गर्मी
💐शीर्षक - गर्मी
चली गई सर्दी, बसंत भी देखो चला गया l
सूरज भी अब धीरे-धीरे आंख दिखाने लगा l
सूरज आता अब जल्दी,और देर से जाने लगा l
गर्मी अब धीरे-धीरे सबके होश उड़ाने लगा l
सारे गर्म कपड़े अब अलमारियों में बंद हो गये l
पंखा कूलर सबके घरों में शान से चलने लगे l
फ्रिज में ठंडाई,आइसक्रीम,बर्फ अब जमने लगे l
गर्मी के आते ही सब ठंडा पानी अब ढूंढने लगे l
जिनके घर फ्रिज उनके घर महफिल सजने लगे l
ठंडाई, शरबत,आइसक्रीम के दौर भी चलने लगे l
पहाड़ों पर भी जमे बर्फ धीरे-धीरे पिघलने लगे l
गर्मी आते ही लोग पानी की कीमत समझने लगे l
ककड़ी,खीरा,तरबूज,खरबूज के भाव बढ़ने लगे l
पशु-पक्षी भी पानी की खोज में अब भटकने लगे l
शाम होते ही तालाबों नदियों तीर भीड़ जमने लगे l
पानी को देखते ही बच्चे खेलने को दौड़ने लगे l
लोग पेड़ों पंछियों के लिए दाना पानी रखने लगे l
झड़ चुके पेड़ों में अब नए कोमल पत्ते आने लगे l
बंदरों के झुंड अब शहरों में घरों तक आने लगे l
गर्मी आते ही घरों में मोगरे के फूल खिलने लगे l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
12/04/2022
चली गई सर्दी, बसंत भी देखो चला गया l
सूरज भी अब धीरे-धीरे आंख दिखाने लगा l
सूरज आता अब जल्दी,और देर से जाने लगा l
गर्मी अब धीरे-धीरे सबके होश उड़ाने लगा l
सारे गर्म कपड़े अब अलमारियों में बंद हो गये l
पंखा कूलर सबके घरों में शान से चलने लगे l
फ्रिज में ठंडाई,आइसक्रीम,बर्फ अब जमने लगे l
गर्मी के आते ही सब ठंडा पानी अब ढूंढने लगे l
जिनके घर फ्रिज उनके घर महफिल सजने लगे l
ठंडाई, शरबत,आइसक्रीम के दौर भी चलने लगे l
पहाड़ों पर भी जमे बर्फ धीरे-धीरे पिघलने लगे l
गर्मी आते ही लोग पानी की कीमत समझने लगे l
ककड़ी,खीरा,तरबूज,खरबूज के भाव बढ़ने लगे l
पशु-पक्षी भी पानी की खोज में अब भटकने लगे l
शाम होते ही तालाबों नदियों तीर भीड़ जमने लगे l
पानी को देखते ही बच्चे खेलने को दौड़ने लगे l
लोग पेड़ों पंछियों के लिए दाना पानी रखने लगे l
झड़ चुके पेड़ों में अब नए कोमल पत्ते आने लगे l
बंदरों के झुंड अब शहरों में घरों तक आने लगे l
गर्मी आते ही घरों में मोगरे के फूल खिलने लगे l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
12/04/2022
Comments
Post a Comment