(व्यंग,हास्य रचना ) पंछी बैठा नाक पर
पंछी बैठा नाक पर
तो आंखें तिरछी हो जाए l
मगन हो गए सब देखन में,
तो नाक का पंछी कौन उड़ाय?
दांत निपोरे सब हंस रहे l
नाक बांस सी बढ़ती जाए l
बैठकर जिसमें पंछी मुस्काए l
पूछ हिलाएं गाना गाए l
नाक से पंछी क्यों उड़ता नहीं?
बात समझ में ना आए l
जादू है क्या इस मुई नाक में,
कोई तो जरा समझा कर बतलाए l
पत्थर से पंछी जो मैंने भगाया l
नाक पर पकौड़ा उग आया l
बुरा हो गया फिर उसका हाल l
यह तरकीब चल ना पाया l
पंछी तो भैया कब का उड़ गया l
भैया नाक पकड़ के रह गया l
रोये चिल्लाए मर गया हाय दैया l
मुझे बचाओ ओ मोरी मैया l
पंछी नहीं यह शान है l
नाक नहीं यह सम्मान है l
इस सम्मान को गवाएं क्यों?
पंछी को नाक से उड़ाए क्यों?
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
26/05/2022
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