संयुक्त परिवार
शीर्षक - संयुक्त परिवार
परिवार होता,समाज की धुरी है l
इसके बिना रहना बन रही मजबूरी है l
खुशियों से रहता है हरदम युक्त l
कहलाता है वह परिवार संयुक्त l
जब भी कोई विपत्ति आती है l
दुम दबाकर के वो भाग जाती है l
विपत्ति गम देने से जाती है चूक l
जब परिवार रहते हैं संयुक्त l
जहां सब आपस में मिलजुल रहते हैंl
सीना तान के वे दुनिया में चलते हैं l
भूले से भी नहीं होती है उनसे कोई भूल l
जहां बना रहता है परिवार संयुक्त l
हंसी ठिठोली मौज मस्ती होती रहती है l
तनाव,गम,चिंता यहाँ कोसों दूर रहती है l
प्रेम जहां सबको मिलता है भरपूर l
जहां परिवार को बनाकर रखते हैं संयुक्त l
बड़ों का आदर,छोटों को प्यार मिलता है l
शिक्षा सभ्यता संस्कार का गुल खिलता है lछोटे बड़े सभी बनते हैं एक दूजे का सहारा l ऐसा सुंदर संयुक्त परिवार है हमारा l
चाचा चाची दादा-दादी मिलकर रहते हैं l
खुशियां रहती,यहां गम आने को तरसते हैंl
त्याग,प्रेम,करुणा,दया,संस्कार इसका मूल l
जिसे दुनिया कहती है परिवार संयुक्त l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
26/05/2022
परिवार होता,समाज की धुरी है l
इसके बिना रहना बन रही मजबूरी है l
खुशियों से रहता है हरदम युक्त l
कहलाता है वह परिवार संयुक्त l
जब भी कोई विपत्ति आती है l
दुम दबाकर के वो भाग जाती है l
विपत्ति गम देने से जाती है चूक l
जब परिवार रहते हैं संयुक्त l
जहां सब आपस में मिलजुल रहते हैंl
सीना तान के वे दुनिया में चलते हैं l
भूले से भी नहीं होती है उनसे कोई भूल l
जहां बना रहता है परिवार संयुक्त l
हंसी ठिठोली मौज मस्ती होती रहती है l
तनाव,गम,चिंता यहाँ कोसों दूर रहती है l
प्रेम जहां सबको मिलता है भरपूर l
जहां परिवार को बनाकर रखते हैं संयुक्त l
बड़ों का आदर,छोटों को प्यार मिलता है l
शिक्षा सभ्यता संस्कार का गुल खिलता है lछोटे बड़े सभी बनते हैं एक दूजे का सहारा l ऐसा सुंदर संयुक्त परिवार है हमारा l
चाचा चाची दादा-दादी मिलकर रहते हैं l
खुशियां रहती,यहां गम आने को तरसते हैंl
त्याग,प्रेम,करुणा,दया,संस्कार इसका मूल l
जिसे दुनिया कहती है परिवार संयुक्त l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
26/05/2022
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