ख्वाहिश

💐*नमन साहित्य अर्




*शीर्षक  :- ख्वाहिश है* 

ख्वाहिश है नीलगगन मैं उन्मुक्त उड़ान भरने की l
ख्वाहिश है सागर के अंदर गहराई में डुबकियां लगाने की l


ख्वाइश है जी भर के बेपरवाह खिल खिलाने की  l
ख्वाइश है अपनी ही शरारतों पर मुस्कुराने की l


ख्वाइश है भौंरे की तरह गुनगुनाने की  l
ख्वाहिश है इंद्रधनुष के रंगों में घुल मिल जाने की l


 ख्वाहिश है उम्मीदों की किसलय बन जाने की l
ख्वाहिशे है सितारों जैसे टिमटिमानें, जगमगाने की l


 ख्वाहिश है  सब की मुस्कुराहटों में बस जाने की  l
ख्वाहिश है पतझड़ में भी फूल खिलाने की l


 ख्वाइश है उनलोगो की लाठी का सहारा बनने की l
ख्वाहिश है बारिश की बूंदों में भीग जाने की  l


ख्वाइश है चांदनी रातों में जागते हुए तारे गिनने की l
ख्वाहिश है बादल बनके बरस जाने की  l


 ख्वाहिश है बारिशों में फिर से कागज की कश्ती चलाने की  l
ख्वाइश है फिर से कंचे और खेलों की दुनिया में खो जाने की  l


 *स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित रचना*

 लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली,छत्तीसगढ़

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