शिक्षक की भूमिका
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✒️ नई पेडागोजी में शिक्षक की भूमिका:-
अभी तक हम सभी यही समझते आ रहे थे, कोर्स कंप्लीट करवा देना ही हमारा लक्ष्य है. किंतु इस लक्ष्यवेध प्रशिक्षण के पश्चात हमें वास्तविकता अच्छे से समझ आई. इस प्रशिक्षण के पश्चात हमने जाना कि, एक शिक्षक होने के नाते हमारा दे केवल बच्चों को कोर्स कंप्लीट करवाना ही नहीं होता. वस्तु तो इससे आगे और भी बहुत कुछ होता है. एक शिक्षक का मूल कर्तव्य है अपने बच्चों को भविष्य के लिए और भविष्य में आने वाली चुनौतियां के लिए तैयार करना. जो कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से हम सब ने समझा. इसी संदर्भ में मैं नई पेडागोजी में शिक्षा की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करना चाहती हूं. जो कि निम्न बिंदुओं द्वारा कहने का प्रयास करूंगी.
1. शिक्षक एक मार्गदर्शक के रुप में:-
वास्तव में शिक्षक छात्रों के जीवन में एक मार्गदर्शक ही होता है. जो उसे जीवन में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है और उसके जीवन को सही दिशा देता है. एक्सिस्ट गुरु वही होता है जो अपने छात्र को सही मार्गदर्शन दे पाए और उसके जीवन और जीवन स्तर को और व्यक्तित्व को सही दिशा दे पाए. वास्तव में छात्रों की उपलब्धि उनके शिक्षकों की उपलब्धि मानी जाती है.
2. एक सहायक के रूप में:-
शिक्षक छात्रों के लिए एक मार्गदर्शक के साथ-साथ सहायक भी होता है. जो उसकी शैक्षणिक गतिविधियों में सहायता करता है. और उनकी उपलब्धि में उनका सहायक बनता है.
3. प्रेरणा स्त्रोत:-
माता पिता के बाद एक गुरु ही होता है जो अपने छात्रों को प्रेरित करता है. कभी किन्ही कथा संवादों चरित्रों के द्वारा तो कभी अपने व्यक्तित्व के द्वारा. बच्चा जी जितना प्रेरित अपने गुरुजनों से होता है शायद ही वह इतना प्रेरित किसी और से होता होगा. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षक छात्रों के लिए प्रेरणा स्त्रोत होते हैं.
4. आत्मविश्वास बढ़ाने वाला:-
एक शिक्षक ही होता है जो कि अपने छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करता है.
एक शिक्षक ही होता है जो अपने छात्रों की प्रतिभा को पहचानता है और उसके अनुसार उसको सही मार्गदर्शन प्राप्त करता है इस तरह से उसका आत्मविश्वास बढ़ाते रहता है.
5. तकनीकों का इस्तेमाल:-
वर्तमान का युग तकनीकों का युग है. वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार की तकनीकें हैं जो हमें सीखनी होती हैं. शिक्षक अपने छात्रों को विभिन्न तकनीकों के माध्यम से ज्ञानार्जन करने में मार्गदर्शन करेंगे एवं उन तकनीकों के बारे में उसे जानकारी भी देना होगा अब शिक्षकों को.
6. छात्रों के लिए पलकों से संपर्क करता है. वर्तमान मैं तकनीकों का प्रचार प्रसार होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के माता-पिता को इन तकनीकों के लिए जागरूक करने का उत्तरदायित्व अब शिक्षकों के हाथों में हैं.
7. पाठ्य पुस्तक से बाहर:-
अब शिक्षकों पाठ्यपुस्तक के अलावा परिवेश आसपास एवं अन्य दक्षता ओं के बारे में भी अपने छात्रों को अपडेट करते रहना होगा.
8. चुनौती दाता:-
आज शिक्षक का एक नया रूप बच्चों के सामने आएगा. जो बच्चों को हर समय नई नई चुनौतियां को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करेगा. बच्चों को नए नए-नए चुनौतियां उपलब्ध कराएगा ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके.
9. बच्चों की कल्पनाशीलता को बढ़ाना वाला.
10. बच्चों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सोच विकसित करने वाला.
11. बच्चों में वसुधैव कुटुंबकम की भावना विकसित करने वाला.
12. एक कुशल प्रबंध कर्ता के रूप में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही हैं
📌 तकनीकों का हमारे विद्यालय में प्रयोग 📌
1. दीक्षा एप:-
संकुल की तरफ से हमें दीक्षा एप डाउनलोड करने के लिए कहा गया था. दीक्षा एप का उपयोग हमारे स्कूल में किया जाता है.
2. स्मार्ट साला:-
स्मार्ट शाला के उपयोग से हम तथा कक्षा में बच्चों की जिज्ञासा बनाए रखते हैं. उन्हें इसमें से पढ़ना अच्छा लगता है.
3. यूट्यूब से जनरल नॉलेज की सामग्री हम बच्चों को दिखाते हैं.
4. व्हाट्सएप:-
व्हाट्सएप में फ्रेंड के द्वारा दिखा भेजे गए विभिन्न प्रकार के ज्ञानवर्धक वीडियो और जानकारी वाले वीडियो बच्चों को दिखाते हैं.
5.टाइमस्टैंप ऐप:-
स्कूल लगने वाली स्कूल की छुट्टी होने के समय जब हम टाइमस्टैंप का उपयोग करते हैं तब विभिन्न आयोजनों में फोटोग्राफ्स बच्चे भी हमारे हमारे साथ अपनी सेल्फी लेते हैं.
6.विभिन्न आयोजनों में फोटोग्राफ्स
7. मन की बात रेडियो कार्यक्रम :-
अपनी शालाओं में माननीय श्री प्रधानमंत्री जी का संबोधन भी हम मोबाइल के द्वारा बच्चों को सुनाते हैं कभी-कभी हम स्पीकर का भी उपयोग करते हैं.
इस प्रकार हम अपनी शालाओं में विभिन्न प्रकार से तकनीकों का प्रयोग करते हैं.
🙏 असाइनमेंट प्रस्तुतकर्ता
श्रीमती लोकेश्वरी कश्यप
शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर
संकुल सेतगंगा
विकासखंड मुंगेली
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
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