NEP पर विशेष चर्चा


NEP 2020  पर विशेष चर्चा.

  ईसीसीई को लागू करने के लिए इसे 4 हिस्सों में वर्गीकृत किया गया है.
👉 1. आंगनबाड़ी  केंद्र जो पहले से ही अकेले चल रहे हैं.
👉 2. आंगनबाड़ी  केंद्र जो प्राथमिक शाला प्रांगण  में संचालित हो रहे हैं.
👉 3. प्री प्राइमरी साला जो प्राथमिक शाला के साथ संचालित हो रहे हैं जैसे कि प्राइवेट स्कूलों में.
👉 4. अकेले संचालित हो रहे प्री प्राइमरी स्कूल.

 ECCE के प्रावधान के तहत अब प्रीस्कूल शासकीय स्कूलों के साथ आएंगे. इससे पहले प्राइवेट स्कूलों में ही प्री प्राइमरी स्कूलों का संचालन होता रहा है.  जिसे कि अब शासकीय स्तर पर शासकीय स्कूलों के साथ प्री प्राइमरी और प्राइमरी स्तर को एक ही प्रांगण में संचालित करने का प्रावधान किया गया है.

 इस प्रकार के संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त बुनियादी सुविधाओं के साथ सीखने के वातावरण निर्मित किए जाएंगे. साथी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, अभिभावक एवं शिक्षकों को साथ मिलकर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मिलकर कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. ताकि भविष्य में बच्चों को व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ पढ़ाई एवं अन्य स्तरों का बहुत अच्छे से विकास हो.

 इस प्रशिक्षण के माध्यम से अभिभावकों आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं शिक्षकों को बच्चों में होने वाले सूचना परिवर्तनों पर उनके कार्य व्यवहार एवं सीखने की क्षमता और प्रक्रिया पर प्रशिक्षित किया जाएगा. अभिभावकों के कार्य व्यवहार पर चर्चा प्रशिक्षण व मार्गदर्शन भी किया जाएगा जिससे कि बच्चों को घर में भी शिक्षा से जोड़े रखा जा सके. जिस वातावरण में बच्चे खुशी-खुशी सीखते हैं बच्चों को वह वातावरण उपलब्ध करवाना हम सबकी जिम्मेदारी हैं. बाकी बच्चों का सर्वांगीण विकास हो एवं वे खीझ तनाव व गुस्से जैसे विकारों से दूर रहे.
 एक उदाहरण द्वारा यह बताया गया कि कैसे हम जाने-अनजाने बच्चों को इरिटेट करते हैं और अगर यह प्रक्रिया बार-बार अपनाई जाती है तो बच्चे बहुत चिड़चिड़ी हो जाते हैं. और धीरे-धीरे वे चिड़चिड़ापन के आदी हो जाते हैं. क्योंकि अभिभावक इस परिस्थिति से या इस प्रक्रिया से अनजान होते हैं इसलिए वे अनजाने में ही बच्चे के विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं. अतः इस प्रशिक्षण में अभिभावकों को भी शामिल किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वह यह समझ सके कि घर में भी बच्चों को बहुत अच्छे से सीखने के अवसर उपलब्ध करवाए जा सकते हैं जिससे कि बच्चा खुशी-खुशी सीख पाए.. जब बच्चे खुशी-खुशी कोई कार्य को करते हैं और उनको प्रोत्साहन दिया जाता है तो जब बच्चे जिस क्षण प्रोत्साहित महसूस करते हैं और तेज खुशी का अनुभव महसूस करते हैं उस समय उनके मस्तिष्क में डोपामाइन रसायन सक्रिय हो जाता है और बच्चे बहुत तेजी से किसी अवधारणा /चीज को ग्रहण कर पाते हैं. जिससे कि बच्चों में आत्मविश्वास उत्पन्न होता है. और वह अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होता है. लेकिन यदि अनजाने में ही बच्चों को बार-बार किसी कार्य के लिए रोका जाता है तो बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है और वह बोलने में या सामने आकर किसी काम को प्रदर्शित करने में झिझक अनुभव पर करते हैं जिससे कि उनका सर्वांगीण विकास अवरुद्ध होता है. बच्चा घबराहट में या आत्मविश्वास की कमी के कारण हकलाना शुरू कर देता है और यह उसकी आदत बन जाती है.  इन सभी प्रक्रियाओं को अभिभावकों व, शिक्षकों तथा  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी समझना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि बच्चा इनके संपर्क में ही रहता. इन के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों का संचालन एवं निर्माण किया जाएगा जिससे कि बच्चों की सर्वांगीण विकास में मदद मिले.

 अगर बच्चे कोई गलती करते हैं तो उन्हें रोकने की बजाय उस काम को और बेहतर तरीके से किया जा सकता है यह समझाना चाहिए ताकि बच्चे का मानसिक विकास तीव्र गति से हो एवं उसे सही मार्गदर्शन प्राप्त हो. एवं उसे किसी काम को करने के लिए स्वतंत्रता व प्रोत्साहन व मार्गदर्शन  भी प्रदान करें. आवश्यकता इस बात की है कि बच्चा जो काम कर रहा है उसे पहली नजर में ही न करने के बजाय हम यह समझने का प्रयास करें कि ऐसी कौन-कौन सी गतिविधियां हैं ऐसे कौन कौन से काम है जिससे वर्तमान में और भविष्य में सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं. जो बच्चों के सर्वांगीण विकास में उनके  शारीरिक मानसिक बौद्धिक और संज्ञानात्मक विकास में सहायक हो सकते हैं. कहने का तात्पर्य है कि बच्चों के कार्य में  क्रिटिकल थिंकिंग को ध्यान में रखकर विचार करें व निर्णय ले. इस गतिविधि से क्या और कैसे परिणाम प्राप्त होंगे इनका क्या-क्या प्रभाव बच्चों   की शारीरिक मानसिक विकास पर पड़ेगा.

बाल वाटिका में 5 स्तरों को विकसित करने हेतु विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

👉 1. संवेगात्मक विकास
👉 2. भावनात्मक विकास
👉 3. संज्ञानात्मक विकास.
👉 4.शारीरिक क्षमता विकास
👉 5. प्रारंभिक साक्षरता, संख्या ज्ञान का विकास(गणितीय भाषाई ).

 यदि बच्चों ने यह दक्षता प्री प्राइमरी स्कूल में हासिल नहीं की है तो कक्षा पहली में प्रवेश से 3 माह के अंदर दक्षता को हासिल करने के लिए ब्रिज कोर्स करना आवश्यक होगा.

 महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत 3 से 6 वर्ष के बच्चों को प्री प्राइमरी स्तर में संज्ञानात्मक भावनात्मक साक्षरता ज्ञान के लिए औपचारिक शिक्षा से जोड़ना जरूरी  है. इससे पूर्व आंगनबाड़ी स्तर में 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए यह शिक्षा अनौपचारिक थी पर अब इसे औपचारिक शिक्षा से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए शिक्षक समुदाय को सामने आना होगा शिक्षक आंगनबाड़ी के साथ मिलकर गतिविधियां कराएंगे. एनसीईआरटी द्वारा इसके लिए प्रसार व गतिविधियां डिजाइन करेंगे. बच्चों में सही कौन सा एक्टर डिवेलप करना एक बहुत बड़ी चुनौती है.

ECCE के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जो दर्शन दो या उससे अधिक योग्यता वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता  शिक्षकों को 6 माह का प्रशिक्षण व प्रमाण पत्र  दिया जाएगा. इससे कम योग्यता रखने वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक को 1 वर्ष का डिप्लोमा कोर्स पूरा करना होगा प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों को भी बाल वाटिका के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र जाकर विभिन्न गतिविधियां करवाना की आवश्यकता पड़ेगी छोटे बच्चों को सिखाना एक महत्वपूर्ण कार्य व चुनौती भरा कार्य है. जिसे हम सबको मिलकर करना होगा.

 बच्चों में सही कौन से एक्टर डेवलप करना बहुत बड़ी चुनौती है. अगर बच्चों में सही अवधारणा विकसित नहीं होगी तो उनमें नकारात्मक सोच को बढ़ावा मिलेगा. जिससे कि बच्चे कहीं ना कहीं धीरे-धीरे आपराधिक मानसिकता से प्रभावित होते जाएंगे जिसका असर निश्चित तौर पर जीवन के प्रत्येक पक्ष पर नकारात्मक ही पड़ेगा इसके लिए हमें जी जान से अपने कार्य में जुट जाना है ताकि बच्चों में सकारात्मक सोच का विकास हो एवं उन्हें विभिन्न अवधारणाओं की अच्छी समझ हो. बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग एवं क्रिएटिव थिंकिंग का विकास करने के लिए हम सबको कड़ा परिश्रम करना पड़ेगा.

कहा जाता है कि शिक्षक एक सर्वश्रेष्ठ कलाकार होता है. वह समय-समय पर विभिन्न भूमिकाएं निभाता है वह बच्चों का मार्गदर्शन करता है. अगर शिक्षक अपने कर्तव्य से चूक जाता है तो वह समाज में ऐसे विद्यार्थी ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करता है जो समाज के लिए घातक,असहनशील, असंवेदनशील असामाजिक असहिष्णु  हो सकते हैं. अतः हमें शिक्षक होने के नाते विभिन्न भूमिकाएं निभाने की आवश्यकता है. हमें एक डॉक्टर की तरह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास की देखभाल करनी है. एक इंजीनियर की तरह उन्हें सुदृढ़ बनाना है. बच्चों में शारीरिक मानसिक भावात्मक संवेगात्मक भाषाई एवं गणितीय कौशलों का विकास करते हुए बच्चों में क्रिटिकल और क्रिएटिव थिंकिंग का विकास करना हमारी जिम्मेदारी है.

👉 ECCE के तहत क्लस्टर रिसोर्स सेंटरों की व्यवस्था

 अधिकतर प्रसिद्ध क्षणों में देखा गया है कि रिसोर्ट रहती प्रशिक्षण लेकर जब अगला व्यक्ति को प्रशिक्षण देता है तो वह जितना सीखा होता है या समझा होता है  उतना दे पाता है. यह प्रशिक्षण दूसरे से तीसरे स्टेज तक आते-आते काफी कमजोर हो जाता है. इसके भाव व विभिन्न अवधारणाएं व्यक्ति विशेष से आते हुए बदलती जाती हैं. अपने वास्तविक स्वरूप से विकृत हो जाने के कारण प्रशिक्षण कार्य का परिणाम सही तरीके से नहीं मिल पाता या इंप्लीमेंट नहीं हो पाता. अतः क्लस्टर रिसोर्स में ऐसे प्रशासन की आवश्यकता है जो सीधे ही इन उद्देश्यों व अवधारणाओं को पहुंचाएं. जो कि शिक्षक अभिभावक व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है उन तक इन योजनाओं व अवधारणाओं को सीधे ही पहुंचा पाए.

👉 आंगनबाड़ी केंद्र में माताओं का आना जाना होता रहता है किंतु स्कूलों में ज्यादा नहीं हो पाता. इसके कई कारण हो सकते हैं उनमें झिझक की भावना भी हो सकती हैं. हमें अभिभावकों को विश्वास में लेकर उन्हें स्कूल आने के लिए एवं विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करना चाहिए. विभिन्न अवसरों में माताओं को अभिभावकों को बुलाये एवं उन्हें सम्मानित करें.

👉 ECCE के तहत अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ( शिक्षा मंत्रालय),महिला और बाल विकास मंत्रालय,स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा संयुक्त रुप से बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अब कार्य किया करेगा.

👉  बच्चों में बेहतर स्वास्थ्य व स्वच्छता बनाए रखने के लिए विभिन्न गतिविधियों के लिए कार्य योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है.

👉 NEP के द्वारा नीपूर्ण के नाम से नई जानकारी जारी की गई है यह सूचना आदरणीय श्री सुनील मिश्रा सर जी के द्वारा दी गई.

इसके पश्चात कुछ जिज्ञासा भरे एवं कुछ अनुभव भरे प्रश्नों का दौर चला. जिसमें की कार्य करने की 3 तरीकों के बारे में बात की गई.
👉 भयभीत होकर अथवा भय दिखाकर किए गए कार्य.
👉 प्रोत्साहन या इनाम के लिए किया गया कार्य.
👉 स्वप्रेरणा से प्रेरित होकर किया गया कार्य.

 जिसमें कि हमने पाया कि स्वप्रेरणा से प्रेरित होकर का किया गया कार्य ही सर्वोत्तम होता है.

 एक प्रश्न और आया कि आपके विचार को आप जैसा सोच रहे हैं वैसे का वैसा कोई क्यों माने?
 जब तक हम अपने स्तर पर कुछ अच्छा नहीं कर पाएंगे तब तक लोग हमारे नजरियों को नहीं समझ पाएंगे और ना ही स्वीकार कर पाएंगे. अतः हमें  क्रिटिकल थिंकिंग और क्रिएटिव थिंकिंग को अपनाते हुए बेहतर कार्य करना होगा. सब लोग स्वच्छता ही हमारे नजरियों को समझेंगे और उसे स्वीकार करेंगे और हमारा साथ देंगे.

 एक बहुत अच्छी बात बताई गई. जिसने मुझे काफी प्रभावित किया.
👉 * जब हम निराश होने लगे या लोग हमें हतोत्साहित करने लगे तब हमें खुद के सकारात्मक और अच्छे कार्यों के लिए खुद की पीठ थपथपा नी चाहिए और खुद को शाबाशी देना चाहिए इससे हमारा आत्मविश्वास बना रहता है*.

 सफल चर्चा परिचर्चा के लिए आदरणीय श्री दीपेश पुरोहित सर जी को  और सफल मंच संचालन के लिए आदरणीय का उर्मिला एक्का  मैम को बहुत-बहुत धन्यवाद.


🙏🙏

 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

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