धरती कहे पुकार के
शीर्षक : धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के, अपनी हर संतान से l
तुम सब मेरी संतान हो, रहो सदा प्यार से l
जीत लो दिल सबका प्रेम,आदर,सम्मान से l
मुक्त रखो सदा अपने मन को अभिमान से l
धरती कहे पुकार के,अपनी हर संतान से l
जवाबदेही तय करो भागो मत कर्तव्य से l
जो भी कर्म करो करो सदा सही मंतव्य से l
बात को समझा करो तर्क, ज्ञान,विज्ञान से l
धरती कहे पुकार के अपनी हर संतान से l
चाटुकारी करना नहीं जीना सदा स्वाभिमान से l
धर्म पूर्वक सभी कर्म करो नम्र भाव से l
मुक्ति पा लोगे तुम जीवन में सभी अभाव से l
धरती कहे पुकार के अपनी हर संतान से l
कर दो मुझे हरा भरा अपने लगन परिश्रम से l
मैला ना करो उसे,प्यास बुझती है जिस जल से l
दम घुटने ना पाए भविष्य का दूषित पवन से l
धरती कहे पुकार के अपनी हर संतान से l
बचाओ मेरे कोख को पोषण पाया तुमने जिससे l
छलनी ना करो सीने को मेरे युद्ध,बम,बारूद से l
अमन, प्रेम,भाईचारे का करो प्रचार शुद्ध मन से l
धरती कहे पुकार के, अपनी हर संतान से l
माँ हूँ मैं, मूझे लाल न करो एक दूजे के रक्त से l
कुछ तो सबक लो मेरे बच्चों गुजरे हुए विनाश से l
खिलवाड़ ना करो अपने बच्चों के भविष्य से l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
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