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Showing posts from August, 2021

लक्षवेध के नुस्खे

लक्षवेध के नुस्खे  1. विषय मित्र:- इसमें बताया गया कि विषय मित्र आवश्यकतानुसार बनाए जा सकते हैं. विषय मित्र की आवश्यकता बच्चों को PISA स्तर तक ले जाने हेतु सहयोगात्मक होता है. सीखने के प्रतिफल प्राप्त करने में भी सहयोग मिलता है. स्तर अनुसार इसमें बच्चे सीख सकते हैं. यह स्कूल,  घर,  मोहल्ले इत्यादि मैं इनका उपयोग किया जा सकता है. 2. पियर लर्निंग:-  इसमें बच्चों का दो का समूह बनाया जाता है. पियर लर्निंग में सामान्य स्तर के बच्चों का समूह बनाया जा सकता है. पियरिंग में बच्चे एक दूसरे से सीखते हैं. पियर लर्निंग में बच्चों की सीखने की सिखाने की समान जिम्मेदारी होती है. 3. ग्रुप लर्निंग:-  इसमें बताया गया कि ग्रुप लर्निंग में तीन चार बच्चों का ग्रुप बनाया जाता है. ग्रुप लर्निंग में 4 से अधिक बच्चों को शामिल नहीं करना चाहिए. ग्रुप लर्निंग ने अलग-अलग स्तर के बच्चे होते हैं एक ही ग्रुप में. ग्रुप लर्निंग में एक सभी बच्चे एक दूसरे को सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. ग्रुप लर्निंग के द्वारा बच्चों में नेतृत्व क्षमता का भी विकास होता है. ग्रुप लर्निंग के द्वारा बच्चे बेहतर...

शिक्षक की भूमिका

🙏🪔 असाइनमेंट🪔 ✒️ नई पेडागोजी में शिक्षक की भूमिका:-            अभी तक हम सभी यही समझते आ रहे थे, कोर्स कंप्लीट करवा देना ही हमारा लक्ष्य है. किंतु इस लक्ष्यवेध प्रशिक्षण के पश्चात हमें वास्तविकता अच्छे से समझ आई. इस प्रशिक्षण के पश्चात हमने जाना कि, एक शिक्षक होने के नाते हमारा दे केवल बच्चों को कोर्स कंप्लीट करवाना ही नहीं होता. वस्तु तो इससे आगे और भी बहुत कुछ होता है. एक शिक्षक का मूल कर्तव्य है अपने बच्चों को भविष्य के लिए और भविष्य में आने वाली चुनौतियां के लिए तैयार करना. जो कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से हम सब ने समझा. इसी संदर्भ में मैं नई पेडागोजी में शिक्षा की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करना चाहती हूं. जो कि निम्न बिंदुओं द्वारा कहने का प्रयास करूंगी.  1. शिक्षक एक मार्गदर्शक के रुप में:-                 वास्तव में शिक्षक छात्रों के जीवन में एक मार्गदर्शक ही होता है. जो उसे जीवन में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है और उसके जीवन को सही दिशा देता है. एक्सिस्ट गुरु वही होता है जो अपने छात्र को सही...

मेरे विचार

🙏श्रीमती लोकेश्वरी कश्यप    विकासखंड मुंगेली  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़                🎯असाइनमेंट🎯 1. दिए गए चार इसके बारे में मेरी विचार  पहले क्या थी? अब क्या  राय हैं.  (स्व, समाज, भौतिकसुविधाएं, शासन)  1.स्वयं  के स्तर पर:- से काम जिनको हम खुद ही कर सकते हैं बिना किसी सहायता के स्वप्रेरणा से. 2. स्वयं  और समुदाय के सहयोग से :- खुद और समुदाय के सहयोग से किए जाने  वाले काम इस श्रेणी में आते हैं. 3. स्व,  समाज और भौतिक सुविधाye :- ऐसे काम जिनमें हम समाज की मदद से अधिक सुविधाएं वाह संसाधन  जुटाते हैं. 4. स्व,  समाज, भौतिकसुविधाएं एवं प्रशासन:- ऐसे काम जो हम शासन प्रशासन की मदद के नहीं कर सकते. 🔦पहले :- पहले मेरी राय थी कि शासन सुविधाएं उपलब्ध कराएं तो समाज हमारी शालाओं के तरफ आकर्षित हो और हम  को साला में अध्ययन अध्यापन करवाने में सरलता हो वह सुगमता हो. हम पूरी तरह से शासन के ऊपर डिफेक्ट है ऐसा लगता था. और इसी सोच की वजह से शायद हम कहीं ना कहीं अपने काम में लापरवाही भी करते रहे...

ज्ञान रचनावाद

श्रीमती लोकेश्वरी कश्यप       विकासखंड मुंगेली  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 📌1. स्व पहल:- स्व  पहल का वास्तविक अर्थ क्या है?             स्व पहल को भी 2 भागो में बांटकर स्पष्ट किया.  1. स्वयं में बिना बदलाव किए जो काम कर सकते हैं. 2. स्वयं में कुछ बदलाव करके स्व  पहल  कर सकते हैं.  किसी और पर दोष लगाने से बचना चाहिए. हमें जो जिम्मेदारी जहां से हैं जिस भी अवस्था में मिली हैं हमें उसे स्वीकार करना चाहिए. उसे अपनी जिम्मेदारी समझ कर उस पर स्व पहल करके उस जिम्मेदारी को पूरी लगन के साथ निभाना चाहिए. इसी से हमारी समस्याएं सुलझती जाएंगी.               कई बार हम काफी उत्साह पूर्वक  काम करने के बावजूद भी असफल  हो जाते हैं. ऐसा क्यों होता है?  इस पर आप सभी अपने विचार अवश्य हमसे शझा करें. 🙏                                 🙏धन्यवाद 😊🙏  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली (छत्तीसगढ़)...

कितनी है बच्चों के अंदर क्षमता 🤔

👉*बच्चों की क्षमताओं की सूची*😊  बच्चों के अंदर क्या-क्या कार्य करने की क्षमता होती है:- ~पहली क्षमता बच्चा पांचों ज्ञानेंद्रियों से ज्ञान ग्रहण कर सकता है।  ~दूसरी क्षमता बच्चों में सोचने और समझने की क्षमता।  ~सभी की संस्कृतियों का सम्मान करने की क्षमता।  ~निर्देश मानने की क्षमता और निर्देश देने की क्षमता भी बच्चों में होती है।उदाहरण :-बच्चे किस प्रकार से खेल खेलते हैं एवं मैदान में निर्देश देते हैं। ~मार्गदर्शन प्रदान करने एवं प्राप्त करने की क्षमता। ~बालक खुद समझ भी सकता है और दूसरों को समझा भी सकता है। ~वह प्रश्न कर सकता है उत्तर ही दे सकता है चित्र भी बना सकता है। ~सिखाने वाला हो तो संगीत भी सीख सकता है एवं शारीरिक श्रम भी करने में सक्षम होता है। ~बालक मैं स्वयं सीखने की क्षमता है और दूसरों को सिखाने की भी क्षमता है। ~अकेले रहने की भी और समूह में रहने की भी क्षमता है। ~बालक में किताबों से भी पढ़ने से की क्षमता है एवं अन्य सामग्रियों जैसे यूट्यूब से भी पढ़ने की ताकत उसमें है। ~विश्लेषण करने की क्षमता रखने लिखने की क्षमता एवं खेल खेलने की क्षमता भी उसमें निहित है...

ज्ञान रचनावाद व भाषा शिक्षण 1

🙏लोकेश्वरी कश्यप  शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर विकासखंड मुंगेली  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़               👉ज्ञान रचनावाद एवं भाषा शिक्षण😊              बच्चा जब स्कूल में दाखिल होता है तो उसके पास शब्दों का  अथाह भंडार होता है. उसके पास अभिव्यक्ति की कौशल होती है.  चीजों को पहचान सकता है उनका वर्गीकरण कर सकता है अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाता है. हमें आवश्यकता है कि बच्चों के इन क्षमता पर विश्वास करें और उनको बढ़ाने का प्रयास करें.               हम बच्चों को कैसे छोटी-छोटी गतिविधियों एवं खेलों के माध्यम से उनके अंदर आत्मविश्वास एकाग्रता इत्यादि को बढ़ाएं.  🎯 कुछ मुख्य गतिविधियां जो हम कर सकते है,वह इस प्रकार से हैं:-  📍बच्चों के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु कुछ गतिविधियां बताई गई जिनमें कागज को बीच से दो उंगलियों की मदद से फाड़ना एक हाथ से कागज का गेंद या लड्डू बनाना. कागज को पढ़ने से कैसी आवाज आई इस पर ध्यान केंद्रित करना.  कागज के खेल के रूप में...

ज्ञान रचनावाद (भाषा व गणित शिक्षण )

                   गणितीय भाषाओं का उपयोग करके अच्छे से बच्चों में गणिती समझ विकसित कर सकते.                           जब बच्चा विद्यालय आता है अपने परिवेश की भाषाएं भी साथ में लाता है. इन भाषाओं में गणितीय भाषाएं एवं गणित का ज्ञान भी होता है. जैसे कि हर व्यक्ति को ही अपने जीवन में करता है वैसे ही बच्चा भी हर समय गणित का उपयोग करता है जाने अनजाने में किंतु बच्चे को गणित के सिद्धांतों से परिचय साला से परिचय स्कूल आने के बाद होता है. स्कूल में बच्चों को गणित के सैद्धांतिक एवं गणित के अंकों एवं प्रतीक चिन्हों का ज्ञान होता है.                          विद्यालय में गणित शिक्षण का मुख्य उद्देश्य बच्चों तार्किक क्षमता एवं विभिन्न कौशलों, पूर्वानुमान, वर्गीकरण पृथक्करण लगाना इत्यादि विभिन्न कौशलों का विकास. गणित शिक्षण का उद्देश्य बच्चे में समस्या समाधान व समस्या समाधान के विभिन्न पहलुओं पर अपनी समझ विकसित करना ...

गीता

*गीता* गीता एक बहुत ही शर्मीली लड़की थी. वह सातवीं क्लास में पढ़ती थी. उसकी सहेलियां उसे डरपोक डरपोक कहकर हमेशा चिढ़ाती  थी. लेकिन गीता कभी भी किसी को इसके लिए नहीं डरती थी या मना भी नहीं करती थी.   एक बार गीता और उसकी सहेलियां स्कूल से घर आ रही थी. रास्ते में रोड का कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा था, इसलिए रास्ता बंद था. तो उन्होंने तय किया कि वे दूसरे रास्ते से अपने घर जाएंगी. वे सभी आपस में बातें करते हैं चल रही थी. कुल तीन चार लड़कियां थी. क्योंकि वे कुछ अलग रास्ते से जा रही थी इसलिए उनको रास्ते और गलियों के बारे में अच्छे से पता नहीं था. यह सभी बस इतना जानती थी कि यह रास्ता उनके मोहल्ले तक जाता है. पर इस रास्ते के लोग इस रास्ते की गलियों के बारे में उन्हें बहुत कम पता था.   वह लोग कुछ डरी डरी  इधर-उधर ताकती देखती हुई चली जा रही थी. कुछ दूर जाने पर उन्हें ऐसा लगा कि कुछ लोग उनका पीछा कर रहे हैं. वे चारों लड़कियां डर गई. गीता ने कहा, तुम सब डरना बंद करो. अगर उन्हें पता चल गया कि हम डरी हुई हैं तो वह हमें और भी डराने की और कुछ नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते ह...

पेपर क्राफ्ट

पेपर क्राफ्ट पेपर क्राफ्ट एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा बच्चे बहुत कुछ कलात्मक अभिरुचि को अपनी जागृत कर सकते हैं वैसे भी बच्चों को पेपर से खेलना बहुत पसंद होता है इसके माध्यम से बच्चों की उंगलियों का सही संचालन होता है उनकी कलात्मक कौशल का विकास होता है और उनके रचनात्मकता का विकास होता है बच्चों में जीवन कौशल विकसित होता है उन्हें उनके अंदर सहयोग सामंजस्य और टीम भावना विकसित होती है एवं 21वीं सदी का प्रशन के कौशल का विकास होगा पेपर क्राफ्ट मात्र एक खेल खिलौना नहीं होता है यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत मजेदार और कारगर एक्टिविटी माना गया है पेपर क्राफ्ट के माध्यम से बच्चों की उंगलियों आंखों और मस्तिष्क का बेजोड़ समन्वय स्थापित होता है जो उनके मानसिक विकास और शारीरिक विकास एवं सामंजस्य के लिए बहुत ही बेहतर होता है अतः मैंने पेपर क्राफ्ट को बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास एवं सामंजस्य के लिए उनकी कल्पनाशीलता के लिए उपयोग किया है मेरी कक्षा में मैं बच्चों को बीच-बीच में कई बार लगभग सप्ताह में 2 दिन पेपर क्राफ्ट के माध्यम से खेलने और कुछ नया करने का अवसर प्रदान करती हूं ...

स्थानीयमान

🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚  इस TLM में अरब तक की संख्याओं का पॉकेट बनाया गया है जिसमें कि सभी में जीरो से लेकर 9 तक के अंक अंकित किए गए हैं. इसका उपयोग हम कक्षा के अनुसार और बच्चे के सीखने के   स्तर के अनुसार करेंगे. जैसे अगर बच्चा पकड़े तक की संख्याओं को पढ़ना सीख रहा हो तो उसके साथ हमसे करें तक की संख्याएं बनाना सीखेंगे. पॉकेट में रखे हुए अलग-अलग कार्ड जो कि 0 से 9 तक के अंक के हैं उनको को अदल बदल कर हम नहीं नहीं संख्याएं बनाना बच्चों को एक बार बता देंगे उसके बाद बच्चे स्वयं से इसे एक्टिविटी को कर सकते हैं बहुत ही आसान तरीके से इस एक्टिविटी को बच्चे स्वयं भी खुद से अकेले कर सकते हैं या फिर वह दो कि समूह में या फिर तीन और चार के समूह ने भी इस गतिविधि को कर सकते हैं. बड़ी क्लास के बच्चे और बड़ी संख्याओं को ले सकते हैं हजार तक 10000 तक किया इसमें अरब तक की संख्याएं अंकित की गई है. बच्चों को इस पि एल में काम करना गतिविधि करना आसान हो इसके लिए इसमें अरब तक की संख्याओं को हिंदी में लिख भी दिया गया है पॉकेट के ऊपर नाम अंकित किए गए हैं ताकि बच्चों को संख्याओं को पढ़ने में आसानी हो और व...

पर्यायवाची पंखुड़ियाँ

🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 इस अनोखे टी एल एम में पर्यायवाची शब्दों को लिखकर चिपकाया गया है. सभी   पंखुड़ी पर कोई भी एक शब्द लिखा गया है. उस शब्द के नीचे वाली पंखुड़ियों में उस शब्द से संबंधित पर्यायवाची शब्द लिखे गए हैं. बच्चे पंखुड़ियों को उठा उठा कर देखते जाएंगे और पर्यायवाची शब्दों को पढ़ते और समझते जाएंगे. यह बिल्कुल वैसा ही अनुभव होगा जैसे बच्चे फूलों की पंखुड़ियों को उठाते देखते हैं. इसे कलरफुल पेपर से बनाया गया है और इसकी डिजाइन फूलों की पंखुड़ियों की तरह रखी गई है जो बच्चों को आकर्षित करती है. इसमें कम समय कम स्थान में बहुत सारे शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखे जा सकते हैं. प्रत्येक शब्द के पर्यायवाची शब्द छुपे हुए हैं यह उन को बच्चों को तभी दिखाई देंगे जब वह पंखुड़ियों को उलट-पुलट कर देखेंगे. यह गतिविधि बच्चों के लिए बहुत ही रोचक मन रंजक ज्ञानवर्धक और रहस्यमई है क्योंकि बिना पंखुड़ियों को पढ़ते भी ना उन्हें अगला शब्द अगला पर्यायवाची शब्द प्राप्त नहीं होगा अगले पन्ने पर अगली पंखुड़ी पर क्या लिखा है यह जानना समझना बच्चों के लिए रोमांचकारी लगता है. 🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 1. टी एल एम क...

मजेदार खेल

 🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 यह एक अनूठा और मजेदार गेम हैं इसके माध्यम से बच्चे बहुत ही जल्दी और आसानी से संख्याओं को पढ़ना और बनाना सीखेंगे बच्चों को सम संख्या विषम संख्या छोटी से छोटी संख्या और बड़ी से बड़ी संख्या बनाने का अभ्यास इस गेम के माध्यम से खेले खेल में हो जाएगा.  यह बहुत मजेदार गेम है.  इस पि एल एम को शून्य निवेश नवाचार की टीम को ध्यान में रखकर बनाई हूं. इसके नियम बहुत ही आसान और सरल है जो की वीडियो में बताए गए हैं.  इसे बनाना बहुत ही आसान है. इसे बनाने के लिए कागज, पुराने शादी या ग्रीटिंग्स के कार्ड, कैची स्केच कलर गोंद पुट्ठा इतनी चीजों की आवश्यकता पड़ी है.  यह गणित का TLM बहुत ही उपयोगी है. आप भी अपने बच्चों के लिए इसे जरूर बनाएं और इसका प्रयोग करके देखें कि बच्चे कितनी जल्दी विभिन्न प्रकार की सम संख्याओं से परिचित होते हैं. बच्चे खेल खेल में गणित की विभिन्न अवधारणाओं को संख्याओं को पढ़ना लिखना और पहचानना बनाना सीख जाते है. 🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 1. बच्चे सम संख्या बनाना सीखेंगे. 2. विषम संख्या हम किन प्रकार से बना सकते हैं यह समझेंगे. 3.  दी हुई संख्याओं...

संक्रियाओं का लूडो

🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚  https://youtu.be/6RlwcqP5-pM 🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 1. बच्चे खेल-खेल में जोड़ना घटाना गुणा भाग क्रियाओं को सीखेंगे. 2. खेल खेल में सीखे गए संक्रियाओं का रिवीजन होगा. 3. खेल खेल में पढ़ाई. 4.  मनोरंजन. 5. शिक्षक के द्वारा बच्चों का मूल्यांकन. आसान होगा. 6. बच्चे को कहां पर परेशानी हो रही है यह शिक्षक आसानी से पता कर सकता है. 7. बच्चा कौन सी संक्रिया में बार बार गलती कर रहा है इसकी पहचान कर शिक्षक उसका उपचारात्मक शिक्षण कर सकते हैं. 8.  बच्चों का मानसिक विकास होगा. 9. खेल खेल में सीखना सिखाना. 10. बच्चों में 21 वि सदी के कौशल का विकास 🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 बच्चे डांस देखेंगे जो भी अंक आएगा उसमें बच्चों की गोटी खुल जाएगी. डाइट पर जो भी अंक आए उतने घर आगे बच्चे की गोटी पहुंचेगी. पर शर्त यह है कि जहां पर गोटी पहुंची है उसमें जो भी संक्रिया लिखी हो उसे बच्चा अपनी कॉपी में हल करेगा और उसका सही आंसर बताएगा आंसर बताने के बाद पेपर को पलट कर देखेंगे जहां गोठियाना है अगर नंबर नहीं है उसके आंसर सही है तब उसकी गोटी वहां पर आएगी अन्यथा जहां पर से उसने चलना शुरू किया था अपने...

अनोखी मशीन

🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 घटाने की अनोखी मशीन बच्चे प्रत्यक्ष रूप से इस TLM में गतिविधि करेंगे. इसमें तीन डिब्बे बनाए गए हैं. पहले में जो संख्या लेनी है उसकी पर्ची रखेंगे. उसी डिब्बे में हम डंडियों को गिन कर डालेंगे जितनी हमने पर्ची में लिखा है उतना. उसके बाद बीच वाले डिब्बे में जो भी अंक लिखा होगा पहले डिब्बे से स्ट्रॉ निकाल कर दूसरे डिब्बे में डालेंगे जितनी संख्या को घटाना है उतनी को गिन कर दूसरे डिब्बे में डालेंगे. जब हम उस में डालेंगे तो वह वहां से हट जाएंगी. इसके बाद हम तीसरे डिब्बे में जो बाकी बची डांडिया रहेंगी उसको रखेंगे गिन गिन कर. और गिरने के बाद जितने अंक बनेंगे उतने अंक कि हम ऊपर थी उस तीसरे डिब्बे में रखेंगे.  इस गतिविधि के माध्यम से बच्चे सरल - और हासिल वाले - को तीली बंडल के माध्यम से बहुत अच्छे तरीके से सीख जाएंगे. आप चाहे तो तीली मंडल के स्थान पर नकली नोटों को भी एक-एक के नोट को रखकर इस गतिविधि को  कर सकते हैं 1. खेल खेल में  घटाना सीखेंगे. 2.  कक्षा कक्ष बाल केंद्रित और रुचि पूर्ण बनेगा. 3. सीखने सिखाने का अनुकूल माहौल का निर्माण होगा. 4. भयमुक्त वातावरण ...

लर्निंग आउट कम्स की आवश्यकता क्यों

👉यह दस्तावेज क्यों /लर्निंग आउटकम क्यों? क्योंकि यह :- 1: सभी के लिए शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए। 2: बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए। 3: शत-प्रतिशत बच्चों को सीखने के मूलभूत अवसर उपलब्ध कराने के लिए। 4: वैश्विक नागरिक बनाने के लिए। 5: सीखने की प्रक्रिया में बच्चों की उपलब्धि मापने के लिए। 6: असर और नास के विद्यार्थियों के बुनियादी कौशलों की उपलब्धि के व्यापक असमानता को दूर करने के लिए। 7: बच्चों के सीखने के स्तर और अपेक्षित स्तर को समान करने के लिए। 8: नियमित आकलन करने के लिए। 9: सीखने के प्रतिफलों के मूल्यांकन के माध्यम से अभिभावक व समुदाय से गुणवत्ता पर सतर्क रहने के लिए। 10: व्यवस्था पर सुधार में उचित कदम उठाने के लिए। 11: शिक्षकों में विद्यार्थियों के किस प्रकार के सीखने की आवश्यकता और उसे मापने के लिए। 12: पाठ्य सामग्री की विभिन्नताओं तथा पढ़ाने के विभिन्न सिद्धांतों को ध्यान में रखने के लिए। 13: प्रत्येक कक्षा के सीखने के प्रतिफल के आधार पर शिक्षकों के साथ साथ माता-पिता, एस एम सी, एवं शिक्षा अधिकारियों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा स...

लर्निंग आउटकम्स की विशेषताएं

लर्निंग आउटकम्स  और उसकी विशेषताएं            👉 जब हम बच्चों के साथ कक्षा में गतिविधि करते हैं तो हमें सरल शब्दों का प्रयोग करना चाहिए. 👉 लर्निंग आउटकम्स के लक्ष्यों को 3 भागों में बांट सकते हैं 1. अल्पकालिक लक्ष्य 2. माध्यम कालिक लक्ष्य 3. दीर्घकालिक लक्ष्य  इन तीनों के बारे में उदाहरण द्वारा स्पष्ट करते है. 👉 पाठ्यचर्या बच्चों के बहू मुखी अर्थात सर्वांगीण विकास के लिए हैं. 🌼पाठ्यचर्या की अपेक्षाएं दीर्घकालिक लक्ष्य है. जिसमें की निम्न विशेषताएं परिलक्षित होती हैं. 👉 बच्चों का सर्वांगीण विकास अर्थात सामाजिक शारीरिक मानसिक भावात्मक इत्यादि विकास. 👉 गुरु और शिष्य का संबंध है  परस्पर निर्भर होता  हैं. 👉 बच्चों की सृजनशीलता को महत्व दीया जाना. 👉 बच्चों में सर्वांगीण विकास की बेहतर संभावना. 👉 विषय अनुसार अंतह और आंतरिक जटिलता को समझते हुए कार्य करना. 👉 भौतिक चुनौतियां एवं बच्चों की बुद्धि लब्धि अनुसार सीखने के प्रतिफल प्राप्त करने की संभावना पर बल दिया गया है. 1. पाठ्यचर्या की अपेक्षाएं.  पाठ्यचर्या की अपेक्षाओं से मतलब है कि ...

पंखुड़ियाँ

    👉 https://youtu.be/UpcVTKSffwU  इस t.l.m. में सीडी कैसेट के ऊपर फूलों की रंगीन पंखुड़ियां काटकर चिपका ई  गई है. के नीचे उस लेटर से शुरू होने वाले वर्ड लिखे गए हैं. जैसे ए एस एस एप्पल, आंट, आरो, ऐरो इत्यादि. इसी प्रकार B से बहुत सारे वर्ड लिखे गए हैं.C से बहुत सारे वर्ड लिखे गए. इसी प्रकार A to Z  से वर्ड लिखकर चिपकाया गया हैं. बच्चे शुरू में अंदाजा लगाएंगे की A से कोन कौन से वर्ड बन सकते हैं फिर पंखुड़ीय उठाकर देखेंगे. इस प्रकार बच्चे एक ही लेटर से शुरू होने वाले बहुत सारे वर्ड सी खेंगे. A से Z तक के और उनकी स्पेलिंग भी सीखेंगे लाभ  :- 1.  बच्चों का मनोरंजन. 2. खेल खेल में सीखना सिखाना. 3. भयमुक्त वातावरण का निर्माण. 4. बच्चों का सीखने के प्रति रुझान और आकर्षण. 5. सीखने सिखाने का माहौल बनेगा. 6.  बच्चों की कल्पना शक्ति का विकास. 7.  सही उच्चारण एवं सही स्पेलिंग सीखेंगे. 8.  शिक्षा के प्रति कृतज्ञता का भाव. 9. सामाजिक गुणों व कौशल का विकास. 10. लर्निंग आउटकम्स की प्राप्ति. 11. लर्निंग आउटकम्स की प्राप्ति में सहायक प्रक्रिया का निर्माण...

सतत एवं व्यापक मूल्यांकन

🙏*विशेष परिचर्चा 🙏 टॉपिक :- सतत एवम व्यापक मूल्यांकन.           मूल्यांकन अर्थात मूल्यों का अंकन ।प्रश्न है कौन से मूल्यों का अंकन करे।   अंकन कैसे करे ? क्या परीक्षा लेकर? किस किस चीज की परीक्षा ले? परीक्षा लेने से हमे क्या मिला?       उन्ही प्रश्न का उत्तर ढूढने आज हम इस परिचर्चा में सम्मिलित हुए है ।  वास्तव में बच्चो का आकलन करने के लिए किसी परीक्षा की आवश्कता नही है क्योंकि वह केवल बच्चो में भय एवम् तनाव की स्थिति उत्पन्न करता है। अतः परीक्षा की प्रणाली में सुधार करने एवम बच्चो की तुलना किसी अन्य बच्चे से ना करते हुए उसी बच्ची की तुलना उसके पूर्वज्ञान से प्राप्त अधिगम से करनी चाहिए । *सतत एवम व्यापक मूल्यांकन*    सतत अर्थात लगातार या निरंतर चलने वाली प्रक्रिया एवं व्यापक का अर्थ है सभी क्षेत्रों में किया गया मूल्यांकन।     सतत मूल्यांकन कहां कहां पर होता है। 1. बच्चों की सीखने की क्षमता का लगातार आकलन करना। 2. आपके द्वारा सिखाई जा रहे विषय वस्तु की अवधारणा बच्चों को समझ में आए कि नहीं इस विषय पर निरंतर आकल...

बच्चों में संज्ञानात्मक कौशल का विकास

 *विषय :- शाला पूर्व बच्चों में संज्ञानात्मक योग्यता का विकास.*    चर्चा के मुख्य बिंदु इस प्रकार से है. 👉 आकृति  :- बच्चों को विभिन्न प्रकार की आकृति को समझने में उनकी मदद करें. इसके लिए बहुत सारे गतिविधियां कराई जा सकती है जैसे कि वर्गीकरण के माध्यम से बच्चों को विभिन्न आकृतियों को पहचानने और उनका वर्गीकरण करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है इसके लिए हम विभिन्न प्रकार के पत्थर पेन पेन के ढक्कन या बोतल वगैरा के ढक्कन मोती कंचे पत्ति फूल इत्यादि की तरफ उनका ध्यान दिला सकते हैं. बच्चों के साथ देती विधि करते समय पहले तो विभिन्न आकृतियों के समूह बनाकर सभी बच्चों को दिखाएं एवं बच्चों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें. हम बच्चों से पूछ सकते हैं कि कमरे में दिखाई देने वाले गोलिया बेलनाकर आकृतियों को ढूंढ कर बताइए कौन-कौन सी चीजों की आकृति गोरिया बेलनाकार है बच्चों से उनका नाम पूछे. यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि बच्चों को आकृति के नाम ना बताएं अगर वह पूछे तो ही बताएं लेकिन आकृति के नाम रटने पर जोर ना दे. 👉 आकार :- आकार से यहां पर अर्थ है वस्तु का आकार तुलनात्मक रू...

शाला पूर्व बच्चों में संज्ञानात्मक विकास

 विषय  :- साला पूर्व बच्चों में संज्ञानात्मक योग्यता का विकास.  मुख्य बिंदु  :- 1 समय की अवधारणा 2. स्थान की अवधारणा 3. माप की अवधारणा 👉 1. समय की अवधारणा:- शाला पूर्व   के बच्चे  मिनट, घंटा,महीना,वर्ष इत्यादि के रूप में समय को नहीं समझ पाते हैं उन्हें सुबह दोपहर शाम रात को भी अच्छे से समझने  की जरूरत होती है. साला पूर्व बच्चे कल अगले व पिछले कल की थोड़ी थोड़ी समझ रखते हैं. आज है कल था कल आएगा ऐसे शब्दों की थी थोड़ी थोड़ी समझ रखते हैं. जैसे कि कोई सामान को कल खरीदेंगे आज नहीं ऐसा कहने पर वह कल की अवधारणा को समझते हैं एवं दूसरे दिन याद दिलाते हैं कि आज उनको खरीदना है. यहां पर बच्चे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति से संबंध स्थापित करके आने वाले दिन को याद रखने की और समझने की कोशिश करते हैं. पिछले दिनों अगर कोई रोचक घटना हुई हो कोई दुर्घटना हुई हो तो भी उसे जरूर याद रखते हैं क्योंकि इन घटनाओं के साथ वह कुछ अंतर संबंध स्थापित कर पाते हैं. अतः हमें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को उनकी समय संबंधी अवधारणा को समृद्ध करने की जरूरत है इसके लिए हम विभिन...

( ECCE ) बच्चों में भाषा कौशल का विकास कैसे करें?

🙏🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹   *विषय :- शाला पूर्व बच्चों में भाषा कौशल का विकास*   🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚  आज के प्रशिक्षण में बच्चों के भाषा कौशल के विकास के लिए पालनकर्ता जिसने कि अभिभावक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं शिक्षक आते हैं इनके व्यवहार एवं कार्यशैली पर तथा बच्चों पर पड़ने वाले इनके सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई.  बच्चों में जिज्ञासा एवं आसपास की चीजों को समझने और जानने की कोशिश करने  का जन्मजात गुण होता है. फिर क्यों आगे चलकर कुछ बच्चे बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं और कुछ बच्चे क्यों पिछड़ जाते हैं. इस पर  विचार किया गया. बच्चों में भाषाई विकास को कैसे बढ़ाएं. ऐसी कौन कौन सी गतिविधियां की जा सकती है जो बच्चों के भाषाई विकास को बढ़ानें मैं मदद कर सकती हैं. साला पूर्व बच्चों में भाषाई विकास को विभिन्न छोटे-छोटे बिंदुओं में बैठकर हम उनके साथ बहुत अच्छी से गतिविधि कर कर उनके भाषाई कौशल के विकास में मदद कर सकते हैं. कुछ बिंदु इस प्रकार से हैं :- 👉 बच्चों के साथ बातचीत या गपशप :- बच्चों के साथ समूह में और व्यक्तिगत रूप से भी बात करना चाहिए. व्यक...

शाला पूर्व बच्चों की भाषा क्षमता का विकास (ECCE )

*ECCE पर विशेष चर्चा   *विषय :- शाला पूर्व बच्चों की भाषा क्षमता का विकास*. आज की चर्चा के मुख्य बिंदु. 👉 *श्रवण संबंधी कौशल*. 👉 *श्रवण विभेदीकरण*. 👉 *गीत एवं कविता*. 👉 *कहानियां*. 👉 *श्रवण संबंधी कौशल*  :- बच्चों में सवार संबंधी कौशल के विकास के लिए विभिन्न आवाजों को पहचानना वह भेजो तू विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है. जैसे कि नल से टपकती बूंदों की आवाज, वर्षा की आवाज, मेंढक की आवाज, घंटियों,पत्तों,वाहनों, पत्तियों की सरसराहट,  विभिन्न चीजों की गिरने या टकराने की आवाज, झुनझुना की आवाज को सुनने के लिए और पहचानने के लिए बहुत सारी गतिविधियां करवा सकते हैं.  यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि बच्चे चित्रों के माध्यम से भी बहुत सारी चीजों को पहचानते हैं जिन्हें वे अपने आसपास देखते हैं एवं उनकी आवाजों को भी पहचानते हैं. अतः बच्चों को बोलने की विभिन्न अवसर प्रदान करनी चाहिए.  ताकि वे विभिन्न आवाजों को पहचान कर बता सके कि वे किस चीज की आवाज है. साथ ही हम बच्चों को पठन पूर्व पढ़ने के पर्याप्त अनुभव भी प्रदान करने चाहिए. जिससे कि बच्चे अप...

शाला पूर्व बच्चों में भाषाई कौशल का विकास (ECCE)

 विषय   :- शाला पूर्व बच्चों में भाषाई कौशल का विकास  3 से 6 वर्ष के शाला पूर्व बच्चों  में भाषाई कौशल के विकास  हेतु  हम क्या क्या कर सकते है. 👉 1.  भाषा कौशल के विकास में पहेलियों का उपयोग  👉 2.  चित्रों के वर्णन के  द्वारा बच्चों में भाषा कौशल का विकास. 👉  3. आंखों व हाथों के समन्वय के लिए विभिन्न गतिविधि.  पहेलियां  👉 4. पठन की तरफ ( लेबलिंग  ) 👉🤔  1. पहेलियां :- पहेलियां हर किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती हैं. पहेलियां हर वर्ग के लोगों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान का स्त्रोत भी होती हैं. सहेलियों से हमारा दिमाग सक्रिय रूप से काम करने लगता है. अतः इसका उपयोग बच्चों के भाषाई कौशल के विकास ने भी किया जा सकता है. सहेलियों भाषा विकास के साथ ही बच्चों के दिमाग को भी सक्रिय करने का काम करती हैं. बच्चों को सोचने के लिए तर्क करने के लिए प्रेरित करती है.  बच्चों के लिए पहेलियां बनाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान भी रखना पड़ेगा.1. पहेलियां बच्चों के स्तर के अनुसार हो. 2. पहेली का विषय उनके आसपास ...

ECCE पर विशेष चर्चा

ECCE पर विशेष चर्चा एवं प्रशिक्षण    विषय :- शाला पूर्व बच्चों में भाषाई विकास.  चर्चा के मुख्य बिंदु इस प्रकार से है. 👉 1. दृष्टि मुल्क प्रत्यक्षीकरण एवं विभेदीकरण. 👉 2. बोल बोल कर पढ़ना. 👉  3. देर से बोलना शुरू करना. हमने देखा कि शालापूर्व बच्चों को पठन पूर्व बहुत सारी गतिविधि करवाई जानी चाहिए. जिससे कि बच्चों में भाषाई कौशल का विकास बेहतर तरीके से हो सके. इसी क्रम में आज ऐसी बहुत सारी गतिविधियों की चर्चा की गई जो बच्चों के लिए पठन पूर्व पढ़ना पर आधारित है. 👉  1. दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण एवं विभेदीकरण :- किसी चित्र या वस्तु के छोटे से छोटे अंश को देख पाना पठन पूर्व पठन है इसे दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण कहते हैं.  जब बच्चे किसी चित्र, वस्तु,वर्ण,अक्षर,शब्द इत्यादि में समानता एवं समानता को देख पाते हैं एवं  उनको अभिव्यक्त कर पाते हैं तो यह दृष्टि मूलक प्रत्यक्षीकरण एवं विभेदीकरण की समझ बच्चों में आ गई है यह मानेंगे. जोकि पठन पूर्व की एक विशेष पठान प्रक्रिया है  .बच्चों को ऐसी बहुत सारी गतिविधि दी जानी चाहिए जिनमें कि उन्हें सूक्ष्म से सूक्ष्म ...

चार अनमोल रतन

💎💎💎💎 मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इससे जरूर धनवान होंगे..! *🌾1.पहला रत्न है:-*           *" माफी "🙏* *तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और ना ही उसके लिए कभी प्रतिकार की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ़ कर देना।* *🌾2.दूसरा रत्न है:-*          *"भूल जाना"* *अपने द्वारा दूसरों के प्रति किये गए उपकार को भूल जाना, कभी भी उस किए गए उपकार का प्रतिलाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना।* *🌾3.तीसरा रत्न है:-*         *"विश्वास"* *हमेशा अपनी मेहनत और उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना । यही सफलता का सूत्र है ।* *🌾4.चौथा रत्न है:-*           *"वैराग्य"* *हमेशा यह याद रखना कि जब हमारा जन्म हुआ है तो निश्चित ही हमें एक दिन मरना भी है..!  इसलिए बिना लिप्त हुए जीवन का आनंद लेना ! वर्तमान में जीना ! यही जीवन का असल सच है..!* उम्मीद करती हू आपके पास ऐ सारे रत्न होंगे, अगर कुछ कम है तो उनको भी कमाइए और शेजकर रखिये क्योंकि ऐ है अनमोल रत्न 👍🏻👍🏻   🙏🙏?...

आँखे

आज का विचार-🙏💐 *आंखे कितनी भी छोटी क्यो ना हो !!*        *ताकत तो उसमे सारा*             *आसमान देखने*                *की होती है*              *ज़िन्दगी एक हसीन*      *ख़्वाब है ,, ,, जिसमें जीने*       *की चाहत होनी चाहिये*           *ग़म खुद ही ख़ुशी*            *में बदल जायेंगे*                   *सिर्फ*                  *मुस्कुराने*                      *की*                    *आदत*                *होनी चाहिये।🌹 🕉जय श्री कृष्णा🌹🙏

NEP पर विशेष चर्चा

NEP 2020  पर विशेष चर्चा.    ईसीसीई को लागू करने के लिए इसे 4 हिस्सों में वर्गीकृत किया गया है. 👉 1. आंगनबाड़ी  केंद्र जो पहले से ही अकेले चल रहे हैं. 👉 2. आंगनबाड़ी  केंद्र जो प्राथमिक शाला प्रांगण  में संचालित हो रहे हैं. 👉 3. प्री प्राइमरी साला जो प्राथमिक शाला के साथ संचालित हो रहे हैं जैसे कि प्राइवेट स्कूलों में. 👉 4. अकेले संचालित हो रहे प्री प्राइमरी स्कूल.  ECCE के प्रावधान के तहत अब प्रीस्कूल शासकीय स्कूलों के साथ आएंगे. इससे पहले प्राइवेट स्कूलों में ही प्री प्राइमरी स्कूलों का संचालन होता रहा है.  जिसे कि अब शासकीय स्तर पर शासकीय स्कूलों के साथ प्री प्राइमरी और प्राइमरी स्तर को एक ही प्रांगण में संचालित करने का प्रावधान किया गया है.  इस प्रकार के संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त बुनियादी सुविधाओं के साथ सीखने के वातावरण निर्मित किए जाएंगे. साथी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, अभिभावक एवं शिक्षकों को साथ मिलकर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मिलकर कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. ताकि भविष्य में बच्चों को व्यक्तित्व विकास के सा...