अधूरी मुलाक़ात

शीर्षक - अधूरी मुलाकात


 प्रिया अपने मौसी की बेटी की शादी में गई थी l वाह दार दार के शादी की सारी तैयारियों में  सहयोग कर रही थी l शादी का माहौल से बहुत आनंदित करता l वह हर एक फंक्शन को इंजॉय करती थी l
 निश्चित दिन बारात भी दरवाजे पर आ गई  l उन्हीं बारातियों के साथ आया था राजीव l बारात की आने की रस्म अदायगी के वक्त प्रिया ने राजीव को देखा था l राजीव भी बस एकटक प्रिया को ही देखे जा रहा था l दोनों की निगाहें जैसे एक दूसरे से हटने को तैयार नहीं थी l जाने एक दूजे की आंखों में उन्हें क्या नजर आया l बस फिर क्या था  l प्रिया  यही कोशिश कर रही थी कि किसी बहाने बाराती जहां ठहरे हैं वहां कुछ काम पड़ जाए l जाने क्यों जब से उसने राजीव को देखा था उसका मन बहुत बेचैन हो गया था l राजीव को देखते ही उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता था l जाने कैसे राजीव को भी प्रिया की बेचैनी समझ आ गई थी l पर वो ऐसे बना रहा जैसे कि कुछ जानता ही ना हो l राजीव प्रिया को छुप छुप कर देखता था l प्रिया भी जब उसे देखने की कोशिश करती थी तो वह छिप जाता था l सारे बाराती खाना खा चुके थे पर राजीव का कहीं अता-पता नहीं था l वह बहुत परेशान हो गई वह लड़का आखिर कहां गया  l उसकी आंखें सारे बारातियों में बस उसे ही ढूंढ रही थी l वह था कि जाने कहां गुम हो गया था l प्रिया पूछती भी तो किससे पूछती? क्या पूछती?  प्रिया की नजरें बस राजीव को ही ढूंढ रही थी  l राजीव भी चुप कर उसे ही देख रहा था और उसकी बेचैनी का मजा ले रहा था l जाने उसे क्या सुकून मिल रहा था इसमें l सारे बाराती खाना खा चुके l
इधर दूसरी तरफ शादी की रस्मे चलो रही थी l जिधर बाराती बैठें थे l प्रिया की नजरें उधर ही राजीव को ढूंढ रही थी l "उधर नहीं इधर " किसी ने कहा l   प्रिया चौक गई l उसने आवाज की दिशा में देखा l वहाँ राजीव खड़ा उसे देखकर मुस्कुरा रहा था l प्रिया बुरी तरह झेप गई l उसका चेहरा सुर्ख हो गया l दिल जोरों से धड़कने लगा l वह लड़खड़ाते कदमो से वहाँ से जाने क्यों भाग आई l इधर राजीव उसकी हालत पे मंद - मंद मुस्कान लगा l इसके बाद से राजीव की नजरें प्रिया को ढूंढती रही और प्रिया छुप छुप कर उसे सताने लगी l वह उससे सामना करने पर घबराने लगी l विदाई को कुछ घंटे बचे थे l सब विदाई की तैयारियों में लगे हुए थे l प्रिया भी अपनी बहन की विदाई की तैयारी में लगी हुई थी l प्रिया किसी काम से छत में गई जाने राजीव भी वहां कैसे आ गया l दोनों एक दूसरे से कुछ कह नहीं सके बस एक दूसरे को देखते रहे lदोनों का ही दिल जोर-जोर से धड़क रहा था,पर जबान थी कि हिलने को तैयार नहीं थी l अचानक किसी ने प्रिया को आवाज लगाई प्रिया जल्दी आओ l दोनों जैसे नींद से जगे हो l अचानक राजीव में एक छोटा सा कागज का टुकड़ा प्रिया की ओर बढ़ा दिया  l प्रिया ने ना चाहते हुए भी जाने क्यों उस कागज को चुपके से ले लिया l राजीव वहां से चुपके से चला गया l प्रिया भी नीचे आ गई l वह उस कागज को कांपते हाथों से खोल कर देखने लगी कि आखिर इसमें राजीव ने क्या लिखा है? उसमें राजीव का नाम और फोन नंबर लिखा था  l कुछ समय बाद प्रिया की बहन की विदाई हो गई l प्रिया की नजरें राजीव को ढूंढती रही l  राजीव चुपचाप एक कोने में खड़ा होकर उसे देख रहा था l गाड़ी में बैठते समय राजीव में इशारा किया फोन करने को l  दूसरे दिन प्रिया ने राजीव को फोन करने का मन बना लिया l उसने फोन करने के लिए वह कागज ढूंढा जिसमें राजीव में अपना फोन नंबर लिखा था l पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे वह कागज नहीं मिला l
 उसका दिल जैसे किनारे पर आई कश्ती की तरह वापस सागर में डूबता जा रहा था l उधर राजीव हर पल दिन-रात प्रिया के फोन का इंतजार करता रहा l..........




 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
07/04/2022

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