मेरे अपने सपने

💐शीर्षक - मेरे अपने सपने

क्या- क्या ना सोचा था,क्या- क्या सपने सजाए  l
जाने कितने सपने इन आंखों में झिलमिलाए l
सितमगर वक्त ने कुछ ऐसे सितम ढाए हैं हमपे,
रेत की तरह फिसलते गए मेरे अपने सारे सपने  l


 कृष्णा तेरा प्यार कुछ कम ना था मुझ पर  l
पर तूने भी गैरों की तरह पलटा मार ही लिया l
जब मेरे कुछ प्यारे सपने पूरे होने लगे कृष्णा l
तब तूने क्यों मेरा साथ बीच  मझधार छोड़ दिया l


यूं तो अकेली मैं भी चल सकती हूं जीवन की राहे l
बिन तेरे किसी मंजिल पर पहुंचना मुझे गवारा नहींl
यूँ तों जिद में कर सकती हूं अपने सारे सपने पूरे  l
पर मेरा कोई सपना तेरे बिना कृष्णा होता नहीं l


मेरा सपना था उस मुकाम पर पहुंचे प्रेम हमारा  l
तेरे मेरे प्रेम की मिसाले दे यह जमाना सारा l
जाने मेरे सपनों को लग गई किस बैरन की नजर l
कृष्णा क्यों तूने फेरी मुझसे अपनी प्रेम भरी नजर l


सोचा था अपने सपनों को जी लूंगी जी भर के  l
अपने समर्पण के आंचल में भर लूंगी तेरा प्रेम l
तेरे सपनों को अपना मान मैं जीती रही कृष्णा  l
पर मेरे सपनों को नहीं क्यों तूने कभी अपनाया l


सोचा था जीवन में तेरा साथ मिलेगा हरकदम मुझे  l
तेरा साथ मिला,तेरा प्यार भी मिला कृष्णा मुझे l
जीवन के हर उतार-चढ़ाव में मेरा साथ दिया तूने l
फिर क्यों तुमने मेरे सारे सपने तोड़ दिए  कृष्णा l



 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
15/04/2022

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