ज्ञान रचनावाद (भाषा व गणित शिक्षण )

                   गणितीय भाषाओं का उपयोग करके अच्छे से बच्चों में गणिती समझ विकसित कर सकते. 
                         जब बच्चा विद्यालय आता है अपने परिवेश की भाषाएं भी साथ में लाता है. इन भाषाओं में गणितीय भाषाएं एवं गणित का ज्ञान भी होता है. जैसे कि हर व्यक्ति को ही अपने जीवन में करता है वैसे ही बच्चा भी हर समय गणित का उपयोग करता है जाने अनजाने में किंतु बच्चे को गणित के सिद्धांतों से परिचय साला से परिचय स्कूल आने के बाद होता है. स्कूल में बच्चों को गणित के सैद्धांतिक एवं गणित के अंकों एवं प्रतीक चिन्हों का ज्ञान होता है. 
                        विद्यालय में गणित शिक्षण का मुख्य उद्देश्य बच्चों तार्किक क्षमता एवं विभिन्न कौशलों, पूर्वानुमान, वर्गीकरण पृथक्करण लगाना इत्यादि विभिन्न कौशलों का विकास. गणित शिक्षण का उद्देश्य बच्चे में समस्या समाधान व समस्या समाधान के विभिन्न पहलुओं पर अपनी समझ विकसित करना भी होता है. गणितीय शिक्षण के बिना बच्चों की विभिन्न विषयों की शिक्षण एवं ज्ञान अधूरा रह जाती है. 
                       कैसे कक्षा एक में आने वाले बच्चों के साथ गणित शिक्षण में 9 गणितीय भाषाओं का उपयोग करना चाहिए. बच्चों के साथ अंको पर काम करते हुए हमें बहुत सारी सावधानियां का ध्यान रखना है एवं बच्चों को स्टेप बाय स्टेप चीजों आकृतियों सहायक सामग्री की मदद से कैसे बच्चों को मूर्त से अमूर्त की ओर ले कर जाना है. मतलब यह कि बच्चा जिन चीजों को देखता छुपा महसूस करता और जानता है हमको उन चीजों से जोड़ते हुए गणित की अमूर्त अंकों की पहचान तक बच्चों को ले जाना है. 
                 *9 गणितीय भाषाएं*

                  1.ऊँगली की भाषा :-
 
ऊँगली की भाषा से मतलब है की उँगलियाँ दिखाकर गिनना. जैसे 👇  
☝️=1कितनी ऊँगली है. बच्चे गिन कर बतायेंगे 1 
      
                   2 *चित्र की भाषा*
 
        हम 1 चित्र दिखाकर बच्चों से पूछेंगे कितने चित्र है? जैसे 👇
 हर चित्र के लिए पूछेंगे बच्चों  से ये कितना है. 
बच्चा गिनकर बताएंगे. 
*🐎*     1 घोड़ा है 
*🐒*      1 बंदर है 
*🐪*      1 ऊंट है 
*🌺*      1 फूल है 
*🐟*       1 मछली है 

              3*क्रिया /एक्शन की भाषा*
             इसलिए भाषा के अंतर्गत शिक्षक बच्चों को कुछ करने के लिए कहेगा. जैसे 
1 बार कूदो. 
1 कदम चलो 
1टांग पे खडे होकर दिखाओ 
1  हाथ ऊपर करो 
   
            4*आवाज /ध्वनि की भाषा *

ध्वनि की भाषा में बच्चों को किसी भी चीज की ध्वनि 1 बार ही सुनाई जाएगी या 1 बार ही बजाओ ये कहा जायेगा. जैसे 
1 बार घंटी बजाओ 
1बार ताली बजाओ 
1 बार चुटकी बजाओ 
1 बार थाली बजाओ 

                  5*वस्तु की भाषा*

     वस्तु की भाषा से तात्पर्य है कि वस्तु दिखाकर पूछना कि यह कितनी वस्तु है. जैसे
बच्चे चीजों को गिन कर बताएंगे कि वह कितना है? 
1🍫     एक चॉकलेट है 
1🌴      एक पेड़ है
1📱      एक मोबाइल है
1🍭       एक लॉलीपॉप है
1🦋     एक तितली है

              6*करेंसी या चलन की भाषा*

 यहां पर करेंसी आचरण की भास् मतलब है नोटों की भाषा या रुपए पैसों की भाषा. बच्चों को नकली नोट दिखा कर बताना कि ₹1 का नोट है यह ₹2 का नोट है इत्यादि
 चलन की भाषा या करेंसी की भाषा ज्ञान बच्चे के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि जब बच्चा पैसों से गतिविधि करता है तो वास्तविक रूप से व्यावहारिक रूप से गणिती भाषा से परिचित होता है.


                7*स्पर्श की भाषा*

 स्पर्श की भाषा से मतलब है बच्चा छूट जाएगा कि उसने कितनी बार छुआ है. उसको किसी ने कितनी बार छुआ. जैसे
 एक बार कीमटिं  काटना
 एक बार हाथ को छूना
 एक बार पीठ में छूना
 एक बार उंगली छूना

         8*कहानी की भाषा*

 कहानी की भाषा से मतलब है बच्चे छोटे-छोटे वाक्य अपनी बात बताएंगे. जैसे बच्चे ने एक सिक्का  पकड़ा है. तो बच्चा उसे वाक्य में बोलकर बताएं कि उसके हाथ में क्या है और कितना है? जैसे मैंने एक फूल पकड़ा.
 मेरे पास एक पेन है.
 मां ने मेरी एक चोटी बनाई है
 मैंने एक रसगुल्ला खाया


    9*प्रतीक चिन्ह/अंको की भाषा*

   जब बच्चा इतनी सारी गतिविधियां कर चुका है तब हम उसे आसानी से बता सकते हैं कि एक फूल को हम, एक को(1) लिखते हैं
 हमें चीजों के साथ अंको को लिखकर दिखाना पड़ेगा.
 जैसे
☝️1  ऊँगली 
🌺1फूल 
1️⃣1रूपये 
🍭1लॉलीपॉप 


                इस प्रकार से हम आगे बढ़ते जायेंगे.



🙏🙏🙏🙏🙏


 लोकेश्वरी कश्यप

 जिला मुंगेली (छत्तीसगढ़ )

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