट, बह चली है सुगंधित पुरवाई l भवरें भी कर रहे हैं गुंजा रे , आ जाओ कि तेरी याद आई  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

अधूरा

💐शीर्षक - अधूरा मैं रह गई अधूरी, रह गई मेरी हर चाहत अधूरी l कृष्णा तेरा साथ मिला तेरा साथ मिला वह भी अधूरा  l मिला प्रेम अधूरा, मेरा तेरा साथ अधूरा  l अरमान तो बहुत है इस दिल में, पर हर अरमान मेरी रह गई अधूरी  l सपने देखे थे क्या क्या ना पा लूंगी मैं, हौसलों की उड़ान भी भरपूर रही मेरी  l पर अपनों ने ही मेरे पंख कुछ इस तरह से कुतरे, अधूरे पंखों से परवाज मेरी रह गई अधूरी  l कई सुनहरे  सपने सजाए थे इन आंखों में, मेरे सारे सपने रह गई अधूरे l कुछ वक्त ने भी चाल ऐसी चली, किनारे पर आते-आते कश्ती मेरी डूब गई  l कृष्णा तू ने साथ दिया तो बहुत मेरा, पर तेरा साथ भी मिला मुझे अधूरा l तेरे सपने मेरी आंखों में झीलमिलाने लगे, दिल में दब के रह गए  मेरे सपने अधूरे l प्यार भी मिला तो मिला अधूरा, क्या मेरा कोई सपना कभी होगा पूरा  l अरमानों की अर्थी कंधे पर उठाये चल रही हूं, कृष्णा तेरे साथ बिना मेरी जिंदगी रहेगी अधूरी l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 14/04/2022

मेरे अपने सपने

💐शीर्षक - मेरे अपने सपने क्या- क्या ना सोचा था,क्या- क्या सपने सजाए  l जाने कितने सपने इन आंखों में झिलमिलाए l सितमगर वक्त ने कुछ ऐसे सितम ढाए हैं हमपे, रेत की तरह फिसलते गए मेरे अपने सारे सपने  l कृष्णा तेरा प्यार कुछ कम ना था मुझ पर  l पर तूने भी गैरों की तरह पलटा मार ही लिया l जब मेरे कुछ प्यारे सपने पूरे होने लगे कृष्णा l तब तूने क्यों मेरा साथ बीच  मझधार छोड़ दिया l यूं तो अकेली मैं भी चल सकती हूं जीवन की राहे l बिन तेरे किसी मंजिल पर पहुंचना मुझे गवारा नहींl यूँ तों जिद में कर सकती हूं अपने सारे सपने पूरे  l पर मेरा कोई सपना तेरे बिना कृष्णा होता नहीं l मेरा सपना था उस मुकाम पर पहुंचे प्रेम हमारा  l तेरे मेरे प्रेम की मिसाले दे यह जमाना सारा l जाने मेरे सपनों को लग गई किस बैरन की नजर l कृष्णा क्यों तूने फेरी मुझसे अपनी प्रेम भरी नजर l सोचा था अपने सपनों को जी लूंगी जी भर के  l अपने समर्पण के आंचल में भर लूंगी तेरा प्रेम l तेरे सपनों को अपना मान मैं जीती रही कृष्णा  l पर मेरे सपनों को नहीं क्यों तूने कभी अपनाया l सोचा था जीवन में तेरा साथ म...

भविष्य के बच्चे

💐शीर्षक - भविष्य के बच्चे नहीं कोई किसी से कम,इन्हें काम करने हैं अच्छे l ये हैं बड़े तेज तर्रार समझो नहीं तुम इनको कच्चे l ये हैं दिल के साफ,मन है इनके पवित्र और सच्चे l माने कभी ना हार, ये हैं हमारे भविष्य के बच्चे l इनकी बुध्दि का लोहा माने अच्छे - अच्छे l इनसे पंगा लेने वालों के,गिला कर दे ये कच्छे l करते हैं शैतानिया हजारों हैं शरारती ये बच्चे l हरदम आगे बढ़ना इनको ये हैं भविष्य के बच्चे l महंगे है इन के खेल खिलौने खेले नहीं खेल सस्ते l इनसे भी ज्यादा भारी होते हैं इन बच्चों के बस्ते l तकनीकों के आदि हो रहे रिश्तो से दूर होते बच्चे l रिश्तो की मिठास दो इनको,ये हैं भविष्य के बच्चे l ज्ञान देना होगा परंपराओं और संस्कृतियों का इन्हें l मानवता धर्म कर्म का ज्ञान मिले तकनीकों संग इन्हें l रिश्तो की मर्यादा बता,उनका करना सम्मान सिखाएं इन्हें l दया,प्रेम,क्षमा सिखाएं ये है हमारे भविष्य के बच्चे l अपने अधूरे अरमानों को ना थोपो अपने बच्चों पर l खुश हो खेलने मुस्कुराने दो,खिल उठेंगे इनके चेहरे l वेद पुराण की बात बताओ,कहानियाँ सुनाओ अच्छे l जड़ों को इनकी मजबूत करो ये हैं भविष्य के बच्चे l लो...

मां तो बस मां होती है

💐शीर्षक - माँ तो बस मां होती है माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l माँ अन्नपूर्णा,सरस्वती,माँ दुर्गा,रमा,महाकाली है l बच्चों की खुशियां हेतु खुद को मिटा देने वाली है l माँ हमपर दया,प्रेम,करुणा, ममता लुटाने वाली है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l माँ तो है प्रकृति का रूप,वह सृष्टि चलाने वाली है l बच्चों को खुश देख के,माँ खुश हो जाने वाली है l माँ खुश है तो बच्चे की हर रोज होली, दिवाली है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l बच्चे जिनका सम्मान करें वह माँ किस्मत वाली है l बच्चे की रक्षा के लिए माँ बन जाती दुर्गा,काली है l माँ बच्चों की खुशियों की रखवाली करने वाली है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l अपनी खुशियां निछावर करे बच्चों पर,माँ दानी है l बच्चों का सदा हित चाहे जग में माँ कल्याणी है  l जैसी भी हो माँ बच्चे के लिए वह सदा ही ज्ञानी है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l जिनका कोई नहीं जग में,उनकी मां शेरावाली है l हर परिस्थिति में करती सदा बच्चों की रखवाली है l जिस घर होती नहीं...

काया बस एक वाहन

💐कया बस एक वाहन उस अजर अमर आत्मा की, यह काया बस एक वाहन  है l भोजन ही इसका ईंधन है, तय करता दूरी यह उतना ही, जितना इंसान का जीवन है l जर्जर हो जाती जब यह काया, तब बेकार हो जाता यह वाहन है l आत्मा का मात्र बस एक लक्ष्य, उस परमात्मा को पाना है l आत्मा तो एक मुसाफिर है, काया उसका मात्र एक वाहन है l उस परमात्मा तक पहुंचने में करोड़ों वाहन भी कम पड़ जाते हैं l कोई विरला ही ज्ञान भक्ति वैराग्य से, पहुंचता उसकी शरण में एक वाहन से l इस पर ना इतना घमंड किया करो, मिला यह वाहन परमपिता की कृपा से l उसकी कृपा का कुछ तो मान करो, इस वाहन से उसको पानें का ध्यान करो l चलाया करो नेक कर्म की राहों पर, यह वाहन रहे सुरक्षित इसका ध्यान रखो l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 20/04/2022

ईर्ष्या

🙏🏻ईर्ष्या सह ना सके पराई उन्नति जो ईर्ष्यालु होते मन में है कुढ़ते रहते नहीं कभी चैन से लोग खून जलाते लेते ईर्ष्या का रोग पराई खुशी सहन होती नहीं मन दुखता पर खुशियां देखे स्वहित भूल खुशी लगाते दांव वक्त गंवाते अपनी उन्नति का ईर्ष्यालु लोग गड़े रहे कीच में कर्म से हीन मानव बड़ा दीन बने जग में ये उपहास पात्र धर्म विमुख हो करते कार्य ये है जो ईर्ष्यालु लोग लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 21/04/2022

घमंड

🙏🏻शीर्षक - घमंड किसी को रूप का घमंड है l किसी को पैसे का घमंड है l किसी को पद का घमंड है  l बाबूजी यह घमंड सर चढ़कर बोलता है  l घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l किसी को आन का घमंड है  l किसी को शान का घमंड है  l किसी को दान का घमंड है  l बाबू जी किसी को मान का घमंड है l घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l किसी को स्वाभिमान का घमंड है  l किसी को खानदान का घमंड है  l किसी को ऊँची उड़ान का घमंड है l बाबू जी किसी को खुले आसमान का घमंड है l घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l माँ -बाप को बच्चों का घमंड है l बच्चों को माँ -बाप का घमंड है l किसी को रिश्तो का घमंड है  l बाबूजी किसी को रिश्तेदारों का घमंड है  l घमंड अपनी ही भाषा बोलता है  l रूप बुढ़ापे में ढल जाता है  l धन कभी यहां तो कभी वहाँ चला जाता है  l रिश्ते टूट जाते हैं, रिश्तेदार खो जाते हैं l बाबूजी समय सबका घमंड तोड़ देता है l लेकिन घमंड अपनी ही भाषा बोलता हैl मानता कोई नहीं, पर सब जानते हैं  l घमंड किसी का सदा...

पंख

💐( नारी के अंतरद्वन्द व अंतर्मन की पीड़ा का वर्णन ) शीर्षक - पंख उस देलेवाले नें कोई कमी नहीं की, मूझे भी मिले खूबसूरत अरमानों भरें पंख l मेरे लिए भी उसने बनाया खुला उन्मुक्त गगन, दी मूझे भी सोचने विचारने की शक्ति, वही अहसास भरा दिल, पंचतत्त्व का शरीर, सबकुछ देकर उसने मूझे भेजा धरा पर, डरी, सहमी, हर्ष लिए आई यहाँ पर मैं, मिला संरक्षण, स्नेहिल माता -पिता का, जो उनके बस में था, सब हमपर निछावर कियाl दिल पर पत्थर रख माता-पिता नें कन्यादान किया l समाज की रीत निभाने सौप दिया किसी को, सर झुका चल दिए उनके पीछे चुपचाप, वहाँ नहीं मिला हमें वो खुला आसमान, जहाँ अरमानों के पंख फैला गहरी साँस भर सके, अपनी अभिलाषाओ को पूरा कर सके l धीरे - धीरे हमारी चाहतों के पंख उखड़ने लगे, जिनपे हमनें अपने से ज्यादा यकीन किया, जिन्हें प्यार से अपने सारे सपने सौप दिए, अपने मतलब की कैंची से उसनें ही, मेरे अरमान भरे पंख काट डाले l मैं निष्तब्ध देखती रही मूक दर्शक बन, आंसुओं से भीगता रहा मेरा आँचल, पीड़ा से तड़पती रही मैं, मेरी ही सिसकियो में दब गई मेरी तड़पन l कभी किसी नें पूछी नहीं मेरी पसंद, महसूस नहीं किया कभी मेरी अनक...

आदर्श पिता

🙏🏻आदर्श पिता हर पिता होता है अपने बच्चों के लिए आदर्श l क्योंकि वह करता है अपने बच्चों के लिए संघर्ष  l करता है कठिन परिश्रम वह दिन रात l बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है उसे दिन रात l अपने अरमानों को भूल बच्चों की ख्वाहिश करते पूरी l अपनी खुद की चाहत छोड़ देते हैं अधूरी  l बच्चों की मुस्कुराहट देख मुस्कुरा लेते हैं वे l अपना दर्द बच्चों से कितनी सफाई से छुपा लेते हैं वे l बच्चों की जरूरतें पूरी करते अपनी जरूरत भूल जाते हैं l वही बच्चे अपनी जरूरत पूरी करने उनसे दूर चले जाते हैं l पिता वह इमारत हैं जो जर्जर होकर भी बच्चों को सुरक्षा देते हैं l सारी मुश्किलें खुद सह लेते किसी पर आंच नहीं आने देते हैं l गर्मी धूप बरसात सबकी मार अकेले सहते रहते हैं l अमीर गरीब जैसे भी हो बच्चों के लिए आदर्श पिता होते हैं l पिता तो बस प्यार और सम्मान के लायक होते हैं l अपनी सेवा से जीत लो मन सेवा के हकदार होते हैं l पितृ ऋण है भारी ऋण इसे चुका ना पाओगे  l जन्म दिया हमें धरा पर लाए यह हमारे जनक हैं  l पिता सदा पितृ देवो भवह के परिचायक है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली ...

जिंदगी है एक सफर

💐 जिंदगी है एक सफर  ये जिंदगी है एक सफर, इस सफर के मुसाफिर है हम l इस सफर के पूरा होते ही, एक नये सफर में निकल जाना है l क्या खोया, क्या पाया, कुछ भी तो नहीं, जो मिला,कमाया यहीं छोड़ जाना है l चार दिनों का सफर है ये यारों, मुस्कुराकर हमें इसे पूरा कर जाना है l इस सफ़र में मुश्किलें भी बहुत है l कहीं भीड़ भरे बाजार, कहीं तन्हा सफर है l कहीं चिलचिलाती धूप है तो कहीं छांव है  l इस सफर में लगा जिंदगी का दाम है  l कोई मुस्कुराते इस सफर में चल रहा है l घायल हो चुके यहाँ कितनो के पांव है l किसी के लिए रोमांचक यह सफर  है l तो किसी के लिए संघर्षों का पार नहीं है l जरा थम जा रही, ले गहरी साँस तु, देख उस परमात्मा को आंखें बंद करके तूl तेरी सफर का वह मंजिल वह मुकाम है  l उसे पाये बिना तेरा सफर बेअंजाम है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 29/04/2022

माया

💐शीर्षक - माया  जन्म देती है सारे मोह को, यह माया बड़ी मायावी  है भैया l मुन्ना हो चाहे वो हो मुनिया, धन के पीछे भाग रही दुनिया  l भूल कर के सारे सत्कर्म मानव, जकड़ा हुआ है लालच के फेर में भैया l धन के चकाचौंध में गुम हो रहा, गांव का भोला मानस और सहरिया l यही कि माया यह यहीं रह जाएगी, साथ किसी के यह ना जाएगा भैया  l कमाते -कमाते धन और दौलत, निकली जा रही है सबकी उमरिया  l राम नाम लेने की सब सुधी, भूल बैठे बाप हो चाहे हो मैया l नाच नचाए चौसठ यह सब को, नाचे दुनिया सारी बनकर बंदरिया  l जप ले तु प्रभु का नाम, कर ले तू नेक काम भैया l माया की गठरी छूटेगी यहीं, जोड़ तु सत्कर्मों की पोटलिया l धन की सद्गति होती तभी, नेकी के काम आए जब यह भैया l इसका करें सदुपयोग हम, पकड़ कर सेवा धर्म की डगरिया  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली , छत्तीसगढ़ 30/04/2022

मेरा भारत सोने की चिड़िया

💐शीर्षक - मेरा भारत सोने की चिड़िया मेरा भारत सोने की चिड़िया, मेरे भारत की क्या बात है  l सर पर जिसके जगमग चमकता, हिमालय का स्वर्णिम ताज है  l रखवाली करता आतंकियों से, वीर जवानों का सदा साथ है l मेरा भारत सोने की चिड़िया मेरे की............1 चारों तरफ हरियाली का राज है  l सदाबहार अपना यह देश है  l हर किसी का अलग पहनावा अलग वेश हैl कहीं पर्वतों की लड़ियां तो कहीं बिखरा रेत हैl मेरा भारत सोने की चिड़िया .........2 कश्मीर को कहते सब स्वर्ग सदृश्य है  l भारत के कोने-कोने में मनोरम दृश्य है l पूर्व में सात बहनों का सुंदर संसार मिश्र है  l (मिश्र =मिला हुआ, मिश्रण ) अरुणाचल में उगते सूर्य का मनमोहक दृश्य है  l मेरा भारत सोने की चिड़िया.............3 दक्षिण में पैरों को धोता महासागरों का सरताज है l हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक फैला राज है  पूरे भारत में फैला सुंदर नदियों का जाल है  l मेरा भारत अनाजो,खनिजों से मालामाल है l मेरा भारत सोने की चिड़िया...........4 बोली यहां की भिन्न-भिन्न है,भिन्न भिन्न  है भाषाएं l खानपान भी...

प्रेम

💐शीर्षक प्रेम रिश्ता बनाए रखने के लिए प्रेम जरूरी है  l जहां प्रेम है वहां विश्वास है l जहाँ विश्वास है वहां समर्पण है l प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं होता है  l प्रेम स्वतः ही परमार्थ होता है l जहां प्रेम है वहां सदभाव है l सदभाव में ही कल्याण है  l रिश्ता बनाए रखने के लिए प्रेम जरुरी है प्रेम जीवन का आधार है  l प्रेम परमात्मा का उपहार है  l प्रेम एक पवित्र एहसास है l प्रेम अपनेपन का राज है  l प्रेम दिलों का सरताज है  l प्रेम समर्पण का आधार है l रिश्ता बनाए रखने के लिए प्रेम जरूरी है l प्रेम  फूलों की खुशबू,प्रेम बसंत की ऋतु है  l प्रेम सूरज की किरण,प्रेम चंद्रमा की शीतलता है  l प्रेम धरती की सहनशक्ति,आकाश की निर्मलता है l प्रेम जल की मिठास,प्रेम जीवन  वायु स्वास हैl लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 02/05/2022

अंशिका की बाल कविताएं 6. प्यारे चंदा मामा

💐शीर्षक - प्यारे चंदा मामा चंदा मामा प्यारे चंदा मामा  l तुम हो न्यारे,न्यारे चंदा मामा l रात में तुम आते,सबके दिलों में छा जाते l कभी तुम घटते,तो कभी तुम बढ़ते  हो l करते हो अपनी मनमानी l चंदा मामा प्यारे चंदा मामा l  सूरज दादा आते हैं अकेले,  तुम संग में मेला लाते हो l  सूरज की रोशनी से तुम चमकते,  फिर सूरज से ही क्यों घबराते हो?  चंदा मामा प्यारे चंदा मामा  l  रोज रात को हम तुम्हें देखते,  दिन में जाने कहां छुप जाते हो?  सब बच्चों को सबसे प्यारे लगते,  पर जाने क्यों इतना इतराते हो?  चंदा मामा प्यारे चंदा मामा l कु.अंशिका कश्यप कक्षा 8 वी शासकीय माध्यमिक शाला सूरजपुराकला विकास खण्ड पंडरिया जिला कबीरधाम

अंशिका की बाल कविताएं 5. सूरज दादा

शीर्षक- सूरज दादा  आओ प्यारे सूरज दादा l बड़े सवेरे तुम आ जाते  l सर्दियों में अपनी किरणों से ठंड को भगाते हो l करते हो अपनी मनमानी l गर्मियों में सबको झुलसाते हो l आओ प्यारे सूरज दादा जग से न्यारे सूरज दादा  l कु.अंशिका कश्यप कक्षा 7वी शासकीय माध्यमिक शाला सूरजपुराकला विकास खण्ड पंडरिया जिला कबीरधाम

अंशिका की बाल कविताएं 4. फूल

💐शीर्षक - फूल फूल लगाओ,घर में खुशहाली लाओ l सबको इनकी खुशबू दो  l रंग बिरंगे फूल लगाओ  l तितलियों को तुम पास बुलाओ l अपने घर आंगन को महकाओ l फूल लगाओ,घर में खुशहाली लाओ l कु.अंशिका कश्यप कक्षा 7वी शासकीय माध्यमिक शाला सूरजपुराकला विकास खण्ड पंडरिया जिला कबीरधाम

अंशिका की बाल कविताएं 3. तितली

💐शीर्षक - तितली तितली रानी तितली रानी l लगती बड़ी सुहानी तितली रानी l सुबह सवेरे उठ जाती  l फूलों का रस पी जाती  l रंग बिरंगे पंखों वाली  l सबके मन को ललचाती l खोल पंखों को उड़ जाती  l तितली रानी तितली रानी l करती अपनी मनमानी l कु.अंशिका कश्यप कक्षा 7वी शासकीय माध्यमिक शाला सूरजपुराकला विकास खण्ड पंडरिया जिला कबीरधाम

अंशिका की बाल कविताएं 2. चिड़िया

💐शीर्षक - चिड़िया रोज सवेरे उठ जाती  l ची ची ची ची शोर मचाती  l करती अपनी मनमानी l रोज सवेरे सबको जगाती  l दाना खाती पानी पीती  l पंख फैलाकर उड़ जाती l चिड़िया रानी चिड़िया रानी l तुम हो बड़ी सयानी  l कु.अंशिका कश्यप कक्षा 7वी शासकीय माध्यमिक शाला सूरजपुराकला विकास खण्ड पंडरिया जिला कबीरधाम

अंशिका की बाल कविताएं - 1. तोता

💐शीर्षक - तोता हरा हरा और भोला भाला  l नन्हा सा प्यारा तोता राजा  l मिर्ची खाता फल भी खाता  l दूध रोटी भी यह खाता  l टेटे टेटे यह करता रहता l राम राम जी यह कहता  l पिंजरे में क्यों इस को रखते हैं? पिंजरा खोलो तुम अपना l पंख फड़फड़ा कर इसको उड़ने दो l नन्हा सा प्यारा तोता राजा l कु.अंशिका कश्यप कक्षा 7वी शासकीय माध्यमिक शाला सूरजपुराकला विकास खण्ड पंडरिया जिला कबीरधाम

जननी

💐शीर्षक - जननी जननी जग से न्यारी  है l जननी सब से प्यारी है l जननी से ही जग जीवित है  l जननी बिन जग अंधियारी है l जननी को संतान प्यारी है  l जननी सब पर भारी है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻🙏🏻💐💐😊

दीवानगी

💐शीर्षक - दीवानगी दीवानों की पहचान है दीवानगी l शामिल रहती है इसमें कुछ कुछ आवारगी  l छाया रहता है एक अलग सा सुरूर तन मन में, बहका बहका सा रहता है मन सुबह-शाम l दीवानगी का आलम ही कुछ और होता है  l कोई दीवाना हुआ किसी हूर पे,मर मिटा उसके नूर पे l बन जाता है दीवाना उम्र गुजरती है दीवानगी में l कोई फ़िदा होता है दौलत पे, उसकी दीवानगी का आलम न पूछो  l दीवानगी दौलत की जब सर चढ़कर बोलती है l किसके दिल में कितना मैल, ये राज खोलती है l सत्ता के नशे में जो चूर होते हैं l वे राजनीति की गलियों में मशहूर होते हैं  l सत्ता ही उनकी दीवानगी होती है l कुछ ऐसे भी लोग जहां में होते हैं , जो खुद के ही दीवाने हुए फिरते हैं l कोई और उनको रास आता नहीं, इसीलिए कोई उनके पास जाता नहीं  l मीरा भई जोगन चढ़ा कृष्ण का रंग, देख उसकी दीवानगी दुनिया रह गई दंग l महलों की ठाठ बाट छोड़  बन गई जोगन, प्रीत के रंग रंग लिया उसने सारा जीवन l इस जग में सब दीवाने हुए फिरते हैं  l हर शख्स की दीवानगी की वजह अलग है l किसी को बोतल, किसी को दौलत की दीवानगी हैl किसी को सत्ता...

धोखा

💐शीर्षक - धोखा थी उम्र उसकी सतरा साल, रखती थी तन, मन को संभाल l खिलती कली बाबुल के बाग की, आन माँ - बाप कुल के शान की l एक दिन गली के मोड़ पे वो टकराई, जोरों से दिल धड़का वो घबराई l दो नैन मिले उसके भोले भाले से, मिलकर दो से चार हुए मतवाले से l जाने उसे क्यों वो आँखें याद आने लगी l दिल धड़कने लगा वो समझाने लगी l फिर उस मोड़ तक वो कई बार जाने लगी l उसकी आँखें वहाँ जाने क्या तलाशने लगी l उस दिन स्कुल से निकलते हुए उसने देखा l वही दो प्यारी आँखें उसे ही देख रही थी l दिल जोरों से धड़कनें लगा पाँव लड़खड़ाए l उधर आँखों में चमक, होठों पे मुस्कान थी l फिर तो वह यक बयक उससे टकराने लगा l स्कुल से घर के रास्ते में कई बार नजर आने लगा l ये इत्तेफाक था या वक्त की कोई साजिस थी l अब उसके नैन अजनबी का इंतजार करने लगे l कुछ दिनों से उसका मन उदास रहने लगा l क्योंकि अजनबी कुछ दिनों से नहीं दिखा l जाने क्या बात हुई, जाने क्या हालत हुए l कई दिन यूँ ही बीत गये उनकी मुलाक़ात हुए l उसकी नजरें हर जगह अजनबी को तलाशती रही l मन ही मन जल बिन मछली सी तड़पती रही l एक दिन गुमसुम सी वह शाला से घर जा रही थी l रास्ता सुना था और ...

रिश्तेदार

💐शीर्षक - रिश्तेदार एक कहावत बड़ी पुरानी, हमें सुनाए है दादी नानी l सुख के सब साथी दुख में न कोई, जो दुख में काम आए, सच्चा साथी बस वही  l सुख में रिश्ते बनें हजार, धन दौलत की चकाचौंध में, पराए भी बन जाए रिश्तेदार, ऐसे रिश्तेदार बस दिखावे के, ऐसे मिल जाते हैं हजार  l सच्चे रिश्तेदार होते बस वही, जो सुख दुख में सदा साथ निभाए  l सुख में आए खुशियां लेकर, दुख में दर्द बांट के जाए , सच्चे रिश्तेदार बस वही कहाए l अपने मतलब के लिए जो बने रिश्तेदार, उनसे सोच समझ कर करना तुम व्यवहार l घर आये ये जों तुम्हारे करना सत्कार l तुम ना करना किसी से बुरा व्यवहार l चाहे पराए हो वे या हो तुम्हारे रिश्तेदार l जो जैसा करेगा वैसा पाएगा  l प्रकृति करती सदा समता का व्यवहार l तुम भी प्रकृति से कुछ सीख लो, अपने पराए में भेद ना करो कभी, करो सबसे प्रेम भरा व्यवहार  l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 12/05/2022

फूलों का संसार

💐💐शीर्षक - फूलों का संसार रंग, बिरंगा, मनमोहक और मनभावन, सदा पतितपावन होता,फूलों का संसार l कमल,गुलाब,गेंदा,सूर्यमुखी, चंपा, चमेली, सारी है आपस में ये सखी - सहेली l कोमल, सुवासित, प्रसन्न सदा नई - नवली l जैसी भी हो परिस्थितियाँ रहती ये खिली खिली l रंग - रूप अनेक,जाती,खुशबु भी अनेक इनकी l प्रभु चरणों में इनको डाल करते हैँ सब विनती l रंग -खुशबु और छटा से ये सबको मोहित करते l सर्दी, धूप, बरसात सहते नियत समय पर खिलते l रोते नहीं किस्मत पे,देखा सदा हमनें इनको हँसते l इनसे बनाते इत्र, माला और बनाते हम गुलदस्ते l हर पुष्प की अपनी विशेषता,विशेष संदेश भी देते l कमल खिले कीच में, पर कीचड इसे ना छू सके l मोह माया के बीच रहो,पर मोह माया में ना पड़ो l कमल देता हमें यह लाख टके का उत्तम संदेश l गुलाब का सौंदर्य व महक सबको आकर्षित करता l अपनी सुरक्षा हेतु, काँटों के बीच खिलता महकता l अपनी सुरक्षा हेतु मर्यादा घेरे को कांटे ना समझना l ये हैँ सिर्फ तुम्हारी सुरक्षा हेतु हमसे गुलाब कहता l फूल गेंदे का सहनशील, धैर्यवान बड़ा होता l अपनी सुघड़ता और सघनता से सबको हर्षता l सहज,सस्ता, सुलभ और महा टिकाऊ ये होता ...

दर्द

💐शीर्षक - दर्द गैरों के दिए दर्द हम अक्सर भूल जाते हैं l अपनों के दिए दर्द हमें हमेशा याद आते हैं l इनसे मिले दर्द हमें हमेशा रुलाते हैं  l जाने हम कैसे दर्द भुलाने की कोशिश करते हैं l हमदर्द से मिले दर्द का नाता बहुत गहरा होता है  l दर्द किसी की सुनता नहीं है यह बहरा होता है l पराए से मिले दर्द और घाव एक दिन भर जाते हैं l अपनों से मिले दर्दे सालों साल हरे रहते हैं l दिल और दर्द का रिश्ता बड़ा गहरा होता है  l जो लगाए दिल वह दिन रात रोता रहता है  l दिल जो भर आए तो खुशी के आंसू बहाता है l जो टूट जाए दिल, तो दर्द से तड़पता रहता है l दर्द तो आखिर दर्द है यह सालता ही रहता है l दीवाना ये दिल,सीने में दर्द पालता रहता है l जब परायो से मिले धोखा,तो दर्द नहीं होता है l अपनों से मिले धोखे से दिल टूटता रहता है l आशिक जानते हैं दर्द से दिल का रिश्ता होता है l आशिक के लिए यह दर्द बड़ा मीठा होता है  l प्यार में मीठी मीठी चुभन हल्का हल्का दर्द होता हैl आशिक मरता नहीं बस दर्द से तड़पता रहता है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 13/05/2022

गरीब आदमी

🙏🏻शीर्षक - गरीब आदमी दो वक्त की रोटी पाने की खातिर, जी तोड़ मेहनत करता गरीब आदमी l रहता फटे हाल,पत्नी बच्चों के तन ढकने, सुबहो से शाम कमाता गरीब आदमी l फुर्सत कहाँ उसे जों करे इधर- उधर, राजनीती भरी बातें वह गरीब आदमी l तन का मैला और मन का उजला, सीधा -सादा,सच्चा होता गरीब आदमी l किसी और के फटे में टांग नहीं अडाता, जितना मिलता उसमे खुश रहता गरीब आदमी l जितनी चादर बस उतना ही पांव पसारे, चकाचौंध से रहता है दूर गरीब आदमी l महलों के सुन्दर सपने जो देखें वह, ऐसे तो उसके मजबूत हालत नहीं l बस सर छुपाने को इस जहान में, छोटा सा अपना आशियाना चाहे गरीब आदमी l बस जुगाड़ में उम्र तमाम फना कर जाता l रोटी,कपड़ा,मकान को तरसता गरीब आदमी l कुछ मिलता,कुछ ना मिलता पर आस में, जिंदगी भर यूँ ही जीता गरीब आदमी l रवि की आंच में तपकर,सोने सा बदन, लोहे सा टिकाऊ पर कोयला सा बन जाता l भरी जवानी में झुर्रियो का उपहार पाता, पर श्रमपथ पर अडिग चलता गरीब आदमी l किसी बड़ी खुशी की राह नहीं तकता, छोटी -छोटी खुशियों पर खुश होता गरीब आदमी l मेहनत से जी चुराता, घबराता नहीं कभी, कड़ी मेहनत करके खाता गरीब आदमी l हर काम का है वह सम्...

झरना

💐शीर्षक -झरना अपनी ही धून में, अपनी ही मस्ती में, झर- झर, झर - झर, बहता जाये झरना l गिर जाओ अगर तुम पथ पर फिर भी, हार कभी न मानना,हमसे कहता झरना l आये चाहे लाख बधाये तुम्हारी राहों में, उनसे डरकर तुम कभी कहीं रुकना नहीं l मेरी तरह तुम भी अपनी मंजिल की धुन में, बढ़ना आगे बेहिचक,हमसे कहता झरना l ऊँची - नीची, उबड़ -खाबड़ इन राहों में, जिंदगी की राहों में हमें चलना तो पड़ेगा l फिर क्यों रोकर खोना कीमती लम्हों को, खुलकर जी लो इनको, हमसे कहता झरना l कैसी हार गिरने में,हौसला बढ़ता संभलने में, गिरकर संभलने में भी सुकून भरा सुख होगा l सफलता,असफलता है बस खेल नजरिये का, सही नजरिया अपनाओं, हमसे कहता झरना l बिखर गये तो क्या,पुनः समेटो तुम खुद को, खुद को और जरा मजबूत तुम बनाओ l हर बार पहले से और निखरे नजर आओगे, खुद से जब प्रेम करोगे,हमसे कहता झरना l जीवन के हर लम्हें को,जी लो तुम मस्ती में, जाने कब किसी पल,मिट जाये तुम्हारी हस्ती l खुलकर जी लो तुम्हारे अंदर के बचपन को, हमेशा मस्त रहता बचपन,हमसे कहता झरना l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 15/05/2022

कहूँ भी तो कैसे? (युगल गीत )

मेरी प्रथम युगल गीत शीर्षक - कहुँ भी तो कैसे (लड़की ) तुझे उपवन कहुँ भी तो कई, उपवन में तितलियों का हक होता हैl तु मेरे लिए मैं तेरे लिए हूँ खास, हम दो जिस्म और एक ही जान है l तुम हो प्राण वायु,जिसे सीने में भरती तुमसे मेरी साँसो की ज्योति जलती है l (लड़का ) तुझे चाँद कहुँ भी तो कैसे, चाँद पे तो कितने दाग हैं l तु है जान मूझे जान से प्यारी, तु सारे जहाँ से लाजवाब है l तुम चाँद की कोमल शीतलता, जो मेरे जीवन में मधुरता लाती है l (लड़की ) तुझे सूरज कहुँ भी तो कैसे, सूरज में तो भरी  आग है l तेरा -मेरा रिश्ता जग में अनोखा, हमारी मोहब्बत बेहिसाब है l तुम सूरज के उजले किरणपुंज, मेरे जीवन में उजाला लाता है l (लड़का ) तुझे फूल कहुँ भी तो कैसे, फूल का तो माली ही हकदार है l तुम झुई - मुई की कोई कली नहीं, जो हाथ लगे तो मुरझाती है l तुम हो फूलों की भीनी -भीनी सुगंध, जो तन, मन, जीवन महकाती है l (लड़की ) तुझे अंबर कहुँ भी तो कैसे, धरती-अंबर का मिलन कब होता है l अंबर ऊँचा इतना हाथ से छू न सकूं, अंबर पे बदरिया छाई रहती है l तुम हो सावन का ठंडा मीठा पानी, जो मेरे जीवन को हरियाली से भरता है l लोकेश्वरी कश्...

नटखट कान्हा

💐शीर्षक - नटखट कान्हा, मधुर मुरलिया रहा बजाय l खींची जाये जब गोपियाँ,कदंब ऊपर चढ़ जाय l इत-उत ढूंढे बावरी हो, वह पत्तों में छिप जाय l छलिया, नटखट, कृष्णा, सबको बड़ा सताय l कान्हा के मोहनी मुस्कान से भला कौन बच पाय l मुरली की मधुर धुन में, भला कौन न खो जाय l जमुना तिर, कदंब के नीचे, कृष्णा जब बुलाय l कौन होगा वो बावला,जो तेरे बुलाने पर ना जाय l कान्हा तेरा चाँद सा मुखड़ा,हर पल मूझे सताय l बता मूझे तु,तेरे सिवा मूझे कुछ और क्यू न भाय l तुझ संग प्रीत लगाके मोहन, मन बड़ा पछताय l तेरे चरणकमल का भौंरा बना मन अब कहाँ जाय l नटवर है रासरचैया,सबको उँगलियों पे नचाय l वो भी नाचे तेरी धुन में, जो कभी नाच ना पाय l तेरी मोहनी माया व्यापे सबको,कोई बच ना पाय l इस माया से वही उबरे,जिसको मोहन तु ले बचाय l प्राण पखेरू तुझसे मिलने, पंख रहे फड़फड़ाय l लाख करे ये जतन, पर ये पिंजड़ा तोड़ ना पाय l धीरज धर जी में अपने, सखीयाँ रही समझाय l पाने तेरा शांति भरा आलिंगन,मन रहा छटपटाय l अंत समय आया कृष्णा,मेरा सुध -बुध रहा गवाय l बता क्या करुं मैं जतन,जो मूझे तेरे दरस हो जाय l देर न कर दे दर्शन प्यारे,प्राण पखेरू ना उड़ जाय l...

स्मृतियों के झरोखे से

🙏🏻विषय - स्मृतियों की झरोखे से स्मृतियों के झरोखे से झाँकती है, कुछ प्यारी यादें बचपन की l दीदी से रोज राम में कहानियाँ सुनना, हम भाई बहनो का आपस का वो प्यार, सारे खिलौनो को छोड़कर, किसी एक खिलौने ले लिए लड़ना, वो बार -बार शिकायत की धमकी देना, शाम को पिताजी का थैला लेने के लिए, सबसे पहले दौड़ लगाना खाई ढूंढने के लिए l (खाई =खाने की कोई चीज ) स्मृतियों के झरोखे से झाँकती है, कुछ प्यारी यादें बचपन की l वो प्यारी सखी -सहेली, जिनके संग खेला करते थे, खेल गुड्डे - गुड़ियों के l जिनके साथ सुबह झगड़ा होता था, शाम उनके साथ गले में बही डाल, घुमा करते थे मोहल्ले में l जाने कितने तरह के खेलते थे खेल l स्मृतियों के झरोखे से झाँकती है, कुछ प्यारी यादें बचपन की l माँ के पैर दर्द करने पर, झूल -झूलकर पैर दबाना माँ का मुस्काना, सर्दियों में नहीं नहाने के नहाने बनाना, गर्मियों में घंटो पानी में डुबकी लगाना, बारिशो में कीचड खेलना कागज की नाव चलना, सबकी नकल उतारना और मस्ती करना, स्मृतियों के झरोखे से झाँकती है, कुछ प्यारी यादें बचपन की l वो तितलियों को पकड़ने उनके पीछे जाना, वो छिप -छिप कर मिठाइयाँ खाना, अपनी ...

सड़क सुरक्षा

💐स्लोगन 1. सड़क पर चलते समय सदा,सुरक्षा नियमों का पालन करो l सबको सुरक्षित रहने दो, खुद की सुरक्षा का भी ध्यान करो l 2. जल्दबाजी में कभी सड़क पर चलना नहीं l सुरक्षा नियमों के पालन में कभी चुकना नहीं l 3. सड़क सुरक्षा नियमों को अपनायेगे l सबका ही जीवन सुरक्षित बनाएंगे l 4. सड़क पर चलने के भी होते हैं अपने नियम l इसके उपयोग करते समय अपनाये पूरा संयम l 5. जल्दबाजी में सड़क सुरक्षा नियमों की  करना ना तुम अनदेखी l नियमों का सभी पालन करे,याद रखें ये बात पते की l 6. सड़क सुरक्षा नियमों को जो हैं तोड़ते l अपने साथ दूसरों का भी जीवन दांव पर लगाते l 7. सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी जो करते हैं l जीवन नहीं तो हाथ - पाँव ही तुड़वाया करते हैं l 8. सड़क सुरक्षा नियम बनाये गये हैं हमारे हित के लिए l पालन करे इनका सबके सुरक्षित जीवन के लिए l 9. वादा करें सड़क सुरक्षा नियमों को अपनाएंगे l खुद का और सबका जीवन सुरक्षित बनाएंगे l 10. सड़क सुरक्षा संकेतो को अपने बच्चों को बताएंगे l उन्हें समझदार,जिम्मेदार,सुरक्षित नागरिक बनाएंगे l आओ बच्चों सड़क सुरक्षा नियमों को हम सब जाने l मिला अनमोल जीवन उसकी कीमत को पहचाने l ...

पेड़ लगाएं

💐शीर्षक - पेड़ लगाये, पर्यावरण स्वच्छ बनाये पेड़ लगा पर्यावरण को स्वच्छ बनाओ l इनसे मिलता हमको, शुद्ध प्राण वायु, शुद्ध हवा से होते स्वस्थ और चिरायु l पेड़-पौधे होते हैं जग में सदा उपकारी, इनके उपकार से जिंदा हैं दुनियाँ सारी l इनसे बड़ा कौन होगा हमारा हितकारी? इनका उपकार माने है दुनियाँ सारी, फिर भी देखो इनपर छाई है लाचारी l अपनी सुरक्षा ये स्वयं कर पाते नहीं l इनके उपकार से जीवित है सारे प्राणी, इनको नष्ट करने पर तुले अत्याचारीl जिन्हे करना चाहिए इनकी रखवाली, वही बनें सबसे बड़े इनके अहितकारी l बीज,फल,फूल,पत्ते,जड़,तना, छाली, सब अंग इनके उत्तम और लाभकारी l दुनियाँ इनकी अजब- गजब, निराली, इनसे है जीवन में हरियाली,खुशहाली l देते रहो, देने का गुण हमको सिखाते , बादलों को करें आकर्षित जल बरसातेl प्यासी धरती को हरा-भरा बनाते l अत्याचारी उपकार सारे भूल जाते, हत्या कर इनकी धरा बंजर बनाते l सब पेड़ लगाते बस फोटो खिचवाते, इनकी सुरक्षा का जिम्मा क्यों ना उठाते? पेड़ लगाओ,अपना पर्यावरण बचाओ, क्या हम बस नारा लगाते रह जायेंगे? याद रखो बस हाथ मलते रह जायेंगे, सारे अपना सर धुनेंगे और पछतयेंगे l जब समय रहते प...

(बाल कहानी)- मकड़ी का झूला

बाल पत्रिका हेतु कहानी 2 कहानी - मकड़ी का झूला बहुत समय पहले की बात है l पहले मकड़ियाँ जाले नहीं बना सकती थी l जब वें पक्षियों को पेड़ों की शाखाओं में झूलते हुए देखती थी,तो उनको बहुत अच्छा लगता था l उनका भी मन करता था कि, वह भी उनकी तरह झूला झूलनें का आनंद लें  l सभी मकड़ियों ने ब्रह्मा जी को खुश करने के लिए बहुत कठिन तपस्या की l तब ब्रह्मा जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया l अब से तुम सब खुद अपने हाथों से झूला बना पाओगी और झूले का आनंद ले पाओगी l तब से मकड़ियाँ जाला बुनने लगी और झूले का आनंद लेने लगी l लोकेश्वरी कश्यप सहायक शिक्षक (L. B.) शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर विकास खण्ड - मुंगेली जिला -मुंगेली, छत्तीसगढ़ 20/05/2022

कहानी मैं - मैं की

बच्चों की बाल पुस्तिका हेतु कहानी 1 कहानी - मैं - मैं की पहले के जमाने में बकरियाँ इंसानों की तरह बात करती थी  l  तब एक सफेद रंग की बकरी थी l वह बहुत सुंदर दिखती थी l उसे अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था l वह हर समय अपनी सुंदरता का बखान खुद करती फिरती थी l जैसे कि,मैं दुनियाँ की सबसे सुन्दर बकरी हूँ l मैं बहुत सुरीला गाती हूँ l मैं बहुत ऊँची छलांगे लगाती हूँ आदि आदि l उसकी मैं - मैं से परेशान होकर सब जानवरों नें मिलकर ब्रम्हा जी से उसकी शिकायत कर दी l ब्रह्मा जी नें  गुस्सा होकर उसे श्राप दे दिया की,अब से तुम सिर्फ मैं - मैं ही बोल पाओगी और कुछ नहीं l तब से बकरीयाँ मैं - मैं ही बोलती है l लोकेश्वरी कश्यप सहायक शिक्षक एलबी शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर विकासखंड मुंगेली जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 7869625137

लाख टके के दोहे

लाख टके के दोहे हिमालय से चली गंग, लेकर निर्मल धार l भव ताप पाप हरण को,बनी नाव-पतवार l नदी नहीं भवतारन ये,जन करती भव पार l पापनाशिन माँ गंगा, नाश करें सब पाप l हिमालय है सरताज, समझ मत बस पहाड़ l देश रक्षा में तैयार, शत्रु का जमे हाड़ l हिमालय का उपकार, भूलो मत सूजान l महिमा है अतुलित, जाने सकल जहान l औषधी की खान यहाँ,करे रोग निदान l निर्मल नदियाँ बहती , जो इसकी संतान l नदी समीप बसते जन,फले - फुले सभ्यता l जीवन में समृद्धि हो, उपजाऊ बनें धरा l सब ओर हरा - भरा हो, नीक लगता संसार l वृक्ष शुद्ध पर्यावरण दे, करते है उपहार l सूखी समृद्ध हो देश, हरियाली जब हो l उपकार है वृक्षों का, हर जन निरोग हो l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

रिश्ते

💐रिश्ते जरूरी नहीं की हर रिश्ते में प्यार ही हों  l कुछ रिश्तो में अनकही मजबूरियाँ भी होती है l कभी जब आँखों से अश्क छलक जाते है l उन्हें मुस्कुराके खुशी के आँसू बता देती है l जब कोई अपना, उसका गुनहगार होता है l उसकी जगह जाने क्यूँ खुद को सजा देती है l अनु. जाने वो किस मिट्टी की बनी होती है l अरमानों को सीने में कहीं गहरे दबा देती ये l अक्सर शून्य में वो कहीं खो सी जाती है l यादों में गुम हों खुद ही से बातें वो करती है l किसी को फुर्स्त नहीं पास बैठें दो बातें करें l चुपचाप तन्हाईयों को वो दोस्त बना लेती है l दफन कर ख़ामोशी से सीने में अरमानों को, वो अपने से जुड़े हर रिश्ते को बचा लेती है l रिश्तो में धोखा खाई फिर भी कितनी जिद्दी हैl किस आस पे हर बार सुधरने का मौका देती है l कभी अपनी खामोशी से तो कभी मुस्कुराके l हुनरमंद है रिश्तों की गरिमा को बचा लेती है l जरूरी नहीं की हर रिश्ते में प्यार ही हों, कुछ रिश्तो में अनकही मजबूरियाँ भी होती है l 11/08/2022 लोकेश्वरी कश्यप

आजादी

💐1. दिवस आजादी का पाने, लाखों देशभक्त मुस्कुराकर फांसी पर झूल गये l कुछ लोगो को बस गाँधी याद रहें, बाकि को भूल गये l 2. स्वतंत्रता का यह है पावन अवसर l स्वतंत्रता का जश्न मनाएंगे मिलकर l 3. आओ मिलकर आजादी का पर्व हम मनाते है l शहीदो के सम्मान में गर्व से सर झुकाते है l 4. यह आजादी हमको प्राणो से भी प्यारी है l इसकी खातिर पुरखों नें अपनी जान गवाई है l 5. स्वतंत्रता दिवस का करें सब सम्मान l नमन शहीदों को करें छोड़ कर अभिमान l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 14/08/2022

पर्यावरण हमारी शान

💐शीर्षक - पर्यावरण हमारी शान  जिसने सबको प्रेम भरा समर्पण दिया होकर निश्चल l क्यों घात लगाकर विदीर्ण किया सबने उसका आंचल l हम सबको मिला प्राकृतिक रूप से शुद्ध पर्यावरण l उसके लिए मिलकर करें चलो प्रकृति का  आभार प्रदर्शन  l जो मिला जितना मिला उसका करे सदा हृदय से सम्मान l तुम कैसा पर्यावरण दोगे अपने बच्चों को करो इसका ध्यान l इसे क्षति ना पहुंचाओ यह है अपने माता पिता समान  l वृक्ष - लताओं से ही तो सुंदर, जीवंत है यह संसार l इसके बिना कुछ ना होगा धरा हो जाएगी वीरान  l आओ कमर कसके, हम सब दृढ़ संकल्प कर लें l अपने घर - आंगन पर्यावरण को हरियाली से भर दें l चलो मिलकर  पुनः अपनी धरा को हरी-भरी कर दें l धरती मां को हम भी हरियाली का प्रेम भरा उपहार दें  l वायु, जल, जंगल,जमीन की मिलकर करे सुरक्षा हम l देरी है किस बात की क्यों करें किसी की प्रतीक्षा हम l आज अभी से हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा  l वृक्षारोपण कर उसकी सुरक्षा करके हरियाली को पुनः लाना होगा  l इस पुनीत कार्य का महत्व अपने बच्चों को समझाना होगा  l मिलकर हम सबको पर्यावरण की सुरक्षा क...