बच्चों की अर्थपूर्ण शिक्षा व मातृभाषा का महत्व




*बच्चों की अर्थपूर्ण शिक्षा व मातृभाषा का  महत्व*

 भाषा हमारी अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन हैl यह हमारी सोचने,समझने और सीखने का एक साधन भी है l अगर हम बात करें बच्चों के बारे में,  तो इसमें कोई शक की बात नहीं है कि बच्चे और हम उसी भाषा की मदद से बेहतर सोच समझ और सीख सकते हैं जो हम अच्छे से जानते हैं l
 अनेकों सर्वे और प्रयोगों के माध्यम से यह बात स्पष्ट होती है कि :-
👉 विद्यार्थी उस भाषा में सर्वश्रेष्ठ तरिके से सीखते हैं जिसे वे सबसे अच्छी तरह से जानते व समझते हैं l
👉 मातृभाषा में जितना अधिक अध्यापन और शिक्षण होता है शैक्षणिक परिणाम भी उतने ही बेहतरीन होते हैं l
👉PISA एक विश्व स्तर की परीक्षा है जिसमें दो हजार अट्ठारह में उन देशों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया जहां बच्चों की प्राथमिक शिक्षा उनकी अपनी मातृभाषा में होती है  l
 *मातृभाषा की इस उपयोगिता को देखते हुए मातृभाषा में शिक्षण के लिए विभिन्न कानूनी और संवैधानिक प्रावधान भी किए गए हैं* :-
👉 हमारे भारत के संविधान की धारा 350 (क) के मुताबिक "शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा कि पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा l"
👉RTE 2009 की धारा 29 (2)(f)के अनुसार "शिक्षा का माध्यम जहाँ तक हो सके, बच्चों की मातृभाषा होनी चाहिए "l
👉NCF, 2005 के अनुसार "बच्चों की घरेलू भाषाएँ, स्कूल में शिक्षण का माध्यम होनी चाहिए "l
👉NCERT भी प्री स्कूल के बच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा हो इस बात पर जोर देता है l


 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मातृभाषा के प्रयोग के बारे में कहती है कि :-
👉 छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा के माध्यम से सबसे बेहतर रूप से सीखते हैंl
👉 जहां तक संभव हो सके कम से कम पांचवी कक्षा तक बच्चों की पढ़ाई उनकी भाषा में ही होनी चाहिए l
👉 जहां तक संभव हो सके स्थानीय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण पाठ्यपुस्तक और शिक्षण सामग्री का निर्माण होना चाहिए l
👉 कक्षा में बहुभाषी शिक्षण का प्रयोग करते हुए बच्चों के घर की भाषा और स्कूल की भाषा का सोचा समझा प्रयोग किया जाना चाहिए l
👉 बच्चों के पढ़ने लिखने की शुरुआत उनकी अपनी भाषा में ही होनी चाहिए l
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*मातृभाषा में सीखना  महत्वपूर्ण क्यू है?*
*1.मातृभाषा में कुछ भी सोचना समझना और सीखना :-* भाषा केवल अपनी बात कहने भर का माध्यम नहीं है बल्कि सीखने सोचने और समझने का भी साधन है l बच्चे औरों से बातचीत करके,सवाल पूछ कर, तर्क वितर्क करके, विश्लेषण करके, समूह में काम करके या एक दूसरे के साथ कल्पना भरी बातें करके  भी विभिन्न चीजों के बारे में अपनी समझ बनाते हैं l अतः मातृभाषा में कुछ भी सोचना समझना और सीखना बहुत ही आसान होता है l एक अनजानी भाषा में यह सब कर पाना बच्चों के लिए असंभव सा होता है l

*2. ज्ञात से अज्ञात और परिचित से अपरिचित की ओर बढ़ना :-*
 5 से 6 वर्ष के बच्चे अपने संसार और परिवेश के बारे में बहुत कुछ जानते और समझते हैं lइस समझ को हम *पूर्व ज्ञान* कहते हैंl बच्चों का पूर्व ज्ञान जो उनके लिए कुछ भी नया सीखने और समझने का आधार बनता है केवल उनकी भाषा में उनके पास उपलब्ध होता है अतः बच्चों की घर की भाषा उनके पूर्व ज्ञान और नए ज्ञान के बीच एक *मजबूत पुल* का काम करती है l
*3.बाल केंद्रित कक्षा और सक्रिय भागीदारी:-*
 जब कक्षा में कोई भी गतिविधि होती है तब वह गतिविधि यदि बच्चे की समझ की भाषा अर्थात उसकी मातृभाषा में होती है तो बच्चे बहुत ही सक्रिय रूप से गतिविधियों में भाग लेते हैं एवं कक्षा बाल केंद्रित कक्षा बन जाती है  l

*4. उच्च स्तरीय सोच विचार व अभिव्यक्ति :-* बच्चे मातृभाषा की मदद से आसानी से उच्चस्तरीय सोच विचार का काम कर पाते हैं और खुलकर अपने आप को अभिव्यक्ति भी कर पाते हैं  l

*5. सभी विषयों में सीखने और समझने का स्तर :-* मातृभाषा में शिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने से विज्ञान और गणित जैसे सभी विषयों में बच्चों की समझ बढ़ती है और सीखने का स्तर भी बेहतर होता है l हमारे प्यारे पूर्व राष्ट्रपति माननीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी का कहना है *" मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बंद पाया क्योंकि मैंने गणित और विज्ञान की शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त की "*
 भारत के साथ-साथ पूरे विश्व भर में किए गए अध्ययनों से यह सिद्ध होता है कि,जो बच्चे जितने लंबे समय तक अपनी मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखते हैं,उनका मानसिक और संज्ञानात्मक विकास उतना ही मजबूत होता हैl

*6. आत्म सम्मान और आत्मविश्वास में वृद्धि :-* मातृभाषा के प्रयोग से बच्चों का आत्म सम्मान और आत्मविश्वास जबरदस्त तरीके से बढ़ता है  l जो उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है l जिम कमिन्स के अनुसार *" स्कूल में किसी बच्चे की भाषा को खारिज करना बच्चे को खारिज करने के बराबर है l "* जब कक्षा में बच्चों की भाषा का प्रयोग किया जाता है तब उनके अंदर आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की जबरदस्त भावना आती है बच्चों के अंदर ऐसी सकारात्मक भावनाएं उनको शिक्षण प्रक्रिया में बहुत अच्छी तरीके से जोड़ती है  l विश्वास, भावनात्मक सुरक्षा और प्यार से भरा हुआ माहौल बच्चों को बेहतर तरीके से सीखने समझने में मदद करता है l

*7. दूसरी भाषा सीखने में महत्वपूर्ण भूमिका :-* शुरुआती वर्षों में मातृभाषा पर मजबूत पकड़ बनने से बच्चों को दूसरी भाषा में सीखने में बहुत मदद मिलती है  l

*8.FLN की सफलतापूर्वक प्राप्ति :-* मातृभाषा में शिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराए बिना हम *फंडामेंटल लिटरेसी एंड न्यूमैरेसी मिशन* को सफलतापूर्वक प्राप्त नहीं कर सकते l क्योंकि साक्षरता का अर्थ केवल शब्दों का उच्चारण करना भर नहीं है बल्कि समझ के साथ पढ़ना है l


*🌟 मातृभाषा शिक्षा के आयाम जो बच्चों की शिक्षा से जुड़े हैं*

*👉उच्च स्तरीय समझ का विकास*
*👉बालकेंद्रित कक्षा*
*👉सिखने -सिखाने का बेहतरीन स्तर*
*👉 आत्मविश्वास व आत्म सम्मान की भावना का विकास*
*👉 अध्यापन में रोचकता व बेहतरीन परिणाम*
 *👉बच्चों के शब्द भंडार में वृद्धि*
*👉 भाषा की समृद्धता*
*👉 स्वीकारोक्ति की प्रसन्नता*
*👉 एक से अधिक भाषाएं सीखने में मददगार*
*👉सृजनात्मकता:-* बच्चों की शिक्षा का आधार मातृभाषा होने से बच्चों में सृजनात्मकता की क्षमता बहुत बेहतरीन तरीके से काम करती है l
*👉 वैज्ञानिक समझ का निर्माण:-* क्योंकि मातृभाषा में बच्चे बहुत बेहतरीन तरीके से सोच पाते हैं अतः उन में वैज्ञानिक समाझ का विकास भी बेहतरीन तरीके से किया जा सकता है  l
*👉 कला और रचनात्मकता:-* बच्चे अपनी मातृभाषा के द्वारा जन शिक्षण प्राप्त करते हैं तो वे उस भाषा में बहुत बेहतरीन तरीके से सोच समझ व अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर पाते हैं  l इस प्रकार से उन में कला व रचनात्मकता का विकास भी होता हैl
*👉 मानसिक व बौद्धिक विकास:-* मातृभाषा के माध्यम से बेहतर होता है  l
*👉 नैतिक मूल्यों का विकास:-* नैतिकता की समझ अपनी मातृभाषा के माध्यम से बहुत अच्छे से ग्रहण करते है l
*👉 सांस्कृतिक धरोहरों की समझ व सम्मान:-* बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं तो उनमें अपने सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति समझ व सम्मान की भावना उत्पन्न होती हैं l

 इस संदर्भ में एक लोकोक्ति याद आ रही है  :-
 *" मां,मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता "*

*निष्कर्ष :-*
 इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि   *मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है* यह उक्ति अपने आप में मातृभाषा के महत्व को चरितार्थ करती है l मातृभाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा बच्चे अपने जीवन में सभी प्रकार के ज्ञान,विज्ञान, रचनात्मकता, सृजनात्मकता,संस्कार, सिद्धांत व संस्कृति की समझ प्राप्त करते हैं l प्रारंभ में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करके बाद में अन्य भाषाओं का  भी ज्ञान आसानी से प्राप्त कर अपना सर्वांगीण विकास करने में समर्थ होते हैं l अतः हम कह सकते हैं कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में ही उपलब्ध करवाई जानी चाहिए l



लोकेश्वरी कश्यप
जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़

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