तितली (बाल कविता 2 )
💐शीर्षक - तितली
मूझे बनना है तितली,
जो उड़ती है गली - गली l
सबके मन को लुभाती है,
सबको लगती है बड़ी भली l
मेरे भी हो प्यारे प्यारे पंख,
जिनमें भरे ही कई- कई रंग l
पंख पसारे उड़ती फिरूंगी,
मस्त पवन के संग - संग l
मैं हूँ तुम्हारी तितली रानी,
सब बच्चों को बताउंगी l
मैं इंद्र धनुष के रंगो से,
अपने पंखो को सजाउंगी l
सबका मन ललचाउंगी,
रंग बिरंगे पंखो से लुभाउंगी l
पुष्प- पुष्प पर मंडराऊंगी,
रस पीकर गगन में उड़ जाउंगी l
मूझे पकड़ने जब कोई आएगा,
हाथ उनके नहीं मैं आउंगी l
अपने प्यारे पंखो को खोल,
मैं तो झट हवा में उड़ जाउंगी l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
18/03/2023
मूझे बनना है तितली,
जो उड़ती है गली - गली l
सबके मन को लुभाती है,
सबको लगती है बड़ी भली l
मेरे भी हो प्यारे प्यारे पंख,
जिनमें भरे ही कई- कई रंग l
पंख पसारे उड़ती फिरूंगी,
मस्त पवन के संग - संग l
मैं हूँ तुम्हारी तितली रानी,
सब बच्चों को बताउंगी l
मैं इंद्र धनुष के रंगो से,
अपने पंखो को सजाउंगी l
सबका मन ललचाउंगी,
रंग बिरंगे पंखो से लुभाउंगी l
पुष्प- पुष्प पर मंडराऊंगी,
रस पीकर गगन में उड़ जाउंगी l
मूझे पकड़ने जब कोई आएगा,
हाथ उनके नहीं मैं आउंगी l
अपने प्यारे पंखो को खोल,
मैं तो झट हवा में उड़ जाउंगी l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
18/03/2023
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