साँवली सलोनी मेरी बेटी


*शीर्षक - साँवली सलोनी मेरी बेटी* 

स्वच्छ,निर्मल मन है उसका,बहुत वह भोली है l
 सदा करती है वह प्यारी बातें,  दिल नहीं दुखाती है  l
 सब काम में  रहती आगे,  बोले जो कर के दिखाती है l
 साँवली- सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है l


 हर पल हंसती रहती है और सबको हंसाती है l
 सर में मेरे दर्द हो तो, मेरा सर भी वो दबाती है l
 पूजा के लिए बाग से वो ,फूल चुन लाती है  l
 साँवली - सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है l



 करती है वह सब की मदद,नहीं किसी को सताती है l
 हर मुसीबत का सामना करती, नहीं
 कभी घबराती है l
 कोई कुछ गलत करें तो,अच्छा सबक उसे  सिखाती है l
 साँवली - सलोनी मेरी बेटी,सारे जग से निराली है l


 मनपसंद  चीजें पाकर वह, खुशी से खूब इठलाती है l
 अपनी मधुर आवाज में, सुमधुर गीत गुनगुनाती है l
 जहां भी वह जाती है,खुशियां ही खुशियां फैलाती है l
 साँवली - सलोनी मेरी बेटी,सारे जग से निराली है   l


बड़े हो या बच्चे हो सबका सम्मान वो करती है l
 नहीं कभी किसी से झगड़ती, मिल - जुल के रहती है l
जहाँ कही भी वह जाती, स्वच्छता, अनुशासन सदा अपनाती है l
साँवली - सलोनी मेरी बेटी, सारे जग से निराली है l


मेरी प्यारी दुलारी बेटी *" अंशिका कश्यप* को समर्पित


*रचनाकार - लोकेश्वरी कश्यप*
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
स्वरचित एवं मौलिक रचना 25/09/2021

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