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Showing posts from March, 2022

मर्यादा

शीर्षक : मर्यादा हर एक  का सम्मान करो l मर्यादा में रहकर सारे काम करो l धरती मर्यादित, अंबर मर्यादित, मर्यादा में रहती है ये प्रकृति l जिस दिन मर्यादा टूटी इनकी, उथल -पुथल हो जाती है सृष्टि l सरिता मर्यादा में जब रहती, समृद्धि पाते इसके तट के वासी l जब ये मर्यादा तोड़े अपनी, हस्ती मिटाकर सब बहा ले जाती l सूरज, चंदा मर्यादित,नक्षत्र मर्यादित, मर्यादा में रहता ब्रम्हाण्ड सारा l मर्यादा में रहता सागर खारा l स्वच्छंदता को मत कहो स्वतंत्रता, मर्यादाहीन होती स्वच्छंदता, जाने हैं यह सकल जहान  l मर्यादित रहती है स्वतंत्रता l नर और नारी सब रहे मर्यादित, मर्यादा में रहकर सारे काम करो l मर्यादा में सुख समृद्धि सुंदरता का वास  l  मर्यादा में सब के सुर और ताल रहे, मर्यादा का सम्मान सदा हो, सबको ही यह ध्यान रहे  l मर्यादा का अर्थ समझाने स्वयं प्रभु धरा पर आए l कठिन परिस्थितियों में भी, जिन्होंने मर्यादा के धर्म निभाएं  l  मर्यादा पैरों की बेड़ियां नहीं है, मर्यादा सम्मान और सुरक्षा है l मर्यादा को कमजोरी ना समझो ऐ दुनिया वालों, अमर्यादित होकर खुद को ना यूँ, पतन की आग...

व्यथित हूँ

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🙏🏻देख कर मैं व्यथित हूं.......  👉 पीड़ा में तड़पते हुए अपनों को, टूट कर बिखरते हुए सारे सपनों को,  देख कर मैं व्यथित हूं........... 👉निस्तब्ध,स्तंभित की वेदनाओ  को, साथ ही लोगों की असंवेदनाओं को, देखकर मैं व्यथित हूं............. 👉पर पीड़ा में अवसर तक रहे लोगों को,सांसो की कालाबाजारी करते सौदेबाजों को, देख कर मैं व्यथित हूं................ 👉उन्होंने देखा था  लाशों पर चढ़कर आजादी आई थी,  हम देख रहे  आज लाशों पर गरमाई तुच्छ राजनीति को,  देख कर मैं व्यथित हूं................. 👉 अब तो जिंदगी और मौत पर भी आरक्षण का दांव चल रहा,  हमारी ही आस्तीन में जाने कब से  फरेबी  सांप पल रहा,  देख कर मैं व्यथित हूं............... 👉 कोई तरस रहा हवा को तो कोई तरस रहा दवा को,  पर क्या फर्क पड़े देश के लापरवाहो को,गद्दारों को, देख कर मैं व्यथित हूं............... 👉लोग पढ़ लिखकर परंपराओं संस्कारों से दूर हो गए,  सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे भद्राणि पश्यंतु के भाव अब लुप्त  हो गए,  देख कर मैं व्यथित हूं.............. 👉...

अब तस्वीर बदलनी होगी

💐तस्वीर  हर तरफ फैला झूठ,  फरेब,  अत्याचार  l  बहू -बेटियों का घर से निकलना हुआ दुश्वार l  चारों ओर बढ़ रहा बेहिसाब दुराचार l सबको मिलकर अब यह तस्वीर बदलनी होगी l  हर तरफ लूट है, मच रहा हाहाकार l  कहीं युद्ध,कहीं षड्यंत्र का गर्म है बाजार l अकेले निपट नहीं सकती कोई भी  सरकार l  सबको मिलकर यह तस्वीर बदलनी होगी l हो कही  कुछ गलत, और अत्याचार l एक दूजे पर दोषारोपण करना है बेकार l बिना डरे हमको करना होगा प्रतिकारl सबको मिलकर यह तस्वीर बदलनी होगी l कब तक अपनी जिम्मेदारी से बचने ढूंढेंगे राह l सच्चाई को अब  दिल से करें स्वीकार l  आपने लिए स्वयं ही बनना होगा हमें  तारणहार l सबको मिलकर यह तस्वीर बदलनी होगी l  षडयंत्रो कि विभीषिका में जल रहा संसार l प्रकृति कब तक झेले मानव रूपी दानव  के अत्याचार l इसलिये पड़ रही अब प्रकृति कि भी मार l सबको मिलकर यह तस्वीर बदलनी होगी l  बंद करो यह युद्ध,छल, पाप, दुराचारl शांति, प्रेम, समृध्दि का करो मिलकर सम्मान l बनाये इसे ही हम अपने जीवन का सार  l  सबको बांटे प्यार तब...

मेरा अस्तित्व

💐शीर्षक : मेरा अस्तित्व  मैं नारी हूं,  नारीत्व मेरा अस्तित्व है l  मैं मां हूं, ममत्व ही  मेरा अस्तित्व है l  मैं बेटी हूं,स्वाभिमान मेरा अस्तित्व हैl पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है l मैं बहन हुँ,सौहाद्र मेरा अस्तित्व है l मैं पत्नी हुँ,सहधर्मिता मेरा अस्तित्व हैl मैं बहु हुँ, मर्यादा मेरा अस्तित्व है l  पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है l मैं शिक्षिका हुँ,शिक्षण मेरा अस्तित्व है l मैं वैद्य हुँ,सेवा मेरा अस्तित्व है l मैं लेखिका हुँ,रचनात्मकता मेरा अस्तित्व है l पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है l मैं भक्त हुँ, भक्ति मेरा अस्तित्व हैl  मैं शक्ति हुँ,  सामर्थ मेरा अस्तित्व है l  मैं लक्ष्मी हूं, ऐश्वर्य मेरा अस्तित्व हैl पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है l  मैं एकता हूं, बंधुत्व मेरा अस्तित्व हैl  मैं मुक्ति हूं, विरक्ति मेरा अस्तित्व हैl  मैं युक्ति हूं, बुद्धि मेरा अस्तित्व है l पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है l  मैं नेत्र हूं, दर्शन मेरा अस्तित्व है l  मैं ध्वनि हूं,एकाग्रत...

प्रकृति के कण- कण में है संगीत

🎉शीर्षक : संगीत    पक्षियों के कलरव में है संगीत l मोहन के मुरली में  है संगीत l  निर्झर के झर झर में है संगीत l  प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l  कटु- मधुर वाणी में है संगीत l  हवा के झोंकों में है संगीत  l  अग्नि की चटक में है संगीत  l  प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l  जल के कल कल में है संगीत l  बारिश की बूंदों में है संगीत  l  सागर की लहरों में है संगीत  l  प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l  पायल की छन छन में है संगीत l  चूड़ी की खन खन में है संगीत l दिल की हर धड़कन में है संगीत l  प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l  बच्चों की किलकारी में है संगीत  l  हाथों की बजती हुई ताली में है संगीत l  भूखे की बजती थाली में है संगीत l  प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l  पत्तों की सरसराहट में है संगीत l  भौरों की गुनगुनाहट में है संगीत l  अपनों की आहट में है संगीत l  प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l  मां की प्यारी लोरी म...

कविता

💐शीर्षक : कविता  तारों भरी रात है कविता  l शब्दों भरी जज्बात है कविता l नदियों सी लहरती है कविता l सबको लुभाती हैं कविता l शब्दों की शोभा हैं कविता l मुखड़े की आभा हैं कविता l माँ की ममता हैं कविता l नारी का सौंदर्य हैं कविता l कवियों की  दुलारी है कविता l जग में सबसे न्यारी है कविता l सबको प्यारी होती है कविता l बच्चों की मुस्कान सी है कविता l फूलों की खुशबु है कविता l रंगों की भरमार है कविता l मन में उठती हिलोर है कविता l मन से मन की डोर है कविता l सर्दियों की धूप है कविता l अमराई की छाँव है कविता l मिश्री की मिठास है कविता l अरमानों भरी उड़ान है कविता l भौंरे की गुनगुनाहट है कविता l चिड़ियों की चहचहाहट है कविता l झरने का ठंडा पानी है कविता l रचनाओं की रानी है कविता l गीतों भरी कहानी है कविता l चढ़ती हुई जवानी है कविता l गागर में सागर समाती है कविता l भावों से भर भर जाती है कविता l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 21/03/2022

प्रेम विरह

💐प्रेम विरह की ज्वाला में, तन, मन, काठ सा जल जाय l जितनी ये अगन बढ़े दिल में, उतनी प्रेम परवान चढ़ जाय l खींची चली बंशी की धुन में, राधा, गोपियाँ सुध -बुध भुलाय l गोपियाँ डूबी प्रेम विरह में, छलिया कान्हा मंद -मंद मुस्काय l ऐसी लगन लगी कृष्णा में, मीरा घूमे जग में जोगन कहाय l भूल गयी सब कुछ प्रेम में, बस मोहन में ही ध्यान लगाय l प्रेम विरह की इस आग में, मान - मर्यादा कहीं ना मिट जाय l प्रेम आदर्श सदा रहे जग में, इसका सम्मान ना कहीं घटने पाय l जिसने भी प्रेम किया जग में, जालिम दुनियाँ उसे रही सताय l कृपा करो भोले नाथ जी, विरही प्रेमी आपस में मिल जाय l लोकेश्वरी कश्यप जिला  मुंगेली, छत्तीसगढ़ 20/03/2022

हमसफर

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💐शीर्षक : हमसफर   जीवन है सफर, तुम मेरे हम सफर हो l  मैं जहां भी देखूं, नजर आते हर जगह हो l  मेरी लबों के मुस्कान की वजह सिर्फ तुम हो l  मैं अकेली कहां कृष्णा,मेरे साथ तुम हो l  मैं लब हूं मेरी,बात तुम हो  l  मैं तब हूं जब,मेरे साथ तुम हो l  मैं दिल हूं, तुम मेरी धड़कन हो  l  मैं अकेली कहां कृष्णा, मेरे साथ तुम हो  l  जब उदास होती हूं,तुम मुझे हंसाते हो l  कान्हा तुम हजारों नखरे दिखाते हो  l  मेरी फिक्र करते हो, फिर क्यों सताते हो l  मैं अकेली कहां कृष्णा, मेरे साथ तुम हो l  नए गीत हूं, तुम मेरा साज हो l  मैं बोल हूं,तुम मेरी आवाज हो l  मैं भक्त हूं,मेरे भगवान तुम हो  l  मैं अकेली कहां कृष्णा,मेरे साथ तुम हो l  तुम ही मेरा जीवन, तुम ही स्वास हो l   तुम ही आस हो, तुम ही मेरा विश्वास हो l  तुम मेरे अभिमान तुम मेरे ताज हो l  मैं अकेली कहां कृष्णा,मेरे साथ तुम हो l  लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 28/02/2022

धरती कहे पुकार के

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शीर्षक : धरती कहे पुकार के   धरती कहे पुकार के, अपनी हर संतान से l  तुम सब मेरी संतान हो, रहो सदा प्यार से l  जीत लो दिल सबका प्रेम,आदर,सम्मान से l  मुक्त रखो सदा अपने मन को अभिमान से l  धरती कहे पुकार के,अपनी हर संतान से l  जवाबदेही तय करो भागो मत कर्तव्य से l  जो भी कर्म करो करो सदा सही मंतव्य से l  बात को समझा करो तर्क, ज्ञान,विज्ञान से l  धरती कहे पुकार के अपनी हर संतान से  l  चाटुकारी करना नहीं जीना सदा स्वाभिमान से l  धर्म पूर्वक सभी कर्म करो नम्र भाव से l  मुक्ति पा लोगे तुम जीवन में सभी अभाव से l  धरती कहे पुकार के अपनी हर संतान से  l  कर दो मुझे हरा भरा अपने लगन परिश्रम से  l  मैला ना करो उसे,प्यास बुझती है जिस जल से l  दम घुटने ना पाए भविष्य का दूषित पवन से l  धरती कहे पुकार के अपनी हर संतान से  l  बचाओ मेरे कोख को पोषण पाया तुमने जिससे l  छलनी ना करो सीने को मेरे युद्ध,बम,बारूद से l  अमन, प्रेम,भाईचारे का करो प्रचार शुद्ध मन से l धरती कहे पु...

होली आई है

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💐शीर्षक : होली आई है पलाश के जंगल लगे दहकने कि होली आई है l बसंत लेने लगा अंगड़ाई कि होली आई है l मौसम में घुलने लगा भाँग कि होली आई है l सुनाई देने लगे फाग के मधुर तान कि होली आई है l गूंजे रहे ढ़ोल,नँगाड़े की गूंज कि होली आई है l मौसम में भर रहा चहुँ ओर उल्लास कि होली आई है l दहक -दहक दहकनें लगे पलाश कि होली आई है l भाने लगी है जल की ठंडी मिठास कि होली आई है l सर्दी की हो गई है विदाई कि  होली आई है l मौर से महकने लगी अमराई कि होली आई है l कोयल की कूक लगे सुनाई कि होली आई है l पतझड़ अब देने लगा दिखाई कि होली आई है l पकनें लगी खेतों में गेहूँ की बाली कि होली आई है l होने लगी प्रेमियों में मधुर मनुहार कि होली आई है l प्रकृति में छानें लगी बसंती बहार कि होली आई है l दिशाओ के निर्मल होने लगे आकाश कि होली आई है l होली के हुड़दंग देने लगे सुनाइए कि होली आई है l घुलने लगी पकवानों की मिठास कि होली आई है l अबीर गुलाल ले हाथ राधा खड़ी तैयार कि होली आई है l कान्हा मारे रंग भरी पिचकारी की धार कि होली आई है l लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 16/03/2022

फाग गीत

💐फाग गीत जोगीरा सा रा रा रा रा रा  आई है बसंत की बसंती बहार l लेकर प्रेम और खुशियों का उपहार l राधिका सोचे मन में बार-बार l कैसे रंग लगाऊ मोहन को इस बार lजोगीरा सा रा रा रा रा रा  लाल, हरे, नीले, पीले और गुलाबी l रंगों कि छटा अजब निराली l उड़े अबीर,गुलाल, छूट रही पिचकारी l सबने एक दूजे पर प्रेम रंग डारी l जोगीरा सा रा रा रा रा रा अंबर तक उड़ चले सतरंगी गुलाल l नहीं रहा किसी के मन में कोई मलाल l बिसरे सबके तन, मन का खयाल l मस्तानों कि टोलियाँ मचा रही धमाल l जोगीरा सा रा रा रा रा रा इत ते राधा सखियों संग टोली बनाकर आये l उत ते लै पिचकारी कान्हा लुक - छिप आये l कान्हा डारे रंग,राधा सखियों संग लट्ठ चलाये l मधुर मुस्कान लिए मुख पर मोहन लट्ठ खाये l जोगीरा सा रा रा रा रा रा सखियों संग राधा चली श्याम को रंगने l राधा खुद ही रंग गई श्याम के रंग में l कौन राधा, कौन मोहन ना आये पहचान में l कोई भेद नहीं, दोनों रंगे एक रंग में l जोगीरा सा रा रा रा रा रा लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ 16/03/2022

खुशियों के रंग राधा मोहन के संग

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💐शीर्षक : खुशियों के रंग राधा मोहन के संग  मुस्कुरा कर बोले कान्हा प्यारी राधिका से l बच के रहना प्यारी राधे होली में अपने मोहन से l  रंग के रहेगा यह कान्हा तुम्हें गुलाल, अबीर से l  बोली राधिका होठों में भरके मधुर मुस्कान  l  तुम अब क्या मुझे रंगोंगे मोहन इन रंगों से l  तुम्हारी प्रीत का रंग मुझ पर चढ़ा है पहले से  l  मन रंगा है मेरा मोहन सतरंगी प्रेम रंग में  l  हरे,पीले,नीले,लाल,गुलाबी रंग अबीर के l  यह तो लगते हैं कान्हा सिर्फ ऊपर में तन के l  मुझे तो भाए बस श्याम रंग  प्रीतम के  l  जिसने रंगा है मेरे मन,हृदय पटल को  l  नटखट कान्हा बोले यू हंसकर राधिका से,  मुझे बहलाओ मत  राधे अपनी भोली बातों से l  रंगे बिना छोडूंगा नहीं पिचकारी और गुलाल से l  भर के पिचकारी,एक दूजे पर डारी प्यार से l  भर गया सारा अंबर अबीर गुलाल से  l  तन मन तरंगीत हो रहा सबका आनंद से l  धरती अंबर रंग गए राधे मोहन के रंग से l  रंगों का ऐसा रंग चढ़ा चराचर, प्रकृति पुरुष पे l ...

बिन तेरे

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💐शीर्षक : बिन तेरे  सरिता अधूरी बिन धार के,  ना अधूरा बिन पतवार के,  रूपा अधूरा बिन श्रृंगार के,  मैं भी अधूरी कृष्णा बिन तेरे l  नाम अधूरा बिन पहचान के,  मन अधूरा बिन अरमान के,  ममता अधूरी बिन संतान के,  मैं भी अधूरी कृष्णा बिन तेरे  l  तन अधूरा बिन प्राण के,  शान अधूरा बिन मान के,  पूजा अधूरी बिन भाव के,   मैं भी अधूरी कृष्णा बिन तेरे  l  ज्ञान अधूरा बिन व्यवहार के,  प्रेम अधूरा बिना इजहार के,  मनाना अधूरा बिन मनुहार के,  मैं भी अधूरी कृष्णा बिन तेरे  l  दिल अधूरा बिन धड़कन के,  आग अधूरा बिन तपन के,  विरह अधूरी बिन तड़पन के,  मैं भी अधूरी कृष्णा बिन तेरे  l  पुष्प अधूरा बिन सुगंध के,  सागर अधूरा बिन तरंग के,  खुशी अधूरी बिन उमंग के,  मैं भी अधूरी कृष्णा बिन तेरे  l  शिव अधूरे बिन शक्ति के,  प्रीत अधूरी बिन भक्ति के,  जीवन अधूरा बिन मुक्ति के,  मैं भी अधूरी कृष्णा बिन तेरे  l  लोकेश्वरी कश्यप जिल...

प्रेम प्रतिज्ञा

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💐शीर्षक :  प्रेम प्रतिज्ञा💐  तेरे साथ ही है मुझे जीना,  तेरे साथ ही है मुझे मरना,  इस दुनिया से अब नहीं डरना,  यह प्रेम प्रतिज्ञा कहती है l  सुख- दुख में साथ निभाना,  मन में अभिमान कभी ना लाना ,  खुद संभलना और उनको संभालना,  यह प्रेम प्रतिज्ञा कहती है  l  एक - दूजे की बातें मानना,  प्रेम से सब बातें समझाना,  प्रीत की रीत सदा निभाना,  यह प्रेम प्रतिज्ञा कहती है  l  साथी को देना पूरा सम्मान,  ध्यान रखो ना होए अभिमान,  रखें एक- दूजे का सदा ध्यान,  यह प्रेम प्रतिज्ञा कहती है  l  ना करना उसके सपनों को लहू -लुहान,  पूरे करना प्रेम से सभी अरमान,  होठों पर खिले प्रेम की निश्चल मुस्कान,  यह प्रेम प्रतिज्ञा कहती है l  साथ रहो बनके, उसकी हिम्मत,  आपस में बनाए रखो सदा सम्मत,  बरसती रहे सदा ईश की रहमत,  यह प्रेम प्रतिज्ञा कहती है  l  लोकेश्वरी कश्यप  जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 14/03/2022

इंसान के रंग

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💐💐💐💐💐 कहानी  शीर्षक : इंसान के रंग  बहुत पहले समय की बात है l सभी फूलों का रंग एक ही था l वे सफेद रंग के होते थे l उनकी पहचान केवल उनकी खुशबू और पत्तों से होती थी l लेकिन इंसान सभी अलग-अलग रंग के होते थे l कोई काला,कोई सफेद, कोई गुलाबी, कोई लाल, कोई हरा,कोई नीला, कोई पीला, कोई बैगनी, कोई नारंगी l जैसे उनके रंग होते थे l वैसे ही वे अपने नाम के साथ सरनेम लगाते थे l जो लाल रंग का होता,वह अपने नाम के आगे लालवानी लगाता था l  जो नीले रंग का होता था वह अपने नाम के साथ लिलवानी लगाता  l लोगों के नाम ऐसे होते थे जैसे जेठा लाल, मंसूर हरियर, वेद लाल, प्रभा नीलवानी, हरीश पिलवानी l जिसे जो रंग पसंद होता था l वह उसी रंग के लडके या लड़की से शादी करता था l कई बार ऐसा होता था कि वह जिस रंग का बच्चा चाहते थे उसी रंग का होता था l कभी-कभी उनके बच्चे उस रंग के नहीं हो पाते थे कोई दूसरे रंग की हो जाते थे तो घर में बहुत झगड़े होते थे l लोगों के बीच रंगों को लेकर बहुत झगड़े होने लगे l सभी को अपना ही रंग पसंद आता था किसी दूसरे का रंग नहीं पसंद आता था l ब्रह्मा जी ने सोचा, मेरी...

नारी तेरे कितने रूप

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🙏🏻💐शीर्षक : नारी तेरे कितने रूप तू सुख का आधार,तुझसे है जीवन में सुख l तुम हो ऐसी मनभावन जैसी हो सर्दियों की धूप l जैसा हो रिश्ता वैसा बन जाता है तेरा रूप  l मां,बेटी,बहन, सखी, नारी तेरे कितने रूप  l कर्तव्य निभाने में तुम रहती हो सदा मशगुल (मगन )l पर अपनी परवाह करने में क्यों तुम जाती हो चूक? सहनशक्ति में हो तुम धरती प्रकृति का रूप l मां,बेटी,बहन, सखी, नारी तेरे कितने रूप  l तुम सरस्वती तुम लक्ष्मी अन्नपूर्णा की हो प्रतिरूप l दुष्टता का अंत करने धारण करती हो काली का रूप l तेरे आगे नतमस्तक होते देव,दानव,दरीद्र,भूप (राजा )l मां,बेटी,बहन, सखी, नारी तेरे कितने रूप  l तेरा वात्सल्य निखार आता लेकर माता का रूप  l सखी बन के बांटती हो सबकी सारे सुख और दुख  l तेरे गुणों के बखान में दुनियाँ क्यों कर जाती है चूक l मां,बेटी,बहन, सखी, नारी तेरे कितने रूप  l हर रिश्ते, हर रूप में दिखे तेरा रूप अनूप  l तेरे साथ का एहसास ऐसा जैसे कभी छाँव कभी धूप l अपना दर्द बयां करने में रह जाती हो क्यों मूक l मां,बेटी,बहन, सखी, नारी तेरे कितने रूप  l तुम अबला नहीं तुम ह...