अपना देश और विदेश

💐शीर्षक - अपना देश और विदेश 


अपना प्यारा देश छोड़कर जो अभागे, बस जाते हैं विदेश l
तन बसता है उनका परदेस में, मन बसे है अपने ही देश  l
अपने देश की मिट्टी, संस्कृति,सभ्यता को याद करके बैठ रोते है परदेश l
अपने देश आने पर, अपने ही लोग कहते हैं उन्हें बाबू विदेशी l



अपने देश की छटा निराली फिर क्यों जाना है तुम्हें विदेश l
प्राचीनतम है सभ्यता,संस्कृति यहां की जिसकी गौरव गाथा गाते विदेश l
विश्व गुरु कहलाता था जग में,सोने की चिड़िया अपना देश l
अपने देश हित में काम करो तुम, परचम लहरा दो देश-विदेश l


अपने सारे ज्ञान व समर्थ को, झोकने मत जाया करो विदेश l
अपना सामर्थ्य और ऊर्जा यहां लगाओ करो समृद्ध तुम अपना देश l
हमारे देश की सभ्यता, एकता, समृद्धि, सामर्थ्य से नतमस्तक होंगे विदेश l
आज करें प्रतिज्ञा, अपने भुजबल से पुनः स्वर्णिम कर देंगे अपना देश l


भारत के इस चमन में बसते हैं रंग - बिरंगे फूल देश-विदेश से l
जग में सबसे प्यारा, न्यारा,वसुधैव कुटुंबकम की भावना रखता अपना देश l
ऐसे प्यारे देश को अपने छोड़कर,कभी नहीं जाना तुम विदेश l
हमारी आन है,हमारी शान हैं, हमारी पहचान है, हमारा देश l



 लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

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