स्वदेशी

💐विषय  -  स्वदेशी

आज का युग आधुनिक युग है  l आज का जनमानस आधुनिकता की अंधी दौड़ में इतना पागल हुआ जा रहा है कि वह अपने पुरातन सभ्यता संस्कृति की महिमा गौरव और उपयोगिता को नजरअंदाज करने में तनिक भी देर नहीं लगाता l आधुनिकता के नाम पर उद्दंडता और फूहड़ता को अपनी शान समझने लगा है l आज की युवा पीढ़ी स्वदेशी का मूल्य व महत्व भूल रही है l

आज स्वदेशी के नाम पर मात्र कुछ प्रोडक्ट को ही गिना जाता है l वास्तव में स्वदेशी का अर्थ बहुत व्यापक स्तर पर हम सब को समझने की आवश्यकता है l हम सभी को चाहिए कि हम अपने देश में निर्मित वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग करें ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़े और रुपए का मूल्य भी बढ़े l जब हम स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करेंगे तो ना सिर्फ हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि हमारे देश के लोगों का जीवन स्तर भी ऊंचा होगा एवं उन उद्योग धंधों में काम करने वाले हमारे देश के लोगों को रोजगार भी अधिक से अधिक मिलेगा l जब हम अपने देश में बनने वाले सामानों का उपयोग अधिक करेंगे तो उसकी मांग बढ़ेगी और मांग बढ़ने से उत्पादन अधिक होगा एवं उसकी प्रसिद्धि भी बढ़ेगी तथा हम विदेशों में भी अपने देश के सामानों की पूर्ति कर अपने देश के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे l आज के युग में खाने-पीने, पहनने ओढ़ने, सजावट की चीजें, फैशन एवं सौंदर्य प्रसाधन की चीजें, इनके अलावा घरेलू उपयोग की समस्त वस्तुएं यदि हमारे देश में बनने लगेगी तो हम आत्मनिर्भर में सबसे आगे  जाएंगे l

वैसे भी हमारे देश की प्राचीन संस्कृति सभ्यता जीवन शैली स्वास्थ्य सौंदर्य खानपान हर तरह से श्रेष्ठ रही है l हमारी शिक्षा पद्धति भी अन्य देशों से काफी उन्नत और महत्वपूर्ण रही है तभी तो हमारे देश में पूरे विश्व से लोग शिक्षा के लिए विद्या अध्ययन के लिए आते रहे हैं और हमारा देश विश्व गुरु था प्राचीन समय में l किंतु आज की आधुनिकतम शिक्षा पद्धति ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से चौपट कर के रख दिया है l हमारी देसी शिक्षा प्रणाली विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी गई थी किंतु अंग्रेजों ने नौकर बनाने की शिक्षा पद्धति को हमारे देश में लागू किया और पूरे देशवासियों को केवल नौकर बनाने की फैक्ट्री के रूप में शिक्षा देने लगे l

आज का माना अंग्रेजी का इतना गुलाम हो गया है कि अंग्रेजी बोलने वाला उसे हर तरह से श्रेष्ठ लगता है  l जबकि हम सभी जानते हैं कि इंग्लिश मात्र एक भाषा है अगर हम अपने देश की भाषा का स्वदेशी भाषा का मातृभाषा का प्रचार प्रसार करें एवं उसमें हर काम अपना करें तो तो हमारी स्वदेशी अपनी मातृभाषा भी अंग्रेजी को मिनटों में पछाड़ सकती है l लेकिन जब हम स्वयं अपने स्वदेशी भाषा का समर्थन नहीं करेंगे उसका उपयोग नहीं करेंगे और उसे ही समझेंगे और केवल विदेशी भाषा के मुंह पास में फंसे रहेंगे l तब तक ना हम अपने बच्चों को सही शिक्षा, संस्कृति,सभ्यता और जीवन शैली  नहीं दे पाएंगे l हम विदेशी जीवन शैली, पहनावे, फैशन खानपान के इतने आदी हो गए हैं कि हमने अपने श्रेष्ठ स्वदेशी चीजों का महत्व अपने बच्चों को बताना तो दूर की बात उन्हें इसके निकट भी नहीं आने देते l


हम जाने अनजाने में स्वदेशी का अपमान तो कर ही रहे हैं साथ ही अपने बच्चों को स्वदेशी के  महानतम,उच्चतम,श्रेष्ठतम, सुखद परिणामों और फायदों से वंचित कर रहे हैं l

आज तो विश्व भी पुनः भारत की सभ्यता संस्कृति ज्ञान विज्ञान, परंपराओं नैतिकता इत्यादि को मानने पर बाध्य हो रहा है  l फिर हम क्यों अपनी स्वदेशी चीजों के त्याग में लगे हुए हैं आज समय आ गया है कि हम स्वदेशी का महत्व  को पुनः समझे और उसको पुनः अपने जीवन में आत्मसात करें एवं अपने आने वाली पीढ़ी को  स्वदेशी को अपनाने पर बल दे एवं अपने बच्चों को स्वदेशी का महत्व समझाएं और उन्हें का सम्मान करना बताएं l


भाषा, शिक्षा,ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता,संस्कृति, पहनावा, खानपान, स्वास्थ्य,उपचार  , जीवन शैली, वार्तालाप, मान मर्यादा शालीनता सब कुछ स्वदेशी अपनाएं और अपने बच्चों को अपने समाज को अपने आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ सुखी समृद्ध और स्वावलंबी मर्यादित श्रेष्ठ सफल बनाएं l

स्वदेशी अपनाएं, देश का मान बढ़ाएं  l
🙏🏻🙏🏻😊😊



लोकेश्वरी कश्यप
मुंगेली छत्तीसगढ़
27/11/2022

Comments

Popular posts from this blog

कुछ विचारणीय प्रश्न और उनके जवाब 1

प्रतिवेदन श्रंखला (2)

दर्द जो टीसते है