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Showing posts from November, 2022

जीवन की चौपाई

💐जीवन की चौपाई उन्नति का शिखर अगर चाहो, आचरण शुद्ध रखना होगा l सुन प्यारे आलस को त्यागो, कर्म पथ पर  बढ़ाना होगा l   पथिक तुम कभी हार न मानो,   गिरकर फिर संभलना होगा l गर मजबूत  इरादा होगा, पर्वत को भी झुकना होगा l इत्र की महक बनना चाहो, पुष्प की तरह मिटना होगा l वह तो तुझे तरास रहा है, निखरना चाहो तो  चोट सहना होगा l जीवन तो एक संघर्ष है, संघर्ष तुझे जितना होगा l हालात का रोना न रोना, हालात को बदलना होगा l आँख डाल देखो आँखों  में, खुद को तुझे समझना होगा l वह तुझसे तो जुदा नहीं है, खुद में तुझे ढूंढना होगा  l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 27/11/2022

स्वदेशी

💐विषय  -  स्वदेशी आज का युग आधुनिक युग है  l आज का जनमानस आधुनिकता की अंधी दौड़ में इतना पागल हुआ जा रहा है कि वह अपने पुरातन सभ्यता संस्कृति की महिमा गौरव और उपयोगिता को नजरअंदाज करने में तनिक भी देर नहीं लगाता l आधुनिकता के नाम पर उद्दंडता और फूहड़ता को अपनी शान समझने लगा है l आज की युवा पीढ़ी स्वदेशी का मूल्य व महत्व भूल रही है l आज स्वदेशी के नाम पर मात्र कुछ प्रोडक्ट को ही गिना जाता है l वास्तव में स्वदेशी का अर्थ बहुत व्यापक स्तर पर हम सब को समझने की आवश्यकता है l हम सभी को चाहिए कि हम अपने देश में निर्मित वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग करें ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़े और रुपए का मूल्य भी बढ़े l जब हम स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करेंगे तो ना सिर्फ हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि हमारे देश के लोगों का जीवन स्तर भी ऊंचा होगा एवं उन उद्योग धंधों में काम करने वाले हमारे देश के लोगों को रोजगार भी अधिक से अधिक मिलेगा l जब हम अपने देश में बनने वाले सामानों का उपयोग अधिक करेंगे तो उसकी मांग बढ़ेगी और मांग बढ़ने से उत्पादन अधिक होगा एवं उसकी प्रसिद...

मकड़ी का झूला

🕷️कहानी शीर्षक - मकड़ी का झूला बहुत समय पहले की बात है l पहले मकड़िया चीटियों की तरह चलती थी l उनको जाले बनाना नहीं आता था l जब मकड़ी आप पक्षियों को पेड़ों की टहनियों, पत्तियों,शाखाओं में झूलते देखती थी l बंदरों को पेड़ों पर इस पेड़ से उस पेड़ पर झूलते देती थी l तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था l उनका भी मन करता था कि,काश वह सभी पक्षियों और बंदरों की तरह झूला झूलने का आनंद ले पाती l एक दिन सभी मकड़ियों ने सभा बुलाई l सब ने यह तय किया कि वे ब्रह्मा जी की तपस्या करेंगी l उन्हें प्रसन्न करके उन सबकी यह इच्छा पूरी करने का निवेदन करेंगी l सभी नन्हीं नन्हीं मकड़ियों ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या शुरू की   l पेड़ों की शाखाओं पर एक टांग पर खड़ी होकर तपस्या करनी शुरू की l इस तपस्या के दौरान कई मकड़िया पेड़ों की शाखाओं से गिरकर मर गई l पर बाकी मकड़ियों ने अपनी तपस्या जारी रखी l मकड़ियों के हाथ पांव तपस्या की वजह से सूखकर पतले - पतले हो गए l आखिरकार ब्रह्मा जी को उन सब पर दया आ गई l ब्रह्मा जी ने जब उनसे वरदान मांगने को कहा तो मकड़ियों ने अपनी इच्छा ब्रह्मा जी को बताइ l...

गंगा माता

💐शीर्षक : गंगा माता हे जगत पावनी निर्मल गंगा माता , जो भी पतित जन तेरे दर पर आता l जन्म भर का पाप उसका उतर जाता, अद्भुत शांति वह प्राणी निश्चित ही पाता  l तेरे निर्मल जल में अद्भुत शक्ति है माता , तुम विष्णुपदी,शिव से भी है तेरा नाता l शिव ने अपनी जटाओं में तुझको बांधा, शिव के सिवा तेरा वेग कोई संभाल न पाता  l तुम हिमालय से लेकर आती हो माता, जड़ी बूटियों का सत सारा वह खजाना l तेरी किनारों पर विकसित हुई सभ्यता, उपजाऊ मिट्टी तेरा जल बहाकर लाता l पतित पावनी,पाप नाशिनी गंगा माता, तेरे स्पर्श से जन का तन मन पावन होता  l जानवी,मंदाकिनी,भागीरथी,अलकनंदा, है तेरे अनेकों नाम तुझ में अद्भुत क्षमता  l तेरा शीतल जल,प्राणि का संताप मिटाता, जिंदा क्या मुर्दा भी तेरे जल से तर जाता l तेरे जलसे शिव का अभिषेक जो करता, हर कामना होती पूर्ण मनवांछित फल पाता l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 09/11/2022

तेरी मुस्कान

💐शीर्षक - तेरी मुस्कान तेरी मुस्कान सबसे प्यारी है l तू हम सबकी प्राण दुलारी है l तू ही हमारी दुनिया सारी है l माँ तुझ पर बलिहारी है  l तेरी सुंदर आँखें कजरारी है l   तू जग में सबसे न्यारी है l हमनें जान तुझ पर न्योछारी है l तू हमको प्राणों से भी प्यारी है l एक तेरा प्रेम सब पर भारी है  l तेरे लिए छोड़ी दुनियादारी है  l एक पल दूरी में भी बेकरारी है l सदा साथ रहने की तैयारी है l तू वह नन्हीं सी क्यारी है l जिससे महकी घर फुलवारी है l तू मेरी नन्ही राजदुलारी है l तेरी मुस्कान सबको प्यारी है l तेरे दांतो की पंक्ति न्यारी है  l हंसी जैसे झड़ती फूलों की डाली है l तेरी मोहनी सूरत मतवाली है l हमारी दुनिया तुझसे वारी न्यारी है  l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 10/11/2022

राम नाम

💐शीर्षक - राम नाम भज ले रे मन राम का नाम l करते-करते अपने सारे काम l राम नाम से मिलता आराम l जग में पावन है राम का नाम l श्याम सलोने रूप के धाम l ले अभिराम राम का नाम l राम नाम की अद्भुत महिमा l भज के देख ले तू राम नाम l मर्यादा के धाम सिया के राम l जोर से बोल बंदे सियावर राम l मोक्ष दिलाए राम का नाम l उत्तम जोड़ी सीताराम सीताराम l सुख मिलता मन को अपार l जब हम लेते राम का नाम l सीता शोभा पाये राम के वाम l अयोध्या हो गई साकेत धाम l राम नाम से मिले सदा आराम l जप ले मन सीताराम सीताराम l मेरे भी मन में बस जाओ राम l सुबह शाम भजूं बस तेरा नाम l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 12/11/2022

सिया के राम

💐शीर्षक - सिया के राम जिनके सुंदर कमल नयन, सुंदर,श्याम,सलोने श्री राम l शांत, सौम्य, अद्भुत चितवन, परम सुंदरता की खान राम l शिव धनुष को तोड़कर, स्वयंवर विजयी बनें श्री राम l दसों दिशाओं गूंजे जयकारे, जय सियाराम जय सियाराम  l रूप अनुपम अलौकिक महिमा, पुलकित हुआ सिया का मन  l गदगद हुए गुरु और माता पिता, सिया के लिए मिल गए वर राम l कर वरमाला लिए सिया चली, धीमी -धीमी चाल सकुचाए मन l सिया के मन मंदिर में समाए, नैनो के पट से होकर श्री राम l जन्म-जन्म के गठबंधन में, आज पुनः बंध गए सीताराम  l हर जन का चित्त चुराए है, सियावर राम सीता राम  l सबसे सुंदर, सबसे पावन, जग में है जिनका नाम  l सुमिरन कर भज ले रे बंदे, सुबह-शाम सियावर राम l दिन भर कर तू सारे काम , मन में भजता चल सीताराम l मोक्ष दें, दिलाये परम धाम , भव से पार लगाए राम नाम l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली, छत्तीसगढ़ 12/11/2022

जीवन का आधार

💐शीर्षक : जीवन का आधार मेरे जीवन का आधार, कृष्णा बस एक तेरा प्यार l दिन हो या चाहे हो रात, मैं तो मांगू बस तेरा प्यार l दिन- रात करुं तेरी पूजा, तेरी भक्ति मेरा जीवन आधार l मुझको क्या लेना देना जग से? तुम दिल से कर लो मूझे स्वीकार l मेरे चित में बस तेरा चिंतन, तेरे चिंतन से कृष्णा मूझे प्यार l आस करुं मैं जग में किससे, तेरा विश्वास मेरा प्राण आधार l तू चाहे तो रोऊ तू चाहे तो हँसू, तेरी हर इच्छा का करुं सम्मान l बस एक ही चीज मांगू तुझसे, कृष्णा कर लो मेरी प्रीत स्वीकार l अब तुझसे शुरू तुझपे ही खत्म, प्रियतम मेरी हर सुबह और शाम  l तुम मेरा जीवन तुम ही जीवन आधार, तू  मेरी हर सांस में तू मेरा संसार l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 07/11/2022

बढ़ना होगा

शीर्षक :- बढ़ना होगा सपने पूरे करने हैं तो, जी तोड़ मेहनत करना होगा l छोटी-मोटी समस्याओं को, नजरअंदाज करना होगा  l गर आए राह में फिसलन,कदम जमा कर चलना होगा l दूर करके हर बाधा को आगे हमको निकलना होगा l अपने सपने पूरे करने को अब जिद पर अड़ना होगा l कदम पीछे हटाए बिना, देश के दुश्मनों से भी लड़ना होगा l सुनहरे भविष्य के लिए नींद चैन अब त्यागना होगा l मान सम्मान की रक्षा हेतु, नेक नियत को धरना होगा l मन में धीरज धर कर,कदम दर कदम आगे बढ़ना होगा l हम बढ़ेंगे देश बढ़ेगा सबको साथ लेकर  चलना होगा l अपने सपने और अपनों को साथ लेकर चलना होगा l कर्म क्षेत्र में कर्तव्यों का पालन हँसकर करना होगा l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़ 05/11/2022

कृष्ण

💐गिरत पड़त वह, ठुमक ठुमक वह l अलखत बलखत,रसभर लय लब l धर सर वह पग, मुख महि नवनित l चितवन अनुपम, निरखत सब जन l लकर धकर वह,हसत हसत बस l चित हर लय हरि,मधुर मधुर रस l हिरदय सुख कर, जब जब नटखट l डगर डगर पग, धरत धरत पग l करत फिरत नट, नटखट नटवर l

घर आए सियाराम

💐🙏🏻शीर्षक :85. शीर्षक : घर आए सियाराम कथा तुमको एक सुनाते है l वचन की कीमत दिखाते है l वचन पालन पर यह जग टिका l महान ही वचन पर मर मिटा l पालन करने पिता की  आज्ञा l वन गमन हँस स्वीकार किया l प्राणनाथ मैं भी संग चलूंगी l जो न गई तो मर जाउंगी l जिद्द पे अड़ ही गई सीता  l हाथ जोड़ खड़े छोटे भ्राता l वन पर्वत और नदी नाले l वन में रहे संत रखवाले l लाखों दनुजों को है मारा l संत जनो का जीवन तारा l दुख की निष्ठुर बेला आई l हरन  हो गई सीता माई l धरती रावण भय से काँपे l कठिन व्रत धर लक्ष्मण जागे l रावण दम्भी अकड़ा खड़ा है l घमासान तब युद्ध हुआ है l लक्ष्मण मेंघनाथ को मारे है l राम कुम्भकर्ण संहारे है l रावण मरकर 4जीवित होता है l देख घोर अचरज होता है l रावण से सब ही डरते है l राम सभी का दुख हरते है l राम नें रावण को हराया है l रावण नें सभी को सताया है l चौदह बरस की अवधि पूरी l अब सहन नही होती दूरी l आई मंगलमय बेला है l नगर बीच रेलमपेला है l घर आए राम लखन सीता l राम लखन नें जग को जीता l घड़ी मंगलमय परम पुनिता l राम का नाम है अति सुभिता l घर-घर बाजन लगे बधावे l स्वर्ण थाल आरती सजावे l अम...

दीवाली

💐🦢🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🦚 धनतेरस दीपक दीवाली धनतेरस पावन दिन में,धन की बारिश होती है l जलती हर घर में जगमग,दीपक अवली होती है l धर्म अनोखा है अपना,यम भी पूजे जाते है l अंधकार अमावस का,दीया रौशन करती है l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली छत्तीसगढ़

चलते चलते राह में

🙏🏻शीर्षक : चलते - चलते राह में कृष्णा चलते चलते राह में, दूर बहुत निकल आये है l हर तरफ अंधेरों के साये है l अपनी ही परछाईया डराती है l कृष्णा चलते चलते राह में, डरते है हम कहीं खो जाये ना l जो तुम ना मिले हमको तो, सच में कहीं जान निकल जाये ना l कृष्णा चलते चलते राह में, कई बार निराशाओं नें घेरा है l डर भी डर के इक दिन भाग गई, जब देखा मेरे दिल में तेरा बसेरा है l कृष्णा चलते चलते प्रेम राह में, इक दिन तुमको पा ही लूंगी l इस कदर तुझमे डूबना है मोहन, खुद को भूलकर तुझमे समा जाउंगी l कृष्णा चलते चलते राह में, नजरों के आगे लाख नजारे बदले l दिन बदले रात बदले सुबहो शाम बदले, एक मैं ना बदली एक तुमको ना बदले l कृष्णा चलते चलते राह में, हजारों लोग मिले और बिछड़े l कोई तुझसा ना मिला कान्हा कभी, नैनों के आगे से गुजरे लाख मुखड़े l कृष्णा चलते चलते राह में, कान्हा दूर बहुत निकल आई हूँ l अब देर ना कर आके मिल, इक तेरे लिए सब छोड़ आई हूँ l लोकेश्वरी कश्यप मुंगेली (छत्तीसगढ़ ) 10/10/2022