(व्यंग,हास्य रचना ) पंछी बैठा नाक पर


 पंछी बैठा नाक पर 

💐पंछी बैठा जो नाक पर,
तो आंखें तिरछी हो जाए l
मगन हो गए सब देखन में,
तो नाक का पंछी कौन उड़ाय?


दांत निपोरे सब हंस रहे l
नाक बांस सी बढ़ती जाए  l
बैठकर जिसमें पंछी मुस्काए l
पूछ हिलाएं गाना गाए l


नाक से पंछी क्यों उड़ता नहीं?
बात समझ में ना आए  l
जादू है क्या इस मुई नाक में,
कोई तो जरा समझा कर बतलाए l


पत्थर से पंछी जो मैंने भगाया  l
नाक पर पकौड़ा उग आया l
बुरा हो गया फिर उसका हाल  l
यह तरकीब चल ना पाया  l


पंछी तो भैया कब का उड़ गया l
भैया नाक पकड़ के रह गया l
रोये चिल्लाए मर गया हाय दैया l
मुझे बचाओ ओ मोरी मैया l



पंछी नहीं यह  शान है  l
नाक नहीं यह  सम्मान है  l
इस सम्मान को गवाएं क्यों?
पंछी को नाक से उड़ाए क्यों?



लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
26/05/2022

Comments

Popular posts from this blog

स्कूली शिक्षा आज और कल में अंतर

तकदीर का लिखा

प्रतिवेदन श्रंखला (2)