जोड़ी राधे श्याम की

जोड़ी राधे श्याम की

जोड़ी राधे श्याम की,जग में है अनुपम l
कीर्ति जाके प्रेम की, देखे रहा संसार l

बड़े मनुहार प्रेम से, बिंदि देत  भाल l
है खुश राधा रानी ,कृष्ण करे सिंगार  l


स्वर्ण की सुंदर मुरली, राधा पकड़े हाथ l
प्रेम समाता ना मन में , जब दोनों हो साथ l


मोर पंख ऐसे सोहे ,चितेरे का कलम l
देखे जो प्रेम इनका , मिटे सारी जलन l


खोए हैं एक दूजे में, मुखड़े पर मुस्कान  l
रोमांचित तन मन है, देखे नित अपलक l


श्याम मूरत मोहिनी, गले बैजंती माल l
मोर पंख की लेखनी, कमल नाल सा हाथ l


रह गए चित्र लिखे से,बैठ जमुना तीर l
नैनो से नैना मिले, मन में खिले कमल  l


शोभा राधेश्याम की, देख रही लोकेश l
मन में प्रेम समाए ना, नयन से बहे धार l


लीला यह है श्याम की, देख हुई निहाल  l
मंत्रमुग्ध है दोनों ही, अद्भुत है रोमांच l



लोकेश्वरी कश्यप,जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

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