गीता

 *गीता*

गीता एक बहुत ही शर्मीली लड़की थी. वह सातवीं क्लास में पढ़ती थी. उसकी सहेलियां उसे डरपोक डरपोक कहकर हमेशा चिढ़ाती  थी. लेकिन गीता कभी भी किसी को इसके लिए नहीं डरती थी या मना भी नहीं करती थी. 
 एक बार गीता और उसकी सहेलियां स्कूल से घर आ रही थी. रास्ते में रोड का कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा था, इसलिए रास्ता बंद था. तो उन्होंने तय किया कि वे दूसरे रास्ते से अपने घर जाएंगी. वे सभी आपस में बातें करते हैं चल रही थी. कुल तीन चार लड़कियां थी. क्योंकि वे कुछ अलग रास्ते से जा रही थी इसलिए उनको रास्ते और गलियों के बारे में अच्छे से पता नहीं था. यह सभी बस इतना जानती थी कि यह रास्ता उनके मोहल्ले तक जाता है. पर इस रास्ते के लोग इस रास्ते की गलियों के बारे में उन्हें बहुत कम पता था. 
 वह लोग कुछ डरी डरी  इधर-उधर ताकती देखती हुई चली जा रही थी. कुछ दूर जाने पर उन्हें ऐसा लगा कि कुछ लोग उनका पीछा कर रहे हैं. वे चारों लड़कियां डर गई. गीता ने कहा, तुम सब डरना बंद करो. अगर उन्हें पता चल गया कि हम डरी हुई हैं तो वह हमें और भी डराने की और कुछ नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं. इसलिए उन्हें बिल्कुल भी पता मत चलने दो कि हमें उनसे डर लग रहा है. वैसे भी हम एक नहीं चार हैं. फिर भी उनकी सहेलियां डर ही रही थी. तब गीता ने कहा अच्छा ऐसा करो तुम सब बस शांत रहो बाकी सब मैं संभाल लूंगी. बस अगर मैं कहूं तो हमला करने के लिए बिल्कुल तैयार रहना जो भी मिले हाथ में उसे दे मारना बस मेरे कहने तक रुक जाना. सहेलियां तैयार हो गई. कुछ आगे बढ़ने पर उन्हें सामने से एक आदमी आता दिखाई दिया. गीता ने बिना डरे उस आदमी को आवाज लगाइए. मामा जी मम्मी अभी है आपके घर में या चली गई वापस हमारे घर. वह व्यक्ति अचानक आवाज देने से और इस तरह के प्रश्न करने से आश्चर्यचकित हो गया और ठीठक कर वहीं रुक गया. चारों लड़कियां उनके पास पहुंची. वह व्यक्ति उनसे कुछ कहता इससे पहले ही गीता बोल पड़ी. अच्छा मामा जी अभी आप किधर जा रहे हैं. घर में अभी कौन है हम आपके ही घर जा रहे थे. आज मैंने सोचा अपनी सहेलियों को मामा जी का घर दिखा दूं कभी जरूरत पड़े तो वह आपके यहां आ सकती हैं.आप लोग भी मेरी सहेलियों से मिल लेंगें. 
           जब उन लड़कों ने देखा कि यह व्यक्ति इनका रिश्तेदार है जो कि यहीं कहीं आसपास रहता है. तो वे सभी पतली गली से चुपचाप निकल लिए. जब वह लोग बहुत आगे चले गए. तो उन्होंने उन अंकल जी को धन्यवाद कहा. वह व्यक्ति कुछ समझ नहीं पाया और पूछा किस लिए धन्यवाद. गीता ने कहा कुछ नहीं आपने इतनी देर तक हमारी बातें धैर्य पूर्वक सुना इसके लिए धन्यवाद मामाजी. चारों लड़कियां हंसते हुए अपने घर की ओर आगे बढ़ गई. 
 इस तरह से गीता ने खुद की और अपने दोस्तों की मदद की, और बिना डरे परिस्थितियों को समझते हुए त्वरित समस्या का समाधान सोचा और अपनी सहेलियों का मनोबल बढ़ाया. 

 सबक:- मुश्किल घड़ी में अपना आत्म विश्वास कभी न खोए. निडर रहे,  सजग रहे, सुरक्षित रहें, मुस्कुराते रहे.



Lokeshwari kashyap
जिला मुंगेली (छत्तीसगढ़ )

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