मेरे विचार
🙏श्रीमती लोकेश्वरी कश्यप
विकासखंड मुंगेली
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
🎯असाइनमेंट🎯
1. दिए गए चार इसके बारे में मेरी विचार पहले क्या थी? अब क्या राय हैं.
(स्व, समाज, भौतिकसुविधाएं, शासन)
1.स्वयं के स्तर पर:- से काम जिनको हम खुद ही कर सकते हैं बिना किसी सहायता के स्वप्रेरणा से.
2. स्वयं और समुदाय के सहयोग से :- खुद और समुदाय के सहयोग से किए जाने वाले काम इस श्रेणी में आते हैं.
3. स्व, समाज और भौतिक सुविधाye :- ऐसे काम जिनमें हम समाज की मदद से अधिक सुविधाएं वाह संसाधन जुटाते हैं.
4. स्व, समाज, भौतिकसुविधाएं एवं प्रशासन:- ऐसे काम जो हम शासन प्रशासन की मदद के नहीं कर सकते.
🔦पहले :- पहले मेरी राय थी कि शासन सुविधाएं उपलब्ध कराएं तो समाज हमारी शालाओं के तरफ आकर्षित हो और हम को साला में अध्ययन अध्यापन करवाने में सरलता हो वह सुगमता हो. हम पूरी तरह से शासन के ऊपर डिफेक्ट है ऐसा लगता था. और इसी सोच की वजह से शायद हम कहीं ना कहीं अपने काम में लापरवाही भी करते रहे. हम खुद को यह तसल्ली देते कि शासन कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवा रहा है क्या कर सकते हैं.
🌞 अब मेरे विचार🌞
इस बहुमूल्य लक्ष्य भेद प्रशिक्षण ले रही हूं तो अब मेरे विचार पूरी तरह से बदले हुए महसूस होते है मुझे. अब जो क्रम था वह बदल गए. अब महसूस होता है कि हमारी सोच कितनी नकारात्मक थी. पर अपने अनुभवी, सकारात्मक सोच रखने वाले गुरुजनों, हर प्रेरणादाई शिक्षकों के विचार एवं कार्यों को समझ कर तहे दिल से महसूस करती हूं कि हमें हर प्रयास पहले ट्रैक्टर हमें हर प्रयास पहले स्वयं के स्तर पर शुरू करना चाहिए. जब हमारे प्रयास सही दिशा में होंगे हम हमारी नियत भी अच्छी होगी तो समाज का विश्वास और सहयोग हमें स्वयं ही मिलने लगेगा. जब समाज का विश्वास और सहयोग मिलेगा तो भौतिक संसाधनों की पूर्ति भी धीरे-धीरे संभव है. हमारी सकारात्मक पहल एवं कार्यों को देखकर प्रशासन का ध्यान भी हमारी तरफ आना स्वाभाविक है. और अगर ना भी आए तो भी तब उसकी परवाह नहीं होगी.
✒️असर, Nas, पिसा के बारे में मेरी राय:-
1.असर स्तर के बच्चे::- असर स्तर के बच्चे हमारी शालाओं में व्यापक रूप से देखने को मिलते हैं.
2.NAS स्तर के बच्चे:- मूल्यांकन के इस स्तर में काफी कम बच्चे होते हैं. वास्तव में यह हमारी ही ना कामयाबी है.
3.PISA स्तर के बच्चे:- वास्तव में इस स्तर के बच्चे बहुत ही कम हैं. जो हैं उनको भी काफी तराशने की जरूरत है. नाच स्तर के बच्चों को इसी फार्मूले के तहत स्तर पर लाया जा सकता है. वास्तव में पीसा अंतर्राष्ट्रीय मानको के मूल्यांकन का एक उच्च स्तर है.
🔍 पीसा मैं अपेक्षित 6C, विकसित करने के लिए शिक्षा का विद्यालय की भूमिका🔍
इसके लिए हमें बच्चों के साथ 6C पर काम करना होगा.
1. क्रिटिकल थिंकिंग :- बच्चों को उनकी क्षमता पर विश्वास करना सिखाना होगा. बच्चों को यह विश्वास होना चाहिए कि वह कर सकते हैं और बेहतर कर सकते हैं.
2.क्रिएटिव थिंकिंग :- बच्चों के रचनात्मक कौशल पर हमें विश्वास जताना होगा ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े और रेट ज्यादा क्रिएटिव और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ सके और उपलब्धि हासिल कर पाए.
3. कोलैबोरेशन थिंकिंग:- बच्चों में एक दूसरे का सहयोग करने का गुण विकसित किया जाए. बच्चों को यह विश्वास होना चाहिए के सहयोग से बड़े से बड़े काम आसान हो जाता है. बच्चों में टीम वर्क की भावना विकसित की जानी है.
4. कम्युनिकेशन :- सहयोग के साथ-साथ बच्चों में कम्युनिकेशन गुण भी अर्थात बेहतर संवाद का गुन भी विकसित करना है. कि वे बेझिझक अपनी अभिव्यक्ति कर पाए.
5. कॉन्फिडेंटल अर्थात बच्चों में आत्मविश्वास कुटकुट समाया हो. हमें बच्चों को इतना आत्मविश्वास ही बनाना कि वे अपनी बात, अपने गुण, अपनी सोच और अपने रजत गुड़ को समाज के काम में लगा सकें. और जीवन में बहुत सब हासिल कर पाए जो उनका अधिकार है. जो उनके सपने हैं जो उनकी महत्वाकांक्षा हैं.
सभी बच्चे वास्तव में बहुत जिज्ञासु, होते हैं. उनमें हर चीज को जाने नहीं सीखने और समझने की ललक होती हैं. वास्तव में हमें उनके इन्हीं गुणों को हमारे ना और विकसित करना है. देखा जाए तो विद्यालय और शिक्षक का मेन उद्देश्य यही होता है.
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