सतत एवं व्यापक मूल्यांकन
🙏*विशेष परिचर्चा 🙏
टॉपिक :- सतत एवम व्यापक मूल्यांकन.
मूल्यांकन अर्थात मूल्यों का अंकन ।प्रश्न है कौन से मूल्यों का अंकन करे। अंकन कैसे करे ? क्या परीक्षा लेकर? किस किस चीज की परीक्षा ले? परीक्षा लेने से हमे क्या मिला?
उन्ही प्रश्न का उत्तर ढूढने आज हम इस परिचर्चा में सम्मिलित हुए है । वास्तव में बच्चो का आकलन करने के लिए किसी परीक्षा की आवश्कता नही है क्योंकि वह केवल बच्चो में भय एवम् तनाव की स्थिति उत्पन्न करता है।
अतः परीक्षा की प्रणाली में सुधार करने एवम बच्चो की तुलना किसी अन्य बच्चे से ना करते हुए उसी बच्ची की तुलना उसके पूर्वज्ञान से प्राप्त अधिगम से करनी चाहिए ।
*सतत एवम व्यापक मूल्यांकन*
सतत अर्थात लगातार या निरंतर चलने वाली प्रक्रिया एवं व्यापक का अर्थ है सभी क्षेत्रों में किया गया मूल्यांकन।
सतत मूल्यांकन कहां कहां पर होता है।
1. बच्चों की सीखने की क्षमता का लगातार आकलन करना।
2. आपके द्वारा सिखाई जा रहे विषय वस्तु की अवधारणा बच्चों को समझ में आए कि नहीं इस विषय पर निरंतर आकलन करना
3.सीखी हुई अवधारणा को क्या बच्चा अन्य परिस्थितियों में उपयोग कर पा रहा है इस बात का आकलन करना।
4. विषय वस्तु की समझ को पुख्ता करने के लिए कौन-कौन सी कठिनाई आ रहे हैं इस बात का आकलन करना।
5. शिक्षक एवं बच्चों के बीच आपसी तालमेल को सही तरीके से बनाए रखने हेतु बनाई गई विभिन्न गतिविधियों का आकलन करना।
6. बच्चों के साथ प्रत्येक गतिविधि कराने के पश्चात बच्चों में होने वाले परिवर्तन का निरंतर आकलन करना।
🙏🙏🙏🙏🙏👍🏻
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली (छत्तीसगढ़ )
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