प्रकृति के कण- कण में है संगीत

🎉शीर्षक : संगीत

 
 पक्षियों के कलरव में है संगीत l
मोहन के मुरली में  है संगीत l
 निर्झर के झर झर में है संगीत l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l


 कटु- मधुर वाणी में है संगीत l
 हवा के झोंकों में है संगीत  l
 अग्नि की चटक में है संगीत  l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l

 जल के कल कल में है संगीत l
 बारिश की बूंदों में है संगीत  l
 सागर की लहरों में है संगीत  l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l

 पायल की छन छन में है संगीत l
 चूड़ी की खन खन में है संगीत l
दिल की हर धड़कन में है संगीत l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l

 बच्चों की किलकारी में है संगीत  l
 हाथों की बजती हुई ताली में है संगीत l
 भूखे की बजती थाली में है संगीत l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l

 पत्तों की सरसराहट में है संगीत l
 भौरों की गुनगुनाहट में है संगीत l
 अपनों की आहट में है संगीत l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l

 मां की प्यारी लोरी में है संगीत l
 पिता की थपकी में है संगीत l
दादी नानी के गीतों में है संगीत l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत  l

 गायों के रंभानें में है संगीत l
 शेर की दहाड़ में है संगीत  l
 जंगल के कोने कोने में है संगीत  l
प्रकृति के कण-कण में है संगीत l

हंसी ठिठोली में है संगीत l
रुदन और विलाप में है संगीत l
 मातम और उत्सव में है संगीत l
 प्रकृति के कण-कण में है संगीत l

केवल वाध्ययंत्रो में ही नहीं है संगीत l
ध्यान से सुनो तो सही, कहाँ नहीं है संगीत l
विरह में है,मिलन में है संगीत l
शांति में, हर ध्वनि में है संगीत l
प्रकृति के कण-कण में है संगीत l



लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़
26/03/2022

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