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Showing posts from September, 2021

अर्थपूर्ण शिक्षा और मातृभाषा

 *शिक्षा के लिए मातृभाषा का  महत्व*  भाषा हमारी अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन हैl यह हमारी सोचने,समझने और सीखने का एक साधन भी है l अगर हम बात करें बच्चों के बारे में,  तो इसमें कोई शक की बात नहीं है कि बच्चे और हम उसी भाषा की मदद से बेहतर सोच समझ और सीख सकते हैं जो हम अच्छे से जानते हैं l  अनेकों सर्वे और प्रयोगों के माध्यम से यह बात स्पष्ट होती है कि :- 👉 विद्यार्थी उस भाषा में सर्वश्रेष्ठ तरिके से सीखते हैं जिसे वे सबसे अच्छी तरह से जानते व समझते हैं l 👉 मातृभाषा में जितना अधिक अध्यापन और शिक्षण होता है शैक्षणिक परिणाम भी उतने ही बेहतरीन होते हैं l 👉PISA एक विश्व स्तर की परीक्षा है जिसमें दो हजार अट्ठारह में उन देशों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया जहां बच्चों की प्राथमिक शिक्षा उनकी अपनी मातृभाषा में होती है  l  *मातृभाषा की इस उपयोगिता को देखते हुए मातृभाषा में शिक्षण के लिए विभिन्न कानूनी और संवैधानिक प्रावधान भी किए गए हैं* :- 👉 हमारे भारत के संविधान की धारा 350 (क) के मुताबिक "शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा कि पर्याप्त सुविधाओ...

साँवली सलोनी मेरी बेटी

*शीर्षक - साँवली सलोनी मेरी बेटी*  स्वच्छ,निर्मल मन है उसका,बहुत वह भोली है l  सदा करती है वह प्यारी बातें,  दिल नहीं दुखाती है  l  सब काम में  रहती आगे,  बोले जो कर के दिखाती है l  साँवली- सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है l  हर पल हंसती रहती है और सबको हंसाती है l  सर में मेरे दर्द हो तो, मेरा सर भी वो दबाती है l  पूजा के लिए बाग से वो ,फूल चुन लाती है  l  साँवली - सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है l  करती है वह सब की मदद,नहीं किसी को सताती है l  हर मुसीबत का सामना करती, नहीं  कभी घबराती है l  कोई कुछ गलत करें तो,अच्छा सबक उसे  सिखाती है l  साँवली - सलोनी मेरी बेटी,सारे जग से निराली है l  मनपसंद  चीजें पाकर वह, खुशी से खूब इठलाती है l  अपनी मधुर आवाज में, सुमधुर गीत गुनगुनाती है l  जहां भी वह जाती है,खुशियां ही खुशियां फैलाती है l  साँवली - सलोनी मेरी बेटी,सारे जग से निराली है   l बड़े हो या बच्चे हो सबका सम्मान वो करती है l  नहीं कभी किसी से झग...

तुम्हें लग जाये मेरी उमर

 *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर उनको समर्पित मेरी भावनाये*  *शीर्षक- तुम्हें लग जाए मेरी उमर* 1.  भारत को फिर से विश्व गुरु बना दो मोदी जी.  पाखंडी गद्दारों को फिर से सबक सिखा दो मोदी जी.  सर्जिकल स्ट्राइक का फिर से  बजा दो डंका मोदी जी. 2.  तुम जो आए जवानों का सीना  हो गया चौड़ा  मोदी जी.  तुम हो सच्चे धीर, वीर,देशभक्त, कर्मयोगी मोदी जी.  70 की उम्र में भी तुम हो अभी युवा मोदी जी.  सबका साथ सबका विकास तुमने कर दिखलाया मोदी जी. 3. देश के माथे पर था कलंक धारा 370 मोदी जी.  तुम्हारे अटल निश्चय ने जम्मू कश्मीर में तिरंगा फहराया मोदी जी.  जहां हर पल खौफ का साया मंडराया करता था मोदी जी.  अब वहां चारों ओर अमन और  सुकून है मोदी जी. 4.  गहरा था संकट  त्रस्त  था सारा विश्व  मोदी जी.  इस पर भी एक आह्वान पर घर-घर दीप जल गए मोदी जी.  बिना भेद किए सारे कोरोना वारियर  को दिया सम्मान तुमने मोदी जी. कोविड में बिना भेद किए सबको तूने अमृत बांटा मोदी जी. 5.  देश को आत्मनिर्भरता...

संक्रियाओं का लूडो

👉शिक्षक का नाम -लोकेश्वरी कश्यप  पदनाम -सहायक शिक्षक एलबी    संस्था का नाम - शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर  संकुल केंद्र - बीजातराई विकासखंड मुंगेली जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ 1. टॉय का नाम - संख्याओं का लूडो 2. टॉय का उद्देश्य  - मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों मैं सृजनात्मक व बौद्धिक विकास. 3. टॉय बनाने की सामग्री  :-  वर्गाकार पुट्ठा, गोंद, स्केच कलर, कैंची, स्केल, गोटिया बनाने के लिए बटन, डाइस यदि डाइस उपलब्ध ना हो तो चौकोर पुट्ठे को काटकर डाइस बनाया जा सकता है 4. लागत :- शून्य निवेश पर आधारित घर में उपलब्ध  चीजों से बनाया जा सकता है. 5.बनाने की विधि:- 👉 चौकोर पुट्ठे में हम कोई सादा कागज चिपका लेंगे. 👉 उस पर लूडो की आकृति बनाएंगे. 👉 उसके बाद उसे कलर कर देंगे. 👉 कोई दूसरा कागज लेकर बनाई गई आकृति के समान दूसरी आकृति कट करेंगे और उसके ऊपर कुछ सन क्रियाओं को अंकित करेंगे जोड़ना, घटाना,गुणा,भाग इत्यादि से संबंधित. 👉 इस संक्रिया को कटिंग करके सभी डिब्बों के ऊपर चिपका लेंगें. 👉 बाकी जैसे लूडो खेलते हैं वैसे ही खेलेंगे. बस नियम यह रहेगा कि जो भी अंकल जी...

रूबरिक्स

🙏🏻शिक्षक का नाम - लोकेश्वरी कश्यप पदनाम - सहायक शिक्षक  संस्था का नाम - शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर संकुल केंद्र - बीजातराई विकासखंड मुंगेली जिला मुंगेली छत्तीसगढ़  टॉय का नाम - रुब्रिक्स  लागत - शून्य निवेश  टॉय बनाने का उद्देश्य - मनोरंजन,सृजनात्मकता का विकास, बौद्धिक विकास, रचनात्मकता को प्रोत्साहन.  सामग्री - सादे या रंगीन कागज जो आपके पास उपलब्ध हो, स्केच कलर, टेप, गोंद, यदि आपकी इच्छा हो तो अपनी पसंद का कोई चित्र भी लगा सकते हैं.  बनाने की विधि :- 👉 कागज को बराबर बराबर आयताकार टुकड़ों में 48 पीस काट लेंगे. 👉 इनके किनारों को आयताकार रूप में लंबाई में पट्टियों की तरह मोड़ लेंगे. 👉 सभी टुकड़े मुड़ जाए तो इन्हें आपस में वर्गाकार फंसा लेंगे. 👉 इन वर्गाकार टुकड़ों को आपस में एक-एक छोड़कर बाकी 2 को टेप की मदद से वीडियो में बताए अनुसार चिपकाएंगे. 👉 इसके पश्चात दोनों चौड़े हिस्सों में आप अपनी पसंद की चित्र अगर आप चाहे तो काटकर सभी टुकड़ो में चिपका सकते हैं. 👉 आप चाहे तो इस केस कलर से कोई आकृति भी बना सकते हैं. 👉 बन गया आपका रुब्रिक से इसे आप घूम आते...

मोती का रहस्य

⚪️मोती का रहस्य ⚪️ रीमा हमेशा दुखी रहती थी l उसके घर में सब सुख सुविधा थी पर उसे शांति नहीं मिलती थी लकरण बस एक था उसकी ससुराल माँ दिन भर उसे खरी खोटी सुनाती रहती थीl रीमा भी कैसे चुप रहती भला l इस तरह घर का माहौल हमेशा तनाव ग्रस्त रहता था l घर में झगड़े होना स्वाभाविक और दैनिक गतिविधि हो गई हो जैसेl       इस तीज पर जब रीमा अपने मायके गई तो उसने अपनी परेशानी माँ से कही और कहा मुहे अब उस घर में नहीं जाना l मैं अपनी सास के साथ नहीं रहा सकती मुझे उनसे अलग रहना है l माँ नें उसे समझाया ऐसा नहीं कहते रीमा l मेरे पास तुम्हारी समस्या का समाधान है l जिससे साँप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी l बस तु जरा धीरज रख l माँ नें उसे वापस आते समय एक छोटी सी डिब्बी दी और कहा रीमा अब जब भी तुम्हारी ससुराल माँ तुम्हें कोई कड़वी बाट बोले और तुम्हें गुस्सा आये तो तुम उनको कुछ मत कहना लब्स यह डिब्बी खोलना और इसमें जो भी है उसे अपने मुँह में चुपचाप दबा लेना, पर ये सावधानी जरूर रखना कि जब तक यह तुम्हारे मुँह में रहें तुम उनको कुछ भी अपशब्द मत कहना l  बस चुप रहना और अपना काम करते रहना. रीमा ...

हे अविनाशी, हे अनंत

💐शीर्षक :-  हे अविनाशी, हे अनंत 💐 तुम हो अनंत, तेरी महिमा अनंत,  तेरी लीलाओं का नहीं है कोई अंत l  हे प्रभु हम हैं दीन! हम हैं दुखी,  अपनी शरण में हमें ले लो भगवंत  l  हममें न ज्ञान है,ना भक्ति है,सिर्फ आशक्ति ही आशक्ति है l हमें बचा लो, हमें उबारों, भक्ति का हमें वरदान दो l तेरी माया हमें पल - पल सता रही है l तेरी भक्ति से तेरी शक्ति से, तेरी माया को हम तोड़ दे, ऐसी हमें युक्ति दे l  तुम हो व्यक्त,तुम ही अव्यक्त हो,  तुम ही शक्ति हो, तुम शशक्त हो l तेरी प्रभुता का नहीं कोई ओर - छोर, मेरे मन को तुम चुरा लो हे चितचोर l तुम ही आदि हो, तुम मध्य, तुम  ही अंत हो l हे अविनाशी, हे अन्तर्यामी,तुम अनंत हो l तुम आस हो, विश्वास हो, तुम ही स्वास हो l तुम जल हो, तुम पवन हो तुम ही धरती और आकाश हो l तुम जीव में, तुम पाषाण में, तुम कण - कण में व्याप्त हो l तुम ही आदि, तुम मध्य और तुम ही अंत हो l हम है पापी, हम है भूले - भटके, हमें सन्मार्ग दिखा दो हे अविनाशी l हम है आये,तेरी शरण में, तेरी माया से हमें बचा लो!हे अन्तर्यामी l अपनी माया के त्रास से हमें बचा लो...

बच्चों की अर्थपूर्ण शिक्षा व मातृभाषा का महत्व

*बच्चों की अर्थपूर्ण शिक्षा व मातृभाषा का  महत्व*  भाषा हमारी अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन हैl यह हमारी सोचने,समझने और सीखने का एक साधन भी है l अगर हम बात करें बच्चों के बारे में,  तो इसमें कोई शक की बात नहीं है कि बच्चे और हम उसी भाषा की मदद से बेहतर सोच समझ और सीख सकते हैं जो हम अच्छे से जानते हैं l  अनेकों सर्वे और प्रयोगों के माध्यम से यह बात स्पष्ट होती है कि :- 👉 विद्यार्थी उस भाषा में सर्वश्रेष्ठ तरिके से सीखते हैं जिसे वे सबसे अच्छी तरह से जानते व समझते हैं l 👉 मातृभाषा में जितना अधिक अध्यापन और शिक्षण होता है शैक्षणिक परिणाम भी उतने ही बेहतरीन होते हैं l 👉PISA एक विश्व स्तर की परीक्षा है जिसमें दो हजार अट्ठारह में उन देशों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया जहां बच्चों की प्राथमिक शिक्षा उनकी अपनी मातृभाषा में होती है  l  *मातृभाषा की इस उपयोगिता को देखते हुए मातृभाषा में शिक्षण के लिए विभिन्न कानूनी और संवैधानिक प्रावधान भी किए गए हैं* :- 👉 हमारे भारत के संविधान की धारा 350 (क) के मुताबिक "शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा कि पर्याप्...

दो सहेलियाँ

दो सहेलियाँ  वैशाली और गरिमा आज सालों बाद तीज के अवसर पर एक दूसरे से मिली.जब दोनों बाजार गई थी अपने अपने भाइयों के साथ अपनी पसंद की साड़ी खरीदने. वैशाली गरिमा को देखते ही पहचान गई. उसने उसे आवाज दीया " हैलो गरिमा " गरिमा नें पलटकर देखा, अरे ये तो वैशाली है. वह बहुत खुश हो गई. अपनी प्यारी सखी को देखकर.उसने मुस्कुराके उसे उसे कहा "हैल्लो, वैशाली कैसी हो " गरिमा नें अपने भाई का परिचय वैशाली से कराया. "गरिमा ये मेरे बड़े भैया है " वैशाली "नमस्ते , भैया " भैया जी नें मुस्कुराके हाथ जोड़े "नमस्कार " दोनों सहेलियों साथ में अपने लिए साड़ी खरीदने लगीं. वैशाली को एक सुन्दर सी बनारसी साड़ी पसंद आई. जो बहुत भारी और काफी महंगी थी. उसके साथ उसके भैया थे जो कुछ चिंतित व असमंजस में थे. खैर इधर गरिमा नें भी अपने लिए एक सुंदर सी साड़ी खरीदी. जो शायद वैशाली को पसंद नहीं आई पर गरिमा को उसके बुआई के सामने टोकना उसे अच्छा नहीं लगा. आखिर दोनों इतने ज्यादा खुश जो थे. दोनों सहेलियाँ तीज मनाके अपने अपने ससुराल चली गई दोनों बहुत खुश थी. वैशाली जब अपने ससुराल वापस जा रह...

मंगलमूर्ति गणेश

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*विद्या - कविता* *शीर्षक  -  मंगलमूर्ति गणेश* विघ्नहरण, मंगलकरण, मंगलमूर्ति गणेश, अत्याचारियों को सबक सिखाने, आ जाओ तुम गणेश. जो हैं छलिया, पापी,कपटी, अत्याचारी, उनसे जग की रक्षा कीजिये, गौरीपुत्र गणेश. तुम एक दंत, तुम वक्रतुण्ड, तुम प्रथम पूज्य भगवन्ता. हे लम्बोदर, हे गणनायक ,हे बुद्धि ज्ञान के दाता. हे प्रथमपूज्य,हे गजबदन मिटा दों जहाँ से सकल क्लेश. पूजा तुम्हारी करू हे बप्पा, हे शंकरसुवन गणेश. हे रिद्धि - सिद्धि के दाता,हे शिवशक्ति नंदन. प्रिय मोदक तुमको भाता, हमारा तुमको वंदन, आक्रानताओं के मन को शीतल कर दो, जहाँ में सबका जीवन हो जैसे सुवासित, शीतल चंदन. हे कार्तिकेय भ्राता, हे शुभदाता,मुसक की करते तुम सवारी, तुम्हारी लीलाएं हैं जगत में सबसे निराली, कुबेर का मान मर्दन करने वाले हे भगवंता, अभिमनियों का मान मर्दन फिर कीजिये मंगलेश गणेश. रक्षा करो हे गौरी के नंदन, सकल देवो के तुम दुलारे. हे विघ्नहर्ता हे मंगलकर्ता, पूर्ण कर दो सकल मनोरथ हमारे. प्रथम पूजा तेरी करू, उठकर रोज भिंसारे. हे मंगलमूर्ति, हे गणेश तुम्हारी हम सब आरती उतारे. लोकेश्वरी कश्यप जिला मुंगेली (छत्...

मेरे विचार

🙏*मेरे विचार* 1.  जब बच्चे स्कूल आते हैं.  उन्हें लगता है कि स्कूल में भी उन्हें घर के जैसा माहौल मिलेगा जहां उन्हें खेलने कूदने अपने विचार अभिव्यक्त करने की आजादी होगी. उसे घर में जैसे बड़ों का मार्गदर्शन मिलता है स्कूल में भी मिलेगा. किंतु हमारी शाला परिसर का माहौल स्कूल से बिल्कुल भी न होता है यहां बच्चे बहुत अनुशासन में रहते हैं. हर समय शिक्षक उनके सर पर सवार रहता है.  यह मत करो वह मत करो ऐसा करो वैसा करो बस करते रहते हैं. बच्चे की आजादी छिन सी जाती है. इसी क्रम में सिलसिला शुरू होता है सिखाने का.  जहां बच्चों को परंपरागत पुरानी पद्धतियों के द्वारा रटन्त प्रणाली  से जबरदस्ती दिखाने की कोशिश की जाती है. बच्चों को कुछ समझ में नहीं आता लेकिन वह डर में  बसरट्टा लगता है दोहराता है. जब कभी वह अपनी मातृभाषा में अपने अनुभव से कोई बात कहता है तो उसे शिक्षक द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है.  शिक्षक द्वारा बच्चे की भाषा बच्चों की अभिव्यक्ति को स्वीकारना करने से बचे शिक्षक के साथ आत्मीयता स्थापित नहीं कर पाते हैं. यह सिलसिला लगातार चलते रहता है तो बच्चा ही स्क...

उम्मीद

*बेहतर की उम्मीद*  बेहतर की उम्मीद रखिये सदा , मुश्किलें हार जाएगी। निकलेंगे किसलय डालियों में, जीवन में बहार आएगी। दुख की बदली छँट जाएगी, बस मत छोड़ना कभी आस। बेहतर की उम्मीद रखिये सदा. इंद्रधनुषी किरणों को देख, भर जाएगा पुनः नव उल्लास।  आज बन्द है दरवाजे घरों के, झरोखों से रोशनी आएगी। बेहतर की उम्मीद रखिये सदा. धैर्य रख कुछ दिन और, ज़िन्दगी पटरी पर लौट आएगी। आज परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं, चारों तरफ़ दर्द का डेरा। बेहतर की उम्मीद रखिये सदा. बिखरा बिखरा सा मन है, आओ कर दे ख़ुशियों का घेरा। सम्भाल ले ख़ुद को साथी, ये काली रात भी कट जाएगी। बेहतर की उम्मीद रखिये सदा. थम जाएगी ये आँधियाँ, मुस्कुराती सुबह सन्देश लाएगी। एक पल रुको गहरी लो जरा साँस तुम हौसलों को जरा समेटो और बढ़ जाओ तुम. बेहतर की उम्मीद रखिये सदा.

गीता

 *गीता* गीता एक बहुत ही शर्मीली लड़की थी. वह सातवीं क्लास में पढ़ती थी. उसकी सहेलियां उसे डरपोक डरपोक कहकर हमेशा चिढ़ाती  थी. लेकिन गीता कभी भी किसी को इसके लिए नहीं डरती थी या मना भी नहीं करती थी.   एक बार गीता और उसकी सहेलियां स्कूल से घर आ रही थी. रास्ते में रोड का कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा था, इसलिए रास्ता बंद था. तो उन्होंने तय किया कि वे दूसरे रास्ते से अपने घर जाएंगी. वे सभी आपस में बातें करते हैं चल रही थी. कुल तीन चार लड़कियां थी. क्योंकि वे कुछ अलग रास्ते से जा रही थी इसलिए उनको रास्ते और गलियों के बारे में अच्छे से पता नहीं था. यह सभी बस इतना जानती थी कि यह रास्ता उनके मोहल्ले तक जाता है. पर इस रास्ते के लोग इस रास्ते की गलियों के बारे में उन्हें बहुत कम पता था.   वह लोग कुछ डरी डरी  इधर-उधर ताकती देखती हुई चली जा रही थी. कुछ दूर जाने पर उन्हें ऐसा लगा कि कुछ लोग उनका पीछा कर रहे हैं. वे चारों लड़कियां डर गई. गीता ने कहा, तुम सब डरना बंद करो. अगर उन्हें पता चल गया कि हम डरी हुई हैं तो वह हमें और भी डराने की और कुछ नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर ...

पुनः कर दों धरा को हरि भरी

        *पुनः कर दो धरा को हरी-भरी*  त्रिविध बयार बहा करती थी घर घर बसता था आनंद,  जब देने के सुख से मिलता था सबको परमानंद.  मिलता था सबको परमानंद......  जिनसे पाया हमने सदा "देने की "शिक्षा,  अपने स्वार्थ वश हमने आज उन्हें ही भुला दिया.  आज उन्हें ही भुला दिया.........  प्राथमिक उत्पादक को कभी हमने  दिया नही सम्मान,  इस धरा से काट काट कर  करते रहे  उनका अपमान.  करते रहे उनका अपमान.........  फल फूल जड़ पत्ती तना, जिनका हर अंग बना है उपयोगी, उनकी हत्या कर करके, आज हम बन रहे हैं रोगी. आज हम बन रहे हैं रोगी.............  सिलेंडरों में बंद हवा के लिए, छिना झपटी कर रहे,  स्वास स्वास के लिए तरस रहे हैं.  वृक्ष अगर हमने काटे नहीं, वरन लगाये होते,  तो आज यूं बेबस अश्रु न बहाते होते.  आज यू बेबस अश्रु न बहाते होते...........  नहीं हुई है अभी देर,  अब तो सुधर जाओ.  जब जागो तभी सवेरा,  नींद से जागो संभल जाओ.  नींद से जागो संभल जाओ........  अभी जुट जाओ अपने प्र...

गुरु वही जो ज्ञान कराये

गुरु वही जो ज्ञान कराये गुरु वही जो ज्ञान कराये. कर्मो का सम्मान सिखाये. अहंकार का दमन कराये, विनम्रता का पाठ पढ़ाये. गुरु वही जो ज्ञान कराये .2.... नैतिक - अनैतिक का भेद समझाये, सच और झूठ की परख कराये. सम्मान क्या होता हैं ये समझाये, शिष्यों को सदमार्ग दिखाए. गुरु वही जो ज्ञान कराये. 2..... हमारे अंतस के भाव जगाये, पर पीड़ा क्या होती हैं समझाये. दुख में सबका साथ निभाए, धीरज कैसे धरना हमें समझाये . गुरु वही जो ज्ञान कराये. 2....  प्रगति का बीजारोपण करते ये , अपने आशीर्वाद की छाया देते. परोपकार का मर्म हमें समझाते, हमें जीवन का सच्चा पाठ पढ़ाये. गुरु वही जो ज्ञान कराये.2..... जगत में अज्ञानता का तिमिर मिटाये , मूल्यांकन कर शिक्षा का मूल्य समझाये . सच्चाई का मार्ग जग को दिखाये, सही मार्ग पर चलना सिखाये. गुरु वही जो ज्ञान कराये.2....... 05/09/2021(स्वरचित कविता ) लोकेश्वरी कश्यप शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर जिला मुंगेली (छत्तीसगढ़ )

कथनी अउ करनी

कथनी और करनी कथनी अउ करनी म अंतर देखें हव भारी, सिरतोन कहत हव संगी नई मारत हव लबारी. कइथे कुछु करथे कुछु, दुनियाँ के रीत बड भारी, बस देखावा के दुनियाँ म सब निभावत हे दुनियादारी. सिरतोन कहत हव संगी नई मारत हव लबारी. थोरकों लाज नई आवय इनला, नाक बाढ़य इखर नव बिता . जबान के कीमत का हे जाने बस मोर मैया सीता. सिरतोन कहत हव संगी नई मारत हव लबारी. झूठ, फरेब, देखावा,लालच के चीखला म जेन गड़े हे. अंतस इखर  धिक्कारय तको नहीं उहूँ मुर्दा बन परे हे. सिरतोन कहत हव संगी नई मारत हव लबारी. कथनी अउ करनी म अंतर देखें हव भारी. सिरतोन कहत हव संगी नई मारत हव लबारी. 🙏🙏🙏🙏 लोकेश्वरी कश्यप P/S सिंगारपुर जिला मुंगेली छत्तीसगढ़

ये बछर के सावन

⛈️⛈️ये बछर के सावन ⛈️⛈️ ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा. भरे सावन म धरती म बरसत हे आगी संगी, बरसत हे आगी. बरसा तो होवत नई हे मेघ उमड़ घूमड़ के भागे संगी, मेघ उमड़ घूमड़ के भागे. ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा. बरसा के अगोर म अन्नदाता के पथरा होगे आँखी संगी, पथरा होगे आँखी. सब्बो  खेती मुरझूरागे  अउ भुइयाँ ह चररियागे संगी, भुइयाँ ह चर्रीयागे. ये सावन जब जब आये बादर बरसे ल भुलागे संगी, बरसे ल भुलागे. ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा.  सावन के झड़ी नंदागे ,मेचका के टर्र - टर्र नंदागे संगी,मेचका के टर्र - टर्र नंदागे. ये बरखा के आस म  किसान ल परगे पछताना संगी, किसान ल परगे पछताना. पडे बिपट हे अब किसान भुलागे मुस्काना संगी, किसान भुलागे मुस्काना. ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा. सावन चलदीस अब आगेहे भादो संगी, अब आगेहे भादो. सावन भादो के झड़ी अब देखेल कोन पाहि संगी, देखें ल कोन पाहि. ये धरती के कोरा जाने अब कब हरियाही संगी, जाने अब कब हरियाही. ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा. लोकेश्वरी...

शिक्षा की ज्योत जलाएंगे

*शीर्षक - शिक्षा की ज्योति जलाएंगे* 1.    जो है अटके भूले भटके उनको राह दिखाएंगे,  तर्क सहित ज्ञान विज्ञान और संस्कार सिखा कर  सबको सच्ची शिक्षा देंगे,शिक्षा की ज्योति जलाएंगे.  शिक्षक हैं हम ,शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. 2.  देश - दुनिया और जाति - पाती  सबसे ऊपर उठकर हम सब,  नेक,नीयत और परवाहों की शिक्षा देंगे,शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. शिक्षक हैं हम,शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. 3.  शिक्षा से जो छूट गए हैं वंचित तबके उनको शिक्षा के अंधियारे से, शिक्षा के उजाले में हम लाएंगे, शिक्षा की ज्योति जलाएंगे.  शिक्षक हैं हम,शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. 4.  ज्ञान - विज्ञान और संस्कार सिखा कर,  देंगे सबको सच्ची शिक्षा.  टेक्नोलॉजी और नए तरीकों को हम अपनाएंगे, शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. शिक्षक हैं हम,शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. 5.  खेल खेल में जब हम उन्हें सिखाएंगे   प्रफुल्लित होंगे सब के तन और मन,  शिक्षा की खुशबू से महक उठेगा सबका जीवन, सब बच्चे खिलखिलाएंगे, शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. शिक्षक हैं हम,शिक्षा की ज्योति जलाएंगे. ...