कुछ विचारणीय प्रश्न और उनके जवाब 1
प्रश्न और उनके जवाब
*आपके पास थोड़ा समय है*😊😊🙏
*दिनांक 29.04.2021 दिन गुरूवार के चर्चा परिचर्चा का यह अंश.....*
*केश स्टडी-1*---- *कक्षा पहली में अशोक नाम का बच्चा भर्ती होता है लेकिन तीसरी कक्षा तक पहुंचने तक शिक्षक और छात्र के बीच का अपनापन लगभग समाप्त हो जाता है, यहाँ तक कि बच्चा स्कूल आना ही बंद कर देता है!!*
*प्र.1 - अशोक स्कूल क्यों छोड़ा??*
*प्र.2 - शिक्षक द्वारा अशोक जैसे बच्चों के लिए और क्या क्या किया जा सकता था??*
*प्र.3 - जिस तरह अशोक की स्थिति थी वैसे ही नौकरी में आने के कुछ समय बाद शिक्षक की रुचि कक्षा कक्ष में कम क्यों हो जाता है?*
*प्र.4 -कक्षा कक्ष में शिक्षक की रूचि हमेशा बनी रहे इस हेतु आपके विचार!!*
*अपने विचार जरूर रखें*🙏🙏
जवाब
1. जब बच्चे स्कूल आते हैं. उन्हें लगता है कि स्कूल में भी उन्हें घर के जैसा माहौल मिलेगा जहां उन्हें खेलने कूदने अपने विचार अभिव्यक्त करने की आजादी होगी. उसे घर में जैसे बड़ों का मार्गदर्शन मिलता है स्कूल में भी मिलेगा. किंतु हमारी शाला परिसर का माहौल स्कूल से बिल्कुल भी न होता है यहां बच्चे बहुत अनुशासन में रहते हैं. हर समय शिक्षक उनके सर पर सवार रहता है. यह मत करो वह मत करो ऐसा करो वैसा करो बस करते रहते हैं. बच्चे की आजादी छिन सी जाती है. इसी क्रम में सिलसिला शुरू होता है सिखाने का. जहां बच्चों को परंपरागत पुरानी पद्धतियों के द्वारा रटन्त प्रणाली से जबरदस्ती दिखाने की कोशिश की जाती है. बच्चों को कुछ समझ में नहीं आता लेकिन वह डर में बसरट्टा लगता है दोहराता है. जब कभी वह अपनी मातृभाषा में अपने अनुभव से कोई बात कहता है तो उसे शिक्षक द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है. शिक्षक द्वारा बच्चे की भाषा बच्चों की अभिव्यक्ति को स्वीकारना करने से बचे शिक्षक के साथ आत्मीयता स्थापित नहीं कर पाते हैं. यह सिलसिला लगातार चलते रहता है तो बच्चा ही स्कूल के प्रति उदासीन हो जाता है और 1 दिन ऐसा आता है कि स्कूल आने की इच्छा बिल्कुल उसकी समाप्त हो जाती है. इस प्रकार अशोक जैसे बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं.
2.👉 शिक्षक द्वारा अशोक जैसे बच्चों के लिए कुछ इस प्रकार से कार्य किए जा सकते हैं.
👉 बच्चों को नहीं-नहीं भयमुक्त वातावरण और आत्मीयता प्रदान करें. बच्चों को यह एहसास दिलाएं कि हमें उनकी फिक्र है.
👉 बच्चों की मातृभाषा में बोले गए शब्दों को भी स्वीकार करें उनकी अभिव्यक्ति को सहज रूप से स्वीकार करते हुए उन्हें प्रेरित करें.
👉 उन्हें एहसास दिलाए की गलतियां सबसे होती है और गलती होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है इसलिए गलती होने पर घबराएं नहीं और कोशिश करते रहे.
👉 बच्चों के पूर्व अनुभव को उनके सीखने सिखाने के लिए उपयोग करें.
👉 विभिन्न प्रकार की छोटी-छोटी एक्टिविटी को कक्षा कक्षा में स्थान दें जिससे कि बच्चों की रुचि बनी रहे एवं उनमें सृजनात्मकता का विकास सहज रूप से हो सके.
👉 उनके आसपास के जीवंत उदाहरणों को कक्षा कक्षा में स्थान दे.
👉 जबरदस्ती रटने का अनावश्यक बोझ ना डाले बच्चे पर.
👉 प्रत्येक बच्चे की मौलिक क्षमता को पहचानते हुए उन्हें उसी प्रकार की गतिविधियां दे जिससे कि वे अधिक से अधिक सीख सके. एक तरह की क्षमता रखने वाले बच्चों को समूह में कार्य करने भी दिया जा सकता है.
👉 सबसे जरूरी बात बच्चों की किसी प्रश्न का उत्तर उन्हें स्वाभाविक रूप से जरूर दें उसे नजरअंदाज ना करें उसे प्रश्न पूछने से कभी ना रोके कभी गुस्सा ना करें उन पर.
👉 बच्चा जिस भाषा बोली में अपनी अभिव्यक्ति करता है उसकी उस भाषा का सम्मान अवश्य करें.
👉 अधिक से अधिक प्रिंट रिच माहौल उनके आसपास बनाए रखें.
👉 बच्चा जो भी कार्य करके लाता है जैसे कि चित्र बनाकर कुछ लिखकर तो उससे उसकी बारे में उसका व्यू उनका नजरिया अवश्य पूछें कि उसने क्या लिखा है क्या बनाया है इत्यादि.
👉 उसे स्वयं से सीखने के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराएं एवं उसे आवश्यकतानुसार समय जरूर दें. क्योंकि कोई बच्चा किसी काम को बहुत जल्दी कर सकता है और किसी कोई बच्चा उसे बहुत धीरे से भी कर सकता है.
👉 समूह में दोस्तों के साथ काम करने के लिए पढ़ने खेलने के लिए उसे अवसर प्रदान करें एवं प्रेरित करें कि वह अपने दोस्तों से बहुत कुछ सीख सकते हैं.
👉 बच्चे से उसके परिवार वालों का हाल-चाल पूछते रहे बीच-बीच में. उसके देने के रूटीन भी पूछे जिससे कि हम उसके दैनिक क्रियाकलापों की एवं परिवार की स्थिति का जानकारी हमें होता रहे. और इसका उपयोग हम सीखने सिखाने की प्रक्रिया में कर सकें.
👉 बच्चों को उनके कक्षा स्तर अनुसार गतिविधियां दें.
👉 बच्चों को प्रेरित करें कि वे खुद में हो रहे बदलाव को खुद से पता कर सके. जैसे कि हम बच्चों को एक छोटी सी एक्टिविटी बोर्ड पर करा सकते हैं. रुब्रिक्स या सारणी बनाकर.
जैसे :-कक्षा में बच्चे डांस कर सकते हैं चलिए देखते हैं.
क्र. /नाम / बहुत अच्छा / थोड़ा थोड़ा /अच्छे से नहीं
👉 बच्चों को सेंड से करके सीखने का पर्याप्त अवसर प्रदान करें.
👉 बच्चों को "इसे करो "ना कह कर "क्या आप इसको कर सकते हैं" इस प्रकार से प्रेरित करते हुए कार्य दे.
👉 गतिविधियों का चुनाव करते समय बच्चे की क्षमता उसकी रूचि का पर्याप्त ध्यान रखते हुए एक्टिविटी बनाएं.
3. जैसे बच्चे स्कूल आने से पूर्व बहुत उत्साहित रहते हैं स्कूल में कुछ नया सीखने को मिलेगा बहुत अच्छा से सीखने मिलेगा बहुत अच्छा माहौल बने होगा घर जैसा. ऐसे ही कुछ बहुत सारा उत्साह लेकर शिक्षक भी अपनी कार्य क्षेत्र अर्थात स्कूल में आते हैं. बे बहुत उत्साह के साथ अपने कार्य में जुट जाते हैं.बच्चों के साथ बहुत सारी एक्टिविटी कर
ते हैं.
हमेशा कुछ न कुछ नया ट्राई करने की कोशिश करते हैं. लेकिन जब उन्हें उनके इच्छा अनुसार परिणाम प्राप्त नहीं होते तो वे निराश हो जाते हैं. ऐसे समय में भी अपने साथ ही शिक्षकों का या फिर अपने सीनियर शिक्षकों से इस बारे में चर्चा करते हैं तो उन्हें वहां नकारात्मक प्रतिक्रियाएं ही सुनने को मिलती है जैसे कि हमने ऐसे बहुत कुछ कर के देख लिया कुछ नहीं होता. एक अकेले से करने से कुछ नहीं होता. जो सीख रहे हैं उन्हें आगे ले जाओ जो नहीं सीख रहे हैं उन पर ध्यान देना छोड़ो क्यों अपना दिमाग खराब करते हो बेवजह इनके ऊपर यह तो नहीं सीखने वाले हैं. कौन देखने आता है क्यों इतना चिंता करते हो. हम भी पहले तुम्हारी तरह बहुत करते थे पर यह से कुछ नहीं होने वाला जो चल रहा है वैसा चलने दो. ऐसे नकारात्मक विचारों से शिक्षक और भी ज्यादा उदासीन हो जाते हैं और उनकी रुचि कक्षा कक्षा में कम हो जाती हैं और वे नीरस हो जाते हैं. और जो खुद निराश हो गया हो वह दूसरों में रस कहां से उत्पन्न कर पाएगा.
4.. कक्षा कक्ष में शिक्षक की रूचि हमेशा बनी रहे इसके लिए मेरे विचार
👉. सकारात्मक नजरिया बनाए रखें.
👉 जिसे हम प्रेरित होते हैं अथवा जी से हमें प्रेरणा मिलती है हमेशा उनके संपर्क में बने रहे हैं.
👉 जो व्यक्ति सकारात्मक नजरिया रखता है उसी से परामर्श ले.
👉 अच्छी मोटिवेशनल किताबें पढ़ें. मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कहानियां भी पढ़ना भी बहुत अच्छा रहता है.
👉 बच्चों से उनके परिवार के बारे में जानकारी लेते रहे. जिसका उपयोग हम बच्चों के साथ कक्षा में सीखने सिखाने के लिए कर पाए और जिससे कि हमारी रुचि बच्चों, कक्षा कक्ष में बनी रहे.
👉 क्रिएटिवऔर क्रिटिकल थिंकिंग रखने वालों से जुड़े रहे उनके साथ बातचीत करते रहे.
👉 खुश रहने की कोशिश करें.
👉 नए-नए t.l.m. बनाने का प्रयास करते रहे.
👉 बच्चों के साथ मिलकर गतिविधियों में पार्टिसिपेट करें.
👉 क्लास में रोलप्ले की एक्टिविटी करें.
👉 यूं ही कभी बेवजह हंसने हंसाने की एक्टिविटी करें बहुत मजा आएगा.
🙏🙏🙏💐💐🍫🍫
लोकेश्वरी कश्यप
शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर
जिला मुंगेली
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