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Showing posts from March, 2023

अगर कलम न होती तो

🙏🏻शीर्षक - अगर कलम न होती जाने कितनी बाते अधूरी रह जाती, जाने कितने गीत अधूरे रह जाते l मन की बात मन मे ही घुट जाती, अंतस की पीड़ा उढ़ेलने वाले न होते l अगर कलम न होती तो.... मानो पंछी के पंख कुतर जाते, इंद्रधनुष के रंग बिखर जाते l दिल के अरमान हवा हो जाते, दिलों के जज्बात पन्नो मे उतारें न जाते l अगर कलम न होती तो....... किस्से न होते, फ़साने न होते, अनुभवों को पिरोने वाले न होते l पुष्प होते गुलशन मे लाखों, पर उनपे मंडराते भौंरे दीवाने न होते, अगर कलम न होती तो....... हुस्न तो होता पर प्रेयसी को, चाँद की उपमा देने वाले न होते l गुमनाम होते सारे किस्से, कहानियाँ, इनके सुनाने वाले न होते l अगर कलम न होती तो.... सुबहो -शाम, मौसम का हर अंदाज, कभी तोता - मैना को रुमानी न लगते l बागों मे बहारे तो जरूर आती, बहारो का अंदाजे बयाँ करने वाले न होते l अगर कलम न होती तो........ टूट जाते जाने कितनो के हौसले, गर उनके पास हौसला देने वाले न होते l वेद,श्रुतियाँ गुमनामी के अंधेरों मे खो जाती, आज श्रुत परम्परा कहाँ तक साथ निभाते l अगर कलम न होती तो........ बहुत कुछ जहाँ मे सबके लिए अंजाना होता, न ख़त होत

मतदान जागरूकता गीत (छत्तीसगढ़ी )

🙏🏻मतदान जागरूकता गीत (छत्तीसगढ़ी मे ) मेरी स्वरचित गीत 🙏🏻🙏🏻 (जतन करव रे मैं माटी महतारी अव सुख-दुख के संग रहिया संगवारी अव तर्ज पर) मतदान करव रे...मतदान करव रे..... मैं तुहर अधिकार तुहर हामी अव...... हामी अव..... मतदान करव संगी, जाके मतदान करव रे... (कोरस ) मतदान करके संगी छाती अपन जुड़ा लव l मतदान के महत्व संगी ल जग ल बता दव l मैं तुहर मताधिकार के चिन्हारी मैं तुहर संगी अव...... मतदान करव रे... मतदान करव रे... मैं तुहर आधिकार, तुहर हामी अव देश के कोनो रक्षक नेता ल जाके जीता लव l अपन देश के  गनतंत्र ल जावव बचा लव l मैं तुहर  अंतस के अवाज, तुहर मन के बानी अव..... मतदान करव रे... मतदान करव रे... मैं तुहर अधिकार, तुहर हामी अव.... सब्बो काम बुता ल छोड़ के तुमन जावव l अपन अंगठी म मतदान के सियाही लगवावव l मैं तुहर परजा तंत्र के रक्षक, तुहर हिरदय के पानी अव...... (पानी = मान, स्वाभिमान, सम्मान ) मतदान करव रे... मतदान करव रे.. मैं तुहर अधिकार तुहर हामी अव.... पाँच साल म आथे ये तिहार, जाके मतदान करव l मतदान तुहर धर्म ये, अपन कर्म तुमन करव l मैं हर तुहर मयारू हितैषी, मैं तुहर अंतस के हुकारु अ

मतदान जागरूकता गीत

🙏🏻मतदान जागरूकता गीत (छत्तीसगढ़ी मे ) मेरी स्वरचित गीत 🙏🏻🙏🏻 (जतन करव रे मैं माटी महतारी अव सुख-दुख के संग रहिया संगवारी अव तर्ज पर) मतदान करव रे...मतदान करव रे..... मैं तुहर अधिकार तुहर हामी अव...... हामी अव..... मतदान करव संगी, जाके मतदान करव रे... (कोरस ) मतदान करके संगी छाती अपन जुड़ा लव l मतदान के महत्व संगी ल जग ल बता दव l मैं तुहर मताधिकार के चिन्हारी मैं तुहर संगी अव...... मतदान करव रे... मतदान करव रे... मैं तुहर आधिकार, तुहर हामी अव कोनो देश के रक्षक नेता ल जाके जीता लव l अपन देश के  गनतंत्र ल जावव बचा लव l मैं तुहर  अंतस के अवाज, तुहर मन के बानी अव..... मतदान करव रे... मतदान करव रे... मैं तुहर अधिकार, तुहर हामी अव.... सब्बो काम बुता ल छोड़ के तुमन जावव l अपन अंगठी म मतदान के सियाही लगवावव l मैं तुहर परजा तंत्र के रक्षक, तुहर हिरदय के पानी अव...... (पानी = मान, स्वाभिमान, सम्मान ) मतदान करव रे... मतदान करव रे.. मैं तुहर अधिकार तुहर हामी अव.... लोकेश्वरी कश्यप छत्तीसगढ़ 29/03/2023

पिता

💐पिता पिता जी आपके आशीष की ठंडी छाँव, अब मूझे कभी कहीं मिलता नहीं l देख लिया कई शहर और गाँव, आपका खालीपन कोई भर सकता नहीं l हमारी हर समस्या का  हल, होता था सदा ही आपके पास l आपने कभी टूटने ही न दिया था, हमारे मन आशा,आस्था और विश्वास l पिता हमारे लिए सच्चे दर्पण थे आप, हमसे कहते तुम हो मेरा अभिमान l पिता जी हममें भरते रहे सारी उम्र, गौरव,आत्मविश्वास और स्वाभिमान l आपके न रहने से सब फीका और खाली, मन का एक कोना हो गया है रिक्त l आपकी गर्विली मुस्कान से खुशी होती दोगुनी, अब छोटा सा गम भी लगता है अतिरिक्त l याद आती है पिता जी आपकी हर मुस्कान, अब कौन  रखें मेरे सुख- दुख का ध्यान l आपके रहते पाया मैंने हर कहीं  सम्मान, अब पहले जैसा नहीं रहा कहीं मेरा मान l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 29/03/2023 पिता के नाम.............

जलाते जाइए

शीर्षक - दीपक जलाते जाइए चाहे कितनी भी गहरी हो रात ये मुसाफिर, हौसला न खो राह मे दीपक जलाते जाइए l टूटने अगर लगे कभी तेरा / किसी की उम्मीद , रख यकीन उसपे और कदम आगे बढ़ाते जाइए l रिश्तो मे अगर दूरियाँ आने लगी हो कहीं, कड़वाहटें भूल वाणी मे मधुरता बढ़ाते जाइए l हताशाओ से घिरे लोगो के दिलों मे, आशाओं का नन्हा दीप जलाते जाइए l डरे, कुचले, सहमे, शोषितों को और न डरा, बनके उनकी ताकत डर को भगाते जाइए l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 25/03/2023

राह मे दीपक जलाते जाइए

💐गजल - राह मे दीपक जलाते जाइए अँधेरे मे भी उजाले होंगे, राह मे दीपक जलाते जाइए l अपनों से भी ये कैसी दूरियाँ, रूठे अपनों को मनाते जाइए l डरे,कुचले व सहमे जो लोग हैं, उनके उर से डर भगाते जाइए l हौसला खो चुके कुछ मायूस दिल, वहाँ नई उम्मीद जगाते जाइए l हर मुश्किल होगी एक दिन आसान, हाथों से हाथ बढ़ाते जाइए l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 25/03/2023

नारी

💐शीर्षक नारी मात्रा भार 16 नारी की है महिमा भारी, नारी ऊपर जग बलिहारी l बेटी,बहन,पत्नी,माता हैं हर रूप  लगे इसकी न्यारी l सारे कर्तव्य निभाती हैं, संभालती सदा घर द्वारी l थक कर चूर हो जाती कहीं फिर भी लगती है वह प्यारी  l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 24/03/2023

नारी की महिमा

💐 नारी की महिमा  जगत का करती है कल्याण, नारी को न कभी सताइये l कभी जो रूठ जाये किसी बात पर, मनुहार करके उसे प्रेम से मनाइये l नारी बिन सुना है सारा जहान, नारी के संग से पूर्णता पाइये l उसे भी स्वतंत्रता सम्मान देकर, आत्मसम्मान उसका बढ़ाइये l सबकी खुशी में ही खुशी ढूंढती , उसको खुश रख दूनी खुशी पाइये l जो भी रिश्ता जो तुमसे है जुड़ा, नारी के हर रिश्ते का गौरव बढ़ाइये l बहन,बेटी,सास,बहु,पत्नी, हर संबंध प्यार से निभाइये l उनको खिलखिलाती हँसी से, अपना जीवन महकाइये l मिला है जो खुशी व सौभाग्य, नासमझ बन कभी न ठुकराइये l ममता के ही मूर्तिमान रूप है सारे, प्रेम भक्ति से इन्हें पुकार के बुलाइये l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 25/03/2023

जगदंबा (दोहा )

💐शीर्षक - जगदम्बा जगत जननी जगदंबा, माता तुझे प्रणाम l जगत में कौन न जनता,माता तेरा नाम l कार्तिक और गणेशा, है तेरे माँ लाल l हम भी तेरी संतान, हमें भी तु संभाल l तड़पती है मानवता,हर तरफ भ्रष्टाचार l मार भगा तु दानवता,ले कालिका अवतार l  तुम हो स्वयं आदिशक्ति, जग की तारणहार l करते माता सब भक्ति, तुम हो पालनहार l अष्टसिद्धि और नवनिधि, ज्ञान भक्ति दे दान l दया कर माँ जगदंबा, अपनी रचना मान l हम है मूढ़ व दिन दुखी, हमें नहीं कुछ ज्ञान l कृपा दृष्टि चाहते, करते तेरा ध्यान l दुर्गा, काली, कुष्मांडा , तेरे अनंत नाम l कण -कण में समाई माँ,हर कण तेरा धाम l शिव की शक्ति,माँ तुम हो, देती शक्ति अपार l हमें माता उबार लो, फंसे हम मझधार l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 23/03/2023

मतदान जागरूकता गीत

💐शीर्षक -मतदाता जागरूकता गीत  आओ दीदी, आओ भैया मिलकर कदम बढ़ाना है l हर मतदाता को उनके मत का महत्व बताना है l 1. बूँद - बूँद से जैसे भरता है एक घड़ा, वैसे ही एक - एक मत से यह गणतंत्र खड़ा l हर एक के मत का यहाँ समान है महत्व, किसी का मत न किसी से छोटा न किसी से बड़ा l अपने मत का महत्व नेताओं को जताना है, मतदान कर अपने गणतंत्र को मजबूत बनाना है l आओ दीदी, आओ भैया मिलकर कदम बढ़ाना है l हर मतदाता को उनके मत का महत्व बताना है l किसी के बहकावे और लालच में नहीं आना है l जो देश हित और जनहित में सारे काम करे , देश के सारे जग में ऊँचा और सुंदर नाम करे, उसके चुनावी निशान के बटन पर अंगूठा दबाना है l जन हित का ध्यान कर बस उसको ही जिताना है l अपने गणतंत्र को हमें मिलकर मजबूत बनाना है l आओ दीदी, आओ भैया मिलकर कदम बढ़ाना है l हर मतदाता को उनके मत का महत्व बताना है l मुर्गा, दारू, बर्तन,कंबल और साड़ी इनके, लालच में कभी नहीं अब किसी को फंसना है l आओ हम सब मिलकर आज यह प्रण करें, लालच से ऊपर उठ मतदान जरूर ही करना है l अगर कुछ लालच में  फिर से फंस जाओगे , यह जान लो सिर पकड़ कर फिर रोना है l आओ दीदी, आओ भैया मिल

बाल कविता संग्रह 1.

💐शीर्षक - नींबू गोल-गोल और रस भरे, हरे -हरे और पीले- पीले l लगते है बहुत ही खट्टे, छोटे - बड़े नींबू रसीले l 2. मिर्च लाल -लाल और हरे -हरे l कुछ सीधे- कुछ टेढ़े -मेढ़े l देखो कितने सारे मिर्ची फले l इन्हें न छूना ये हैं तीखे बड़े l 3. टेलीफोन ट्रिन ट्रिन बजी टेलीफोन की घंटी l सुनते ही दौड़ कर आ गया बंटी l उठाते ही बोला हल्लो बोलो कौन? उधर से बोल रहीं थी पिंकी आंटी l 4. डलिया छोटा सा प्यारा डलिया l रहता सदा यह भरा -भरा l रखती माँ इसमें फल ढेरों l आम, अमरुद,केला, संतरा l 5. मिठाई और हलवाई  बर्फी, रबड़ी और रस मलाई l और भी बहुत कुछ बनाता हलवाई l लड्डू, पेड़ा, काजू कतली, बाजार से माँ लेकर के आई l जलेबी, रसगुल्ला और मिठाई l गुलाबजामुन में गुलाब कहाँ है भाई? तरह- तरह के ये मीठे मिठाई l हलवाई ने सारी दूध से बनाई l 6. रेलगाड़ी छुक छुक चलती है रेलगाड़ी l सबको मंजिल पर पहुँचती l सिटी बजाती चलती जाती l पटरियों पर लम्बी दौड़ लगाती l वहाँ से यहाँ, यहाँ से वहाँ जाती l दुनियाँ भर की सबको सैर कराती l लोहे से बनी,कोयला / बिजली खाती l छुक छुक चलती है रेलगाड़ी l 7.चारपाई चरर्म चर्र बोले है चारपाई l खटिया भी इसको कह

बिक गये ईमान है

💐शीर्षक -  बिक गये ईमान हैं चकाचौंध की इस दुनियाँ में, यकीन किस पर करें, बेईमानी के बाजारों में आज बिक गये ईमान हैं l चेहरे पर चेहरा लगाना यहाँ आज आम बात है l आडम्बरों की दुनियाँ में, बस नुमाइशो का राज हैं l सर पर पल्लू रखना दकियानुसी लगने लगा है l फैशन के नाम पर,चीथड़ो में घूमना आज शान है l ज़िद और हौसलों की उड़ान मत पूछ ये अनु l इस ज़िद और हौसलों के आगे झुके आसमान है l हमारी संस्कृति, सभ्यता पर हंसती थी जो दुनिया l उसी के आगे सर झुकाये आज खड़ा ये जहान है l वसुधैव कुटुंबकम की भावना रखने वाला एकमात्र, मेरा भारत देश मेरा स्वाभिमान मेरी जान है  l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 18/03/2023

हलवा (बाल कविता 5)

💐शीर्षक - हलवा 1. हलवा खा लो राजा बेटा l अभी बनाया है ताजा ताजा l मुंग का बनाया है हलवा l खाओगे तो अच्छा लगेगा l 2. सूजी का हलवा मुन्नी को भाये l मजे लेकर मुन्ना भी हलवा खाये l हलवा खाकर जो ताकत आये l मुन्ना - मुन्नी दोनों ही दौड़ लगाये l 3. हलवा होता है मीठा l इसको खाते हम ताजा l नाना लाये एक बाजा l डम डम बजाये बेटा राजा l 4. हलवा खाओ सेहत बनाओ l कहते हरदम मेरे नाना हैं l राजा मीठे - मीठे हलवा का, देखो खिला- खिला हर दाना हैं l 5. मेरी माँ का बनाया हलवा l हमारे पूरे गाँव में हैं मशहूर l जिसे खाना चाहे हर कोई l हलवे की खुसबू फैले दूर -दूर l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 18/03/2023

अचार (बालकविता 4.)

💐शीर्षक - अचार 1. कच्चे कच्चे आम का अचार l लाता है मेरे मुँह में पानी l आमों में भर- भर के मसाले, अचार बनाती है मेरी नानी l 2. नीबू का अचार मूझे नहीं भाता l आम का अचार मेरा मन ललचाता l जब भी अचार खाने को मिलता l राजा बेटा चटकारे लेकर खाता l 3. खट्टे - मीठे आमों से बना l सबको अच्छा लगता है अचार l रीना, मीना, रामु, राजा, चाट- चाट कर खाते लेते डकार l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 18/03/2023

हलवाई ( बालकविता 3)

💐शीर्षक - हलवाई लड्डू,पेड़ा और मिठाई, बनाता है पतलू हलवाई l जब कोई हो तीज त्यौहार, आता याद प्यारा हलवाई l देखकर रसीली रसलाई, चुन्नू मुन्नू ने लार टपकाई l सजे हुए है दुकान में देखो, तरह -तरह की ये मिठाई l इनको बड़े ध्यान और चाव से, बनाता है पतलू हलवाई l मुँह में पानी भर आता है, जब याद आए स्वादिष्ट मिठाई l बर्फी,काजू कतली के सब दीवाने, इनके बिना अधूरी मिठाई l मीना को भाते गुलाबजामुन, टीना ने रसगुल्ले पर नजर टिकाई l जब भी हम बाजार जाते, हमें पास बुलाता है हलवाई l दिखा- दिखा कर अपनी मिठाई l हमें चखाता स्वादिष्ट मिठाई l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 18/03/2023

तितली (बाल कविता 2 )

💐शीर्षक - तितली मूझे बनना है तितली, जो उड़ती है गली - गली l सबके मन को लुभाती है, सबको लगती है बड़ी भली l मेरे भी हो प्यारे प्यारे पंख, जिनमें भरे ही कई- कई रंग l पंख पसारे उड़ती फिरूंगी, मस्त पवन के संग - संग l मैं हूँ तुम्हारी तितली रानी, सब बच्चों को बताउंगी l मैं इंद्र धनुष के रंगो से, अपने पंखो को सजाउंगी l सबका मन ललचाउंगी, रंग बिरंगे पंखो से लुभाउंगी l पुष्प- पुष्प पर मंडराऊंगी, रस पीकर गगन में उड़ जाउंगी l मूझे पकड़ने जब कोई आएगा, हाथ उनके नहीं मैं आउंगी l अपने प्यारे पंखो को खोल, मैं तो झट हवा में उड़ जाउंगी l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 18/03/2023

किसान (बाल कविता 1)

💐शीर्षक - किसान मैं हूँ एक किसान, धरती माँ का  लाल l खेती किसानी मेरा काम, आराम है मूझे हराम l धरती माता की सेवा करता, अन्न ढेरों मैं उपजाता l तरह - तरह के फल, सब्जियाँ, जो भी है तुम्हें भाता l अपनी मिट्टी से जुड़ा रहता, मेहनत से कभी जी न चुराता l सबको भरपेट भोजन देता, फिर भी रूखी - सुखी मैं खाता l खेती से है मेरा नाता, मैं देश का स्वाभिमान l पशुधन का मैं रखवाला, गौ सेवक मैं किसान l बारिस होती जब झमाझम, मेरा तन मन नाच उठता l लहलहाती पकी फसल से, मेरी मेहनत सफल हो जाता l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 18/03/2023

मौसम (मुक्तक )

💐शीर्षक - मौसम मौसम आया नवरात्रि का, भजन,गीत, जवारा गाइये l अपने भक्ति भाव से माँ को, अपने घर,जीवन में बुलाइये l माँ पर रख श्रद्धा और विश्वास, गुण माता के गाकर सुनाइये l मिलेगा निश्चित ही माँ का आशीर्वाद, उनके आगे श्रद्धा से मस्तक झुकाइये l मौसम है ऋतु परिवर्तन का, खान पान में भी परिवर्तन लाइये l शुद्ध रख भोजन, आचार - विचार, तन, मन,जीवन स्वस्थ बनाइये l जैसा भी हो मौसम खुद को, उस मौसम अनुकूल ढालिये l स्वस्थ, तन, मन जीवन का आधार, निश्चित ही इसको जानिये l चैत्र नवरात्र के इस मौसम में, भक्ति भाव से सराबोर हो जाइये l मातृ शक्ति का सम्मान करना अनु, हर घर के हर संतान को सिखाइये l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 17/03/2023

मानव (कुंडलियाँ )

💐शीर्षक - मानव 1. मानव वह ही है गुणी,बढ़ती उसकी शान l जामे होत मानवता,दया - धर्म की खान दया धर्म की खान,सीख ले गुण मानवता l सदा रह तु तैयार,सुख -दुख बाँट ले सबका l पहन भेड़ की खाल, मत बनते जा तु दानव l सत्य आचरण ढाल,महान बन जा तु मानव l 2. मानव सच्चा होत वही,सच उसकी पहचान l बकवास जो करें नहीं,देता सबको मान l देता सबको मान,सबके मन भरे खुशियाँ l अनु हृदय तु टटोल,खिलाओ मन की कलियाँ l गुण का दामन थाम,दुर्गुण का मार दानव l मन की कस तु लगाम,रचा इतिहास मानव l 3.   सलिका जीने का रखो,करो मन में विचार l बोल में मधुरता रखो, पवित्र रखना विचार l पवित्र रखना विचार,न कर तु अनुचित कामना l अनु खुद को पहचान,रख सबसे सदभावना l देगा खुशियाँ अपार,जीने का यह तरीका l पा ले सुख भंडार,सीख जीने का सलिका l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 16/03/2023

माता -पिता

💐🙏🏻शीर्षक - माता- पिता  बड़े सवेरे उठती मेरी मां, होकर प्रसन्न मन से करें स्नान l फिर करती माता पूजा व पाठ, करती माँ नित्य ही प्रभु का ध्यान  l हमें सिखाती सदा प्रेम से वह, करना सदा तुम सभी का सम्मान l बातें बताती है हमको अच्छी, देती हम सबको अच्छे संस्कार l करना मत तुम किसी की बुराई, इससे होता प्रभु का अपमान l अच्छा आचरण तुम सबसे करना, सबको अपने समान ही तु जान l हम भी सदा मात के संग- संग, करते  मिलकर पूजा और पाठ l मात-पिता की सेवा हम करते, प्रसन्न मन से सदा ही दिन-रात l पूजा पाठ से मिलती हमेशा, मन को आत्मिक बल,शांति व ज्ञान l माता पिता के रूप में ही तो, हमें सुलभ रहते सदा भगवान l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 15/03/2023

दर्द जब हद से बढ़ा

💐शीर्षक -  दर्द जब हद से बढ़ा उम्मीद नहीं इस जिंदगी से कोई, जिंदगी में कई शूल अब धंसने लगे l दर्द की कहानी क्या कहें हम किसी से, दर्द जब हद से बढ़ा तो रिसने लगे l समय निकाला ही नहीं अपनों के लिए वक्त न देने से देखो रिश्ते अब टूटने लगे l दरार न पड़ने दो नाजुक रिश्ते है, इनकी गर्माहट खोते ही दम घुटने लगे l एक जमाना हुआ अनु उनसे मिले, उनकी एक आहट के लिए तरसने लगे l टीस कुछ इस तरह बढ़ी क्या कहें, छुपे हुए दर्द भी अब कसकने लगे l जाने किस उम्मीद पर अनु, मर रहे थे पर अब हम जीने लगे  l कोई तो आस जरूर है दिल को, जो तेरे दीये हर दर्द को सहने लगे l जाने क्या कशीश है तुझमे, तेरी एक आवाज पे पिघलने लगे l तेरे हाथों का क्या कहना सजन, नर्म नर्म स्पर्श से हम मचलने लगे l उजड़ा हुआ जो उम्मीदों का पेड़ था, उनमें फिर फूल पत्ते आने लगे l जो पंछी उड़ गये थे कभी ठुठ से, वो फिर यहाँ आसियाना बसाने लगे l एक अचम्भा ऐसा हुआ अनु, रोते - रोते ही हम हँसने लगे l आँखों से बहते अश्क वही थे पर, इन अश्कों की कहानी बदलने लगे l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 11/03/2023

बेटियाँ (मुक्तक )

💐 विधा - मुक्तक शीर्षक - बेटी मात्रा भार - 18 1. बेटी होती है कुल की दीया l हमनें बेटियों को सम्मान दिया l समाज ने जो कुछ भी है पाया l सब कुछ है बस बेटियों का दिया l मात्रा भार - 18 बेटियों से चले सारा जहान l बेटियों के बिन यह सब वीरान l जो जन न दे बेटियों को सम्मान l उस नर को तुम समझो पशु समान l 3. जहाँ होता  बेटी का निरादर l सुख सौभाग्य को ढकता चादर l बेटियों को भी दो सम अधिकार l उसका जीवन खुशियों की बहार l 4. जिस घर हो बेटी के मुख मुस्कान l वह घर होता है स्वर्ग समान l बेटी की  जरूरत का रख ध्यान l बेटियों का जगाओ स्वाभिमान l 5. बेटी प्रेम,दया,करुणा खदान l रखना उसका सदा सुखी जहान l पढ़ा लिखा उसे बनाओ महान l सक्षम बना कर ही कर कन्यादान l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 10/03/2023

काशी नगरी

🙏🏻💐शीर्षक - काशी मोक्ष द्वार कहते जिसको, काशी उसका नाम l भोले का परमप्रिय है, काशी का यह धाम l मोक्ष मिलता उनको जो,लेते शिव का नाम l शिव भूमी यह पावनी, पहुँचती शिव धाम l काशी विश्वनाथ को, नमन है बारम्बार l काशी नगर में खुलता, पवित्र शिव धाम  द्वार l जो तुम चाहो सद्गती , जप लो शिव का नाम l शिव सँग काशी महिमा,शिव बिन यह गुमनाम l अंतकाल आते यहां, भजते शिव शिव नाम l शिव की दया महान है, करते सदा कल्याण l श्राद्ध कर्म करे यहाँ, मुक्ति का यहाँ धाम l पवित्र गंगा बहे सदा, कर प्रसन्न मन दान l विश्वनाथ बसते यहाँ, बहे है ज्ञान धार l करते अभिषेक शिव का,सत्यम शिव है सार l सफल होय आराधना,करे जप सुबह शाम l मन रमा करें साधना,बन जाये सब काम l काशी में आओ चले, सुमरे शिव का नाम l धर्म परायन हो सदा,हमारे सभी काम l ज्ञानी जन आते यहाँ,निर्धन पाते दान l अहम,द्वेष को छोड़ दें,करें सबका सम्मान l 04/03 /2023 लोकेश्वरी कश्यप

बालिका शिक्षा (दोहा )

शीर्षक - बालिका शिक्षा नाम करेगी बालिका, बनायगी  पहचान l मत कतरो पंख उसके, छुएगी आसमान l जमाना भी देखेगा, यहाँ उसकी उड़ान l हौसला न टूटे कभी, तुम बस रखना ध्यान l शिक्षित होयगी बालिका, मिलेगा उसे मान l छुएगी जब बुलंदिया,चलना सीना तान l हर बेटी शिक्षित होगी, रचेगी इतिहास l भूल से भी न करेगा, जग उसका परिहास l मान व सम्मान बढ़ेगा,ऊंचा होगा नाम l शिक्षा पा शिक्षित करेगी, बढ़ेगा स्वाभिमान l शिक्षित मात के ज्ञान से,मिले नेक संस्कार l नेक सब संस्कारों से,सुन्दर बने विचार l पढ़ेगी और बढ़ेगी, पायेगी अधिकार l शिक्षा ज्योति जलाएगी, मिटेगा अंधकार l भविष्य बनेगा उसका,विद्या प्रकाशवान l जीवन सुवासित होगा, जब मिले शिक्षा दान l सही गलत अंतर यहाँ, बतलाये है ज्ञान l जगत में शिक्षित बालिका, बन जाती गुणवान l प्रतिभा सारी  निखरती, बढ़ता जाता मान l ज्ञानी बनती बेटियाँ , जग करता गुणगान l शिक्षा से महान बनते, निर्धन औ धनवान l विनम्र बनते जन सभी, त्यागे सब अभिमान l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 10/03/2023

रंग

💐शीर्षक - रंग रंग रंगीली प्यारी होली, रंगों की फुहार लेकर आई  l बच्चे बूढ़े और जवान, सबके मन को यह भाई  l रंग,अबीर और गुलाल, हर तरफ पड़े दिखाई  l रंगों की गर्मी शांत करें, पीकर शरबत और ठंडाई l कान्हा आए रंग लगाने, राधा ने भी सखियां बुलाई l मोहन लाए अबीर गुलाल , सखियां लठ लेकर आई l डाले रंग गोप गोपाल, गोपियों ने लठ चलाई l फिर भी न छोड़े पिचकारी, गोप गोपाल करे ढीठाई l सबको प्यारी लगती होली, जिसने सारे भेद मिटाई l देख अनु सबने रंगोत्सव पर बैर मिटा सबको गले लगाई l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 03/03/2023

जरूरी होता है

💐शीर्षक - जरूरी होता है जब तेरे अंतर्मन की पीड़ा, तेरी सहनशक्ति से बाहर हो जाए  l तब किसी अपने से अनु उसको , कह देना जरूरी होता है  l दिल का चैन जब खो जाए, घुटन जब हद से ज्यादा बढ़ जाए l रातो कि नींद उड़ जाये, तब घुटन से निकलना जरूरी होता है l जिम्मेदारी के बोझ तले जब दब जाओ, अपने लिए वक्त न निकाल पाओ l जब अरमान तुम्हारे दफन होने लग जाए, तब अपने लिए ज़िद करना जरूरी होता है l जब किसी समस्या में घिर जाओ, चाहकर भी बाहर न निकल पाओ l रास्ते निकल ही आएंगे विश्वास करो, बस उसका ध्यान लगाना जरूरी होता है l जीवन के हर पल का आनंद उठाओगे, समस्या व चिंता में भी मुस्कुराओगे l अनु तुम उसे हर पल साथ पाओगे बस, सच्चे दिल से आवाज लगाना जरूरी होता है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 01/03/2023

भोज (बालगीत )

💐विषय - बालगीत शीर्षक - भोज शाम को भोज में जाना है l जी भरकर सब खाना है l जिसको जो पसंद आता है l पेट दबा दबा कर खाता है l जो भोज में नहीं जाता है l वो मन में बड़ा पछताता है l लड्डू, पेड़ा, खीर और पुड़ी, रसगुल्ला मन ललचाता है l भोज में जो जल्दी जाता है l मजे से वो खा पाता है l जो पहुंचेगा भोज में पीछे l वो बचा खुचा ही पाता है l आलू- छोले, मटर - पनीर l सबको अपने पास बुलाता है l पंगत में बैठ  भोजन करना l सच में बड़ा मजा आता है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 01/03/2023