प्रकृति
💐शीर्षक - प्रकृति
जहां सभी जीव हैं आश्रय पाते, यह है सब की भाग्य विधाता l
समस्त संपदा की दाता, यह प्रकृति है हम सब की माता l
अनु इसे सदा हरी-भरी रखना, परम कर्तव्य है हमारा l
इसके आंचल में लहराए सदा, हरे भरे खेत बहे निर्मल धारा l
प्रकृति बिना था सब सूना, यह लाई संग अपने जीवन उपहार l
धीरज धर कर्तव्य करे चुपचाप, ले अधरों पर मधुर मुस्कान l
अनेकों नदी,पहाड़,वन- उपवन,अमूल्य निधि व खनिज भंडार l
दया, धर्म, दान, क्षमा,सहनशीलता का मिलता इससे हमें संस्कार l
वन-उपवन में खिले रंग बिरंगे फूल महके गली,आंगन,खेत- खार l
मन में आनंद सबके भरे , जब बहे शीतल मंद सुगंधित बयार l
गिरती है जब वर्षा की बूंदे प्रकृति खुश होकर मुस्काती है l
जब पंछी बोले, बहता झरना,तब यह मधुर तराने गाती है l
सम्मान सहित रक्षा करो प्रकृति की कर लो इसका तुम मान l
यह रूठेगी तो प्रलय आएगा मत बनो तुम जानकर अनजान l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली ( छत्तीसगढ़ )
26/08/2022
जहां सभी जीव हैं आश्रय पाते, यह है सब की भाग्य विधाता l
समस्त संपदा की दाता, यह प्रकृति है हम सब की माता l
अनु इसे सदा हरी-भरी रखना, परम कर्तव्य है हमारा l
इसके आंचल में लहराए सदा, हरे भरे खेत बहे निर्मल धारा l
प्रकृति बिना था सब सूना, यह लाई संग अपने जीवन उपहार l
धीरज धर कर्तव्य करे चुपचाप, ले अधरों पर मधुर मुस्कान l
अनेकों नदी,पहाड़,वन- उपवन,अमूल्य निधि व खनिज भंडार l
दया, धर्म, दान, क्षमा,सहनशीलता का मिलता इससे हमें संस्कार l
वन-उपवन में खिले रंग बिरंगे फूल महके गली,आंगन,खेत- खार l
मन में आनंद सबके भरे , जब बहे शीतल मंद सुगंधित बयार l
गिरती है जब वर्षा की बूंदे प्रकृति खुश होकर मुस्काती है l
जब पंछी बोले, बहता झरना,तब यह मधुर तराने गाती है l
सम्मान सहित रक्षा करो प्रकृति की कर लो इसका तुम मान l
यह रूठेगी तो प्रलय आएगा मत बनो तुम जानकर अनजान l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली ( छत्तीसगढ़ )
26/08/2022
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