वृद्धावस्था

वृद्धावस्था वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी. के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. जाने कितने गौरव के काम किये, जाने कितना तपे, तपती दुपहरि से शाम किये. सबके मुँह में निवाला जाये, जाने किन- किन रीति से इनका इंतजाम किये. माता - पिता यू ही वृद्ध नहीं होते वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी. व्यक्ति के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. बच्चों की राहत भरी नींद के लिए, जाने कितनी रातें अपनी तमाम किये. बच्चों की चाहतें पूरी करने को, जाने अपने कितने अरमान कुर्बान किये. माता - पिता यूँ ही वृद्ध नहीं होते वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी. व्यक्ति के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. बच्चों के सुंदर, महंगे कपड़ो के लिए, अपने फटे कपड़ो को सीते रहें. जब- जब बच्चों पे मुसीबत आई तो, अपनी लाचारी पे भीतर ही भीतर घुटते रहें. माता - पिता यूँ ही वृद्ध नहीं होते वृद्धवस्था की ऐ झुर्रिया, बालो की ऐ सफेदी. व्यक्ति के सारे जीवन के अनुभवों की है पूंजी. बच्चों की ऊँची शिक्षा की खातिर, अपने सिर पे कर्ज हजारों लिए. बच्चों की जाने कितनी ज...