हे अविनाशी, हे अनंत
💐शीर्षक :- हे अविनाशी, हे अनंत 💐
तुम हो अनंत, तेरी महिमा अनंत,
तेरी लीलाओं का नहीं है कोई अंत l
हे प्रभु हम हैं दीन! हम हैं दुखी,
अपनी शरण में हमें ले लो भगवंत l
हममें न ज्ञान है,ना भक्ति है,सिर्फ आशक्ति ही आशक्ति है l
हमें बचा लो, हमें उबारों, भक्ति का हमें वरदान दो l
तेरी माया हमें पल - पल सता रही है l
तेरी भक्ति से तेरी शक्ति से,
तेरी माया को हम तोड़ दे, ऐसी हमें युक्ति दे l
तुम हो व्यक्त,तुम ही अव्यक्त हो,
तुम ही शक्ति हो, तुम शशक्त हो l
तेरी प्रभुता का नहीं कोई ओर - छोर,
मेरे मन को तुम चुरा लो हे चितचोर l
तुम ही आदि हो, तुम मध्य, तुम ही अंत हो l
हे अविनाशी, हे अन्तर्यामी,तुम अनंत हो l
तुम आस हो, विश्वास हो, तुम ही स्वास हो l
तुम जल हो, तुम पवन हो तुम ही धरती और आकाश हो l
तुम जीव में, तुम पाषाण में, तुम कण - कण में व्याप्त हो l
तुम ही आदि, तुम मध्य और तुम ही अंत हो l
हम है पापी, हम है भूले - भटके, हमें सन्मार्ग दिखा दो हे अविनाशी l
हम है आये,तेरी शरण में, तेरी माया से हमें बचा लो!हे अन्तर्यामी l
अपनी माया के त्रास से हमें बचा लो हे भगवन्त l
हमें अपनी सुरक्षा में ले लो हे अविनाशी, हे अनंत l
लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
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