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Showing posts from January, 2023

वतन

💐🙏🏻शीर्षक - वतन मेरा प्यारा वतन है हिंदुस्तान, जान से प्यारा मूझे इसका सम्मान l हर बार इस पावन भू पर ही जन्म लू, बस यही है मेरे दिल में अरमान l मेरा सुन्दर तिरंगा जान से प्यारा, इसपर मुझको है अभिमान l चार रंगों से सजा, पाँचवा रंग गुप्त है सबसे बढ़के रखना इसका मान l वतन पे मर मिटने को सदा रहे तैयार, मेरे देश का हर सैनिक वीर नौजवान l आलस्य जिनके पास भी न फटके, बने रहते वीर योद्धा सदा ऊर्जावान l अनेकों विविधताओं से है भरा हुआ, सबसे प्यारा सबसे सुन्दर मेरा हिंदुस्तान l करती निश - दिन वंदना इसकी, करती हूँ नित हृदय से इसको प्रणाम l इसके भूगोल में है अनेकों विविधताये, संस्कृति,मान्यताओं की है यहाँ भरमार l अनेक वेशभूषा,खानपान,बोली-भाषाएँ, विश्व में अलग है इसकी पहचान l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 31/01/2023

स्कूल चले हम

👍🏻स्लोगन प्रतियोगिता शीर्षक - स्कूल चले हम आओ संगी आओ साथी, स्कूल चले हम l हँसी ठिठोली करते, सारे गम भूल चले हम l 2. राजा,बुधिया,रीना,रोशन,सब स्कूल जायेंगे l स्कूल चलो अभियान को हम सफल बनाएंगे l 3. बेटा -बेटी सबको समान शिक्षा का है अधिकार l शिक्षा से ही मीटेगा उनके जीवन का अंधकार l 4. शिक्षा पाना है हर बच्चे का मौलिक अधिकार l शिक्षा ज्योति बिना, हो जायेगा जीवन अँधियार l 5. आज हर गाँव, शहर के लोगो ने ये ठाना है l स्कूल चलो अभियान,सफल करके दिखाना है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 30/01/2023

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना  शीर्षक - माता शारदे माता शारदे हे माता शारदे,विद्या का सबको तु वरदान दें l तेरे दर से जाये न कोई खाली, ज्ञान का तु अपना जादू चला दें l हे माता शारदे,विद्या का सबको तु वरदान दें l सबकी बुद्धि को तु सदमार्ग पर लगा दें l सदविचारों से जीवन उनका महका दें l हे माता शारदे,विद्या का सबको तु वरदान दें l कुसंग से अपने बच्चों  को बचाले l छोड़ दें चलना वे औरों पे अपनी कुचाले l हे माता शारदे,विद्या का सबको तु वरदान दें l तु ज्ञानदायनी माता पद्मासन पर विराजे l कर कृपा मेरी बुद्धि को पद्मासन बना दें l हे माता शारदे,विद्या का मुझको तु वरदान दें l कभी मेरा मन व्यर्थ में भटकने न पावे l सदा तेरे दिखाए सन्मार्ग पर ही जावे l हे माता शारदे,विद्या का मुझको तु वरदान दें l हर शब्द तेरा है माता हर संगीत तुझसे l मेरी रचना को तू अपनी वीणा बना ले l हे माता शारदे,विद्या का सबको तु वरदान दें l तन मन सदा ही सबका पुलकित रहे  l कर कुछ ऐसा परमानंद का आनंद दिला दें l हे माता शारदे,विद्या का सबको तु वरदान दें l रचना में सबकी सदा मधुरिता विराजे l जीवन की बगिया को प्रेमपुष्प से महका दे l ...

गणतंत्र दिवस

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 शीर्षक - गणतंत्र दिवस आओ मिलकर गणतंत्र को मजबूत बनाये l भारत बगिया को प्रेम की खुशबु से महकाये l हम अपने गणतंत्र को मजबूत बनाएंगे l एकता सूत्र में बंध सारे मतभेद मिटाएंगे l हमारा गणतंत्र दुनियाँ में सबसे बड़ा है l हर मुश्किल में सीना तान के खड़ा है l भारत का गणतंत्र है दुनियाँ में महान l मिलजुलकर रहे बढ़ाये इसकी शान l गणतंत्र दिवस हमें यह सिखाता है l एकता की शक्ति लोहा मनवाता है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 26/01/2023

खेल खेल में

💐शीर्षक - खेल खेल में आओ साथी सब हसी खुशी हम नयी नयी बातें सीखें l चित्र बना रंगों से सजाये, खेल- खेल में हम पढ़े लिखें l ये फूल-पत्ती, कंकड-पत्थर , बने सीखने के सब साधन l चूहा छोटा व हाथी बड़ा, लम्बा जिराफ,नन्हा लगे हिरण l अति सुन्दर सारे खिलौने, मिट्टी से हम इन्हें बनाये l धूप में सुखा पक्का बनाये, रंगो से फिर इन्हें सजाये l खेल खेल में सीखते नियम, बड़े काम आता है संयम l मिलजुल के रहना सीखें हम, एकता में होता बड़ा दम l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 24/01/2023

प्यारा राजस्थान

💐शीर्षक - प्यारा राजस्थान जन्मभूमि यह वीर महाराणा प्रताप की, वीरांगना पद्मावती के स्वाभिमान की, जहाँ हर बच्चा परिभाषा गढ़ता वीरता की, है महान धरा वीर जननी राजस्थान की l जहाँ महात्यागी पन्ना धाय सी हस्ती है l कण-कण में मीरा की भक्ति बस्ती है l भामाशाह के दान की अपनी ही मस्ती है l यहाँ प्रथम महिला राष्ट्रपति जैसी हस्ती है  l शक्ति परीक्षण केंद्र पोखरण है यहीं l सुन्दर गुलाबी नगरी जयपुर भी है यहीं l देखो थार का मरुस्थल विशाल यहीं l राजस्थानी हस्तकला का जोड़ नहीं कहीं l प्राचीनता आधुनिकता का संगम अद्भुत, राजस्थान का हर शहर करे मंत्रमुग्ध l आरवली पर्वत का प्राकृतिक सौंदर्य, उदयपुर कहलाता झीलों का शहर l रेत की धरती में ऊंटों की सवारी, माउन्ट आबू की देखो छटा निराली l जैसलमेर है अपना  सुंदर प्रदेश, यहां कला संस्कृति की शोभा न्यारी l सारे गढ़ो का सिरमौर,गढ़ चित्तौड़, पुण्य पावन धरा धाम यहाँ पुष्कर l बीकानेर में अंतर्राष्ट्रीय ऊँटों का त्योहार, भरतपुर में पक्षियों का राष्ट्रीय उद्यान l इसकी महिमा का कितना करें बखान, इसका हर कोना है सुंदरता की खान l वीर राजा - रानीयों को धरती महान, बढ़ात...

छत्तीसगढ़ महतारी

💐शीर्षक - छत्तीसगढ़ महतारी  खनीज सम्पदा से भरपूर, नदियां फैली बहती दूर -दूर l यहाँ की हर चीज बहुत मशहूर, यहाँ का हर बच्चा वीर सपूत l बांस, तांबा, टिन,लोहा,कोयला, खनीजों की कमी नहीं यहाँ  l रीति रिवाज़, बोली -भाषा, पकवान, बढ़ाते है सब छत्तीसगढ़ का मान l महामाया, दंतेश्वरी,डोंगड़गढ़, बंलेश्वरी, माता सती के शक्तिपीठ है कई l प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर, सुन्दर पर्यटन स्थल है मशहूर कई l सोम,वाकाटक,फणी नागवंशियों का शासन प्राचीन जन जातियों का निवास यहाँ l माता कौशल्या की यह जन्मभूमि, पंचवटी में श्री राम ने भी किया निवास यहाँ l बस्तर के शिल्प विदेशो तक प्रसिद्ध, राजिम छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहलाता l यहाँ का जनमानस है भोला - भाला, भोरमदेव छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहलाता l कल कल छल छल करती बहती, अरपा, पैरी , सोंढुर, इद्रावती, महानदी l सब कहते छत्तीसगढ़ धान का कटोरा, उपजाऊ है हमारी छत्तीसगढ़ महतारी l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 23/01/2023

प्यारा छत्तीसगढ़

💐शीर्षक - प्यारा छत्तीसगढ़ धरती छत्तीसगढ़ की, है हमारी माता l यह पावन माटी हमारी भाग्यविधाता l कहलाती धरा यह,धान का कटोरा l प्राकृतिक सुंदरता से सदा रहे भरा l प्राचीनकाल दक्षिणकौशल कहलाता l इसी धरा की बेटी थी कौशल्या माता l इसका राम जी से रहा है गहरा नाता l राजिम छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहलाता l नल,शरभपुरीय,वाकाटक, कलचुरीय, सोम,नागवंश,गोड़ आदि राजवंशो का, रहा था समृद्ध शासन यहां पुराना l छत्तीस गढ़ो से छत्तीसगढ़ नाम पड़ा l अरपा, पैरी,सोंडूर,शिवनाथ, महानदी, अनेकों नदियों का सुन्दर विस्तार यहां l पर्वतों,प्रपातों की प्राकृतिक छटा निराली, संपदा से भरपूर समृद्धि का साम्राज्य यहां l प्राचीन जनजातियों का आज भी रैन बसेरा, आधुनिकीकरण भी पैर यहाँ पसार रहा l जल, जंगल,अन्न,धन,खनीजों से भरपूर, छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव प्रसिद्ध l बमलेश्वरी,चंद्रहासिनी,दंतेश्वरी, महामाया, मां के शक्तिपीठों की शक्ति यहां समायी l यहां के कण-कण में शिव शक्ति का वास l इस धरा कि मैं वासी यह मेरा सौभाग्य l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 23/01/2023

ऋतु बसंत

💐शीर्षक - ऋतु बसंत ऋतु बसंत मन भावना,चलता कितने दांव l मधुर कुंजती कोयली,बैठ पेड़ की छाँव l सुख मिले मधुर माधुरी,मनमीत लगे धूप l कंचन काया कामिनी,सब जन,रंक व भूप l धरती ओढ़े पीवरी, बसंत का श्रृंगार l चली है नदी मचलती,निर्मल लेकर धार l श्रृंगारित नव यौवना, खुश है दर्पण देख l धरा स्वरूप निहारती,गगन रहा है देख l उपवन पुष्प आच्छादित, बचा न कोई कुंज l सभी जन गण आल्हादित,भौंरे करते गूंज l निर्मल नभ बिन दामिनी,निलांबर चहुँ ओर l शोर करें सब चीड़िया,है सारी चितचोर l विरही का तन जारती, रूप बसंती घोर l अपना मन है मारती, कर के वह तप घोर l स्वपति संग रति नाचती,होकर भाव विभोर l मोर, पपीहा,कोयली,करते मिलकर शोर l मन में सुन्दर भावना, रखे बसंत बहार l पूरी हो हर कामना, करे सद व्यवहार l जहाँ नजर रति डालती,धर वसंत का हाथ l शील उतारे आरती,मधुऋतु माधव साथ l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 21/01/2023

बसंती हवा अब महकने लगी है

💐शीर्षक - बसंती हवा अब महकने लगी है बसंती हवा अब महकने लगी है  l पूरब में लालिमा बिखरने लगी है l गोरी जवानी में कदम रखने लगी है l बात - बात पर गोरी मचलने लगी है l चाल भी कुछ-कुछ बहकने लगी है l रुखसार भी शर्म से दहकने लगी है l गुलशन की कलियां छिटकने लगी है l तितलियाँ फूलों पर मर मिटने लगी है l नौजवानों की टोलियां भटकने लगी है  l अमराई में बौर अब महकने लगी है l पेड़ो पर कोयलिया कुहकने लगी है l पतझड़ बसंत से कुछ जलने लगी है  l मिलकर बहारे हर तरफ उमड़ने लगी है l धरती आसमां से मिलने तड़पने लगी है l मद - मस्त पूर्वाईया चलने लगी है l मायूसी की शाम अब ढलने लगी है l मोहब्बत की शमा दिल में जलने लगी है l पत्थर मोम बनके अब पिघलने लगी है l बसंती खुमार हर शै पर चढ़ने लगी है l चाहतों की राह में कदम  बढ़ने लगी है l सर्दियां कुछ कम -ज्यादा होने लगी है l पर्वतों पर ढकी बर्फ पिघलने लगी है l अब तो आजा कि तेरी याद आने लगी है  l तड़प इस तरह बढ़ी की सताने लगी है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 21/01/2023

पुरानी पेंशन बहाली पर स्लोगन

🙏🏻स्लोगन का विषय - पुरानी पेंशन बहाली 1. दिल देगा तुमको कोटि कोटि धन्यवाद l कर दीजिये मान्यवर पुरानी पेंशन बहाल l 2. पुरानी पेंशन बहाल, हमको हर हाल में कराना है l कर्मचारियों के बुढ़ापे को बेसहारा होने से बचाना है l 3. पुरानी पेंशन पर है, सभी कर्मचारियों का अधिकार l जो शासन छीने इसे, उसको कोटि कोटि धिक्कार l 4. सभी सांसद महोदय एकमत हो, झट अपना मानदेय सुविधाएं बढ़ाते है l पुरानी पेंशन बहाली की लगाये जो गुहार, उनकी अर्जी क्यूँ लटकाते है l 5. पुरानी पेंशन बहाली को कर लो स्वीकार l नहीं तो हो जायेगा पूरा का पूरा बंटा धार l लोकेश्वरी कश्यप छत्तीसगढ़ 19/01/2023

दोहा (ऋतुराज बसंत )

💐विद्या - दोहा शीर्षक - ऋतुराज बसंत ओ रे ऋतुराज बसंत,तु ऋतुओ का राजा l सबके मन का पीर हर,धर सिर मौर ताजा l पपीहा करता पी - पी, कोयल कूक मारे l विरही का मन बेचैन, सुनकर बैन सारे l विरह में बावरा हुआ, पी की करे पुकार l वेदना बढ़ती जाती,चलता प्रेम कटार l ओ निष्ठुर ऋतु बसंत, तन मन शूल चुभता l अबला पर घात करता,दिखा रहा वीरता l पिया गये जब परदेश, रंग ढंग दिखाया l अबला मुझको जान कर, पुष्प जाल बिछाया l अबला नहीं सबला हूँ, घुटने न टेकुंगी l धर्म धर पतीव्रत का, वार मैं रोकुंगी l है तु ऋतुओं का राजा, मैं पिया की रानी l अपनी मर्यादा में रह, करना न मनमानी l पुष्प बाण तेरा, धरा रह जायेगा l कृष्ण नाम कवच कभी, भेद न तु पायेगा l मन वन महक जाये यूँ, बसंत सुमन बरसा l सबकी आश  हो पूरी, कोई न हो प्यासा l विरह वेदना को मिटा, सबका साथी मिला l प्रीत भरके मीत मिले, यूँ मन  बगिया खिला l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 19/01/2023

3 दोहे

💐विधा - दोहा 1. जहां प्रेम का वास हो,सुख समृद्धि रहे l *रिश्ते नाते सब निभे*,संतोष बना रहे l 2. जाने किस अधिकार से,*मुझको लिया पुकार* l मन में बसा कृष्णा को , भव हो जाऊ पार l 3. जो कान्हा बसे मन में,दिल को *ठंडक मिले* l कामना सब पूर्ण हो, मन की बगिया खिले l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 19/01/2023

ऋतुराज

💐शीर्षक - ऋतुराज बसंत सब ऋतुओं का राजा है l हर प्राणी के मन को बहुत भाता है l सबको सुंदर -सुन्दर नजारे दिखाता है l बागों में रंग-बिरंगे  फूल खिलाता है l बसंत में फूल अच्छा मिलता  है l बसंत  बड़ा संत सा लगता है l फूलों से धरा का श्रृंगार करता है l सब वन - उपवन को महकाता है l अमराई में कोयलें कूकने लगती है l आमों के पेड़ो पर बौर आने लगते है l पुष्पों पर तितली,भौंरे मंडराने लगते है l दिन और रात सारे सुहाने लगते है l चलो माता शारदे को मनाते है l अपने सदव्यवहार से रिझाते है l पूजा की सुन्दर सी थाल सजाते है l विद्या दायनी की आरती गाते है l पंचमी के दिन होली डांग गड़ाते है l होली की तैयारी में लग जाते है l हम ऋतुराज की अगवानी करते हैं l मिलकर वसंत ऋतु का आनंद लेते है l लोकेश्वरी कश्यप छत्तीसगढ़ 19/01/2023

जब अपने साथ छोड़ते हैं

🙏🏻शीर्षक - जब अपने साथ छोड़ते है जब अपने साथ छोड़ते है, अश्रुओं से आँचल भीगता है l भीतर मन घुटता रहता है l बाहर चुप्पी छाई रहती है l अपना दुखड़ा किससे रोयें, पर दिल तड़पता रहता है l जिंदगी से तो चले जाते है, पर यादों से कहाँ जा पाते है l भूलने की लाख कोशिशे करते है, पर कहाँ भूलकर भी भुलाये जाते है l जितना भूलने की कोशिश करो, दिल को वे उतने ही याद आते हैं l जब अपने साथ छोड़ते हैं, अपना जीना दूभर हो जाता है l अब लोगों की क्या बात करें, अपनी परछाई भी डराने लगती है l उनके रहते हमारे जीवन में, खट्टा -मीठा हर तरह का आनंद था l अब उनके साथ छोड़ते ही, जीवन में मायूसी छाई रहती है l जब अपने साथ छोड़ते हैं, सब कुछ बदल कर रख देते हैं l अकेलापन काटने को दौड़ता, तन्हाई का घूंट पीते रहते हैं l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 18/01/2023

पुरुषार्थी

💐🙏🏻शीर्षक - पुरुषार्थ हासिल करने हर चीज पुरुषार्थ दिखाना पड़ता है l जीतता है वही जो केवल अपने दम पर लड़ता है  l राह में रुकने वालों को मंजिल कभी न मिलती है l मंजिल पाने के लिए सबको सतत् चलना पड़ता है l हर किसी के भीतर पुरुषार्थ छुपा रहता है  l पहचानता वही जो पुरुषार्थ में तत्पर रहता है  l पुरुषार्थी के लिए कुछ भी न असंभव रहता है l सत्य है पुरुषार्थी नित्य नए कीर्तिमान रचता है l पुरुषार्थ के लिए ही मिला हमें यह मानव जीवन l पुरुषार्थ में ही लगाये हम अपना तन, मन,धन  l पुरुषार्थी मानव सदा करते सत्य भरा आचरण  l प्रेम,परोकार,सत्य,दया संग जीते अपना जीवन l पुरुषार्थी कभी किसी का अहित नहीं करते हैं  l खुद पर यकीन और ईश्वर पर आस्था रखते हैं l डिगते नहीं कठिन दौर में भी मन स्थिर रखते है l मोम से नाजुक दिल और पक्के इरादे रखते हैं l पुरुषोर्थी के आगे तो किस्मत भी सर झुकाती है l हर अवसर सुअवसर बन के उनके कदम बढ़ाती है l समस्त रिद्धि सिद्धिया उनके आगे सर झुकाती हैं l उनके अभिनंदन को प्रकृति भी पलके बिछाती है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 14/01/2023

उपवन (कुंडलियाँ छंद )

💐💐💐💐💐💐💐 उपवन उपवन की देख शोभा , मन रहा है हर्षाय l फूले फूल चुना गये, कलियाँ हैं सकुचाय l कलियाँ हैं सकुचाय,प्रिय प्रभु को मनावे l अंत काल से पूर्व, आपका दर्शन पावे l चरणों में शीष धर,जीवन धन्य हो जावे l उपवन का हर पुष्प,सावरों के मन भाये l (सावरों = कृष्ण, भौंरा ) (कुंडलियाँ लिखने का प्रथम प्रयास ) कृपया मार्गदर्शन करे, 🙏🏻💐😊

मकर संक्रांति का संदेश

💐शीर्षक - मकर संक्रांति का संदेश मकर संक्रांति का पर्व पावन l सूर्य मकर पर शुरू करता गमन l होने लगे तब रवि उत्तरायण l नित करे दिनकर को जलार्पण l काले तिल का भाव से करे दान l दान की यह परम्परा बनी महान l बढ़े दानी का जगत में सम्मान l जब त्यागे नर मान का अभिमान l तिल और गुड़ करे तन -मन बलिष्ट l मिटता तन -मन का सारा कलिष्ट l शीत लहर से जब काँपे तन - मन l तिल,गुड़ का लड्डू बढ़ाता संबल l मकर संक्रांति में पतंगबाजी का आयोजन l करता छोटे- बड़े सबके मन का मनोरंजन l आकाश में नजर आते बस पतंग ही पतंग l ऊंची उड़ान भरने का देते सुन्दर आमंत्रण l आओ करें संक्रांति में मिलकर यह संकल्प l सेवा,परोपकार,दान -धर्म बने सुख विकल्प l एक रहें बलिष्ट बने जीवन में मधुर आनंद भरे, संक्रांति का लड्डू देता हमें यही सुंदर संदेश  l लोहड़ी,पोंगल,बीहू भेद न इनमें सारे हैं यह एक l इसके नाम एक नहीं, है अनेक पर पर्व है एक  l  प्रेम,सौहार्द,एकता संबंधों में गरिमामय मिठास l  स्वास्थ्य मधुरता उत्साह की छुपी भावना नेक l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 12/01/2023

स्वामी विवेकानंद

💐शीर्षक -  स्वामी विवेकानंद बंगाल के कायस्थ परिवार में जन्म लिया l माता मिली ग्रहणी तो पिता वकील मिला  l माता-पिता से सुंदर सा नरेंद्र नाम मिला l नरेंद्र को पाकर सबको बड़ा आनंद मिला l दिन दूनी रात चौगुनी नरेंद्र बढ़ता गया  l धीरे धीरे कला और धर्म में रुचि बढ़ता गया l दर्शन और आध्यात्मिकता में मन रमता गया  l वेद पुराना उपनिषदों में मन लगता गया l धर्म और दर्शन में मन नित झुकता गया l इंद्रियों को वश में कर सन्यासी वह बन गया  l मन उसका परमानंद के आनंद में रम गया l नाम उसका स्वामी विवेकानंद पड़ गया l राम कृष्ण परमहंस से तेजस्वी गुरु मिले l दो दिलों के प्रांगण में मन बगिया खिले l वेदांत के प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु बने l जिनसे भी मिले उनके तन - मन खिले l विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया l सनातन धर्म की महिमा का दिल से गुणगान किया l प्रथम उद्बोधन वाक्य में ही सबका दिल जीत लिया l प्रेम,करुणा,मानवता,धर्म दर्शन का उपदेश दिया l सब जीवो में परमात्मा का ही आभास किया  l सनातन धर्म का परचम विश्व में लहरा दिया  l सन्यासी ने सेवा धर्म को ज...

हिंदी हमारी शान

🇮🇳शीर्षक - हिंदी हमारी शान हम हिन्द देश के वासी, पहचान हमारी हिंदी है l हिंदी के मस्तक पर शोभित, देखो कैसे सजती बिंदी है l स्वदेशी सब मिलकर अपनाओं, क्योंकि विदेशो तक स्वदेशी पहुँचना है l आगत भाषाओं को अपना लेने वाली, ऐसी सरल, सहज हमारी हिंदी है l. जन- जन तक राष्ट्र चेतना भरने वाली, हमारी प्यारी राष्ट्र भाषा हिंदी है l सम्मान करते है हम सब इसका, हमारी आन, बान, शान हिंदी है l सब भाषाओं के शब्द है इसमें, भाषाओं का पर्याय है हिंदी l देश हमारा प्यारा हिंदुस्तान, भाषाओं की सरताज है हिंदी l लिपि है इसकी सुन्दर देवनागरी, हर ध्वनि की अलग पहचान है हिंदी में l अथक प्रयोगो व अनुभवों का निचोड़, वैज्ञानिकता से भरपूर है हिंदी l मशीनों (कम्प्यूटर ) को भी जो अच्छी लगती, हर किसी के अनुरूप है हिंदी l जो कहते वही लिखते, जो लिखा वही पढ़ते l कथनी और करनी में समरस है हिंदी l हिन्द की पहचान है हिंदी, हम सबका सम्मान  है हिंदी l आओ इसका और भी मान बढ़ाये, जन- जन तक विश्व में इसे पहुंचाये l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़

वेश्या (एक वेदना )

🙏🏻शीर्षक - वेश्या / बेटियाँ  बोलो आज कहां सुरक्षित है नारी , हर जगह लुट रही अस्मिता नारी की l चिंता करते नहीं लोग बदनियति बीमारी की, वाणी,नजरों,हाथों लूटते अस्मिता नारी की l आज कोई कृष्ण बनकर आता नहीं बचाने, पर आ जाते हैं सब अबला नारी को सताने l हर कोई दिखता तैयार अपना एहसान जताने, भूलते जा रहे लोग आज यहाँ रिश्ते निभाने l   हर गली, चौक - चौराहे पर झुंड के झुंड,   मानव वेश में मिल जाते गिद्ध और सियार l अंदर तक चुभती जाती है आत्मा में, वहशी निगाहें लार टपकाती गंदी मुस्कान l दिन के उजालों में लगते मसीहा और भगवान, शाम ढलते ही बन जाते हैं वहशी हैवान l शर्म की मारी कह न पाती लुटती रहती घूँघट में घायल होती आत्मा जब लूटता है तन शैतान l खुद को सुरक्षित न पाती जब शर्म का घूंघट डाल, जलता है उसका तन और मन नरक की आग l लुटना ही है उसकी नियति जब वह मान लेती है, शर्म का घुंघट हटा बाजार में खुद को झोंक देती है l बेशर्मी की दुनिया में नाम उसका बदनाम होता है l आत्मा रोती उसकी वैश्या का जब ठप्पा लगता है l बाहरी मेकअप ( श्रृंगार)से मन के भाव छुपाती है l जीवन की नीरसता को ...

ओसकण

💐शीर्षक - ओसकण ओस के भार से सारे,झुक झुक जाए नम पर्ण l जब पड़े सूर्य किरणे, चम चम चमके ओस कण l शीतल सुखदाई ठंड, निशा बनाएं ओस कण l गिरती है यह रात भर,तरुवर के पर्ण पर्ण l चमके ऐसे ओसकण,ज्यु मुक्ता के सारे कण l झारे अंबर रात भर, औषधी रूप ओसकण l शांति देते है मन को, तन पर पड़ते ओस कण l रात भर जागे रोये, दिन चढ़े सब खोये कण l हर लेते मन संताप ,ताप चाहे तो भीषण l निशा में ओस चुपचाप,पौधों का करें पोषण l ठिठुरन भरे तन मन में, शरद, शिशिर,ऋतु हेमंत  l तन काँपे व दाँत बजे,आम जन हो या महंत l ओस कण मृदु भार से,झुकती है धान बाली l सुखी कृषक सब जन मन,अन्न धन मारे ताली l देवों का वरदान यह,नभ बरसाये धरा पर l ठंडे ठंडे सुखद जल,ओस बन बिछे धरा पर l पूरब देती संदेश,प्रभा की लाली किरण l पड़े है जब सबनम पर,चमके जगमग ओसकण l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 03/12/2022