दर्द जब हद से बढ़ा
💐शीर्षक - दर्द जब हद से बढ़ा
उम्मीद नहीं इस जिंदगी से कोई,
जिंदगी में कई शूल अब धंसने लगे l
दर्द की कहानी क्या कहें हम किसी से,
दर्द जब हद से बढ़ा तो रिसने लगे l
समय निकाला ही नहीं अपनों के लिए
वक्त न देने से देखो रिश्ते अब टूटने लगे l
दरार न पड़ने दो नाजुक रिश्ते है,
इनकी गर्माहट खोते ही दम घुटने लगे l
एक जमाना हुआ अनु उनसे मिले,
उनकी एक आहट के लिए तरसने लगे l
टीस कुछ इस तरह बढ़ी क्या कहें,
छुपे हुए दर्द भी अब कसकने लगे l
जाने किस उम्मीद पर अनु,
मर रहे थे पर अब हम जीने लगे l
कोई तो आस जरूर है दिल को,
जो तेरे दीये हर दर्द को सहने लगे l
जाने क्या कशीश है तुझमे,
तेरी एक आवाज पे पिघलने लगे l
तेरे हाथों का क्या कहना सजन,
नर्म नर्म स्पर्श से हम मचलने लगे l
उजड़ा हुआ जो उम्मीदों का पेड़ था,
उनमें फिर फूल पत्ते आने लगे l
जो पंछी उड़ गये थे कभी ठुठ से,
वो फिर यहाँ आसियाना बसाने लगे l
एक अचम्भा ऐसा हुआ अनु,
रोते - रोते ही हम हँसने लगे l
आँखों से बहते अश्क वही थे पर,
इन अश्कों की कहानी बदलने लगे l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
11/03/2023
उम्मीद नहीं इस जिंदगी से कोई,
जिंदगी में कई शूल अब धंसने लगे l
दर्द की कहानी क्या कहें हम किसी से,
दर्द जब हद से बढ़ा तो रिसने लगे l
समय निकाला ही नहीं अपनों के लिए
वक्त न देने से देखो रिश्ते अब टूटने लगे l
दरार न पड़ने दो नाजुक रिश्ते है,
इनकी गर्माहट खोते ही दम घुटने लगे l
एक जमाना हुआ अनु उनसे मिले,
उनकी एक आहट के लिए तरसने लगे l
टीस कुछ इस तरह बढ़ी क्या कहें,
छुपे हुए दर्द भी अब कसकने लगे l
जाने किस उम्मीद पर अनु,
मर रहे थे पर अब हम जीने लगे l
कोई तो आस जरूर है दिल को,
जो तेरे दीये हर दर्द को सहने लगे l
जाने क्या कशीश है तुझमे,
तेरी एक आवाज पे पिघलने लगे l
तेरे हाथों का क्या कहना सजन,
नर्म नर्म स्पर्श से हम मचलने लगे l
उजड़ा हुआ जो उम्मीदों का पेड़ था,
उनमें फिर फूल पत्ते आने लगे l
जो पंछी उड़ गये थे कभी ठुठ से,
वो फिर यहाँ आसियाना बसाने लगे l
एक अचम्भा ऐसा हुआ अनु,
रोते - रोते ही हम हँसने लगे l
आँखों से बहते अश्क वही थे पर,
इन अश्कों की कहानी बदलने लगे l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
11/03/2023
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