शाला पूर्व बच्चों की भाषा क्षमता का विकास (ECCE )
*ECCE पर विशेष चर्चा
*विषय :- शाला पूर्व बच्चों की भाषा क्षमता का विकास*.
आज की चर्चा के मुख्य बिंदु.
👉 *श्रवण संबंधी कौशल*.
👉 *श्रवण विभेदीकरण*.
👉 *गीत एवं कविता*.
👉 *कहानियां*.
👉 *श्रवण संबंधी कौशल* :- बच्चों में सवार संबंधी कौशल के विकास के लिए विभिन्न आवाजों को पहचानना वह भेजो तू विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है. जैसे कि नल से टपकती बूंदों की आवाज, वर्षा की आवाज, मेंढक की आवाज, घंटियों,पत्तों,वाहनों, पत्तियों की सरसराहट, विभिन्न चीजों की गिरने या टकराने की आवाज, झुनझुना की आवाज को सुनने के लिए और पहचानने के लिए बहुत सारी गतिविधियां करवा सकते हैं.
यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि बच्चे चित्रों के माध्यम से भी बहुत सारी चीजों को पहचानते हैं जिन्हें वे अपने आसपास देखते हैं एवं उनकी आवाजों को भी पहचानते हैं. अतः बच्चों को बोलने की विभिन्न अवसर प्रदान करनी चाहिए. ताकि वे विभिन्न आवाजों को पहचान कर बता सके कि वे किस चीज की आवाज है. साथ ही हम बच्चों को पठन पूर्व पढ़ने के पर्याप्त अनुभव भी प्रदान करने चाहिए. जिससे कि बच्चे अपनी बातों को बेहिचक हमारे सामने रख पाए. इससे बच्चों में भाषाई कौशल का एवं शब्द का समृद्ध भंडार का निर्माण होता है. बच्चे जब पढ़ना नहीं जानते होते हैं तो भी वे चीजों को पढ़ पाते हैं जैसे कि उनका बता पाना कि यह कौन सा चॉकलेट है. कौन से कुरकुरे की पैकेट है. कौन सी बिस्किट है. बच्चों से उनके आसपास के विभिन्न मुद्दों एवं अनुभव पर चर्चा करना चाह.
👉 *ध्वनि विभेदीकरण* :- विभिन्न ध्वनियों में भेद कर पाना विभिन्न वस्तुओं में पढ़ना ना आने के बावजूद पढ़ पाना. आवाज वाले खिलौने या विभिन्न आवाज वाली वस्तुओं में बिना देखे आवाज के आधार पर उन में भेद कर पाना, यह सभी पठन पूर्व पढ़ने के उदाहरण हैं. यह सारी एक्टिविटी गतिविधियां श्रवण विभेदीकरण की क्षमता के विकास के लिए करवाना बहुत ही उपयोगी होता है. साथ ही इनसे शब्दों के परिचय व उच्चारण इत्यादि के लिए भी बच्चों को पूर्व अनुभव प्राप्त होते हैं. दीदी ने दुनिया पर गतिविधियां कराने से बच्चों में समान ध्वनि को पहचानने एवं उनमें अंतर करने की भी क्षमता उत्पन्न होती है. समान ध्वनि वाले शब्ददो जैसे चल कल मल जल
रात बात लात
ऐसी गतिविधियों से बच्चे शब्दों में आने वाले सामान ध्वनि को पहचानेंगे. जब बच्चा इसने प्रवीण हो जाए तो शुरू का अंत की ध्वनि की पहचान की गतिविधि करवाएं. इसी प्रकार से बीच के शब्दों को बदलकर भी ध्वनि पहचान की गतिविधि करा सकते हैं शब्द स्तर पर., जैसे कि राम नाम काम मात शाम नाम इत्यादि. यहां पर बच्चा सामान ध्वनी वाले शब्दों में अंतर की पहचान करेगा. ऐसी गतिविधियों में बच्चों को बोलकर करवाए तो बच्चे सुनकर , अलग ध्वनि वाले शब्दों की पहचान करेगा. जब बच्चा ध्वनि विभेदीकरण में पारंगत हो जाए तो उसे आगे की गतिविधि करवाएं. बच्चों की आंखों में पट्टी बांधे एवं उसे विभिन्न चीजों की ध्वनि सुनाएं. जैसे कि झुनझुना, बड़े घंटे,छोटी घंटियां, कंकड़ व रेत भरकर बजाएं और बच्चों को ध्वनि का पहचान करने के लिए कहे कि यह किस चीज की ध्वनि है. इससे बच्चों में श्रवण कौशल का बेहतरीन विकास होता है. साथ ही बच्चों में कल्पनाशीलता स्मरण शक्ति, का भी विकास होता है.
इन गतिविधियों में बच्चों को अभिनय की गतिविधि भी दी जा सकती है. जिसने कि बच्चे विभिन्न ना चीजों की ध्वनि निकाल कर उनका अभिनय करेंगे. से के बच्चों को आनंद के साथ साथ सीखने के अवसर भी प्राप्त होंगे. इससे उनमें कल्पना शक्ति श्रवण शक्ति तर्कशक्ति और एवं बौद्धिक विकास भी तीव्र गति से होगा.
👉 *गीत एवं कविता* :- जब बच्चेदानी विभेदीकरण में पारंगत हो जाए तब बच्चों को गीत गाना एवं कविता को गाना इत्यादि की तरफ ले जाए. गीत एवं कविताओं में बहुत आनंद आता है एवं उन्हें यह गतिविधि बहुत मजेदार लगती है.
बच्चों के लिए उनके आसपास की उनके परिवेश की एवं उनके लिए मजेदार चीजों पर छोटी-छोटी कविताएं बनाई जा सकती है.
जैसे कि :- हम सब कल
खाने लगे फल
ताकि मिले बल
बीमारी जाए टल.
ऐसी छोटी -छोटी कविताएं बच्चों के लिए मजेदार अर्थपूर्ण और गाने व समझने में सरल होती है. इसे वे सामान्य शब्दों में बोलकर भी बता सकते हैं कि हम सब ने कल फल खाए और जिससे कि हमें बल मिला और हमें इससे बीमारी नहीं आएगी.
इस प्रकार की छोटी-छोटी कविताएं बच्चों के अभिव्यक्ति का माध्यम भी बन सकती है., बच्चों के लिए गीत कविता लिखते समय ऐसे टॉपिक ले जो बच्चों को के लिए अर्थपूर्ण मजेदार और उनके अनुभव में आने वाली चीजें हो. साथ ही बच्चों के सामने इन गीतों और कविताओं को हाव भाव के साथ स्वर में उतार-चढ़ाव के साथ प्रस्तुत किए जाने चाहिए जिससे कि बच्चे जिन शब्दों का अर्थ नहीं समझ पाते हैं उन्हें हाव-भाव के से समझ जाए एवं स्वर के उतार-चढ़ाव से उसका अर्थ गढ़ पाए.
👉 *कहानियां* :- बच्चों को कविता,कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता है. साथ ही चित्र बनाना खेलना एवं विभिन्न चीजों को उलट-पुलट कर के तोड़फोड़ करके देखना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. अतः बच्चों के लिए उनके स्तर के अनुसार छोटी-छोटी बाल कहानियां मजेदार रोचक कहानियां तैयार करें. बच्चों की सुनी हुई कहानियां को भी ले सकते हैं. बच्चों को नियमित कहानियां सुनाना चाहिए., यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि :-
1. कहानियां छोटी-छोटी हो.
2. काल्पनिक मजेदार हो.
3. बच्चों के आसपास से संबंधित कहानियां भी ले सकते हैं.
4. कहानियों को हाव भाव एवं स्वर में उतार-चढ़ाव के साथ प्रस्तुत करें.
5. कहानी से बच्चों को आनंद आए.
6. कहानियां चित्रात्मक हो.
एक शिक्षक होने के नाते हम सभी के पास ढेर सारी छोटी-छोटी कहानियां उपलब्ध होनी चाहिए. अगर कहानियां ना भी हो तो बच्चों के आसपास की चीजों से छोटी सी कहानी बनाई जा सकती हैं. यूट्यूब पंचतंत्र गूगल आदि से भी कहानियां ली जा सकती है.
बच्चों को भी कहानी के माध्यम से अपने अनुभव सुनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.बच्चों को कहानी का नाटककीकरन करने के लिए कहा जा सकता है., कहानियों के माध्यम से बच्चे नए नए शब्द व नई नई संकल्पनाए भी सीखते हैं. बच्चों को कहानियां सुनाने के बाद उसे छोटे-छोटे विभिन्न प्रश्न भी पूछने चाहिए. इससे बच्चों में कल्पना शक्ति का विकास होता है एवं उनकी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है.
🙏🙏🙏
*लोकेश्वरी कश्यप*
*जिला मुंगेली (छत्तीसगढ़)*
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