उम्र गुजर गई

💐शीर्षक : उम्र गुजर गई
 तेरी मोहनी मुस्कान पर कृष्णा, मैं तो मर गई l
 तुझसे लगन लगी मोहन,मेरी जिंदगी संवर गई l
 बस तुझको ही पाया कृष्णा,मैं जिधर भी गई l
 तुझे पाने की चाहत में मोहन,मेरी उम्र गुजर गई l


 तेरी सांवरे सलोने मुखड़े, पर मेरी आंखें ठहर गई l
 तुम जो मुस्कुराए,मोतियों की लड़ी बिखर गई  l
 तेरी प्रीत पाकर के कृष्णा,मैं तो निखर -निखर गई l
 तेरी लीलाओं के आनंद में,मगन हो मैं डूबती गई l



 जानती है सखियां, मेरी जिंदगी तुझपे सिमट गई l
 पूछती है वे सारी मुझसे,मैं क्यों तुझ पर मिट गई l
 जब भी आई तेरी याद,मुझे खुद में समा के गई l
 डूबती रही प्रेम सागर में, दिल को समझाती गई l


 रिक्तता नहीं जीवन में दुख भी आने को तरस गई  l
 परमानंद के आनंद से,मेरी आंखें भी बरस गई l
 मधुर मिलन की आस में कृष्णा,मैं तो सिमट गई l
 प्रीत की रीत निभाने में जाने कब उम्र गुजर गई  l


 प्रीत निखरती गई उतनी,जितनी उम्र गुजरती गई l
 लो आ रही हूं मैं कृष्णा,कि अब सांझ भी ढल गई l
 त्यागू हूं इस चोले को,कि अब यह जिर्ण हो गई l
 तूने लिया शरण में कृष्णा मैं,अब परिपूर्ण हो गई l



लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
01/04/2022

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