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Showing posts from April, 2022

वृद्धावस्था

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वृद्धावस्था  वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी.  के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. जाने कितने गौरव के काम किये, जाने कितना तपे, तपती दुपहरि से शाम किये. सबके मुँह में निवाला जाये, जाने किन- किन रीति से इनका इंतजाम किये. माता - पिता यू ही वृद्ध नहीं होते  वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी. व्यक्ति के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. बच्चों की राहत भरी नींद के लिए, जाने कितनी रातें अपनी तमाम किये. बच्चों की चाहतें पूरी करने को, जाने अपने कितने अरमान कुर्बान किये. माता  - पिता यूँ ही वृद्ध नहीं होते  वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी. व्यक्ति के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. बच्चों के सुंदर, महंगे कपड़ो के लिए, अपने फटे कपड़ो को सीते रहें. जब- जब बच्चों पे मुसीबत आई तो, अपनी लाचारी पे भीतर ही भीतर घुटते रहें. माता - पिता यूँ ही वृद्ध नहीं होते  वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी. व्यक्ति के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. बच्चों की ऊँची शिक्षा की खातिर, अपने सिर  पे कर्ज हजारों लिए. बच्चों की जाने कितनी ज...

माँ तो बस माँ होती है

💐शीर्षक - माँ तो बस माँ होती है   माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l  माँ अन्नपूर्णा,सरस्वती,माँ दुर्गा,रमा,महाकाली है l बच्चों की खुशियां हेतु खुद को मिटा देने वाली है l माँ हमपर दया,प्रेम,करुणा, ममता लुटाने वाली है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l माँ तो है प्रकृति का रूप,वह सृष्टि चलाने वाली है l बच्चों को खुश देख के,माँ खुश हो जाने वाली है l माँ खुश है तो बच्चे की हर रोज होली, दिवाली है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l बच्चे जिनका सम्मान करें वह माँ किस्मत वाली है l बच्चे की रक्षा के लिए माँ बन जाती दुर्गा,काली है l माँ बच्चों की खुशियों की रखवाली करने वाली है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l अपनी खुशियां निछावर करे बच्चों पर,माँ दानी है l बच्चों का सदा हित चाहे जग में माँ कल्याणी है  l जैसी भी हो माँ बच्चे के लिए वह सदा ही ज्ञानी है l माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है  l जिनका कोई नहीं जग में,उनकी मां शेरावाली है l हर परिस्थिति में करती सदा बच्चों की रखवाली है l ...

भविष्य के बच्चे

💐शीर्षक - भविष्य के बच्चे नहीं कोई किसी से कम,इन्हें काम करने हैं अच्छे l ये हैं बड़े तेज तर्रार समझो नहीं तुम इनको कच्चे l ये हैं दिल के साफ,मन है इनके पवित्र और सच्चे l माने कभी ना हार, ये हैं हमारे भविष्य के बच्चे l इनकी बुध्दि का लोहा माने अच्छे - अच्छे l इनसे पंगा लेने वालों के,गिला कर दे ये कच्छे l करते हैं शैतानिया हजारों हैं शरारती ये बच्चे l हरदम आगे बढ़ना इनको ये हैं भविष्य के बच्चे l महंगे है इन के खेल खिलौने खेले नहीं खेल सस्ते l इनसे भी ज्यादा भारी होते हैं इन बच्चों के बस्ते l तकनीकों के आदि हो रहे रिश्तो से दूर होते बच्चे l रिश्तो की मिठास दो इनको,ये हैं भविष्य के बच्चे l ज्ञान देना होगा परंपराओं और संस्कृतियों का इन्हें l मानवता धर्म कर्म का ज्ञान मिले तकनीकों संग इन्हें l रिश्तो की मर्यादा बता,उनका करना सम्मान सिखाएं इन्हें l दया,प्रेम,क्षमा सिखाएं ये है हमारे भविष्य के बच्चे l अपने अधूरे अरमानों को ना थोपो अपने बच्चों पर l खुश हो खेलने मुस्कुराने दो,खिल उठेंगे इनके चेहरे l वेद पुराण की बात बताओ,कहानियाँ सुनाओ अच्छे l जड़ों को इनकी मजबूत करो ये हैं भविष्य के बच्चे l ...

तेरी याद आई

💐शीर्षक  - तेरी याद आई आ जाओ अब तुम भी, की ऋतु बसंत की आई l  हे मोहन हे कृष्ण कन्हाई, आ जाओ कि तेरी याद आई l  तुझे पुकारे है यमुना का तट,  बह चली है सुगंधित पुरवाई l  भवरें भी कर रहे हैं गुंजा रे ,  आ जाओ कि तेरी याद आई  l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

अधूरा

अधूरा  मैं रह गई अधूरी,  रह गई मेरी हर चाहत अधूरी l  कृष्णा तेरा साथ मिला  तेरा साथ मिला वह भी अधूरा  l  मिला प्रेम अधूरा,  मेरा तेरा साथ अधूरा  l  अरमान तो बहुत है इस दिल में,  पर हर अरमान मेरी रह गई अधूरी  l  सपने देखे थे क्या क्या ना पा लूंगी मैं,  हौसलों की उड़ान भी भरपूर रही मेरी  l  पर अपनों ने ही मेरे पंख कुछ इस तरह से कुतरे,  अधूरे पंखों से परवाज मेरी रह गई अधूरी  l  कई सुनहरे  सपने सजाए थे इन आंखों में,  मेरे सारे सपने रह गई अधूरे l  कुछ वक्त ने भी चाल ऐसी चली,  किनारे पर आते-आते कश्ती मेरी डूब गई  l  कृष्णा तू ने साथ दिया तो बहुत मेरा,  पर तेरा साथ भी मिला मुझे अधूरा l  तेरे सपने मेरी आंखों में झीलमिलाने लगे,  दिल में दब के रह गए  मेरे सपने अधूरे l  प्यार भी मिला तो मिला अधूरा,  क्या मेरा कोई सपना कभी होगा पूरा  l  अरमानों की अर्थी कंधे पर उठाये चल रही हूं,  कृष्णा तेरे साथ बिना मेरी जिंदगी रहेगी अधूरी l  लोके...

मेरे अपने सपने

💐शीर्षक - मेरे अपने सपने क्या- क्या ना सोचा था,क्या- क्या सपने सजाए  l जाने कितने सपने इन आंखों में झिलमिलाए l सितमगर वक्त ने कुछ ऐसे सितम ढाए हैं हमपे, रेत की तरह फिसलते गए मेरे अपने सारे सपने  l  कृष्णा तेरा प्यार कुछ कम ना था मुझ पर  l पर तूने भी गैरों की तरह पलटा मार ही लिया l जब मेरे कुछ प्यारे सपने पूरे होने लगे कृष्णा l तब तूने क्यों मेरा साथ बीच  मझधार छोड़ दिया l यूं तो अकेली मैं भी चल सकती हूं जीवन की राहे l बिन तेरे किसी मंजिल पर पहुंचना मुझे गवारा नहींl यूँ तों जिद में कर सकती हूं अपने सारे सपने पूरे  l पर मेरा कोई सपना तेरे बिना कृष्णा होता नहीं l मेरा सपना था उस मुकाम पर पहुंचे प्रेम हमारा  l तेरे मेरे प्रेम की मिसाले दे यह जमाना सारा l जाने मेरे सपनों को लग गई किस बैरन की नजर l कृष्णा क्यों तूने फेरी मुझसे अपनी प्रेम भरी नजर l सोचा था अपने सपनों को जी लूंगी जी भर के  l अपने समर्पण के आंचल में भर लूंगी तेरा प्रेम l तेरे सपनों को अपना मान मैं जीती रही कृष्णा  l पर मेरे सपनों को नहीं क्यों तूने कभी अपनाया l सोचा था जीवन में तेरा ...

रामकथा

विधा - चोका  विषय  - राम जन्मोत्सव  शीर्षक - राम कथा  चैत्र शुक्ल में,  तिथि नवमी आयो l  शुभ घड़ी में,  जन्मे श्री रघुनाथ l  घर-घर में,  मंगल ध्वनि छाई l  तारण हार,  श्रीराम अवतरे l  हुए हर्षित,  मात-पिता समाज l  स्थापित किया,  धरा पर मर्यादा l  गए आश्रम,  गुरु से पाया ज्ञान l  एकाग्र मन,  लगाया वहाँ ध्यान l  ताड़का मारी,  प्रसन्न ऋषि गण l  अहिल्या तारी,  कियो पाषाण मुक्त l  मिथिला गये,  गुरु संग ले भ्राता l  धनुष तोड़ा,  गुरु आज्ञा पाकर l  प्रसन्न भई,  जनक सुता सीता l  वरा राम को,  सबका ले आशीषl  विवाह हुआ,  चारों भ्राताओ का भी l  मंगल छायो,  मिथिला अवध में l  श्री सीताराम,  लखन लिए संग l  वे गए वन,  चौदह बरस को l सीता हरण, मिला दारुण दुख l मिलन हुआ, भक्त हनुमान से        l   राम सुग्रीव,  बन गए वे मित्र l  एक तीर से,  बाली मार गिराया l  राज तिल...

तेरे दो नैना

💐शीर्षक - दो नैना  तेरे दो नैना भोले भाले, जाने क्या जादू डाले  l जो देखे इन दो नैनो में कान्हा हो जाते हैं मतवालेl घने और घुंघराले,तेरे बाल हैं लंबे काले काले l इन बालों के गुच्छो में,भंवरे करें दिन रात गुंजारे l  तेरे दो नैना भोले -भाले,जाने क्या जादू डाले l सागर सी गहराई है,इन झील से दो नैनों में रे l जादूगर है तेरे दो नैना, सब पर जादू  डालें l जो भी इन आंखों में झांके,वह डूब ही जायेl  तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l  तेरे नैनो की जादू से कोई भी बच ना पाये l  चितचोर हैं ये, सबका सुध - बुध चुरा ले जाये l तेरी मुस्कान कान्हा,तेरे नैनो में झिलमिलाये l तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l गोपियों की फोड़ गगरी,तु उनको आँख दिखाये l नटखट कान्हा बता,तुझे माखन क्यों इतना भाये l संग ग्वालो के तु कान्हा चुरा - चुरा माखन खाये l तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l जब माँ यशोदा पास तेरी कोई शिकायत लाये l भोले नैनो में तु भरके झूठे असुवन छलकाये l फिर चिढ़ाये गोपियों को इन नैनो को मटकाये l तेरे दो नैना भोले भाले,जाने क्या जादू डाले l रा...

तुम्हारी यादें

💐शीर्षक - तुम्हारी यादे  हर पल मुझे सताता है तु ओ सांवरे l  बिन तेरे कुछ नहीं भाता है ओ बावरे l  एक जगह क्यों नहीं होता तेरा ठाव रे l  कृष्णा हर पल आती है तुम्हारी याद रेl  सुनकर तेरी मधुर मुरलिया की धुन रे l  मैं तो भूली मोहन अपना सुध - बुध रे l  बंधी चली आती बांधे बिन डोर कोई रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l  याद आती है पूनम कि वह मधुमास रे  l  वह रात रही सब रातों से कुछ खास रे l  रचाया था जब गोपियों संग महारास रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l  जाकर मथुरा भूल गए तुम क्यों गांव रे  l  यमुना के घाट, कदंब की शीतल छांव रे l  तुझे पुकारे कान्हा गोकुल के सारे गायें रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l  सूख गई गोपियों के असुवन की धार रे l पड़ी कैसी हम पर विधाता,विरह की मार रे l तेरे जाने से लुट गया कान्हा,सुख का संसार रे l कृष्णा हर पल आती है  तुम्हारी याद रे l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 08/04/2022

अधूरी मुलाक़ात

शीर्षक - अधूरी मुलाकात  प्रिया अपने मौसी की बेटी की शादी में गई थी l वाह दार दार के शादी की सारी तैयारियों में  सहयोग कर रही थी l शादी का माहौल से बहुत आनंदित करता l वह हर एक फंक्शन को इंजॉय करती थी l  निश्चित दिन बारात भी दरवाजे पर आ गई  l उन्हीं बारातियों के साथ आया था राजीव l बारात की आने की रस्म अदायगी के वक्त प्रिया ने राजीव को देखा था l राजीव भी बस एकटक प्रिया को ही देखे जा रहा था l दोनों की निगाहें जैसे एक दूसरे से हटने को तैयार नहीं थी l जाने एक दूजे की आंखों में उन्हें क्या नजर आया l बस फिर क्या था  l प्रिया  यही कोशिश कर रही थी कि किसी बहाने बाराती जहां ठहरे हैं वहां कुछ काम पड़ जाए l जाने क्यों जब से उसने राजीव को देखा था उसका मन बहुत बेचैन हो गया था l राजीव को देखते ही उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता था l जाने कैसे राजीव को भी प्रिया की बेचैनी समझ आ गई थी l पर वो ऐसे बना रहा जैसे कि कुछ जानता ही ना हो l राजीव प्रिया को छुप छुप कर देखता था l प्रिया भी जब उसे देखने की कोशिश करती थी तो वह छिप जाता था l सारे बाराती खाना खा चुके थे पर राजीव का कहीं अ...

नन्ही बिटिया

विधा - कविता विषय - चोका शीर्षक -  नन्ही बिटिया  नन्ही बिटिया जादू की है पुड़िया प्यारी मुस्कान  हर पीड़ा हर ले ताली बजाती सबको है रिझाती नन्हें हाथों से  डाले गले में बांहे   बाजे पैजन ठुमक कर चले धूल लिपटे धरा में लोट जाये माँ को सताये वो नखरे दिखाए जिद्द करती पर मान भी जाये छोटे छोटे दो वह दाँत दिखाए काजल लगे नन्ही प्यारी आँखों में जो उसे देखें हर्षित वो हो जाये प्यारी बिटिया आँखें जब नचाये दिल खुश हो जाय  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 06/04/2022

परिवार

💐शीर्षक- परिवार  सुख दुख में जो सदा साथ निभाता  l  बने हमारा संबल सदा हौसला बढ़ाता  l  धर्म-कर्म, संस्कार जो हमें सिखाता l  परिवार समाज की नींव बनाता  l  हमें रिश्तो की मर्यादा सिखाता  l  पोषित करता हमको सक्षम बनाता l  नेकी -बदी में  फर्क हमें समझाता l  परिवार समाज की नींव बनाता  l  देकर हमें अस्तित्व धरा पर लाता l  सुरक्षा देता खतरों से हमें बचाता l  प्रेम, त्याग, एकता,समर्पण सिखाता l  परिवार समाज की नींव बनाता  l  धीरज धर दुख को बांटना सिखाता  l  सुख में सब के साथ हंसता गाता  l  यहां पिता का दुलार मां की ममता l  परिवार समाज की नींव बनाता  l  कहीं छोटा तो कहीं बड़ा होता  l  सुख दुख में सदा साथ खड़ा रहता  l  इसका साथ छोड़ना पड़ेगा  महंगा l  परिवार समाज की नींव बनाता  l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 05/04/2022

सच्चा मित्र

💐शीर्षक -  सच्चा मित्र  भले बुरे का जो भान कराए l वक्त पड़े तो वह काम आए l तर्क सहित जो सच्ची बात बताए l सच्चा मित्र बस वही कहलाए l  बिगड़ी बात बनाने में लग जाए l  बिन कहे पीड़ा हमारी भाप जाए l  जिसका साथ हमें सुकून दिलाएं l  सच्चा मित्र बस वही कहलाए l  संग - संग हमारे जो मुस्कुराए  l  हमारे गम में उसकी पलकें भीग जाए l  कभी खुद ही माने कभी रूठ जाए  l  सच्चा मित्र बस वही कहलाए l  जब भी मन करे वह घर आए  l  हम जो रूठे तो वह हमें मनाएं  l  जब हम रोवे वह हमें हंसाए  l  सच्चा मित्र बस वही कहलाए  l  हमारी कमियां जो हमें बताए l  उन कमियों को जो दूर कराए l  मित्रता की जो मर्यादा निभाए  l  सच्चा मित्र बस वही कहलाए  l  जग में जो हमारा सम्मान कराए l  मिलकर मित्रता का धर्म निभाए l  अच्छे मार्ग पर जो हमें चलाए l  सच्चा मित्र बस वही कहलाए  l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 06/04/2022

निश्चय

💐शीर्षक - निश्चय   महिमा जब शादी होकर ससुराल आई  l उसकी मुंह दिखाई हुई l सब उसकी सुंदरता और रूप की तारीफ करते नहीं थक रहे थे l सबकी जुबान पर एक ही बात थी l बहु तो चांद सी है l चांद के जैसा इसका मुखड़ा गोल है l चांद के जैसे चमकता चेहरा है l चांद से मुखड़े को किसी की नजर ना लगे l महिमा इतनी प्रशंसा सुनकर फूली नहीं समा रही थी l राकेश अपनी पत्नी की सुंदरता पर रात दिन मंत्रमुग्ध रहता था l  महिमा ने एक बहू की अपनी सारी जिम्मेदारियां धीरे-धीरे संभाल लिया था l राकेश और महिमा के दो सुंदर सुंदर प्यारे बच्चे थे l सास ससुर ननद सभी महिमा से बहुत प्रसन्न रहते थे l महिमा भी जी जान से पूरी कोशिश करती थी कि उसके परिवार में सब उससे प्रसन्न रहें उसके  परिवार में प्रेम बना रहे l ननंद की जब शादी हुई तब महिमा ननंद रश्मि पर भारी पड़ रही थी l महिमा की सुंदरता सजी-धजी रश्मि पर भारी पड़ रही थी l राकेश ने महिमा से हंसते हुए कह भी दिया चलो हम भी इसी मंडप पर दूसरी शादी कर लेते हैं l राकेश अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर महिमा फूली नहीं समाती थी l  धीरे-धीरे दोनों बच्चे बड़े होने लगे l अब ...

सहनशीलता

💐शीर्षक - सहनशीलता  सहनशीलता की परिभाषा हमको सिखाती धरती माता  l  प्राणी के सारे कर्मों को चुपचाप सहती रहती धरती माता  l  सारी आवश्यकताओं की पूर्ति करती मां जैसी धरती माता l  प्यार, सम्मान,संरक्षण की सच्ची अधिकारी धरती माता l  गर्भ में जिसके खनिज संपदाओं की भरमार वह है धरती माता l  वर्षा ऋतु में हरियाली की ओढ़े चुनरिया नई नवेली  धरती माता l  बच्चों के उत्पाद मुस्कुराकर सहित सहनशील धरती माता l  जन-जन में देशभक्ति का भाव जगाती अपनी धरती माता  l  एक बीज हम से लेकर  हजार गुना लौटाती धरती माता l  अपने रज के कण-कण से प्राणी को पोषित करती  धरती माता l  अपना रौद्र रूप दिखलाती जब रुष्ट होती मानव से धरती माता  l  सब  उथल-पुथल कर पुनः अपने गर्भ में समा लेती धरती माता  l  अपने हर रूप में जीवन का सच्चा पाठ पढ़ाती धरती माता  l  हर परिस्थिति में सहनशीलता का सबक देती  धरती माता  l  हम पर लुटा कर अपनी ममता सदा मुस्कुराती धरती माता l  अत्याचारी को सबक सिखाना रौद्र र...

अपना देश और विदेश

💐शीर्षक - अपना देश और विदेश  अपना प्यारा देश छोड़कर जो अभागे, बस जाते हैं विदेश l तन बसता है उनका परदेस में, मन बसे है अपने ही देश  l अपने देश की मिट्टी, संस्कृति,सभ्यता को याद करके बैठ रोते है परदेश l अपने देश आने पर, अपने ही लोग कहते हैं उन्हें बाबू विदेशी l अपने देश की छटा निराली फिर क्यों जाना है तुम्हें विदेश l प्राचीनतम है सभ्यता,संस्कृति यहां की जिसकी गौरव गाथा गाते विदेश l विश्व गुरु कहलाता था जग में,सोने की चिड़िया अपना देश l अपने देश हित में काम करो तुम, परचम लहरा दो देश-विदेश l अपने सारे ज्ञान व समर्थ को, झोकने मत जाया करो विदेश l अपना सामर्थ्य और ऊर्जा यहां लगाओ करो समृद्ध तुम अपना देश l हमारे देश की सभ्यता, एकता, समृद्धि, सामर्थ्य से नतमस्तक होंगे विदेश l आज करें प्रतिज्ञा, अपने भुजबल से पुनः स्वर्णिम कर देंगे अपना देश l भारत के इस चमन में बसते हैं रंग - बिरंगे फूल देश-विदेश से l जग में सबसे प्यारा, न्यारा,वसुधैव कुटुंबकम की भावना रखता अपना देश l ऐसे प्यारे देश को अपने छोड़कर,कभी नहीं जाना तुम विदेश l हमारी आन है,हमारी शान हैं, हमारी पहचान है, हमारा देश l  ल...

सोशल मीडिया

शीर्षक : सोशल मिडिया  यह जगत है महामाया की दुनिया, इसने हमें भरमाया हैl  सोशल मीडिया भी है माया की दुनिया,  जिसे हम सब ने बनाया है l  यह है भैया ऐसी भूल भुलैया,  जिसने सब की मति को भरमाया है l  सोशल मीडिया में फैली है देखो,  हम सभी की सैकड़ो प्रतीछाया है l  इस के चक्कर में जो भी पड़ा है भैया,  उसने अपना समय बस व्यर्थ गवाया   है l  झूठ, फरेब छल और चालाकी की  सदा गर्म रहती यहां बाजार है l  अच्छाई,सच्चाई और सत्संग की भी,  तनिक नहीं यहां भरमार है l  ज्ञान विज्ञान,अच्छे बुरे सभी चीजों की,  यहां सैकड़ों लगे अंबार है l  लेता हर आदमी जिसको जिसकी जितनी दरकार है l  अजूबा है सोशल मीडिया यह भूतकाल का चमत्कार है l  सृजन का रास्ता भी यहां, यहां विनाश का द्वार है  l  प्यार, दोस्ती भी यहाँ, यहां विश्वासघात है l  सोशल मीडिया बस भ्रम का भ्रामक जाल है l  इसका चारों ओर मचा जोरदार धमाल है l  जो भी कहो, सोशल मीडिया कमाल कमाल कमाल हैl  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 03...

रे मनवा तू भरम से निकल

शीर्षक : रे मनवा तू भरम से निकल   रे मनवा तू भरम से निकल,  इसके जरिए कर ले उसकी भक्ति,  तेरी जिंदगी तर जाएगी l  तू चाहे जितना इसे सजा ले, संवारे ले,  यह तन है मिट्टी की गुड़िया, एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगी  l  रे मनवा तू भरम से निकल,  तू जितना इस पर जान छीड़केगा, यह तुझे उतना ही तुझे तड़पाएगी l  धरी रह जाएगी तेरी सारी चालाकी,  यह तुझे मदारी सी मचाएगी l  रे मनवा तू भरम से निकल  कोई धाम नहीं है यह तेरा,  यह बस एक खाली मकान है  l  माया नगरी की इस दुनिया में,  बस सजी-धजी एक दुकान है  l  रे मनवा तू भरम से निकल,  इस मायानगरी में देखो तो सही,  ऐसी सैकड़ों सजी -धजी दुकानें हैं l  यह तन तो उस माया पति की,  चलती -फिरती मिट्टी की गुड़िया है l  रे मनवा तू भरम से निकल,  उसने दिया यह तन हमको, उसकी भक्ति रस के पान को l  अपना समझ बैठे हो तुम पगले ,  उस दीनदयाल  के दान को l  रे मनवा तू भरम से निकल,  कर ले उसकी निश्छल  भक्ति,  गौरवान्वित कर ले ...

जीवन की शाम

💐शीर्षक -जीवन की शाम   कौन देश से आया मुसाफिर बता तेरा क्या नाम है?  किस वास्ते आया यहां बता तेरा यहां क्या काम है?  लगता तू छलिया,कपटी,पर मुंह पर राम-राम है  l  कहां जाना है तुझे,बोल जरा कहां तेरा धाम है ?  दूर देश से आया गोरी,श्याम मेरा नाम है l  सौदा करने आया हूं मैं, सौदेबाजी मेरा काम है l  सौदा जम गया तो बढ़िया,वरना  राम-राम है l  जीवन में तेरे आना चाहूं, तेरा दिल मेरा धाम है  l  क्या मिलेगा तुझे, अब बेकार तेरा तामझाम है l  नशा अब कुछ बचा नहीं, खत्म हो चुका जाम है  l  रूप यौवन सब जाता रहा, सूख गई सारी चाम है l  अब आया तो क्या फायदा, जब होने वाली शाम हैl  तुझे भव से तारने आया,वैतरणी का ताम-झाम है  l  भक्ति रस से भर ले गोरी,खाली हो चुके जो जाम हैl तू बस मन को मुझमें रमा,भूल जा कैसी तेरी चाम है l यही सही समय है जब होने लगी तेरी जीवन की शाम है l  पहले आता तो क्या पाता, रूप यौवन ने तुझे भरमाया था l  तेरे अहंकार ने तुझे भक्ति मार्ग से भटकाया था l  छोड़ सारे अहम भाव गोरी, भक...

चैत्र नवरात्र

💐शीर्षक : चैत्र नवरात्रि  आ गया हमारा पवित्र हिंदू नव वर्ष l स्वागत करें मिलकर इसका सहर्ष l  चैत्र नवरात्र की मच गई चारों ओर धूम l  जस गीत की सुनाई पड़ने लगी गूंज l  भक्तिभाव का चढ़ा सब पर जुनून l मिल रहा सबको अजब सा सुकून l  नवरात्रि में हो रहे घर -घर जागरण l भाव- विभोर हो रहा सब का तन मन l धन्य कर ले हम सब अपना जीवन l शांत और सुखी रहे सबका अंतर्मन l  मां के नौ रूपों की करें हम पूजा l  भक्ति के अलावा ना रहे भाव कोई दूजा l चैत्र नवरात्र ऋतु परिवर्तन का अवसर l  साधक बन हम साधे तन और मन l आओ भक्तों मां के पवित्र श्री चरणों में, हम करें पवित्र भावों का अर्पण l  इस पावन चैत्र नवरात्रि में, हमारी हो बस यही मंगल कामना l शांति प्रेम सुख समृद्धि और एकता, इन्हीं का वरदान मां से है मांगना  l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली,छत्तीसगढ़ 02/04/2022

मिट्टी कि गुड़िया

शीर्षक : मिट्टी की गुड़िया    ये शरीर है मिट्टी कि गुड़िया, इससे कर ले उसकी भक्ति जिंदगी तर जाएगी l  तू चाहे जितना इसे सजा ले, संवारे ले, तन है मिट्टी की गुड़िया,एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगी  l    तू जितना इस पर जान छीड़केगा, यह तुझे उतना ही तुझे तड़पाएगी l  धरी रह जाएगी तेरी सारी चालाकी,  यह तुझे मदारी सी मचाएगी l    कोई धाम नहीं है यह तेरा,  यह बस एक खाली मकान है  l  माया नगरी की इस दुनिया में,  बस सजी-धजी एक दुकान है  l    इस मायानगरी में देखो तो सही   ऐसी सैकड़ों सजी -धजी दुकानें हैं l  यह तन तो उस माया पति की,  चलती -फिरती मिट्टी की गुड़िया है l    उसने दिया यह तन हमको, उसकी भक्ति रस के पान को l  अपना समझ बैठे हो तुम पगले ,  उस दीनदयाल  के दान को l    कर ले उसकी निश्छल  भक्ति,   गौरवान्वित कर ले इस तन मन को  l  अर्पण कर दे सारे कर्म अपने,  कर्म फल को त्याग कर,धारण कर तू धर्म को l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला म...

उम्र गुजर गई

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💐शीर्षक : उम्र गुजर गई  तेरी मोहनी मुस्कान पर कृष्णा, मैं तो मर गई l  तुझसे लगन लगी मोहन,मेरी जिंदगी संवर गई l  बस तुझको ही पाया कृष्णा,मैं जिधर भी गई l  तुझे पाने की चाहत में मोहन,मेरी उम्र गुजर गई l  तेरी सांवरे सलोने मुखड़े, पर मेरी आंखें ठहर गई l  तुम जो मुस्कुराए,मोतियों की लड़ी बिखर गई  l  तेरी प्रीत पाकर के कृष्णा,मैं तो निखर -निखर गई l  तेरी लीलाओं के आनंद में,मगन हो मैं डूबती गई l  जानती है सखियां, मेरी जिंदगी तुझपे सिमट गई l  पूछती है वे सारी मुझसे,मैं क्यों तुझ पर मिट गई l  जब भी आई तेरी याद,मुझे खुद में समा के गई l  डूबती रही प्रेम सागर में, दिल को समझाती गई l  रिक्तता नहीं जीवन में दुख भी आने को तरस गई  l  परमानंद के आनंद से,मेरी आंखें भी बरस गई l  मधुर मिलन की आस में कृष्णा,मैं तो सिमट गई l  प्रीत की रीत निभाने में जाने कब उम्र गुजर गई  l  प्रीत निखरती गई उतनी,जितनी उम्र गुजरती गई l  लो आ रही हूं मैं कृष्णा,कि अब सांझ भी ढल गई l  त्यागू हूं इस चोले को,...