कृष्ण
💐गिरत पड़त वह, ठुमक ठुमक वह l
अलखत बलखत,रसभर लय लब l
धर सर वह पग, मुख महि नवनित l
चितवन अनुपम, निरखत सब जन l
लकर धकर वह,हसत हसत बस l
चित हर लय हरि,मधुर मधुर रस l
हिरदय सुख कर, जब जब नटखट l
डगर डगर पग, धरत धरत पग l
करत फिरत नट, नटखट नटवर l
अलखत बलखत,रसभर लय लब l
धर सर वह पग, मुख महि नवनित l
चितवन अनुपम, निरखत सब जन l
लकर धकर वह,हसत हसत बस l
चित हर लय हरि,मधुर मधुर रस l
हिरदय सुख कर, जब जब नटखट l
डगर डगर पग, धरत धरत पग l
करत फिरत नट, नटखट नटवर l
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