नटखट कान्हा

💐शीर्षक -

नटखट कान्हा, मधुर मुरलिया रहा बजाय l
खींची जाये जब गोपियाँ,कदंब ऊपर चढ़ जाय l
इत-उत ढूंढे बावरी हो, वह पत्तों में छिप जाय l
छलिया, नटखट, कृष्णा, सबको बड़ा सताय l


कान्हा के मोहनी मुस्कान से भला कौन बच पाय l
मुरली की मधुर धुन में, भला कौन न खो जाय l
जमुना तिर, कदंब के नीचे, कृष्णा जब बुलाय l
कौन होगा वो बावला,जो तेरे बुलाने पर ना जाय l


कान्हा तेरा चाँद सा मुखड़ा,हर पल मूझे सताय l
बता मूझे तु,तेरे सिवा मूझे कुछ और क्यू न भाय l
तुझ संग प्रीत लगाके मोहन, मन बड़ा पछताय l
तेरे चरणकमल का भौंरा बना मन अब कहाँ जाय l


नटवर है रासरचैया,सबको उँगलियों पे नचाय l
वो भी नाचे तेरी धुन में, जो कभी नाच ना पाय l
तेरी मोहनी माया व्यापे सबको,कोई बच ना पाय l
इस माया से वही उबरे,जिसको मोहन तु ले बचाय l


प्राण पखेरू तुझसे मिलने, पंख रहे फड़फड़ाय l
लाख करे ये जतन, पर ये पिंजड़ा तोड़ ना पाय l
धीरज धर जी में अपने, सखीयाँ रही समझाय l
पाने तेरा शांति भरा आलिंगन,मन रहा छटपटाय l


अंत समय आया कृष्णा,मेरा सुध -बुध रहा गवाय l
बता क्या करुं मैं जतन,जो मूझे तेरे दरस हो जाय l
देर न कर दे दर्शन प्यारे,प्राण पखेरू ना उड़ जाय l
तेरे दर्शन पाकर कान्हा,जीवन मेरा धन्य हो जाय l


लोकरश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़
07/05/2022

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