मर्यादा

शीर्षक : मर्यादा

हर एक  का सम्मान करो l
मर्यादा में रहकर सारे काम करो l
धरती मर्यादित, अंबर मर्यादित,
मर्यादा में रहती है ये प्रकृति l
जिस दिन मर्यादा टूटी इनकी,
उथल -पुथल हो जाती है सृष्टि l
सरिता मर्यादा में जब रहती,
समृद्धि पाते इसके तट के वासी l
जब ये मर्यादा तोड़े अपनी,
हस्ती मिटाकर सब बहा ले जाती l
सूरज, चंदा मर्यादित,नक्षत्र मर्यादित,
मर्यादा में रहता ब्रम्हाण्ड सारा l
मर्यादा में रहता सागर खारा l
स्वच्छंदता को मत कहो स्वतंत्रता,
मर्यादाहीन होती स्वच्छंदता,
जाने हैं यह सकल जहान  l
मर्यादित रहती है स्वतंत्रता l
नर और नारी सब रहे मर्यादित,
मर्यादा में रहकर सारे काम करो l मर्यादा में सुख समृद्धि सुंदरता का वास  l 
मर्यादा में सब के सुर और ताल रहे, मर्यादा का सम्मान सदा हो,
सबको ही यह ध्यान रहे  l
मर्यादा का अर्थ समझाने स्वयं प्रभु धरा पर आए l
कठिन परिस्थितियों में भी,
जिन्होंने मर्यादा के धर्म निभाएं  l  मर्यादा पैरों की बेड़ियां नहीं है,
मर्यादा सम्मान और सुरक्षा है l
मर्यादा को कमजोरी ना समझो ऐ दुनिया वालों,
अमर्यादित होकर खुद को ना यूँ,
पतन की आग में झोंक डालो l
अति -कमी हर चीज की होती खराब, मर्यादा में करो सेवन प्रकृति का हर पदार्थ l
मर्यादा से बाहर गए तो सबको भुगतना ही पड़ेगा गंभीर परिणाम l



लोकेश्वरी कश्यप
 जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
29/03/2022

Comments

Popular posts from this blog

कुछ विचारणीय प्रश्न और उनके जवाब 1

प्रतिवेदन श्रंखला (2)

दर्द जो टीसते है