हल्दी की परम्परा

*हमारी परम्पराओं में निहित विज्ञान*


*हल्दी की परम्परा*

 भारतीय लोक जीवन में परम्पराओं का अपना एक अलग महत्व है l जो विश्वास और श्रद्धा के आधार पर आज भी जीवित है । ये परंपराएं कब से और क्यों निभायी जाती हैं l इसका जवाब बहुत मुश्किल है lधर्म हो या ज्योतिष या फिर सामान्य जीवन हल्दी के बिना सब अधूरा है l हल्दी खाने का स्वाद तो बढ़ाती है,साथ ही हर मंगल काम की प्रथम शोभा होती है l हल्दी का पीला रंग उसे बृहस्पति से जोड़ता है l ज्योतिष में बृहस्पति को मजबूत करने के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है l
भारत में ब‍िना हल्‍दी की रस्‍म के शादी पूरी नहीं होती। भारतीय व‍िवाह की रस्‍म चाहे उत्‍तर में न‍िभाई जा रही हो या पूरब, पश्‍च‍िम और दक्ष‍िण में यहाँ हर प्रान्त में हल्‍दी की रस्‍म हर जगह न‍िभाई जाती है। 
      हमारे यहाँ रसोई के अलावा परंपराओं में भी हल्‍दी को एक खास जगह दी गई है। शादी की तमाम रस्‍मों से पहले दूल्‍हा और दुल्‍हन को हल्‍दी लगाई जाती है।  हल्‍दी को सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए व‍िवाह परंपराओं में इसे इतना खास स्‍थान द‍िया गया है।


*मान्यताएं और वैज्ञानिक पहलू*

हल्दी की औषधियों का सिरमौर कहा जा सकता है l शादियों में चेहरे की दमक बढ़ाने के लिए हल्‍दी का लेप खासतौर पर दुल्‍हन को लगाया जाता है। हल्‍दी के एंटीसेप्‍ट‍िक गुण क‍िसी से छ‍िपे नहीं हैं। ल‍िहाजा तनाव, दौड़भाग और कॉस्‍मेट‍िक्‍स के असर से दुल्‍हन के न‍िखार को बचाने के ल‍िए भी हल्‍दी का लेप प्रयोग में लाया जाता है। 

हमारे जीवन में हल्दी कई मायनों में महत्वपूर्ण है l इससे खाने का स्वाद तो बढ़ता ही, साथ ही यह दवा का भी काम करती है l ज्योतिष के अनुसार हल्दी से ग्रहों की समस्याएं भी दूर की जा सकती हैं l


ज्योतिष के जानकारों की मानें तो हल्दी के प्रयोग से ग्रहों की तमाम समस्याओं से छुटकारा पा सकते है lहल्दी खासतौर पर बृहस्पति से जुड़ी हर समस्या का समाधान कर सकती हैl 

हमारे दैनिक जीवन में भी हल्दी से सम्बंधित कई मान्यताएं है जैसे 
मांगलिक कार्यों में हल्दी के प्रयोग से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश रोका जाता है l
हल्दी लगाकर स्नान करने से इंसान का तेज और सुंदरता बढ़ती है l
हल्दी लगाकर स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं होगा l

हल्दी सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होती है l

हल्‍दी में जो गुण होते हैं, उससे वह शरीर ही नहीं आत्‍मा को भी शुद्ध करने वाली मानी गईं है। वैसे भी पीले रंग को भारतीय मान्‍यताओं में शुद्ध‍ि और सात्‍व‍िक व‍िचारों से जोड़कर देखा जाता है। भारतीय शाद‍ियों में हल्दी को जोड़ने के पिघे एक मान्यता ये भी है क‍ि होने वाले पत‍ि-पत्‍नी साफ मन व शुद्ध आत्‍मा से एक नई ज‍िंदगी की शुरुआत करें। नवव‍िवाह‍ित जोड़े को आगे तमाम खुश‍ियां म‍िलें और उनकी जिंदगी में कोई बाधा न आए l इसलिए परंपराओं के मुताब‍िक, घर की मह‍िलाएं दूल्‍हा और दुल्‍हन को हल्‍दी लगाती हैं। साथ ही हल्‍दी लगाने की एक वजह नए जोड़े को बुरी नजर से बचाना भी मना जाता है। यही वजह है क‍ि हल्‍दी लगाने के बाद दूल्‍हा औा दुल्‍हन को शादी से पहले घर से न‍िकलने की मनाही होती है। 

प्राचीनकल से हल्दी का उपयोग होता आ रहा है lप्राचीन समय में जब कोई योद्धा जंग के मैदान में घायल हो जाता था l तो उसे औषधियों के साथ हल्दी का सेवन कराया जाता था। आयुर्वेद के अनुसार हल्दी शरीर के घावों को जल्दी भरती है। इससे वह शीघ्र स्वस्थ होकर फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाता था।

 हल्दी में अनेक प्रकार के ऑक्सीडेंट होते हैं l जैसे - फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम,विटामिन K,E, c इसमें पाया जाता हैl   विवाह के समय बहुत सारे लोग घर में आते हैं। जो तमाम तरह की निगेटिव एनर्जी को प्रेषित करते हैं। ऐसे में हल्दी कई रस्म से उन नकारात्मक ऊर्जाओ कई समाप्ति व सकारात्मक ऊर्जा कई स्थापना होती है l
 शादियों में हल्दी का प्रयोग करने के पीछे एक वजह यह भी है कि प्राचीन काल में शादियां ग्रीष्म ऋतु में होती थी l जब लोगों के पास खेती वजह राजस्थान नहीं होते थे तब या अपने खाली समय का सदुपयोग करते थे और अपने शादी योग्य बच्चों की शादी इस समय करते थे l हल्दी का लेप दूल्हा - दुल्हन के साथ साथ घर के सभी लोग लगाते थे l जिससे कई शरीर को पसीने से उतपन्न कीटाणुओ से सुरक्षा भी हों, सुंदरता का निखार भी मिले, और शरीर कई प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि हों l वैज्ञानिक भी इन तथ्यों को अब प्रमाणित कर चुके है l

*हल्दी के अन्य महत्वपूर्ण लाभ*
 

हल्दी बढ़ती उम्र के असर को कम कर देती है। यह नेत्रों की ज्योति की सुरक्षा में मदद करती है। इसके अलावा यह हृदय रोगों से बचाने के लिए शरीर के रक्त संचरण को बेहतर बनाती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीली हल्दी का संबंध बृहस्पति से है lनारंगी हल्दी मंगल से और काली हल्दी शनि ग्रह से संबंध रखती है lज्योतिष में बृहस्पति को मजबूत करने के लिए हल्दी का प्रयोग होता हैl बृहस्पति से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए पीली हल्दी रामबाण मानी जाती है l




हल्दी एक विशेष प्रकार की औषधि है l हिन्दू धर्म में हल्दी को शुभ और मंगलकारी माना गया है l
हल्दी भोजन में स्वाद के साथ जीवन में संपन्नता भी लाती है l क्योंकि जगा स्वास्थ गत समस्या नहीं होगी वहाँ सुख व समृद्धि स्वतः ही होगी l
यह मुख्य रूप से विष रोधक,नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने वाली है lइसलिए हल्दी का प्रयोग हवन और औषधियों में भी किया जाता है l

*निष्कर्ष :-*

हमारे पूर्वजों ने अपने अनुभव से जब हल्दी के इतने गुणों को जाना तो उन्होंने धर्म व जीवन व्यवहार में ऐसी व्यवस्था लागू की ताकि जो मनुष्य हल्दी के फायदों से अनजान हैl वह भी इसका लाभ प्राप्त कर सके।इस प्रकार से हम देखते है की हल्दी  हल्दी एक और इसके फायदे अनेक है l ऐ ना केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है, बल्कि यह सकारात्मकता, सुंदरता और सौंदर्य इत्यादि अनेको तरह से फायदेमंद है l बच्चों को खेलते समय चोट लगती है तो उन्हें चोट के स्थान पर हल्दी लगाया जाता है l क्यूकी हल्दी में एंटीसेप्टिक तत्व मौजूद होते हैं l हल्दी की औषधियों का सिरमौर कहा जा सकता है l शादियों में चेहरे की दमक बढ़ाने के लिए हल्‍दी का लेप खासतौर पर दुल्‍हन को लगाया जाता है। हल्‍दी के एंटीसेप्‍ट‍िक गुण क‍िसी से छ‍िपे नहीं हैं। ल‍िहाजा तनाव, दौड़भाग और कॉस्‍मेट‍िक्‍स के असर से दुल्‍हन के न‍िखार को बचाने के ल‍िए भी हल्‍दी का लेप प्रयोग में लाया जाता है। यह गर्मी के असर को शांत करके शरीर को शीतलता प्रदान करता है l पहले शादिया गर्मियों के खाली समय में लोग किया करते थे l तो शरीर को शीतलता देने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता रहा है l वैज्ञानिको नें भी इसके औषधीय महत्व को स्वीकार किता है l  हल्दी के अनेको फायदे है लजीसे आज विज्ञान नें भी मना है l इस प्रकार से हम कह सकते है की शादियों में हल्दी की परम्परा के पीछे शोध,अनुभव,ज्ञान की 
और वैज्ञानिक समझ की गहराई है l





लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

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