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Showing posts from October, 2021

हल्दी की परम्परा

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*हमारी परम्पराओं में निहित विज्ञान* *हल्दी की परम्परा*  भारतीय लोक जीवन में परम्पराओं का अपना एक अलग महत्व है l जो विश्वास और श्रद्धा के आधार पर आज भी जीवित है । ये परंपराएं कब से और क्यों निभायी जाती हैं l इसका जवाब बहुत मुश्किल है lधर्म हो या ज्योतिष या फिर सामान्य जीवन हल्दी के बिना सब अधूरा है l हल्दी खाने का स्वाद तो बढ़ाती है,साथ ही हर मंगल काम की प्रथम शोभा होती है l हल्दी का पीला रंग उसे बृहस्पति से जोड़ता है l ज्योतिष में बृहस्पति को मजबूत करने के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है l भारत में ब‍िना हल्‍दी की रस्‍म के शादी पूरी नहीं होती। भारतीय व‍िवाह की रस्‍म चाहे उत्‍तर में न‍िभाई जा रही हो या पूरब, पश्‍च‍िम और दक्ष‍िण में यहाँ हर प्रान्त में हल्‍दी की रस्‍म हर जगह न‍िभाई जाती है।        हमारे यहाँ रसोई के अलावा परंपराओं में भी हल्‍दी को एक खास जगह दी गई है। शादी की तमाम रस्‍मों से पहले दूल्‍हा और दुल्‍हन को हल्‍दी लगाई जाती है।  हल्‍दी को सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए व‍िवाह परंपराओं में इसे इतना खास स्‍थान द‍िया गया है। *मान्य...

अहसासों का बंधन

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शीर्षक :- अहसासों का बंधन   हमारे जीवन में अनेक रिश्ते होते हैं l कुछ रिश्ते हमें जन्मजात मिले होते हैं तो कुछ रिश्ते हमें समय के साथ बनाने पड़ते हैं और बनाए जाते हैं हर रिश्ते का अपना एक विशेष महत्व होता है l  जन्मजात रिश्तो का बंधन  कुछ रिश्ते  हमें जन्मजात मिलते हैं l  यह रिश्ते होते हैं जो हमारे जन्म लेने से पूर्व और जन्म लेने के बाद हम से जुड़े होते हैं  l जिनमें सबसे पहला रिश्ता होता है माता पिता और बच्चे का l जब हमारा जन्म होता है तो हमें माता-पिता के अलावा और भी रिश्ते सत्ता ही मिल जाते हैं जैसे कि बड़े भाई और बहन, चाचा -चाची, दादा- दादी,नानी - नाना, मामा बुआ फूफा मासी, बेटी भतीजी बहन इत्यादि हमें अनेक अनेक रिश्ते जन्मजात मिल जाते हैं बिना परिश्रम के l इन्हें हम खून के रिश्ते भी कहते हैं l  *बनाये रिश्तों का बंधन*  यहां पर कृत्रिम शब्द का अर्थ है कि ऐसे रिश्ते जो हमें जन्मजात नहीं मिलते हैं इन्हें हमें बनाना पड़ता है  l  जैसे कि दोस्त, गुरु, पति अथवा पत्नी, इत्यादि  l यह सारी रिश्ते में रिश्ते हैं जो हमें समाज के...

गोदना की परम्परा

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💐*हमारी परम्पराओं में निहित विज्ञान*💐 *गोदना गुदवाने की परम्परा*  गोदना अर्थात शरीर के किसी हिस्से को बार-बार छेदन करना l गोदना प्रथा  हिंदू धर्म में लगभग सभी जातियों और जनजातियों में प्रसिद्ध रही है प्राचीन काल से l गोदना प्रथा धार्मिक,सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक रूप से हमारे शरीर व समाज का एक अभिन्न अंग बनकर रहा है l यह प्रथा आदि काल से चला आ रहा है l *गोदने का विस्तार*   गोदेने की इस परंपरा का विस्तार पूरे भारत में अपनी अलग अलग नमो व प्रकारों से जानी जाती है l विदेशो में भी गोदने की परंपरा  हमें दिखाई देती है lखासकर आदिवासी जाति एवं जनजातियों में यह विशेष लोकप्रिय हैं l अलग-अलग जाति व जनजातियों में अलग-अलग प्रकार के गोदना की आकृतियां प्रचलित है l गोदने की यह आकृतियां व डिजाइन उनकी जाति व समाज की विशेष पहचान भी बन गई है l *नाम व विशेषता*   गोदने को अंग्रेजी में टैटू कहा जाता है  l इसे कहीं कहीं गुदना भी कहते है l  यह काले, हल्के नीले व कुछ हरापन लिए हुए अपनी छाप शरीर के  अंगों पर छोड़ता है l वर्तमान में गोद...

शिक्षक

🙏🏻आलेख   "गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरु देवो महेश्वरः गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः "  यूं तो हर इंसान अपने आप में यूनिक होता है. अगर हम बात करें शिक्षकों की तो  हर शिक्षक अपने आप में यूनिक होता है और उसके अंदर कुछ विशेष होता ही है. ऐसा भी कहा जाता है कि दुनिया में सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति एक शिक्षक ही होता है, क्योंकि शिक्षक वह व्यक्ति होता है जिसके अंदर हर प्रकार का ज्ञान और कला का वास माना जाता है जो वह अपने बच्चों को देता है और मार्गदर्शन के द्वारा. अपने बच्चों को उनकी जीवन में विशिष्ट उपलब्धियों को हासिल करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है.  जैसे एक शिक्षक शिक्षक गुरु होने के साथ-साथ वह एक मां की भूमिका निभाता है एक पिता की तरह संरक्षण करता है और एक साथी की तरह अपने छात्रों को उचित मार्गदर्शन देता है और उसके सुख दुख में उसका साथ निभाता है साथ ही शिक्षक बच्चों के अंदर की प्रतिभाओं को कभी डांस के माध्यम से कभी गायन के माध्यम से कभी कुछ क्रिएटिव करने के माध्यम से सामने लाता है.  कहने का तात्पर्य है कि शिक्षक चाहे तो क्या नहीं कर सकता? पर यह...

मेरे बिलासपुर में

 *शीर्षक :- मेरे बिलासपुर में*  बिलासपुर छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख जिला है। यह प्रशासनिक एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में राज्य का दूसरा सबसे प्रमुख एवं बड़ा शहर है। बिलासपुर शहर लगभग 400 साल पुराना है l मना जाता है की यह काफी लंबे समय तक मछुआरों की बस्ती रही थी और इसका नाम मत्स्य - महिला (केंवट जाती की महिला ) "बिलासा" के नाम पर रखा गया है।ऐतिहासिक रूप से बिलासपुर, रतनपुर के कलचुरी राजवंश का भाग था।बिलासपुर को लगभग 400 वर्ष पुराना शहर मना जाता है l छत्तीसगढ़ राज्य का उच्च न्यायालय भी बिलासपुर में स्थित है l अतः इसे 'न्यायधानी' होने का भी गौरव प्राप्त है।  शासकीय तौर पर सन 1861 में बिलासपुर जिला का निर्माण किया गया l तब अंग्रेजो का यहाँ शासन था।  यहाँ की प्रमुख नदियाँ - अरपा, लीलागर, मनियारी है l *ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल* 1. रतनपुर :- इतिहास की माने तो कलचुरी वंश के शासक रत्नदेव प्रथम ने 1050 ई. (11 वीं शताब्दी ) में नगर बसाया था l यही कारण हैं इस शहर का नाम रतनपुर पड़ा।  पौराणिक काल में इसे कुबेरपुर के नाम से जाना जाता था। यह तालाबों का शहर के नाम से भी जाना जाता...

गाय का गोबर और विज्ञान

💐*हमारी परम्पराओं में निहित विज्ञान* 💐 *विषय :- गाय का गोबर और विज्ञान* गोबर का नाम सुनते ही शहरों में सब नाक भौ सिकोड़ने लगते हैं l गाय के दर्शन से और उसके गोबर से गाँव में सुबह की शुरुआत होती है lहिन्दू धर्म में गाय को बहुत ही पवित्र पशु माना गया है। ऐसा माना जाता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए गाय को पूजा जाता है। गाय के गोबर को अगर घर में इस्तेमाल किया जाए तो यह भी हिन्दू धर्म में शुभ माना जाता है। गाय के गोबर में लक्ष्मी का निवास माना गया है। इसिलए जब भी किसी भी प्रकार का कोई पूजन होता है तो उस जगह को गाय के गोबर से शुध्द किया जाता है  हमारे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  गाय और गाय के शरीर का प्रत्येक  पदार्थ विशेष गुणकारी और औषधीय महत्व का माना गया है l गाँव में सभी के घरों में सुबह प्रत्येक कमरे और रसोई घर को गाय के गोबर से लिपकर उसे पवित्र व स्वच्छ किया जाता हैं  l घर के बाहर आँगन व गलियों में भी गाय के गोबर के पानी से छिड़काव कर आँगन व गलियों को स्वच्छ व पवित्र करने की परम्परा हैं l यह परम्परा आज की नहीं सदियों पुरानी हैं l ये परम्पर...

इस करवाचौथ

*शीर्षक :- इस करवाचौथ* हे माता,करवाचौथ पे सुन्दर थाल यूँ ही सजता रहे l चंद्रमा की, पिया संग मैं करू सदा आरती यूँ ही, रोली, चंदन संग माता, तेरे आशीष का दीपक सदा जलता रहे l गौरा माता, गणपति संग आती सदा रिद्धि -सिद्धि रहे l बस तुमसे मेरी यही एक विनती है, हे गौरा माता, सदा सुहाग मेरा यूँ ही बना रहे l तेरे आशीष का दीपक सदा यूँ ही जलता रहे ll पैरों में मेरे पायल छन - छन छनकती रहे l उँगलियों में यूँ ही बिछिया सजती रहे l माँग मेरी सदा यूँ ही सिंदूर से दमकती रहे l तेरे आशीष का दीपक सदा यूँ ही जलता रहे ll सुन्दर पैरों में मेरे सुर्ख आलता सजा रहे l मेरी करधनी संग चाबी का गुच्छा सदा रहे l यूँ ही मेरे बाजुओं में बाजुबंद हरदम सजा रहे l तेरे आशीष का दीपक सदा यूँ ही जलता रहे ll  मेरे प्रियतम के अधरों पे मुस्कान यूँ ही सदा रहे l मेरे गले में मोतियों की माला चाहे हो ना हो, हे माता, मेरे पिया की बाहो का हार सदा रहे l तेरे आशीष का दीपक सदा यूँ ही जलता रहे ll नयनों में कजरा, बालो में गजरा महकता रहे l हे माता, देख मेरे होठों की लाली और मधुर मुस्कान, मेरे पिया का मन भौंरा सदा गुनगुनाता रहे l तेरे आशीष का...

अहसासों के रंग

*शीर्षक :- अहसासों के रंग  अहसास दर्द का,अहसास मरहम का l अहसास विरह का, अहसास मिलन का l एहसास गम का,एहसास खुशी का l एहसास पराएपन का,एहसास अपनेपन का l एहसास दूरियों का,एहसास नजदीकियों का l  एहसास भूख का और एहसास प्यार का l  एहसास फूलों का,एहसास उसकी सुगंध का l एहसास मनमीत का एहसास उसकी प्रीत का  l एहसास शक्ति का,एहसास विरक्ति का  l  एहसास ईश्वर का एहसास उसकी भक्ति का  l  एहसास भावनाओं का,एहसास संवेदनाओं का l  एहसास साकार का, एहसास अहंकार का l  एहसास दूरियों का एहसास नज़दीकियों का  l एहसास पश्चाताप का,एहसास विश्वास का l एहसास धर्म का,एहसास कर्म का l एहसास कुमार्ग का, एहसास सन्मार्ग का l एहसास पथ का,एहसास पथभ्रष्ट का l एहसास निराशा का,एहसास आशा का l एहसास बुरे होने का,एहसास भले होने का l एहसास असत्य का,एहसास सत्य का l एहसास मैं होने का,अहसास हम होने का l एहसास अति का, एहसास कमी का l एहसास क्रोध का,एहसास मोह का l एहसास भय का , एहसास अभय का l एहसास हार का,एहसास जीत का l एहसास घृणा का, एहसास ममता का  l यह एहसास ही तो है जो हमें सजीव ...

हे करवा माता

*शीर्षक :- हे करवा माता*  हे माता,करवाचौथ पे सुन्दर थाल यूँ ही सजता रहे l चंद्रमा की, पिया संग मैं करू सदा आरती यूँ ही, रोली, चंदन संग माता, तेरे आशीष का दीपक सदा जलता रहे l गौरा माता, गणपति संग आती सदा रिद्धि -सिद्धि रहे l बस तुमसे मेरी यही एक विनती है, हे गौरा माता, सदा सुहाग मेरा यूँ ही बना रहे l पैरों में मेरे पायल छन - छन छनकती रहे l उँगलियों में यूँ ही बिछिया सजती रहे l माँग मेरी सदा यूँ ही सिंदूर से दमकती रहे l सुन्दर पैरों में मेरे सुर्ख आलता सजा रहे l मेरी करधनी संग चाबी का गुच्छा सदा रहे l यूँ ही मेरे बाजुओं में बाजुबंद हरदम सजा रहे l  मेरे प्रियतम के अधरों पे मुस्कान यूँ ही सदा रहे l मेरे गले में मोतियों की माला चाहे हो ना हो, हे माता, मेरे पिया की बाहो का हार सदा रहे l नयनों में कजरा, बालो में गजरा महकता रहे l हे माता, देख मेरे होठों की लाली और मधुर मुस्कान, मेरे पिया का मन भौंरा सदा गुनगुनाता रहे l मेरे कानों में झुमका, नाक में नथनी झलकती रहे l हे करवा माता, दे आज मुझे ऐसा वरदान, मेरे हाथों में भरी - भरी चूड़ियाँ सदा खनकती रहे l मेरे हाथों में हरी -भरी मेहंदी का रं...

तुम ही माझी, तुम ही पतवार

शीर्षक :- तुम ही माझी, तुम ही पतवार  हे कृष्णा, हे प्रीतम , तूने सुन ली मेरी पुकार l तू ही मेरा जीवन,तू ही मेरा जीवन आधार ll मैं हूँ कस्ती, जो पड़ी थी बीच मझधार l हे कृष्णा, तूने माझी बनकर मेरी कस्ती लगाई पार ll फिर दुखी हूँ,व्यथित हूँ, सुन्दर ले मेरी पुकार l हे कृष्णा,करो कृपा मुझपर हे करुणावतार ll बेबस नहीं हूँ, लाचार नहीं हूँ, ना हूँ कमजोर l बस एक तेरी अदद प्रेम दृष्टि की मुझे दरकार ll सोचती हूँ क्या हूँ मैं,जानती हूँ कुछ भी तो नहीं l तेरा कृपा जो मिल जाये मुझे, हो जाऊ मैं मालामाल ll हे कृष्णा, बजाओ तुम फिर प्रेम मुरलिया l हर लो नाथ, मेरा तुम जीवन संताप ll इत देखु, उत देखु, देखु मैं चहुँ ओर l हे कृष्णा, तेरी दया का नहीं देखु कहीं ओर -छोर ll तेरी प्रीत समाई, मेरे कण -कण में l हे कृष्णा, फिर क्यूँ मैं तुझे ढूँढू मधुबन में ll तुझसे है हर गीत, तुझसे मेरे जीवन में संगीत l तुम ही मेरी प्रीत कृष्णा, तुम ही हो मनमित ll तुमसे ही सुबह मेरी, तुम्ही पे मेरी शाम है l जिस पल तेरा नाम ना लूँ, उस पल को धिक्कार है ll हे कृष्णा,अंधा क्या चाहे, दो आँखे l तुमने मुझे अपनाया, ये तेरा उपकार है ll ...

तिलक /टीका और विज्ञान

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🔴आलेख :-  प्रस्तुतकर्ता :- लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़  *हमारी परम्पराओं में निहित विज्ञान*  *🔴तिलक /टीका और विज्ञान🔴 *   तिलक का हिंदू, सनातन धर्म में एक विशेष महत्व होता है l तिलक के बगैर कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता l तिलक माथे के बीचो-बीच लगाया जाता है l टीका लगाना स्त्री और पुरुष दोनों में प्रचलित है l विवाहित स्त्रियां अपने माथे पर दोनों भौहों के बीच में कुमकुम का तिलक / टीका लगाती हैं l जिसे हम बिंदी भी कहते हैं l यह एक छोटा सा बिंदी महिलाओं के चंद्रमा के समान मुखड़े पर चार चांद लगा देता है l इस बिंदिया के ऊपर ना जाने कितनी गीत कविताएं लिखी गई है l आधुनिक युग में फैशन परस्ती की वजह से अब कुमकुम का टीका लगाना बहुत कम हो गया है l अब रेडिमेंट आर्टिफिशियल बिंदिया बाजारों में उपलब्ध रहती हैं  l किंतु जो महत्व और गुण रोली, चंदन, हल्दी या कुमकुम के टीके में हैं वह  आर्टिफिशियल बिंदी में कहीं नहीं है l वास्तव में तिलक लगाने का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है लकीसी के मस्तक पर टीका लगा देखकर...

अहसास

 *शीर्षक   - एहसास*  कभी  हमें भीतर तक गुदगुदाते हैं,  कभी रोमांच से भर देते हैं,  कितने खुशनुमा होते हैं यह प्रेम भरे एहसास l  कभी हमें भीतर तक भयभीत करते हैं,  तन और मन  में एक सिहरन से भर देते हैं,  कभी-कभी बहुत भयानक होते हैं एहसास  l  कभी मां की ममता  प्यारी और  न्यारी,  फूलों ने छुपी खुशबू सी भीनी भीनी,  कितना खूबसूरत होता है यह वातसल्य का अहसास l  कभी बारिश की बूंदों सी शीतल,  इंद्र धनुष के रंगों सी रंगीन,  कितना प्यारा होता है यह प्रेम का एहसास l  कभी बिच्छू के डंक सा दर्दनाक, कभी दम घुटता सा तकलीफ भरा, सौ - सौ आंसू  रुलाता ये विरह का अहसास l 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 16/10/2021

मन के जीते जीत

 *शीर्षक :-  मन के जीते जीत l* बाधाएं तो आती है, वह आती हैं और आती रहेंगी  l तू डर मत, तू रूक मत,बस अपना कर्म करते चल l मन को बना ले सरिता, बाधाओं के बीच रास्ता बनाते चल l क्योंकि मन के हारे हार है मन के जीते जीत l   जरूरी नहीं  जीवन में तुझे शीतल, मंद, सुगंधित समीर मिले l सामने गर्म पवन, सर्द हवाएं, आंधी तूफानों के चक्रवात भी आएंगे l तू हिम्मत न हार,मन छोटा ना कर, मन को अपने सुमेरु बना  l क्योंकि मन के हारे हार है,मन के जीते जीत l क्या हुआ जो तू ठोकर लगने से औरों की तरह गिर गया l गिरने में कोई बड़ी बात नहीं, फिर से संभाल और इतिहास बना  l जिन पत्थरों से तुझे ठोकर लगी, उन्हें ही सफलता की सीढ़ी बना  l क्योंकि मन के हारे हार है मन के जीते जीत l उलझनों के भंवर में, अगर फंसी है तेरी जीवन नैया l इधर - उधर के लहरों के थपेड़े भी जब तुझे विचलित करने लगे l तब भय छोड़ हिम्मत से कर सामना, मन को तू अपने पतवार बना l क्योंकि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत l जीवन एक संघर्ष है,तू इससे कब तक बचेगा और भागेगा l हिम्मत से कर सामना, मन को कस, कर इसपर अपना वश l अपनी सफ...

सांस्कृतिक, पुरातत्विक स्थल भोरमदेव

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🙏🏻 सांस्कृतिक, पुरातात्विक स्थल भोरमदेव  वैसे तो छत्तीसगढ़ में कई सांस्कृतिक और पुरातात्विक स्थल है, किंतु भोरमदेव का अपना एक विशेष ही महत्व है l यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और विरासत है l भोरमदेव की तुलना खजुराहो के मंदिर से की जाती है l इसीलिए लोग भोरमदेव के मंदिर को "छत्तीसगढ़ का खजुराहो" के नाम से भी जानते हैं यह हिंदू धर्म से संबंधित है l किंतु यह हर धर्म संस्कृति के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है l भोरमदेव की बिना हमारे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और पुरातात्विक स्थलों की सूची अधूरी रहेगी l   भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के कवर्धा अर्थात कबीरधाम जिले में स्थित है l कवर्धा छत्तीसगढ़ के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है l यहां घूमने के और भी बहुत सुंदर सुंदर जगह हैं l जैसे कि सरोदा बांध, मड़वा महल, मोती महल एवं अन्य प्राकृतिक स्थानों से भरपूर यह  सुंदर स्थान है l इसकी दूरी रायपुर से 125 किलोमीटर एवं कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर है l यह कबीरधाम जिले के चौरागांव नामक स्थान में स्थित है l यह लगभग 1000 वर्ष पुराना मंदिर हैl  भोरमदेव का मंदिर नागवंशी राजा गोपाल द...

ख्वाहिश

💐*नमन साहित्य अर् *शीर्षक  :- ख्वाहिश है*  ख्वाहिश है नीलगगन मैं उन्मुक्त उड़ान भरने की l ख्वाहिश है सागर के अंदर गहराई में डुबकियां लगाने की l ख्वाइश है जी भर के बेपरवाह खिल खिलाने की  l ख्वाइश है अपनी ही शरारतों पर मुस्कुराने की l ख्वाइश है भौंरे की तरह गुनगुनाने की  l ख्वाहिश है इंद्रधनुष के रंगों में घुल मिल जाने की l  ख्वाहिश है उम्मीदों की किसलय बन जाने की l ख्वाहिशे है सितारों जैसे टिमटिमानें, जगमगाने की l  ख्वाहिश है  सब की मुस्कुराहटों में बस जाने की  l ख्वाहिश है पतझड़ में भी फूल खिलाने की l  ख्वाइश है उनलोगो की लाठी का सहारा बनने की l ख्वाहिश है बारिश की बूंदों में भीग जाने की  l ख्वाइश है चांदनी रातों में जागते हुए तारे गिनने की l ख्वाहिश है बादल बनके बरस जाने की  l  ख्वाहिश है बारिशों में फिर से कागज की कश्ती चलाने की  l ख्वाइश है फिर से कंचे और खेलों की दुनिया में खो जाने की  l  *स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित रचना*  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली,छत्तीसगढ़

चरण स्पर्श में निहित विज्ञान

🙏🏻😊🙏🏻 *हमारी परंपराओं में निहित विज्ञान*      *चरण स्पर्श में निहित विज्ञान*  हमारे सनातन हिंदू धर्म में  चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेने की मान्यता आदि काल से चली आ रही है l हमारे ऋषि-मुनियों ने इसे बहुत शोध और अनुभव के बाद जीवन में एक परंपरा के रूप में विकसित किया l अपने से बड़े व्यक्ति का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना अति उत्तम माना गया हैl अब वैज्ञानिकों ने भी इसके महत्व को समझा व इसे सही माना है l चरण स्पर्श करने के कई प्रत्यक्ष एवं परोक्ष लाभ है l *1. सम्मान देना*  जब हम किसी का चरण स्पर्श करते हैं तो उसे सम्मान दे रहें होते है l जब हम किसी को सम्मान देते हैं तो लोग हम से प्रभावित अवश्य होते हैं l *2. अहंकार का त्याग*  चरण छूने का मतलब है श्रद्धा पूर्वक किसी के सामने नतमस्तक होना  l इससे हमारे मन में विनम्रता की भावना आती है एवं अहंकार का शमन होता है l इन्हीं कारणों की वजह से चरण स्पर्श की प्रक्रिया को संस्कार और परंपराओं के रूप में जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है l *3. शास्त्र सम्मत*  शास्त्रों में कहा गया है कि प्रतिदिन अपने से ...

शिक्षक के गुण व योग्यता

🖊️📖शिक्षक बनने के लिए गुण, व योग्यताएं 📖🖋️  शिक्षक किसी भी समाज की धुरी होते हैं l  ये वे शिल्पकार होते हैं जो देश का भविष्य गढ़ते हैं l समाज में शिक्षकों को विशेष सम्मान प्राप्त होता है और अगर शिक्षक सरकारी हो तब तो सोने पे सुहागा वाली बात होती है l सरकारी शिक्षक बनना बहुतो का सपना होता है l  सरकारी शिक्षक भी कई तरह के होते है l इसमें भी कई केटेगरी होती है l जैसे  प्राइमरी के शिक्षक, मिडिल के शिक्षक, हाई स्कूल शिक्षक, पीटी शिक्षक, कला शिक्षक आदि -आदि l लेकिन बहुत लोगो को यह पता ही नहीं होता की सरकारी शिक्षक बनने के लिए क्या - क्या योग्यता होनी चाहिए l अलग - अलग तरह के शिक्षक के लिए अलग- अलग तरह के कोर्स होते हैं l आज के इस आलेख में हम आपको बताने वाले हैं कि सरकारी शिक्षक बनने के लिए क्या - क्या चाहिए होता हैं लिस्की पूरी जानकारी के लिए पढ़े इस पूरे लेख को l *शिक्षक बनने के लिए योग्यताएं व गुण*  कहा जाता है कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है l शिक्षा केवल बच्चों का मार्गदर्शन ही नहीं करता अपितु वह संपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करता है l अतः शिक्षकों का समाज के प्...

ओ पिया

दिनाँक 14/10/2021 विद्या :- कविता शीर्षक :- ओ पिया   तुम जो आए मेरे जीवन में,मुझे जीने का मकसद मिल गया l  मेरे जीवन की बगिया बेजार थी,तुमने अपने प्रेम से इसे गुलशन बना दिया l ओ पिया........ ओ पिया........ तुम हमसफर क्या बने मेरे, मेरे अरमानो को पंख मिल गये l तूने आकर मेरे सुने मन में, प्रीत का कमल खिला दिया l ओ पिया....... ओ पिया......... मेरी अलसाई निगाहों में, तूने सतरंगी सपने सजा दिए l मेरी चाहतों के टूटे परों को तूने, परवाज़ दे दिया l ओ पिया....... ओ पिया....... तुम सच्चे सखा मेरे , मेरी विपत्तियों में सारथी भी बन गये l मेरी हर नादानी और गुस्ताखी को, तूने हस कर सह लिया l ओ पिया..... ओ पिया....... अब बस ये तमन्ना मेरी, तेरे साथ ही जीना, तेरे साथ ही मरना l तेरी अच्छाइयों के जादू नें,जाने कब मेरा मन चुरा लिया l ओ पिया...... ओ  पिया..........  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

तेरी महिमा अपरम्पार है

 *शारदीय नवरात्र 2021* *शीर्षक :- तेरी महिमा अपरंपार है*  अंबे जगदंबे मैया तेरी महिमा अपरंपार है  l  हम हैं तेरे बालक छोटे-छोटे तू तू करुणा की अवतार है l जब जब धरती पर बढ़ता है पाप तो तु लेती अवतार है l मुझे भी पार लगा दो मैया, मेरी नैया फंसी मझधार है l तेरी महिमा अपरंपार है........  मुझे दे दे तेरी भक्ति, मैया तू तो शक्ति का अवतार है l  तेरी भक्ति के बिना मैया, मेरा तो जीवन बेकार है l  तेरी शरण में आए बिना मैया, मेरा कहां उद्धार है  l  तूने अपनी शक्ति से मैया, मेरा किया सदा उपकार है  l तेरी महिमा अपरंपार है............  तू ही है शैलपुत्री माता,तू ही है ब्रह्मचारिणी l  माता तुम हो चंद्रघंटा,तुम ही हो कुष्मांडा कहलाती l स्कन्दमाता भी नाम तुम्हारा,तुम ही हो कात्यायनी l  काल की भी काल बन जाती मैया, तुम जब बनती कालरात्रि l तेरी महिमा अपरंपार है.......  हे माता तुम हो शंभू प्रिया, तुम ही हो माता महागौरी  l सभी सिद्धियों को देने वाली माता,तुम हो कल्याणी सिद्धीदात्री l भव सागर से पार लगा दे हे मैया, मेरी ममतामयी भवानी l...

सरकारी शिक्षक कैसे बने

*शीर्षक :-सरकारी शिक्षक कैसे बने*  शिक्षक किसी भी समाज की धुरी होते हैं l  ये वे शिल्पकार होते हैं जो देश का भविष्य गढ़ते हैं l समाज में शिक्षकों को विशेष सम्मान प्राप्त होता है और अगर शिक्षक सरकारी हो तब तो सोने पे सुहागा वाली बात होती है l सरकारी शिक्षक बनना बहुतो का सपना होता है l  सरकारी शिक्षक भी कई तरह के होते है l इसमें भी कई केटेगरी होती है l जैसे  प्राइमरी के शिक्षक, मिडिल के शिक्षक, हाई स्कूल शिक्षक, पीटी शिक्षक, कला शिक्षक आदि -आदि l लेकिन बहुत लोगो को यह पता ही नहीं होता की सरकारी शिक्षक बनने के लिए क्या - क्या योग्यता होनी चाहिए l अलग - अलग तरह के शिक्षक के लिए अलग- अलग तरह के कोर्स होते हैं l आज के इस आलेख में हम आपको बताने वाले हैं कि सरकारी शिक्षक बनने के लिए क्या - क्या चाहिए होता हैं लिस्की पूरी जानकारी के लिए पढ़े इस पूरे लेख को l *शिक्षक बनने के लिए योग्यताएं व गुण*  कहा जाता है कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है l शिक्षा केवल बच्चों का मार्गदर्शन ही नहीं करता अपितु वह संपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करता है l अतः शिक्षकों का समाज के प्रति विशिष्ट क...

नारी जगत का आधार है

नारी  जगत का आधार  हैं l नारी के बारे में क्या कहुँ, नारी शक्ति का अवतार है l बेटी, बहु, माँ, पत्नी सब रूपों में नारी, नारी बिन सुना ये संसार है l नारी से ही है,जीवन में नौ रसों की अनुभूति l नारी है तो जीवन की बगिया में हर तरफ बहार ही बहार है l त्याग की साक्षात् मूर्ति है नारी,समर्पण इसका विश्वविख्यात है l सबने है माना, नारी से ही संसार में सुर, लय और ताल है l सुमती और लक्ष्मी का वास वहाँ, जहाँ नारी का होता सम्मान है l नारी के हर रूप में माँ अन्नपूर्णा, जगतजननी स्वयं विद्यमान है l नारी का कोई विकल्प नहीं, नारी बिन सब बेकार है  l जाने इस समाज में फिर क्यों, नारी इतनी बेबस और लाचार है l क्यों उसे जीवन में मिलता नहीं, कही किसी से कोई अधिकार है l ब्रह्माण्ड में नारी के त्याग, समर्पण, प्रेम, वातसल्य बिना, चहुओर अंधकार है l वंश पुष्प को जो फल बनाती, नारी ही वो बेल है l उसे भी उन्मुक्त आसमान दो, जिंदगी क्यों उसकी अब भी जेल है l नारी के कर्ज से दबी ये दुनियाँ, उसका नहीं किसी से मेल है l यह दुर्गा, काली, सबला है,तुम्हारे अत्याचार सहना मात्र उसका खेल है l नारी का नहीं कोई सानी,नारी...

महानायक अमिताभ

💐💐💐💐💐💐💐  *महानायक अमिताभ बच्चन*  को समर्पित कविता  *शीर्षक :-  महानायक*  पिता से हौसला और सीख मिला " लहरों से डरकर नौका पर नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती " यें सबक गांठ बांधकर जिसने हर चुनौती ली जीत l तोड़ दी सारी "जंजीर "वो हैं हमारे अमित l "खुदा गवाह" जिसकी मेहनत का, वो  "मुक़ददर का सिकंदर "सब बोले l इस उम्र में भी जो अपना लोहा मनवाने पे तुले, वें हैं वही विजय जिनकी फ़िल्म हैं "शोले "l असफलताओं की चुनौती को जिसने किया,  हँस कर हर बार "अभिमान "से स्वीकार l लोगो के दिलों पे छा गई "मोहब्बते ", "दो बूँद जिंदगी की" जब किया प्रचार प्रसार  l "शहंशाह " तुम, तुम्ही महानायक, कोविड से भी जीत गए जंग l इस उम्र में भी तुम्हारा हौसला देख, सारी दुनियाँ रह जाती हैं  दंग l "गंगा, यमुना, सरस्वती " सी निश्छल हैं मुस्कान, सबके दिलों पे करते हो तुम आज भी राज l अपनी अटूट मेहनत और लगन से, महानायक बन सबके बन गये तुम "सरताज " l  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

नामित व्यक्ति / नॉमिनी

*नॉमिनी / नामित व्यक्ति* जब भी हम कही कोई बैंक अकाउंट खोलते हैं, तब हम खाता धारक होते हैं l कभी कोई पॉलिसी लेते हैं l कोई इंसोरेंस कराते हैं l तब हम उसमे अपने बहुत सारे पैसे लगाते हैं l उससे हमारी बहुत सारी उम्मीदें जुड़ी होती हैं l हमारे जाने कितने सपने जुड़े होते हैं l हमारे मन में हमारे सुखमय और सुनहरे भविष्य की कल्पनाये उमंगे लेने लगती है l ऐसे में अगर खाता धारक की अचानक दुर्भाग्यवश मौत हों जाती हैं, तब घर वालों के व उस इंसान के सपने भी टूट जाते हैं l तब ऐसे समय में हमें यादव आता हैं खाता धारक के उन पैसों और बीमा की जो खाता धारक नें जाने कितनी उम्मीदों और कठिनाइयों से जमा किया होता है l मगर सोचिये अगर वही पैसा उस मृत खाता धारक के परिवार वालों को कभी मिले ही ना तो l ऐसी ही विषम परिस्थितियों के लिए खाता धारक को अपने बीमा, पॉलिसी, के लिए किसी ना किसी को अपना नामिनी बनाने की सलाह दी जाती हैं l इस आलेख में हम नामिनी से जुड़े अपने कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब जानेंगे लजइसे नामिनी क्या होता हैं ? कौन बन सकता हैं? उसकी क्या भूमिका होती हैं ?  उसके अधिकार क्या क्या होते हैं?  *नॉमिन...