शिक्षक

🙏🏻आलेख

  "गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरु देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः "
 यूं तो हर इंसान अपने आप में यूनिक होता है. अगर हम बात करें शिक्षकों की तो  हर शिक्षक अपने आप में यूनिक होता है और उसके अंदर कुछ विशेष होता ही है. ऐसा भी कहा जाता है कि दुनिया में सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति एक शिक्षक ही होता है, क्योंकि शिक्षक वह व्यक्ति होता है जिसके अंदर हर प्रकार का ज्ञान और कला का वास माना जाता है जो वह अपने बच्चों को देता है और मार्गदर्शन के द्वारा. अपने बच्चों को उनकी जीवन में विशिष्ट उपलब्धियों को हासिल करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है.
 जैसे एक शिक्षक शिक्षक गुरु होने के साथ-साथ वह एक मां की भूमिका निभाता है एक पिता की तरह संरक्षण करता है और एक साथी की तरह अपने छात्रों को उचित मार्गदर्शन देता है और उसके सुख दुख में उसका साथ निभाता है साथ ही शिक्षक बच्चों के अंदर की प्रतिभाओं को कभी डांस के माध्यम से कभी गायन के माध्यम से कभी कुछ क्रिएटिव करने के माध्यम से सामने लाता है.

 कहने का तात्पर्य है कि शिक्षक चाहे तो क्या नहीं कर सकता? पर यह कहते हुए थोड़ा सा सब कुछ होता है कि शिक्षक अपने इस हुनर  से स्वयं ही अनजान है या यह कहें कि वह अपने कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आना चाहता तो अतिसंयोंक्ती नहीं होगी.


 निम्न आइडिया को चर्चा पत्र में स्थान दिया जा सकता है.

👉1. दैनिक जीवन से जुड़ी गतिविधियों पर फोकस :-

 इसके माध्यम से शिक्षक बच्चों के साथ ऐसी गतिविधियों को खासकर उपयोग में ला सकते हैं जो कि उनके दो बच्चों के दैनिक जीवन से जुड़ी हो तथा उनमें ज्ञान और विज्ञान दोनों ही छुपे हो.


👉2. जरा सोचो तो / ऐसा क्यों होता है?

 इस गतिविधि के अंतर्गत शिक्षक बच्चों को ऐसी -ऐसी गतिविधियां कराई जिसके माध्यम से बच्चे स्वयं यह सोचने के लिए विवश हो जाए कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?ऐसा होने के पीछे कारण क्या है? इन गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए कि बच्चों के अंदर प्रश्न पूछने की ललक उत्पन्न हो एवं उन प्रश्नों के जवाब ढूंढने की ललक हो. इसके अंतर्गत शिक्षकों को यह भी ध्यान रखना होगा कि बच्चा अगर कोई सवाल पूछता है तो शिक्षक को उसका जवाब देना नहीं है बल्कि बच्चों को उसका जवाब कैसे हम पता कर सकते हैं यह मार्गदर्शन प्रदान करना है. कहने का तात्पर्य है कि बच्चों को  जिज्ञासु बनाना है साथ ही उनकी जिज्ञासाओं का सम्मान करते हुए उन्हें उन जिज्ञासाओं का जवाब खुद ही ढूंढने के लिए प्रेरित करना है.


👉3.  शिक्षक व बच्चों के अंदर इनोवेशन को बढ़ावा देना.

 इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार से शिक्षकों व बच्चों को इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. जैसे कि विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती है. साथ ही प्रत्येक स्कूल से एक शिक्षक की उपस्थिति इसमें अनिवार्य होनी चाहिए. यह इसलिए क्योंकि हमारी सालों में कुछ ऐसे भी शिक्षक है जो सामने नहीं आते या फिर जिन्हें सामने नहीं आने दिया जाता. इससे होगा यह कि जो इनोवेटिव टीचर्स है वे सामने आ पाएंगे और उनकी प्रतिभा भी सबके सामने उनके नाम से आएगी. जिससे कि शिक्षकों में  नई ऊर्जा का संचार होगा वह कंपटीशन की भावना भी उत्पन्न होगी और कुछ बेहतर कर पाने की ललक उत्पन्न होगी.

👉4. कबाड़ से जुगाड़ ऑन द स्पॉट

 इसके अंतर्गत प्रत्येक स्कूल से एक शिक्षक को कबाड़ से जुगाड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेना अनिवार्य होगा एवं वहां पर उपलब्ध कराए जाने वाले कबाड़ के सामानों से कुछ न कुछ इनोवेटिव बना कर दिखाना पड़ेगा ऑन द स्पॉट. इससे शिक्षकों में भी जबरदस्त प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न होगी और कुछ बहुत बढ़िया कर गुजरने के लिए वे पहले से पूर्व तैयारी करके रखेंगे. उनके अंदर ऑल टाइम अप टू डेट वाली भावना रहेगी.



👉5. प्रतिदिन चुनौतियां दे


 इसके अंतर्गत शिक्षक जो भी पढ़ाए उससे संबंधित कुछ चुनौतियां बच्चों को अवश्य दें जिससे कि बच्चे उस विषय पर गहराई से चिंतन मनन करने के लिए सतर्क होकर बच्चे शिक्षकों की बातों को एवं गतिविधियों को देखे समझे और करें.


👉6. बच्चों की प्रतिभा का सम्मान

 इसके अंतर्गत साला संकुल विकासखंड स्तर पर विभिन्न प्रकार की रचनात्मक प्रतियोगिताएं बच्चों के लिए समय-समय पर आयोजित की जानी चाहिए जैसे कि निबंध प्रतियोगिता वाद-विवाद प्रतियोगिता रंगोली मेहंदी चोटी बनाओ पेंटिंग विभिन्न प्रकार के खेल कबाड़ से जुगाड़ कुछ बनाकर दिखाओ इत्यादि आयोजित की जानी चाहिए एवं प्रत्येक सालों से 2 बच्चों का चयन उनकी रचनात्मकता के आधार पर इसके अंतर्गत होना चाहिए जो कि आगे शाला से संकुल संकुल से विकासखंड इत्यादि स्तर पर इनमें चुने हुए बच्चों को ले  जाना चाहिए. जिससे कि शिक्षकों के साथ-साथ बच्चों में भी इसके प्रति चेतना उत्पन्न होगी.

👉7. रचनात्मक वीडियो का प्रदर्शन


 इसके अंतर्गत यदि संभव हो तो प्रत्येक शाला में 10 से 15 मिनट के छोटे वीडियो प्रतिदिन बच्चों को दिखाया जाना चाहिए जिसने की कुछ रचनात्मक चीजें बनाते हुए वह उसका प्रयोग करते हुए का वीडियो शामिल हो. इससे बच्चों के अंदर भी कुछ नया बनाने की और कुछ चीजें करने की प्रेरणा उत्पन्न होगी. जो उनके शारीरिक मानसिक सामाजिक और बौद्धिक विकास में सहायक होगी.


👉8. तार पेडागोजी व वर्कशीट सम्बंधित दिशा निर्देश.


 इसके अंतर्गत प्रत्येक शाला को यह दिशा निर्देश दिया जा सकता है की जो शिक्षक साथी हमारे नायक में आ चुके हैं टॉय पेडागोजी एवं वर्कशीट पर कार्य करने की वजह से उन शिक्षकों के टॉय व वर्कशीट  को प्रत्येक शाला को अपने शाला के बच्चों के लिए बनाने व उपयोग करने के लिए निर्देशित करें. जिससे कि हमारे नायक में आए हुए शिक्षकों के बेहतरीन आईडिया सभी शालाओं तक पहुंच पाए एवं उससे प्रत्येक शालाओं के बच्चे को लाभ प्राप्त हो.


👉 9. प्रतिभाओं का सम्मान करें


 इसके अंतर्गत शिक्षक साथियों को यह सुझाव दिया जा सकता है कि उनके आसपास ऐसे बच्चे जो उनके स्कूल में  नहीं पढ़ रहे हैं और उन बच्चों के अंदर कोई विशिष्ट प्रतिभा है तो उस बच्चे व उसे सामने लाने वाले शिक्षक को सम्मानित किया जाये.




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 लोकेश्वरी कश्यप
 सहायक शिक्षक ( एल बी )
शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर
 जिला मुंगेली ( छत्तीसगढ़)

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