मर्यादा
शीर्षक : मर्यादा हर एक का सम्मान करो l मर्यादा में रहकर सारे काम करो l धरती मर्यादित, अंबर मर्यादित, मर्यादा में रहती है ये प्रकृति l जिस दिन मर्यादा टूटी इनकी, उथल -पुथल हो जाती है सृष्टि l सरिता मर्यादा में जब रहती, समृद्धि पाते इसके तट के वासी l जब ये मर्यादा तोड़े अपनी, हस्ती मिटाकर सब बहा ले जाती l सूरज, चंदा मर्यादित,नक्षत्र मर्यादित, मर्यादा में रहता ब्रम्हाण्ड सारा l मर्यादा में रहता सागर खारा l स्वच्छंदता को मत कहो स्वतंत्रता, मर्यादाहीन होती स्वच्छंदता, जाने हैं यह सकल जहान l मर्यादित रहती है स्वतंत्रता l नर और नारी सब रहे मर्यादित, मर्यादा में रहकर सारे काम करो l मर्यादा में सुख समृद्धि सुंदरता का वास l मर्यादा में सब के सुर और ताल रहे, मर्यादा का सम्मान सदा हो, सबको ही यह ध्यान रहे l मर्यादा का अर्थ समझाने स्वयं प्रभु धरा पर आए l कठिन परिस्थितियों में भी, जिन्होंने मर्यादा के धर्म निभाएं l मर्यादा पैरों की बेड़ियां नहीं है, मर्यादा सम्मान और सुरक्षा है l मर्यादा को कमजोरी ना समझो ऐ दुनिया वालों, अमर्यादित होकर खुद को ना यूँ, पतन की आग...