नौतपा

🙏🏻नौ तप्पा

जब ले लगे हे ये नव तप्पा l
आगी बरसात हे सुरुज हा l
पसीना पानी कस बोहाय l
ठंढाई बर मन ह ललचाय l


बरफ, ठंढा पानी ह सुहाय l
छन म ठंढा पानी तीप जाय l
कुकरा बासत सुरुज आए l
दिन बुडत ले ए तपत जाय l

भियाँ लागय तीपे तावा l
बड़ सुहाय चरर्कहा आमा l
केकरी, तरबूज, खरबूज ह l
मन ल जी सबके अब्बड़ भावय ल


दही, महि,अम्मठहा मिठाय l
जब नव तप्पा आगी बरसाय l
ठंढा पानी अमरीत लागय l
बरफ देखके मन ललचावय l


कोनों मन ल तै नई भावच l
फेर तै ह बड़ जरूरी हावच l
तोर तपे ले पानी बरसय l
नदिया , नाला, खेत भरथे l


गरमी जतका बरसत जावय l
लीम के छइहा सुरता आय l
नवतप्पा उतरय पानी बरसय l
धरती के कोरा हरियाय l


लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
26/05/2022

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