किसान (बाल कविता 1)
💐शीर्षक - किसान
मैं हूँ एक किसान,
धरती माँ का लाल l
खेती किसानी मेरा काम,
आराम है मूझे हराम l
धरती माता की सेवा करता,
अन्न ढेरों मैं उपजाता l
तरह - तरह के फल, सब्जियाँ,
जो भी है तुम्हें भाता l
अपनी मिट्टी से जुड़ा रहता,
मेहनत से कभी जी न चुराता l
सबको भरपेट भोजन देता,
फिर भी रूखी - सुखी मैं खाता l
खेती से है मेरा नाता,
मैं देश का स्वाभिमान l
पशुधन का मैं रखवाला,
गौ सेवक मैं किसान l
बारिस होती जब झमाझम,
मेरा तन मन नाच उठता l
लहलहाती पकी फसल से,
मेरी मेहनत सफल हो जाता l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
18/03/2023
मैं हूँ एक किसान,
धरती माँ का लाल l
खेती किसानी मेरा काम,
आराम है मूझे हराम l
धरती माता की सेवा करता,
अन्न ढेरों मैं उपजाता l
तरह - तरह के फल, सब्जियाँ,
जो भी है तुम्हें भाता l
अपनी मिट्टी से जुड़ा रहता,
मेहनत से कभी जी न चुराता l
सबको भरपेट भोजन देता,
फिर भी रूखी - सुखी मैं खाता l
खेती से है मेरा नाता,
मैं देश का स्वाभिमान l
पशुधन का मैं रखवाला,
गौ सेवक मैं किसान l
बारिस होती जब झमाझम,
मेरा तन मन नाच उठता l
लहलहाती पकी फसल से,
मेरी मेहनत सफल हो जाता l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली, छत्तीसगढ़
18/03/2023
Comments
Post a Comment