पिता

🙏🏻🙏🏻शीर्षक - पिता

बच्चों की ख्वाहिशें पूरी न कर पाने पर छुप छुप कर रोता  l
हमारे हिस्से का दुख दर्द खुद पर लेने को सदैव तैयार रहता  l
ऐसे होते हैं पिता

खुद से ज्यादा बच्चों और परिवार के लिए वह है जीता  l
खुद के शौक को मन में छुपा कर अरमानों को रहता सीता l
ऐसे होते हैं पिता  l


दिन-रात परिश्रम कर कमाता फिर भी जेब रहे रीता l
अपने हिस्से की खुशियाँ अपने परिवार पर निछावर करता l
ऐसे होते हैं पिता l


अपने सपनों को भूल कर बच्चों  के सपनों को बुनता l
उनके सपनों को अपना बना पूरा करने को जी जान लगाता l
ऐसे होते हैं पिता  l


अपनी मुस्कुराहट के पीछे अपना हर गम छुपा लेता  l
परिवार की भलाई और खुशी के लिए हर पल दुआएं करता  l
ऐसे होते हैं पिता  l


माँ  घर के भीतर बच्चों को प्यार दुलार लाड संभाल करती l
उस घर की मजबूत नींव अपने कंधों पर हँसकर उठाता l
ऐसे होते हैं पिता  l


थोड़ा रौब जमाते अनुशासन से वे रहना सिखाते l
जब सख्ती दिखाते धीरे से मां को कह  बच्चों को संबल दिलाते l
ऐसे होते हैं पिता  l



माता होती है धरती तो पिता होते हैं आसमान   l
माता- पिता के रूप में हर बच्चे को मिलते हैं स्वयं भगवान  l
माता-पिता की क्या बात कहूं जग में होते हैं वे महान  l



लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
23/06/2022

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