जीवन की शाम

💐शीर्षक -जीवन की शाम 

 कौन देश से आया मुसाफिर बता तेरा क्या नाम है?
 किस वास्ते आया यहां बता तेरा यहां क्या काम है?
 लगता तू छलिया,कपटी,पर मुंह पर राम-राम है  l
 कहां जाना है तुझे,बोल जरा कहां तेरा धाम है ?


 दूर देश से आया गोरी,श्याम मेरा नाम है l
 सौदा करने आया हूं मैं, सौदेबाजी मेरा काम है l
 सौदा जम गया तो बढ़िया,वरना  राम-राम है l
 जीवन में तेरे आना चाहूं, तेरा दिल मेरा धाम है  l


 क्या मिलेगा तुझे, अब बेकार तेरा तामझाम है l
 नशा अब कुछ बचा नहीं, खत्म हो चुका जाम है  l
 रूप यौवन सब जाता रहा, सूख गई सारी चाम है l
 अब आया तो क्या फायदा, जब होने वाली शाम हैl


 तुझे भव से तारने आया,वैतरणी का ताम-झाम है  l
 भक्ति रस से भर ले गोरी,खाली हो चुके जो जाम हैl
तू बस मन को मुझमें रमा,भूल जा कैसी तेरी चाम है l
यही सही समय है जब होने लगी तेरी जीवन की शाम है l


 पहले आता तो क्या पाता, रूप यौवन ने तुझे भरमाया था l
 तेरे अहंकार ने तुझे भक्ति मार्ग से भटकाया था l
 छोड़ सारे अहम भाव गोरी, भक्ति मार्ग पर चल पड़ो l
 धरकर भक्ति का साथ  गोरी, पार वैतरनी को तुम करो l

 (इस कविता में आत्मा औ र परमात्मा के बीच होने वाली  बातों को दर्शाया गया हैl )
 लोकेश्वरी कश्यप  छत्तीसगढ़ 
  01/04/2022

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