चाटुकार

🙏🏻शीर्षक - चाटुकार

जी हुजूरी करने वालों के आत्मसम्मान मर जाते हैं  l
काम बनाते जो जी हुजूरी से,आत्म सम्मान खो देते हैं  l
चाटुकारी करने वाले धर्म- कर्म, नीयत से कायर होते हैं l
वे मुर्ख अपने हाथों तिरस्कार का स्वयं बीज ही बोते हैं l


हां जी, हां जी में सिर हिलाते, हाथ जोड़े रहते हैं l
चाहे कुछ भी कह लो इनको बस दांत निपोरे रहते हैं l
खोकर अपना आत्मसम्मान,थोक भाव में बिकते हैं l
रिश्तों के मोल न समझे, इनके दौलत से ही रिश्ते हैं  l


कभी ना बताते वे सच्चाई,सबकी आंखें मूंदते रहते हैं l
कहां किसके पास कितना माल, ये सूंघते रहते हैं l
काम नहीं कुछ करना,बस पीछे -पीछे घूमते रहते हैं l
तलवे चाटते बनाते काम दौलत के पेड़े लूटते रहते हैं  l


सच से कोसों दूर रखें,झूठी तारीफें करते रहते हैं  l
तलवे चाटना काम इनका,दूसरों के धन पर ऐश करते हैं l
लोमड़ी से चालाक, रग- रग में ये मक्कारी  से भरे रहते हैं  l
तलवे चाटते लाज ना आए,जमीर बिक चुके रहते हैं  l


चाटूकारों से दूर होते ,जो नेक नियत के सच्चे रहते हैं l
चाटूकारों को जो ना पहचाने,उसे अक्ल के कच्चे कहते हैं l
सच्चाई अपनी जो पहचाने,चमचों से बच के रहते हैं l
बड़े बुजुर्ग भी ऐसे लोगों से बचके रहने की सलाह देते हैं  l




लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
24/09/2022

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