जब अपने साथ छोड़ते हैं
🙏🏻शीर्षक - जब अपने साथ छोड़ते है
जब अपने साथ छोड़ते है,
अश्रुओं से आँचल भीगता है l
भीतर मन घुटता रहता है l
बाहर चुप्पी छाई रहती है l
अपना दुखड़ा किससे रोयें,
पर दिल तड़पता रहता है l
जिंदगी से तो चले जाते है,
पर यादों से कहाँ जा पाते है l
भूलने की लाख कोशिशे करते है,
पर कहाँ भूलकर भी भुलाये जाते है l
जितना भूलने की कोशिश करो,
दिल को वे उतने ही याद आते हैं l
जब अपने साथ छोड़ते हैं,
अपना जीना दूभर हो जाता है l
अब लोगों की क्या बात करें,
अपनी परछाई भी डराने लगती है l
उनके रहते हमारे जीवन में,
खट्टा -मीठा हर तरह का आनंद था l
अब उनके साथ छोड़ते ही,
जीवन में मायूसी छाई रहती है l
जब अपने साथ छोड़ते हैं,
सब कुछ बदल कर रख देते हैं l
अकेलापन काटने को दौड़ता,
तन्हाई का घूंट पीते रहते हैं l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
18/01/2023
जब अपने साथ छोड़ते है,
अश्रुओं से आँचल भीगता है l
भीतर मन घुटता रहता है l
बाहर चुप्पी छाई रहती है l
अपना दुखड़ा किससे रोयें,
पर दिल तड़पता रहता है l
जिंदगी से तो चले जाते है,
पर यादों से कहाँ जा पाते है l
भूलने की लाख कोशिशे करते है,
पर कहाँ भूलकर भी भुलाये जाते है l
जितना भूलने की कोशिश करो,
दिल को वे उतने ही याद आते हैं l
जब अपने साथ छोड़ते हैं,
अपना जीना दूभर हो जाता है l
अब लोगों की क्या बात करें,
अपनी परछाई भी डराने लगती है l
उनके रहते हमारे जीवन में,
खट्टा -मीठा हर तरह का आनंद था l
अब उनके साथ छोड़ते ही,
जीवन में मायूसी छाई रहती है l
जब अपने साथ छोड़ते हैं,
सब कुछ बदल कर रख देते हैं l
अकेलापन काटने को दौड़ता,
तन्हाई का घूंट पीते रहते हैं l
लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
18/01/2023
Comments
Post a Comment