मानव (कुंडलियाँ )

💐शीर्षक - मानव

1.
मानव वह ही है गुणी,बढ़ती उसकी शान l
जामे होत मानवता,दया - धर्म की खान
दया धर्म की खान,सीख ले गुण मानवता l
सदा रह तु तैयार,सुख -दुख बाँट ले सबका l
पहन भेड़ की खाल, मत बनते जा तु दानव l
सत्य आचरण ढाल,महान बन जा तु मानव l


2.
मानव सच्चा होत वही,सच उसकी पहचान l
बकवास जो करें नहीं,देता सबको मान l
देता सबको मान,सबके मन भरे खुशियाँ l
अनु हृदय तु टटोल,खिलाओ मन की कलियाँ l
गुण का दामन थाम,दुर्गुण का मार दानव l
मन की कस तु लगाम,रचा इतिहास मानव l

3.
  सलिका जीने का रखो,करो मन में विचार l
बोल में मधुरता रखो, पवित्र रखना विचार l
पवित्र रखना विचार,न कर तु अनुचित कामना l
अनु खुद को पहचान,रख सबसे सदभावना l
देगा खुशियाँ अपार,जीने का यह तरीका l
पा ले सुख भंडार,सीख जीने का सलिका l


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
16/03/2023

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