दीवानगी

💐शीर्षक - दीवानगी

दीवानों की पहचान है दीवानगी l
शामिल रहती है इसमें कुछ कुछ आवारगी  l
छाया रहता है एक अलग सा सुरूर तन मन में,
बहका बहका सा रहता है मन सुबह-शाम l
दीवानगी का आलम ही कुछ और होता है  l
कोई दीवाना हुआ किसी हूर पे,मर मिटा उसके नूर पे l
बन जाता है दीवाना उम्र गुजरती है दीवानगी में l
कोई फ़िदा होता है दौलत पे,
उसकी दीवानगी का आलम न पूछो  l
दीवानगी दौलत की जब सर चढ़कर बोलती है l
किसके दिल में कितना मैल, ये राज खोलती है l
सत्ता के नशे में जो चूर होते हैं l
वे राजनीति की गलियों में मशहूर होते हैं  l
सत्ता ही उनकी दीवानगी होती है l
कुछ ऐसे भी लोग जहां में होते हैं ,
जो खुद के ही दीवाने हुए फिरते हैं l
कोई और उनको रास आता नहीं,
इसीलिए कोई उनके पास जाता नहीं  l
मीरा भई जोगन चढ़ा कृष्ण का रंग,
देख उसकी दीवानगी दुनिया रह गई दंग l
महलों की ठाठ बाट छोड़  बन गई जोगन,
प्रीत के रंग रंग लिया उसने सारा जीवन l
इस जग में सब दीवाने हुए फिरते हैं  l
हर शख्स की दीवानगी की वजह अलग है l
किसी को बोतल, किसी को दौलत की दीवानगी हैl
किसी को सत्ता,किसी को शोहरत की दीवानगी हैl
किसी को जिस्म,तो किसी को रूह दीवानगी है  l
किसी को रब तो किसी को सब की दीवानगी है l



लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
09/05/2022

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