बेटियाँ (मुक्तक )
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विधा - मुक्तक
शीर्षक - बेटी
मात्रा भार - 18
1.
बेटी होती है कुल की दीया l
हमनें बेटियों को सम्मान दिया l
समाज ने जो कुछ भी है पाया l
सब कुछ है बस बेटियों का दिया l
मात्रा भार - 18
बेटियों से चले सारा जहान l
बेटियों के बिन यह सब वीरान l
जो जन न दे बेटियों को सम्मान l
उस नर को तुम समझो पशु समान l
3.
जहाँ होता बेटी का निरादर l
सुख सौभाग्य को ढकता चादर l
बेटियों को भी दो सम अधिकार l
उसका जीवन खुशियों की बहार l
4.
जिस घर हो बेटी के मुख मुस्कान l
वह घर होता है स्वर्ग समान l
बेटी की जरूरत का रख ध्यान l
बेटियों का जगाओ स्वाभिमान l
5.
बेटी प्रेम,दया,करुणा खदान l
रखना उसका सदा सुखी जहान l
पढ़ा लिखा उसे बनाओ महान l
सक्षम बना कर ही कर कन्यादान l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
10/03/2023
विधा - मुक्तक
शीर्षक - बेटी
मात्रा भार - 18
1.
बेटी होती है कुल की दीया l
हमनें बेटियों को सम्मान दिया l
समाज ने जो कुछ भी है पाया l
सब कुछ है बस बेटियों का दिया l
मात्रा भार - 18
बेटियों से चले सारा जहान l
बेटियों के बिन यह सब वीरान l
जो जन न दे बेटियों को सम्मान l
उस नर को तुम समझो पशु समान l
3.
जहाँ होता बेटी का निरादर l
सुख सौभाग्य को ढकता चादर l
बेटियों को भी दो सम अधिकार l
उसका जीवन खुशियों की बहार l
4.
जिस घर हो बेटी के मुख मुस्कान l
वह घर होता है स्वर्ग समान l
बेटी की जरूरत का रख ध्यान l
बेटियों का जगाओ स्वाभिमान l
5.
बेटी प्रेम,दया,करुणा खदान l
रखना उसका सदा सुखी जहान l
पढ़ा लिखा उसे बनाओ महान l
सक्षम बना कर ही कर कन्यादान l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
10/03/2023
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