जलाते जाइए



शीर्षक - दीपक जलाते जाइए

चाहे कितनी भी गहरी हो रात ये मुसाफिर,
हौसला न खो राह मे दीपक जलाते जाइए l

टूटने अगर लगे कभी तेरा / किसी की उम्मीद ,
रख यकीन उसपे और कदम आगे बढ़ाते जाइए l

रिश्तो मे अगर दूरियाँ आने लगी हो कहीं,
कड़वाहटें भूल वाणी मे मधुरता बढ़ाते जाइए l

हताशाओ से घिरे लोगो के दिलों मे,
आशाओं का नन्हा दीप जलाते जाइए l

डरे, कुचले, सहमे, शोषितों को और न डरा,
बनके उनकी ताकत डर को भगाते जाइए l


लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
25/03/2023

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